माननीय अतिथि/सदस्य/उत्तराखंड प्रेमी,
सर्वप्रथम मेरा पहाड़ डॉट कॉम नैटवर्क के फोरम पर आपका स्वागत है। सदियों से, भारत देश के उत्तरी भाग में बसा एक छोटा सा हिस्सा उत्तराखंड, अपने प्राकृतिक सौन्दर्य, अपनी हरी-भरी वादियों, शांत सुरम्य घाटियों, कलकल करती पावन नदियों और अपने ईमानदार और मेहनती निवासियों की वजह से अनेक लोगों, सैलानियों , गुणी जनों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि देवता भी यहीं निवास करते हैं। इसी पावन,पवित्र,देवभूमि से आपका परिचय कराने और यहाँ की संस्क़ृति, सभ्यता को अपने असली रूप में आपके सामने रखने के लिये मेरा पहाड़ डॉट कॉम नैटवर्क की स्थापना की गयी है। हम इंटरनैट पर उपलब्ध अपनी बहुत सी साइट्स के माध्यम से इस काम में लगातार लगे हुए हैं।
आप अवगत ही हैं कि किसी भी संस्कृति या समुदाय का आईना, उसकी धरोहरें, सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य, संस्कृति, बोली-भाषा, संगीत इत्यादि होता है। मेरा पहाड़ डाट काम नेटवर्क भी भारत के एक राज्य उत्तराखण्ड को समर्पित है, इसका नाम मेरा पहाड़ रखने का औचित्य यह है कि उत्तराखंड के लोगों द्वारा उत्तराखण्ड को पहाड़ और शेष दुनिया को देश कहा जाता है। इसलिये अपने पहाड़ को जानने, समझने और जुड़ने के लिये यह नाम रखा गया।
आपको विदित ही होगा कि उत्तराखण्ड की सामाजिकता, संस्कृति और पौराणिकता बहुत ही समृद्ध रही है। युगों-युगान्तरों से अनेक ऋषि-मुनि ही नहीं बल्कि अनेक धर्मों, संस्कृतियों के प्रवर्तकों और अनुयायियों का तपस्थल यहां पर रहा है। यहीं पर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर शेष दुनिया को उससे परिचित कराया है। आदि गुरु शंकराचार्य, महर्षि दयानन्द, सिखपंथ के प्रमुख गुरु, गुरु नानकदेव, गुरु राम राय, गुरु गोविन्द सिंह, आयुर्वेद के प्रवर्तक महर्षि चरक, महर्षि पंतजलि से लेकर भारत वर्ष की अनेक विभूतियों, यथा- महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्र नाथ टैगोर, महादेवी वर्मा, सुमित्रानन्दन पन्त और कालिदास आदि अनेक लोगों का आध्यात्मिक प्रेरणा का केन्द्र उत्तराखण्ड ही रहा है। .....जारी