Mera Pahad > MeraPahad/Apna Uttarakhand: An introduction - मेरा पहाड़/अपना उत्तराखण्ड : एक परिचय

Save Trees & Plant Trees Initiative by Merapahad-पेड़ बचाओ पेड लगाओ

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


Dosto,

जिस तरह से पहाड़ो में पेड़ कट रहे है और सुन्दर  हरे भरे पेड़ो से भरे जंगल नग्न हो रहे है  यह एक बहुत ही गंभीर चिंता का विषय है। इसके परिणाम भी अब सामने आने लगे है और वह प्राकृतिक स्रोतों से पानी  का गायब होना, पहाडो में भी मैदानी भागो की तरह पारा बढना।  भविष्य में  यह समस्या और भी जटिल होने वाली है अगर  समय रहते हुए इस विषय पर ध्यान नहीं दिया गया तो। समय रहते ही इस पर ध्यान देने की सख्त जरुरत है

*  
      i)   जंगलो के अत्यधिक  कटान को रोकना
       ii)  वृक्षारोपण पर जोर  देना
      iii)  जंगलो को आग के बचाना

* मेरापहाड़ के सदस्यों ने एक पहल  शुरू की है कि इस बारे में समाज एक चेतना फैलाई जाय, ताकि पेड़ो के अत्यधिक कटान पर रोक लगे। पहाडो में जैसे  कि देखा गया है हर घर में गैस कि सुविधा  नहीं है अर्थात खाना बनाने के लिए लकड़ी पर ही निर्भर रहते हैं।

* अब देखिये एक आदमी हर साल कितने पेड़ काटता है!
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    १)   कम  से कम ४ या ५ चीड के पेड़ खाना बनाने के लिए ईधन के लिए          ( ५ पेड़)
    २)  बेलो (तने) को सहारा  देने के लिए (ठांगर) - बारिश के मौसम में सब्जियों के तनो को  सहारा देने के लिए (लभग ५ पेड़)
    ३)  घास के टीले (लुटटे) बनाने के लिए (७ और ८ पेड़)
    ४)  अन्य जरुरत के लिए (२  और तीन पेड़)कुल हिसाब हुआ लगभग १७ से १८ पेड़। तो एक गांव में यदि २०० परिवार हैं तो गाव के २०० x १७ = ३४०० पेड़ प्रति  वर्ष एक गांव से पेड़ो को नुकसान।  हम समझ सकते है क्योंकि हमें प्रकृति पर ही निर्भर रहना पड़ता है।  लेकिन इसके बदले हम कितने अन्य पेड़ लगाते है? शायद बहुत ही  कम। अब जरुरत है एक पहल करने की, वृक्षारोपण आन्दोलन की।  =====================
 
  गांव में अधिकतर लोग खासकर महिलायें ग्लोबल वार्मिंग और पेड़ो के कटने से होने  वाली विभिन्न समस्याओं से अनभिज्ञ है। वहां पर लोगों में चेतना फ़ैलाने  के जरुरत है। आप और हम इसके लिए क्या कर सकते है
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  हर आदमी जो देश के किसी भी हिस्से में सर्विस कर रहा हो, वह घर में जाकर जिसे भी मिलता हो पहले प्रणाम करके हाल चाल पूछने के बाद इस विषय को अपने जानने वालों  को बता सकता है और पौधारोपण के बारे में उन्हें प्रोत्साहित कर सकता है। आप अपने साथ यह सन्देश जरुर ले जाए  और यह रैबार (सन्देश) गावो में पहुचायें।
 
मेरापहाड़ की एक पहल
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  मेरापहाड़ इस विषय को इस फोरम और अन्य क्रियाकलापों की सहायता से जन-जन तक पहुंचने की कोशिश  करेगा। हम इस अभियानमें लोक संगीत, नाटक, नुक्कड़ नाटक, जन गीत आदि अन्य का भी सहारा लेंगे।
 
हमारा आह्वान
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  हमारा आप सभी लोगो से इस  गंभीर विषय में सहायता की अपेक्षा है और जो भी संगठन और इस विषय पर गंभीर सोच रखने वाले व्यक्ति इस  अभियान में जुड़ सकते हैं। आईये फिर से याद करे चिपको आन्दोलन को और संकल्प लें पहाड़ को इस देश और दुनिया को बचाने के लिये वृक्षारोपण और वन संरक्षण का।
 
एम् एस मेहता

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


Join us in this initiative ...


At least Convey a message to your villagers about importance of trees when you visit your native place. One must seriously think about the importance of plantation.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

  हर आदमी, कम से १० पेड़ से ज्यादे हर वर्ष लगाये!

  जंगलो से आग लगने से बचाए ! 



dayal pandey/ दयाल पाण्डे:
Mehta ji aapki pahal sarahneey hai , 18 , 20 katane ke bajay hum 10 ped prativarsh lagayan to stithi kuchh aur hi ho jayei ,

mera pahad slogen -
 
"save forest, save Animal, save future,"
 
"जंगल बचाओ, जानवर बचाओ, भविष्य बचाओ"

पंकज सिंह महर:
मेहता जी ने बहुत अच्छी बात की है। पेड़  सब जगह लगाने चाहिये, इसके लिये एक आन्दोलन की जरुरत है, जो अपने से शुरु किया जाय। हम जहां भी रहते हैं, वहां पर पेड़ लगायें, अपने जन्मदिन, बच्चों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि शुभ मौकों पर एक-एक पेड़ लगाने का संकल्प लेकर पेड़ लगाये जा सकते हैं। इसके साथ ही अपने घर की बालकनी आदि में भी तुलसी, मनीप्लांट, पाम जैसे पेड़ लगाये जाने चाहिये। कोशिश यह करनी चाहिये कि जो पेड़ आक्सीजन का उत्सर्जन कर सकें और नमी को बचा सकें, ऐसे पौधे और पेड़ लगाने चाहिये।

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