उत्तराखंड का पांचवा क्रिकेटर उन्मुक्त चंद ठाकुर देहरादून। आईपीएल के पिछले सीजन में जब युवा मनीष पांडे ने सीजन का पहला सैकड़ा जमाया तो सभी उसकी यह कहकर चर्चा कर रहे थे कि यह खिलाड़ी मूल रूप से उत्तराखंड के बागेश्वर का रहने वाला है। इसी प्रकार इस बार आईपीएल में उत्तराखंड का एक और सितारा अपनी चमक बिखेरने को तैयार है और वह है उन्मुक्त चंद ठाकुर। इस बार दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से इस क्रिकेट खिलाड़ी को मौका मिला है। मूल रूप पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले और दिल्ली में रह रहे उन्मुक्त चंद को आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेलने के लिए चुना गया है। पिथौरागढ़ जिले के खड़कूभल्या गांव के उन्मुक्त चंद के पिता भरत चंद ठाकुर एक शिक्षक हैं।
बाराखंबा रोड स्थित मार्डन स्कूल में 12 वीं का छात्र 17 वर्षीय उन्मुक्त इससे पहले दिल्ली की टीम के लिए अंडर 15, 16 और 19 के मैच खेलने के साथ ही रणजी एकदिवसीय भी खेल चुका है। पिछले सीजन में उन्मुक्त में अंडर 19 खिलाड़ियों में सर्वाधिक 435 रन बनाये, जिसमें 2 शतक और एक हाफ सैंचुरी शामिल है। रणजी में उसने रेलवे के खिलाफ 151 रन बनाए। इन तमाम कामयाबियों के कारण उन्मुक्त का चयन बीसीसीआई की अंडर 19 टीम के लिए भी हुआ है जहां वह नार्थ जोन की ओर से खेलेगा। प्री बोर्ड की परीक्षाओं के बावजूद उन्मुक्त इन दिनों आईपीएल की तैयारियों लगा हुआ है।
यहां मनीष पांडे और भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी की बात करना भी जरूरी होगा। अल्मोड़ा में धौनी का पैतृक गांव है। इसी प्रकार दिल्ली रणजी के लिए खेलने वाले गढ़वाल एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पवन सुयाल और राबिन विष्ट भी उत्तराखंड के ही हैं।
उन्मुक्त चंद ने मेरा पहाड़ फोरम के लाइव चैट में शुक्रवार को उत्तराखंड और देश भर के 100 से अधिक लोगों के सवालों के जबाव दिए। उसका कहना था कि वह अपने प्रदर्शन को जारी रखना चाहता है। धौनी के विषय में किये गये एक सवाल के जबाव में उसने कहा कि अभी उसकी उनसे मुलाकात नहीं हुई है लेकिन वह उनसे मिलने का इच्छुक है। इस चैट में फ्रांस के एक उत्तराखंडी कर्नल नेगी ने भी भाग लिया। फोरम के संचालक हेम पंत ने बताया कि उन्मुक्त चंद भविष्य में भी लाइव चैट के लिए आएंगे।
इस प्रकार उत्तराखंड की पांच क्रिकेट प्रतिभाएं महेन्द्र सिंह धौनी, मनीष पांडे, उन्मुक्त चंद, पवन सुयाल और राबिन विष्ट इन दिनों राष्ट्रीय फलक पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उत्तराखंड क्रिकेट को अभी तक बीसीसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है। इसका कारण यहां की क्रिकेट एसोसिएशनों का आपसी झगड़ा है।
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