Mera Pahad > MeraPahad/Apna Uttarakhand: An introduction - मेरा पहाड़/अपना उत्तराखण्ड : एक परिचय

Mera Pahad In Press/Electronic Media : मेरा पहाड़ प्रेस में

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 

विनोद सिंह गढ़िया:
प्रवासियों ने छेड़ी मुहिम, ‘हिटो गैरसैंण’

हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान जोरशोर से उछले गैरसैंण राजधानी के मुद्दे को लेकर आज भले ही राजनीतिक दलों ने खामोशी साध ली हो लेकिन इंटरनेट में स्थायी राजधानी पर गरमागरम बहस जारी है। भारत ही नहीं अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड में बसे प्रवासी उत्तराखंडी भी इस मुद्दे को लेकर विचलित हैं। फेसबुक और ऑरकुट जैसी सोशल साइटें ‘पहाड़ प्रेम’ और ‘गैरसैंण राजधानी’ दो के नारों से पटी पड़ी है। ‘हिटो गैरसैंण’ के नारे के साथ 13 अगस्त को दिल्ली से सैकड़ों प्रवासी गैरसैंण को कूच करने की तैयारी में है। गैरसैंण में 14 अगस्त को सुबह दस बजे से प्रवासियों की जनसभा होगी।
‘छबिलो गढ़वाल मेरो, रंगीलो कुमाऊं और यो पहाड़ बसनी मेरो प्राण, यो छू मेरी जन्मभूमि महान ’ जैसे गीतों के जरिये प्रवासी उत्तराखंडी इंटरनेट पर गैरसैंण को राजधानी बनाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। कुछ लोग इसे अव्यवहारिक भी मानते हैं। पक्ष और विपक्ष में नेट पर घंटों चैटिंग का दौर जारी है। दिल्ली में कुछ प्रवासियों ने बाकायदा साइट और ब्लॉग बनाकर राजधानी के लिए अभियान चलाया है। ऐसी ही एक साइट म्यार उत्तराखंड 14 अगस्त को गैरसैंण में जनसभा करने
जा रही है। साइट चलाने वाले मोहन सिंह बिष्ट जो कि दिल्ली की एक निजी कंपनी में प्रबंधक हैं, बताते हैं कि अब तक करीब 800 प्रवासियों ने 14 को गैरसैंण पहुंचने का वायदा किया है। करीब 2500 प्रवासियों के जवाब का अभी इंतजार है। बिष्ट ने उम्मीद जताई है कि करीब 2000 प्रवासी 14 अगस्त को देश के कोने-कोने से गैरसैंण पहुंचेंगे। दिल्ली की एक मेडिकल कंपनी में प्रबंधक दयाल पांडे, आईटी कंपनी में काम कर रहे महिपाल मेहता और हेम पंत भी म्यार पहाड़ नाम की साइट बनाकर पहाड़ के मुद्दाें को उठा रहे हैं। इसमें गैरसैंण प्रमुख है। हजारों लोगों के सहयोग से चल रही इस साइट में दो सौ लोग देश से बाहर के हैं। इन्हीं में एक अमेरिका में रसायन विज्ञान पर शोध कर रहे प्रवासी डा. शैलेश उप्रेती कहते हैं कि राजधानी के साथ ही पहाड़ के अन्य मुद्दों को भी उठाए जाने की जरूरत है। घर से पलायन का जो दर्द प्रवासी झेल रहे हैं उसे कम करने की यह एक छोटी सी मुहिम है।

साभार : अमर उजाला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 उत्तराखंड का पांचवा क्रिकेटर उन्मुक्त चंद ठाकुर
 
* प्रवीन कुमार भट्ट   
   
      देहरादून। आईपीएल के पिछले सीजन में जब युवा मनीष पांडे ने सीजन का पहला सैकड़ा जमाया तो सभी उसकी यह कहकर चर्चा कर रहे थे कि यह खिलाड़ी मूल रूप से उत्तराखंड के बागेश्वर का रहने वाला है। इसी प्रकार इस बार आईपीएल में उत्तराखंड का एक और सितारा अपनी चमक बिखेरने को तैयार है और वह है उन्मुक्त चंद ठाकुर। इस बार दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से इस क्रिकेट खिलाड़ी को मौका मिला है। मूल रूप पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले और दिल्ली में रह रहे उन्मुक्त चंद को आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेलने के लिए चुना गया है। पिथौरागढ़ जिले के खड़कूभल्या गांव के उन्मुक्त चंद के पिता भरत चंद ठाकुर एक शिक्षक हैं।
बाराखंबा रोड स्थित मार्डन स्कूल में 12 वीं का छात्र 17 वर्षीय उन्मुक्त इससे पहले दिल्ली की टीम के लिए अंडर 15, 16 और 19 के मैच खेलने के साथ ही रणजी एकदिवसीय भी खेल चुका है। पिछले सीजन में उन्मुक्त में अंडर 19 खिलाड़ियों में सर्वाधिक 435 रन बनाये, जिसमें 2 शतक और एक हाफ सैंचुरी शामिल है। रणजी में उसने रेलवे के खिलाफ 151 रन बनाए। इन तमाम कामयाबियों के कारण उन्मुक्त का चयन बीसीसीआई की अंडर 19 टीम के लिए भी हुआ है जहां वह नार्थ जोन की ओर से खेलेगा। प्री बोर्ड की परीक्षाओं के बावजूद उन्मुक्त इन दिनों आईपीएल की तैयारियों लगा हुआ है।
यहां मनीष पांडे और भारतीय टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी की बात करना भी जरूरी होगा। अल्मोड़ा में धौनी का पैतृक गांव है। इसी प्रकार दिल्ली रणजी के लिए खेलने वाले गढ़वाल एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पवन सुयाल और राबिन विष्ट भी उत्तराखंड के ही हैं। उन्मुक्त चंद ने मेरा पहाड़ फोरम के लाइव चैट में शुक्रवार को उत्तराखंड और देश भर के 100 से अधिक लोगों के सवालों के जबाव दिए। उसका कहना था कि वह अपने प्रदर्शन को जारी रखना चाहता है। धौनी के विषय में किये गये एक सवाल के जबाव में उसने कहा कि अभी उसकी उनसे मुलाकात नहीं हुई है लेकिन वह उनसे मिलने का इच्छुक है। इस चैट में फ्रांस के एक उत्तराखंडी कर्नल नेगी ने भी भाग लिया। फोरम के संचालक हेम पंत ने बताया कि उन्मुक्त चंद भविष्य में भी लाइव चैट के लिए आएंगे।
इस प्रकार उत्तराखंड की पांच क्रिकेट प्रतिभाएं महेन्द्र सिंह धौनी, मनीष पांडे, उन्मुक्त चंद, पवन सुयाल और राबिन विष्ट इन दिनों राष्ट्रीय फलक पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उत्तराखंड क्रिकेट को अभी तक बीसीसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है। इसका कारण यहां की क्रिकेट एसोसिएशनों का आपसी झगड़ा है।


http://www.swatantraawaz.com/unmukt-chand.htm

 

विनोद सिंह गढ़िया:

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


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