आवेदकों ने 703 मृत पशुओं के लिए मुवाअजा मांगा लेकिन रिकार्ड में छेड़छाड़ कर केवल 164 का ही मुआवजा दिया गया। कैग की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पिथौरागड़ और टिहरी में कृषि भूमि के नुकसान का मुआवजा 2.04 करेाड़ रुपये कम दिया गया।
सितंबर 2014 से लेकर फरवरी 2015 तक कैग ने आपदा प्रभावित पांच जिलों की आपदा प्रबंधन के लिहाज से लेखापरीक्षा कर इस रिपोर्ट को तैयार किया। कायदे में मई में हुए सत्र में इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए था।
पर यह रिपोर्ट अब आगामी सत्र में ही पटल पर आ पाएगी।अमर उजाला के पास पहुंची इस रिपोर्ट में सरकार के राहत कार्य पर सवाल उठ रहे हैं।
कौन-कौन से मामले
- रुद्रप्रयाग में दिसंबर 2013 में आठ मामलों में प्रति भवन के नुकसान पर 35 हजार रुपए दिए गए। जबकि एसडीआरएफ में प्रावधान 70 हजार रुपए प्रति पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन का था। इस तरह प्रभावितों को 2.80 लाख रुपए कम दिए गए।
- पिथौरागढ़ में 25 कच्चे क्षतिग्रस्त भवनों के लिए मुआवजा दिया गया और बाद में इनको पक्का भवन मानकर मुआवजा दिया गया। इससे जाहिर है कि राहत बांटने से पहले सरकार ने डाटा बेस पर काम नहीं किया।
- रुद्रप्रयाग और टिहरी में आवेदनकर्ताओं को पूरा भुगतान नहीं किया गया। इस तरह इन दो जिलों में राहत वितरण में समानता नही रही। राहत वितरण में एक समान मानक नहीं अपनाए गए।
- जोशीमठ तहसील में लेखापरीक्षा में पाया गया कि पंचों, पशुचिकित्सकों ने 1213 पशुओं की क्षति का विवरण दिया था। इनमें से केवल 603 में क्षतिपूर्ति दी गई। इसमें संबंधित विभागों ने जांच का आश्वासन दिया। इससे 33.51 लाख रुपए के भुगतान पर सवाल उठ रहा है।
- पिथौरागढ़ में लेखा परीक्षा में पाया गया कि रिकार्ड से छेड़छाड़ कर 1.26 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया।
- टिहरी में 69 मामलों में से 14 मामलों में 50 हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया। पिथौरागढ़ में 60 मामलों की पड़ताल की गई। इसमें 5.25 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान पाया गया।
- मुन्स्यारी में 51.05 लाख रुपए की जगह 20.55 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति ही दी गई।
- पिथौरागढ़ और टिहरी में कुल राहत में से 2.04 करोड़ रुपए कम बांटे गए। कैग की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि भी कर रही है कि केदारनाथ की आपदा से सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा।
सरकार न जून 2013 में आई आपदा से निपटने के लिए तैयार थी और न ही अब मानसून की आहट के बाद कोई तैयारी है। कैग रिपोर्ट ने जून 2013 की आपदा की लेखा परीक्षा में जिन बिंदुओं को उठाया है, उन पर काम होना अब भी बाकी है।
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