This is a good initiative and should followed in entire Hill area.
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दैवीय आपदा में ढाल बनेंगे देववृक्ष Nov 21, 10:42 pm बताएं
अल्मोड़ा : मध्य हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय व पारिस्थितिक तंत्र को बचाए रखने के लिए वन महकमे ने अब विज्ञान से आध्यात्म की ओर रुख किया है। इसकी शुरुआत अल्मोड़ा रेंज के सिमतोला टॉप में 'नक्षत्र जोन' (वाटिका) विकसित कर की जाएगी। खास बात है, इसमें देवताओं के ऐसे प्रिय पौधे लगाए जाएंगे, जो न केवल ग्रह-नक्षत्रों से जुड़े हैं, बल्कि औषधीय गुणों से लबरेज ये पेड़-पौधे प्राकृतिक प्रकोप से बचाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। अहम पहलू यह कि अल्मोड़ा के 'शीतोष्ण' क्षेत्र में विकसित होने वाले यह देवभूमि के पहले नक्षत्र जोन होंगे।
दरअसल, जीवन से जुड़े 27 नक्षत्र होते हैं जबकि राशियां 12 होती हैं। ढाई नक्षत्र की एक राशि मानी गई है। इन राशियों से रत्न ही नहीं पर्यावरण व मानव जीवन में अहम पेड़-पौधों का भी गहरा संबंध होता है। जो सकारात्मक गुणों में वृद्धि कर विपरीत कारकों को कम करने का काम करते हैं। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
इधर मध्य हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय व पारिस्थितिक संतुलन को कायम रखने के लिए वन महकमा विज्ञानी सोच से इतर शीतोष्ण क्षेत्र के उन पेड़-पौधों के नक्षत्र जोन तैयार करने जा रहा है, जिनका केवल ग्रहों से ही नहीं बल्कि देवताओं से भी गहरा संबंध है।
प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी (आईएफएस) धरम सिंह मीणा के मुताबिक अल्मोड़ा के सिमतोला इको पार्क में शीतोष्ण क्षेत्र के पेड़ देवदार का विशेष जोन तैयार किया जाएगा। इसके अलावा बांज, बुरांश, बहेड़ा, फर, स्पू्रश, धतूरा, प्रूनस (घिंघारू) आदि तमाम प्रजातियों के विभिन्न नक्षत्र जोन तैयार किए जाएंगे। बांज, बुरांश, देवदार आदि भूस्खलन व अन्य आपदा की रोकथाम में भी सहायक होते हैं। साथ ही पर्यावरण व पारिस्थितिक तंत्र को भी बचाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
::::::::::इंसेट:::::::::::
पेड़- संबंधित देवता-औषधीय व अन्य गुण
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-बुरांश- भगवान शिव- उच्च रक्तचाप, हृदय रोग आदि।
-प्लूमेरिया-भगवान शिव-आयुर्वेदिक उपयोग
-वन तुलसी-भगवान शिव-खांसी, जुकाम व श्वास रोग में रामबाण
-कुप्रेसस-भगवान बुध-पत्तियों के स्राव से घाव का उपचार
-बांज-इंद्रदेव-प्राकृतिक स्रोतों का जनक, भूस्खलन रोकने में कारगर
-देवदार-भगवान ब्रह्मा-सुगंधित औषधीय तेल
-फाइकस (बोधि वृक्ष सरीखी प्रजाति)-भगवान बुद्ध व महावीर, आध्यात्मिक गुण
-ब्रह्माकमल -भगवान ब्रह्मा, पर्यावरणीय शुद्धता
-ब्राह्माी-भगवान ब्रह्मा, बौद्धिक शक्ति
=====इंसेट======
विकसित होने वाले झाड़ी जोन
-प्रूनस (सेब प्रजाति का घिंघारू)- कामदेव- पेट रोग, डायरिया
-किल्मोड़ा-भगवान धनवंतरि-टरमेरिक उपयोग, शीतलता व अन्य आवरुेदिक गुण
=====इंसेट=====
सगंध व ग्रास जोन की कवायद
आईएफएस धरम सिंह मीणा के मुताबिक नक्षत्र के साथ ही ग्रास व एरोमेटिक जोन सगंध पौधों के जोन भी विकसित किए जाएंगे। ग्रास जोन में लैमन घास, हाथी घास व चरीघास आदि को तरजीह दी जाएगी।
(Source - Dainik Jagran)