Author Topic: Save Trees & Plant Trees Initiative by Merapahad-पेड़ बचाओ पेड लगाओ  (Read 43764 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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जी सही वक़्त पर याद दिला दिया मेहता जी आपने

हेम पन्त

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हरेला के दिन यदि पेड़ की शाखाएं भी रोप दी जायें तो वो सफल होकर पेड़ का रूप ले लेती हैं... इसलिये हरेला को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाइये और खूब पेड़-पौधे रोपिये..

Rajen

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ऐसी भावनाओं की हम दिल से कद्र करते है|  सलाम है आपकी भावनाओं को.  काश हर ब्यक्ति ऐसी ही सोच रखता तो आज हमें global warming का भूत डराता नहीं.


Go through this News .. What the writer did for saving trees.
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पारुल जैन

पेड़ों की पुकार सुनिए
कुछ दिन पहले  मुझे दिल्ली की भागदौड़ से दूर उत्तराखंड के एक छोटे से हिल स्टेशन मुक्तेश्वर जाने का मौका मिला। र
ास्ते भर हरे-भरे चीड़ और देवदार के पेड़ों का दृश्य और शीतल हवा का स्पर्श बेहद सुखद लगा। हिल स्टेशन पहुंचते ही सुंदर फूलों की क्यारियों और आडू, आलूबुखारे, खुबानी, सेब और नाशपाती से लदे पेड़ों ने हमारा स्वागत किया। इतनी सुंदर और फल-फूलों से भरपूर जगह मैंने पहली बार देखी थी। मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि दिल्ली छोड़ यहीं बस जाऊं।

मैंने अपने टैक्सी ड्राइवर से कहा- आपका यह हिल स्टेशन तो बहुत सुंदर है। वह तपाक से बोला- क्या आप इसे अपना बनाना चाहेंगी? यह प्रश्न मेरे लिए अप्रत्याशित था। फिर भी मैंने पूछा कैसे, तो वह बोला कि यहां जमीन दिल्ली की तरह बहुत महंगी नहीं है, आप यहां जमीन खरीद कर कॉटेज बनवा लीजिए और फिर जब मन करे यहां आइए या अपने रिश्तेदारों को भेजिए। मैं असमंजस में पड़ गई। मेरी परेशानी भांप कर वह बोला कि आप किसी बात की चिंता न करे, यहां दिल्ली वालों के बहुत से कॉटेज हैं और कई दिल्ली वालों ने यहां जमीन खरीद रखी है, जो आने वाले समय में यहां अपने लिए कॉटेज बनवाएंगे। उसने कहा कि अगले दिन वह हमें आसपास की जगहों पर कुछ प्लॉट्स दिखा लाएगा। उनमें जो प्लॉट हमें पसंद होगा वहां हम अपना कॉटेज बनवा सकते हैं।

बनवाने की व्यवस्था भी वह खुद ही कर देगा। यानी हमें सिर्फ पैसे देने होंगे, बाकी सारी सिरदर्दी उसकी। अगले दिन हम कॉटेज के लिए साइट्स देखने गए। सभी जगहें एक से बढ़कर एक थीं। चारों तरफ पहाड़ों का सुंदर नजारा दिखता था। पर एक बात हैरान कर देने वाली थी। ज्यादातर साइट्स पर फलों के पेड़ लगे थे। एक साइट देखकर मैंने ड्राइवर से पूछा कि अगर हम ये जगह ले लेते है तो इन पेड़ों का क्या होगा, तो वह बोला कि जब ये जगह आपकी हो जाएगी तो जितने पेड़ आपको चाहिए उतने रख लें बाकी कॉटेज बनाने के लिए काट दिए जाएंगे।

मैं जैसे आसमान से धरती पर आ गिरी। मेरे सामने उस हिल स्टेशन का भविष्य तैरने लगा जहां कदम कदम पर सिर्फ कॉटेज ही कॉटेज होंगे और उनके आसपास होंगे, गिने-चुने फलों के पेड़ और फूलों की क्यारी। फिर वह हिल स्टेशन भी दिल्ली जैसा ही हो जाएगा, जहां हर जगह भीड़, शोर, गाड़ियां और प्रदूषित हवा होगी और जो फल आज यहां बहुतायत में हैं, भविष्य में बच्चों को सिर्फ उनके चित्र किताबों में दिखाकर हम उन्हें कहेंगे- बेटा देखो ये आलूबुखारा है जो एक गहरे लाल रंग का खट्टा-मीठा फल था और हमारे जमाने में बाजार में खूब मिलता था।

मैंने कॉटेज लेने का आइडिया वहीं त्याग दिया और होटल वापस आ गई। शाम को टीवी पर देखा तो पता चला कि आज तो विश्व पर्यावरण दिवस है। मेरे मन में संतोष था कि मैंने कॉटेज के लिए जमीन न खरीद कर कुछ पेड़ों को कटने से तो बचा लिया। अगर पेड़ों की हरियाली चाहिए तो हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना ही होगा।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/6091262.cms

हेम पन्त

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आज (17 जुलाई) को उत्तराखण्ड का एक विशेष त्यौहार "हरेला" मनाया जा रहा है. इस अवसर पर आपसे एक अपील है-
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज हरेला त्यौहार है! कृपया जहाँ भी हो पौधे जरुर लगाये!

विनोद सिंह गढ़िया

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आज १७ जुलाई २०१० को हरेला त्यौहार है, यह त्यौहार उत्तराखंड में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ! आज के दिन हर उत्तराखंडवासी अपने घरों, बगीचों में एक पेड़ जरुर लगाते हैं , कहते हैं कि जो पेड़ आज के दिन लगाये जाते हैं वे सभी उग जाते हैं और अच्छे फलदायी होते हैं ! अतः आज हमें एक न एक पेड़ लगाना आवश्यक है !

आज हरेला के पावन पर्व पर मेरे गाँव में भी अनेक पेड़ लगाये जाते हैं, आज के ही दिन मेरे गाँव में होने वाले माँ नंदा सुनंदा की पूजा की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है !

16 जुलाई को जाएंगे कदली वृक्ष लेने श्रद्धालु।
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बागेश्वर। कपकोट विकास खंड के पोथिंग गांव में भाद्र माह की अष्टमी को लगने वाले मेले की तैयारियां प्रारम्भ हो गई है। मेले में बनने वाली मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण के लिए श्रद्धालु 16 जुलाई को उत्तरौड़ा गांव जाकर विधिवत पूजा अर्चना के बाद 17 जुलाई को कदली वृक्ष पोथिंग ले जाएंगे। पोथिंग गांव में प्रतिवर्ष भाद्रअष्टमी के दिन भगवती मंदिर में मां नंदा सुनंदा की पूजा अर्चना की जाती है तथा इस दौरान हजारों मेलार्थी भी यहां आते है। परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष पोथिंग गांव के श्रद्धालु उत्तरौड़ा गांव जाकर वहां से कदली वृक्ष लेकर वापस गांव आते है। ग्राम प्रधान हरीश जोशी व कनिष्ठ प्रमुख भगवत गढि़या ने बताया कि 16 जुलाई को श्रद्धालु ढोल नगाणे व घंटे-घड़ियाल लेकर उत्तरौड़ा जाएंगे। इधर कपकोट व भंडारी गांव के ग्रामीणों ने 16 जुलाई को श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत करने का निर्णय लिया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6569474.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरापहाड़ के सम्मानीय सदस्यों से अनुरोध है कि!

इस विषय को गंभीरता से ले और हम विषय के जिस किसी कौने पर भी रहे हो! पेड़ जरुर लगाये!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Good to see the below news. Efforts like this are continue to be made.

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पौधरोण:नर पर्वत और कंचन गंगा क्षेत्र में रोपे पांच सौ पौध
   
श्रीबदरीनाथ (चमोली)। पर्यावरण की सुरक्षा एवं क्षेत्र को पालीथिन मुक्त रखने के लिए इको विकास समिति पाण्डुकेश्वर ने श्रीबदरीनाथ धाम स्थित नर पर्वत के कंचन गंगा वृक्षविहीन क्षेत्र में 500 पौध लगाकर कर भू-बैकुण्ठ धाम को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया।

नन्दादेवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ के सहयोग से इको विकास समिति पाण्डुकेश्वर, जीएमआर कंपनी एवं सुपर हाइड्रों कंपनी ने मिलकर अलकनन्दा के किनारे कंचन गंगा क्षेत्र में देवदार, कैल, जमनोई, पांगर आदि मध्य हिमालयी क्षेत्रों में होने वाले पौधों का रोपण किया। वर्ष 2003 से हेमकुण्ड, फूलों की घाटी एवं गोविन्दघाट क्षेत्र में पर्यावरण की सुरक्षा में लगी इको विकास समिति पाण्डुकेश्वर एवं भ्यूंडार ने अब तक एक लाख पांच हजार से अधिक बोरे प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर देहरादून एवं श्रीनगर में रिसाइक्लिंग कराई। नन्दादेवी राष्ट्रीय पार्क के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रही इको विकास समिति ने हेमकुण्ड, घांघरिया के अलग-अलग स्थानों में हर प्रकार के कचरे को इकट्ठा करने के लिए 60 से अधिक सफाई कर्मी लगाए हैं। समिति के पूर्व अध्यक्ष उत्तम सिंह मेहता का कहना है कि फूलों की घाटी को विश्व धरोहर बनाने में इको विकास समिति के कार्यो ने अहम भूमिका निभाई है। नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क के अनुभाग अधिकारी जीएस नेगी का कहना कि उनके विभाग ने हमेशा ही इको विकास समिति के कार्यो में पूर्णरूप से सहभागिता निभाई है और भविष्य में भी वे उनके जनपयोगी कार्यो को उचित मार्ग दर्शन देकर हर संभव सहायता करते रहेंगे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6581256.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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माननीय सदस्य कृपया कोई अपना-२ ब्यौरा देगा की किसने kitne ped lagaye है!

यदि नहीं लगाये है तो अभी भी समय है,

सत्यदेव सिंह नेगी

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मेहता जी आप मुझे बताएं की मै कहाँ जाके पेड़ लगाऊं मेरा फ्लैट तो टॉप फ्लोर पर है

 

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