Author Topic: Save Trees & Plant Trees Initiative by Merapahad-पेड़ बचाओ पेड लगाओ  (Read 88102 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Thnx for all d appreciation.
         I have a unique idea about planting trees...in our life we all have lots of memorable moments, some time good one's and some time bad. Like I remember my Janau Sanskar( barpand), the happy one and the death of my father,the saddest one..we all have these kinds of moments...what best we can do on these occasionS?just plant a tree to remember it,to show ur love or compassion towards Mother Nature n towards ur near n dear ones...we spend lakhs of rupees in marriages but why we cant spend 100 rupees to plant a tree? I urge to everyone that whatever the occasion is just plant one tree and make him ur friend for life...so we can make those moments more worth full and at the same time we can also show our gratitude to Mother Earth.

This is really a unique idea and we must follow this.

Friends. remember if trees are there, life existence is there otherwise, everyday we are seeing the consequence / effect of global working.

We have to plant trees... Save Himalayas and water..

This is only possible when we emphasize on plantation.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is definitly need to sensitize this issue.

If there are plant, life is sustainable. We have to vigorously promote the Plantation issue. I fully endorse the views of Dr Rawat.
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पर्यावरण संरक्षण को पौधरोपण जरूरी: रावतFeb 14, 11:13 pmबताएं
Twitter Delicious Facebook बागेश्वर: उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक डा आरबीएस रावत ने कहा है कि पहाड़ में दैवीय आपदाओं को कम करने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।

वह मंडलसेरा गांव में प्रधान रमा मलड़ा व किशन सिंह मलड़ा द्वारा निर्मित राज्य आंदोलनकारी शहीद स्मारक शांति वन का निरीक्षण करने के बाद ग्रामीणों को संबोधित कर रहे थे। डा रावत ने मलड़ा दंपति की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने निजी खर्च पर शांति वन की स्थापना कर अनुकरणीय कार्य किया है। उनके द्वारा लगाये सैकड़ों पौधों से लाखों लोगों को फायदा मिल रहा है। इसी तरह यदि प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष भी रोपित करता है तो लाखों वृक्ष लगाये जा सकते हैं। इस दौरान उन्होंने शांति वन में पारिजात, चंदन, सिलिंग आदि पौधों का रोपण किया। प्रधान रमा मलड़ा व किशन सिंह मलड़ा ने सभी आगंतुकों का आभार जताया। इस मौके पर पूर्व वन संरक्षक आईडी पांडेय, पूर्व डीएफओ जीवन सिंह मेहता, वन संरक्षक उत्तरी कुमाऊं वृत्त डीएस सेमवाल, डीएफओ बागेश्वर आरसी शर्मा, एडीओ शिवराज चंद, रेंजर पीसी जोशी, वन दरोगा प्रयाग दत्त भट्ट, देवीदत्त जोशी, पुष्कर सिंह सहित ग्रामीण जोगा सिंह, हिम्मत सिंह, प्रकाश पांडे, लक्ष्मण सिंह आदि मौजूद थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7323075.html



Devbhoomi,Uttarakhand

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पेड़ हमारे पहाड़ों की शान हैं जान भी है,इन्हें लगाओ और प्रकिरती का मजा लीजिये और देवभूमि को ग्रीन बनाने में  आगे आयें  पेड़ों काटने से बचाएं और पेड़ों को काटने वालों पर पर्तिबंध लगाओ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is need to take similar steps .

A good job.
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  नि:शुल्क बांटी 10 हजार बड़ी इलाईची की पौध        Mar 04, 07:51 pm    बताएं                   रुद्रप्रयाग, जागरण कार्यालय: भेषज विकास इकाई एवं जिला भेषज सहकारी विकास संघ ने सुमाड़ी में विभिन्न गांवों के 33 कृ षकों को दस हजार बड़ी इलाईची की पौध नि:शुक्ल बांटी।
शुक्रवार को ब्लॉक जखोली के अंतर्गत सुमाड़ी में जड़ी-बूटी वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पहुंची केदारनाथ विधायक एवं संसदीय सचिव आशा नौटियाल ने कहा कि भेषज संघ ने जड़ी-बूटी के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि केवल इसी वर्ष मुख्यमंत्री जड़ी-बूटी योजना के तहत संघ व इकाई ने दो लाख बीस हजार पौध लेमन घास की ग्राम पंचायत कण्डारा में व 6350 पौध रीठा व 5500 पौध कूट के साथ ही दस हजार बड़ी इलाईची के पौध किसानों को नि:शुल्क वितरित की जा रही हैं। श्रीमती नौटियाल ने कहा कि इससे जिले के ही जड़ी-बूटी उत्पादक कृषकों को पौध बिक्री एवं पौध उत्पादन कृर्षिकरण का लाभ प्राप्त हो रहा है। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हमारा जनपद विशेष बड़ी इलाईची, कूट, रीठा, हरड़ बहेडा, आवलां उत्पादन के लिए बहुत ही अच्छा हो सकता है।
इस दौरान श्री नौटियाल एवं श्री भट्ट ने संयुक्त रूप से पयाताल, डाडामचारी व हियूना पौंठी के 33 कृषकों को दस हजार बड़ी ईलाईची की पौध नि:शुल्क वितरित की गई। संघ ने बताया कि कूट, रीठा व लेमन ग्रास की पौध अपनी ही नर्सरी में तैयार की गई। दस हजार बड़ी इलाईची की पौध जिले के पैंलिंग गांव के जीत सिंह की नर्सरी से क्रय कर वितरण की गई हैं।
इस मौके पर जिला भेषज संघ की अध्यक्ष अनुसूया पटवाल, संघ के प्रबंध निदेशक बाचस्पति सेमवाल, जयप्रकाश, कमलेन्द्र यादव आदि ने विचार व्यक्त किए।
    http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7401489.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Save Trees..... Get.. Fresh Year and Preserve Natural sources of water.


वनों के संरक्षण और संव‌र्द्धन पर दिया बल

श्रीनगर, जागरण संवाददाता : हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रौढ़ सतत् शिक्षा एवं प्रसार विभाग के तत्वावधान में पर्यावरण एवं वन विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने वनों को ग्रामीण समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताते इनके संरक्षण एवं संव‌र्द्धन पर बल दिया।

सतत् शिक्षा केंद्र ओजली में आयोजित गोष्ठी को गढ़वाल वन प्रभाग के प्रतिनिधि के रुप में संबोधित करते लोक कलाकार घनानंद गगोडिया ने कहा कि वनों की सुरक्षा एवं विकास के बिना पहाड़ों में स्वच्छ और खुशहाल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का जंगलों से नजदीकी संबंध है। जंगलों के अंधाधुंध विनाश के कारण मनुष्य धीरे-धीरे वनों से दूर हो रहा है। यही कारण है कि गांवों में चारे, पानी, ईंधन की कमी और भूस्खलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

प्रौढ़ सतत शिक्षा केंद्र के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस रावत ने कहा कि पिछले पचास वर्षो में वनों का सबसे अधिक विनाश हुआ है। विकास की बलि चढ़ने के कारण पर्यावरण पर भी इसका असर देखा जा सकता है। उन्होंने ग्रामीणों से पौधारोपण और वनों के संरक्षण की अपील की। तक्षशिला अकादमी के निदेशक नवीन प्रकाश नौटियाल ने ग्रामीण युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में वनों से संबंधित कई तरह के रोजगार युवाओं के लिए मौजूद हैं। ग्राम प्रधान कुसमा देवी ने वनों के संरक्षण में महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम का संयोजन रामकिशन पांडेय और संचालन डॉ. राकेश भंट्ट ने किया। कार्यक्रम में महिला मंगल दल, युवक मंगल दल, पंचायत सदस्यों समेत ग्रामीण मौजूद रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7553961.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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We must learn from these children
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पर्यावरण संरक्षण को आगे आए नन्हें कदम
Apr 21, 05:59 pm
बताएं

कर्णप्रयाग/गौचर/गैरसैंण, निज प्रतिनिधि : पृथ्वी दिवस से एक दिन पूर्व विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के छात्र-छात्राओं ने रैली निकालकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया।

राइंका कर्णप्रयाग में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी डॉ.ललित नारायण मिश्र ने कहा कि जलसंकट आज सबसे बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है ऐसे में सभी को जल संरक्षण की दिशा में ठोस पहल धरातल पर करनी होगी। इस मौके पर स्कूली बच्चों के लिए आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में अंजू टमटा व मेघा बिष्ट ने प्रथम, भाषण में रिया चौधरी व विवेक सेमवाल को द्वितीय, निबंध में आयुषी कंडारी प्रथम व कुलभूषण कोठियाल द्वितीय तथा क्विज में अंकित व मोहम्मद जाफिर ने बाजी मारी। कार्यक्रम में खंडशिक्षाधिकारी केएल रडवाल, प्रधानाचार्य एमएन नौटियाल, अर्चना कोठियाल, मनोरमा भंडारी,जीएस रावत व वासुदेव डिमरी मौजूद थे।

गौचर : यहां भी राइंका व राबाइंका सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं में पृथ्वी दिवस पर आयोजित समारोह में बच्चों ने जैवविविधता बचाने का संकल्प लिया।

गैरसैंण: यहां भी बाल सदन, शिशु मंदिर, भुवनेश्वरी महिला आश्रम सहित अन्य शिक्षण संस्थाओं ने पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण संबधी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। उधर दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालय नौटी, नंदासैंण, जाख, नैनीसैंण, कनखुल, आदिबदरी, सिमली, उज्जवलपुर आदि में भी पृथ्वी दिवस पर छात्र-छात्राओंने रैली निकाली व आम जन से पर्यावरण को बचाने की अपील की गई।

(Source Dainik Jagran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is definately need to take  immediate action in this regards.

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बचाइए उत्तराखंड के पर्यावरण को
 
  मनजीत नेगी 
लेखक
 
 
 
 
 


 
बचाओ उत्तराखंड का पर्यावरण
 
 
हाल में उत्तराखंड सरकार के दो फैसलों से पर्यावरण को लेकर उसकी नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.

पहला कई नदियों में खनन की इजाजत देना और  दूसरा  उत्तरकाशी  से  गंगोत्री के  बीच पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने से इनकार करना. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखिरयाल ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से भेंट कर गंगोत्री से उत्तरकाशी तक के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के निर्णय पर पुन: विचार करने की बात कही है. उनके मुताबिक  उत्तराखण्ड छोटा राज्य है और यहां की 67 प्रतिशत भूमि वनाच्छादित है, जिस कारण राज्य सरकार के विकास कार्यों में वन भूमि कानून आड़े आ रहे हैं.

सब जानते हैं कि नदियों का खोदा जाना पर्यावरण की दृष्टि से विनाशकारी है. नदियों में जमीन की सतह से ऊपर जितना पानी बहता है, उससे अधिक सतह से नीचे बहता है. खासकर पहाड़ से नीचे गिर कर भाबर इलाके में नदियों का पानी एकदम नीचे चला जाता है और फिर तराई में वह ऊपर आ जाता है. इसीलिए आज से पचास-साठ साल पहले तराई में दस फीट खोदने पर ही पानी निकल आता था, जबकि भाबर में कुएं खोदना कभी भी संभव नहीं रहा.

दूसरी तरफ उत्तरकाशी से गंगोत्री की तरफ छोड़ी-बड़ी नदियों पर दर्जनों हाइड्रो प्रोजेक्ट पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. इस पूरे इलाके में टूटते पहाड़ और ग्लेश्यिर पर कम होती बर्फ साफ तौर पर देखी जा सकती है. जबकि गंगोत्री से गोमुख के रास्ते पर पर्यटकों की बढ़ती तादाद से यहां गंगा की गोद कूड़े और गंदगी से भरी पड़ी है. खतरे की बात है कि ये कूड़े बायोडिग्रेडबल भी नहीं. इस कचरे में पॉलीथिन और प्लास्टिक के दूसरे सामान ज्यादा हैं जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक हैं. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं लेकिन वह भी चेतावनी और आग्रह वाले कुछ साइन बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेता है.

गंगोत्री ग्लेशियर, भागीरथी पर्वत, शिव पर्वत और रक्तवर्णा पर्वत ये सभी भागीरथी के स्रोत हैं लेकिन इन पर भी खतरा साफ दिख रहा था. इनका वजूद पूरी तरह तबाही की तरफ बढ़ रहा है. जमीन धंसने की घटनाएं यहां आम दिनों की बात हो चली है. जहां हर वक्त बर्फ की चादरें चट्टानों से ज्यादा मजबूत होती थीं, वहां अब हर जगह दरारें दूर से ही देखी जा सकती हैं.

ये दरारें कुछ दिनों की देन नहीं हैं और ये कोई मामूली बात भी नहीं है बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए खतरे का सिग्नल है. ग्लेशियर लगातार पिघलकर अपनी जगह से हटते जा रहे हैं. जहां आज ग्लेशियर का मुहाना है साल भर बाद वह वहां नहीं होगा. बर्फ की चट्टानों में ये दरारें भी हर रोज बढ़ती जा रही हैं. आने वाले समय में जल संकट से बचने के लिए हमें गंगा और गोमुख की सुध लेनी होगी. अब हिमालय में हिमपात कम हो गया है. पौड़ी समेत उत्तराखंड के कई हिस्सों में अब बर्फ नहीं पड़ती. मसूरी में कब बर्फ पड़ती है और कब पिघल जाती है पता ही नहीं चलता.

 इस समय केवल उत्तराखंड में पांच सौ से अधिक राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है. और इन सभी परियोजनाओं को उत्तराखंड सरकार की मंजूरी के बाद ही चलाया जा रहा है. शायद सरकार अभी तक इन परियोजनाओं से उत्तराखंड के ग्रामीणों के समक्ष होने वाले संकट को नहीं समझ पा रही है. इन सभी परियोजनाओं से सीधे तौर पर यहां की गरीब जनता को नुकसान हो रहा है. साथ ही पर्यावरण को जो नुकसान हो रहा है, वह तो अलग ही चिंता का कारण है.

http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/116654/save-uttarakhand-environment.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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During the Summer season, Uttarakhand loses crores rupees of forest asset every due to wild fire.
 
It is seen that Forest of Uttarakhand is quite in active towards saving the forest. They don't have proper plan how to control forest fire and spread awareness towards saving the jungles.
 
see the report below.
 
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  जलते जंगलों को देखकर भी वन विभाग मौन     May 12, 09:25 pm   बताएं            जागरण कार्यालय,बागेश्वर: जनपद के विभिन्न स्थानों में जंगल धूं-धूं कर जल रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी जंगलों को जलते देख तो रहे हैं परंतु उन्हें बुझाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जिस कारण करोड़ों रुपयों की वन संपदा जलकर राख हो गई है। हालत यह है कि अब तक मार्गो से पिरूल की सफाई तक नहीं की गई है।
जनपद के अधिकांश जंगल आग की चपेट में हैं। ग्रामीणों से वन्य प्राणियों व वनों की रक्षा करने की अपील करने वाला विभाग स्वयं इस मुद्दे पर चुप बैठा है। आग लगने से जहां पेड़ पौधे जल रहे हैं वहीं लीसा जल रहा है जिससे ठेकेदारों को नुकसान हो रहा है। आग से कई वन्य प्राणी जलकर मर चुके हैं तो कई जानवर आग से बचने के लिए ग्रामीणों की ओर रूख कर रहे हैं जिस कारण ग्रामीण भय ग्रस्त हैं। वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही का आलम यह है कि अब तक विभाग ने सड़कों व पैदल मार्गो में गिरे पिरूल की सफाई तक नहीं की है जिस कारण पैदल मार्गो में चलना मुश्किल हो रहा है व दुर्घटनाओं की संभावनाएं बनी हुई हैं। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से आग न बुझाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
 
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7715985.html

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Please Save forest.

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  जंगलों में आग धधकने का क्रम शुरू       May 17, 09:41 pm    बताएं           जागरण कार्यालय, चौखुटिया: गर्मी की तपन बढ़ने के साथ ही क्षेत्र के विभिन्न जंगलों में आग लगने का क्रम फिर शुरू हो गया है। बीते दिनों समय समय पर हो रही बारिश से जंगलों में आग लगने की घटनायें थम गई गई थी, लेकिन बीते एक-दो दिनों से जंगल फिर आग की चपेट में आने लगे हैं। मंगलवार को यहां नागाड़ व खत्याड़ी सहित कई अन्य जंगलों में आग धधकी है। इससे क्षेत्र में धुंध छाया है। आग के चलते पेड़-पौधों के साथ-साथ अन्य वन संपदा को नुकसान पहुंच रहा है। यूं तो बीते वर्षो में वनाग्नि सीजन से पूर्व ही वन आग की भेंट चढ़ जा रहे थे तथा फरवरी से ही आग लगनी शुरू हो जा रही थी, लेकिन इस बार जाड़े के मौसम के बाद भी समय समय पर बारिश होने से जंगलों में आग लगने की छुट-पुट घटनायें ही सामने आयी। यदि कुछ स्थानों पर आग लगी भी तो बारिश से थम गई। इधर बीते काफी दिनों से बारिश न होने एवं बढ़ती तपन के साथ ही आग लगने का सिलसिला चल पड़ा है। गत सोमवार की सायं से यहां नागाड़ व खत्याड़ी के आसपास के जंगलों में आग धधक उठी तथा आग की लपटों का आगे बढ़ने का क्रम जारी है। वहीं आज झलाहाट के जंगलों में भी आग लग गई है। विभिन्न स्थानों पर आग के चलते क्षेत्र में धुंध छाई है। पूर्व में जंगलों में आग लगते ही ग्रामीण भी सक्रिय हो जाते थे, लेकिन अब सभी उदासीन बने हैं। वन विभाग के स्थानीय कर्मी आग बुझाने का प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन समुचित संसाधन व स्टाफ की कमी के चलते आग पर काबू पाना संभव नहीं है। नतीजा आग से वन संपदा के साथ ही जल स्रोतों पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
   

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7739207.html

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There is need to carry out similiar activity in entire state.
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एक लाख पौधे लगाने का लिया संकल्पJun 07, 06:55 pmबताएं
Twitter Delicious Facebook देवप्रयाग, जागरण प्रतिनिधि : तीलू रौतेली स्त्री शक्ति पुरस्कार सम्मानित सुलोचना सजवाण ने पर्यावरण रक्षा के लिए एक लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया है। सिद्धपीठ घंटाकर्ण में पर्यावरण महोत्सव समापन पर उन्होंने इस आशय की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि प्रकृति के बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। अभी तक वह मैती कार्यक्रम के तहत 1256 पौधों का रोपण उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून, श्रीनगर, ऋषिकेश आदि में कर चुकी हैं। इनमें 58 पौधे उनके विद्यार्थियों ने अपने विवाह उत्सव के समय लगाए हैं। पर्यावरण शोधार्थी सुलोचना सजवाण ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में एक लाख पौधे लगाने का संकल्प लिया हैं जिसमें सभी लोगों से वह सहयोग की अपील करती हैं। क्वीली पालकोट में सांसद सतपाल महाराज के भ्रमण के समय सुलोचना सजवाण इस कार्यक्रम की शुरूआत करेंगी। जो एक लाख पौधे लगाए जाएंगे , उन्हें इन्द्रा वृक्ष नाम दिया है। इस अवसर पर सुंदर सिंह सजवाण, भास्कर गैरोला, गोबिंद राम, पुष्पा बडोनी, मंजीत चौहान, अनीता नेगी, ज्योति सजवाण, भीम सिंह आदि भी उपस्थित थे। पंडित श्याम सुंदर शास्त्री द्वारा क्षेत्रीय जनता से पर्यावरण शोधार्थी सुलोचना सजवाण के संकल्प को साकार करने में सहयोग दिए जाने का भी आहवान किया गया।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7833532.html

 

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