बागेश्वर के सुमगढ़ गांव में बादल पफटने से 18 बचों की मौत का गम अभी लोग भूला भी नहीं पाये थे कि ठीक एक महीने बाद 19 सितंबर को पहाड़ के कई हिस्सों में एक साथ आयी आपादा ने पौने दो सौ लोगों को लील लिया। कई लोग घायल हुये और करोड़ों की संपत्ति आपदा की भेंट चढ़ गयी। पहाड़ के कई घर मलवे मे ंदब गये। नदी नालों के आने से बड़ी जमीनें काट कर ले गयी। इस आपदा ने यहां के जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। इसे पटरी में लाने के लिये बड़े वक्त और संसाध्नों की जरूरत है। हम सब लोग जानते हैं कि सरकारी कामकाज और राहत अपने तरीके से चलता है। सरकार के बल पर लोगों को कितनी राहत मिल पायेगी यह अलग बात है, लेकिन ऐसे समय में समाज का एक हिस्सा होने के नाते हम सबका दायित्व है कि हम जितना भी कर सकें इस विपदा में करना चाहिये। हमारे संगठन की पहल पर कई हाथ आगे बढ़े हैं। इस बीच हम लोग एक प्रतिनिध् िमंडल बनाकर पहाड़ के उन हिस्सों का दौरा करेंगे जहां राहत की सबसे ज्यादा जरूरत है। हम सब चाहते हैं कि कम ज्यादा जो भी हो राहत उन लोगों को मिले जिन्हें इनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। हमने विभिन्न क्षेत्राों से इसके लिये जानकारियां भी ली हैं। उम्मीद है आप सबका सहयोग मिलेगा।