Mera Pahad > MeraPahad/Apna Uttarakhand: An introduction - मेरा पहाड़/अपना उत्तराखण्ड : एक परिचय
Harela Tyar By Mera Pahad- हरेला त्यार का आयोजन
विनोद सिंह गढ़िया:
हरेला त्यार का आयोजन - 'मेरा पहाड़' का उत्तराखंड की संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सराहनीय कदम ।
dayal pandey/ दयाल पाण्डे:
हरेला एक वृक्षारोपण के तौर पर भी मनाया जाता है बचपन मैं हम हरेले के दिन सुबह सुबह पाहिले व्रिक्षरोपन के लिए जाते थे उसके बाद आकर हरेला सर मैं रखते थे फिर जाकर पूरी हलवा खीर आदि का आननद लेते थे आज जब पर्यावरण को लेकर पूरी दुनियां चिंतित है तो इस तयोर की प्रासंगिता और भी बढ जाती है क्रियेटिव उत्तराखंड म्योर पहाड़ हमेशा ही अपनी विरासत को आगे ले जाने मैं विस्वास रखता है आइये हम सब हरेले के दिन पेड़ लगाकर पर्यावरण बचाने मैं सहयोग करैं.
Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा:
Deforestation is on peak in Uttarakhand. Many reasons are behind. There are jungle Mafias very active in different part of Uttarakhand. The second reason is increasing population & rehabilitation are also there.
Before losing the important time, we should consciously think about the importance of trees and plant maximum trees wherever possible. The moot point is to educate people specially in rural areas.
This effort by Merapahd Team is really appreciable and works need to be done at ground level also.
dayal pandey/ दयाल पाण्डे:
उत्तराखंड की संस्कृति का हमेसा ही विज्ञानिक महत्व भी रहा है जब आज विश्व के वैज्ञानिक पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं और एक पर्यवारानिक संतुलन की बात कह रहे हैं वही हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पाहिले ही यह सन्देश ही नहीं "हरेले " के रूप में वृक्षारोपण का त्यौहार बना दिया है जिसका महत्व आज के परिपेक्ष में और भी बढ गया है जब चारुं ओर से पर्यावरण को खतरा आन पड़ा है, दोस्तों १७ जुलाई साम ४ बजे गडवाल भवन पहुचकर "उत्तराखंड की संस्कृति का पर्यावरण संरक्षण में महत्व " विषय पर विचार गोष्टी हेतु सहभागी बनें
पंकज सिंह महर:
आप सभी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कुछ अपडेट्स
कार्यक्रम के अन्त में वृक्षारोपण करते हमारे सदस्यगण
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