गोपेश्वर, जागरण कार्यालय: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कें इंजीनियरों व ठेकेदारों के लिए दुधारू गाय बनी हैं। जिले के घाट ब्लॉक में प्रकाश में आये मामले से तो यही लगता है। करीब पौने ग्यारह किमी लंबी सड़क बनाने को अभियंताओं ने प्रारंभिक आगणन से भी अधिक खर्चा कर दिया, लेकिन धरातल पर अभी तक पचास प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है। अब अभियंता 1 करोड़ 19 लाख रुपये फिर शासन से झटकने की फिराक में है। हालांकि शासन स्तर पर इसकी मुख्य अभियंता स्तर की जांच बैठा दी है।
चमोली जिले में विकास से पिछड़े क्षेत्र घाट के मटई, खलतरा, ग्वाड़, भीमलतला, मल्ला मटई, हितमोली, किरतोली, क्वीराली, बैरासकुंड को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए वर्ष 2004 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मोलागाढ़-मटई मोटर मार्ग की स्वीकृति मिली थी। तब अभियंताओं ने 10.84 किमी इस प्रस्तावित सड़क का सर्वे कर इस सड़क के निर्माण सहित पक्कीकरण- डामरीकरण के लिए 1 करोड़ 79 लाख का आगणन प्रस्तुत किया था। सरकार ने भी आगणन के अनुरूप धनराशि स्वीकृत कर निर्माण शुरू कराया। तब सरकार व जनता को जरा भी गुमान नहीं था कि यह राशि बेकार ही जाया होगी। वर्ष 2006 में पीएमजीएसवाइ पोखरी के अभियंताओं ने ठेकेदार से मिलकर यह राशि ठिकाने लगाने जैसा ही काम किया और जेसीबी से बैरासकुंड तक खोदकर कच्ची सड़क निर्माण कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर दी। अभियंताओं ने यह राशि सड़क निर्माण के लिए कम बताते हुये 48 लाख शासन से फिर झटक लिये। सड़क मात्र तीन किलोमीटर से आगे नहीं बढ़ी। बाद में जब ग्रामीण निर्माण एजेंसी के खिलाफ आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरे तो तब अभियंताओं ने मोलागाढ़ से तीन किलोमीटर की दूरी पर हार्ड रॉक निकलने का तर्क देकर खुलासा किया कि 1.19 लाख रुपये की मांग शासन से और की गई है। इस सड़क निर्माण पर पीएमजीएसवाइ ने 1 करोड़ 90 लाख का भुगतान भी कर दिया है।
सड़क निर्माण की जमीनी हकीकत सामने आने पर शासन ने भी पीएमजीएसवाइ के अभियंताओं के खिलाफ जांच बैठा दी है। शासन ने मामले की जांच लोक निर्माण विभाग कुमाऊं मंडल के चीफ इंजीनियर स्तर 2 को सौंपते हुये जानना चाहा है कि आखिर जब सड़क को 1 करोड़ 79 लाख में बनना था तो पहले 48 लाख रुपये और अब 1 करोड़ 19 लाख रुपये की मांग अभियंताओं ने क्यों की है। साफ है कि आगणन से दोगुने तक की राशि सरकार से मांगने के इस गोरखधंधे में खाली पीएमजीएसवाइ के अभियंता ही शामिल नहीं है। अब मामले में जनता के आंदोलन व जांच से निर्माण एजेंसी में हड़कंप मचा है।
'इस ग्रामीणों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि दूरस्थ क्षेत्रों में यातायात सुविधा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भी नहीं दिला पाई है। सड़क निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। और जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है। निर्माण व जांच के बीच जनता को सड़क सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है।'
-भाष्कर पुरोहित, क्षेत्र पंचायत सदस्य,
मटई
'सड़क स्वीकृति के समय हार्ड रॉक 20 क्यूसेक मीटर ही दर्शाया गया था। लेकिन सड़क निर्माण के दौरान हजारों क्यूसेक मीटर पक्की चट्टान होने के चलते सड़क निर्माण आगणन के अनुसार नहीं हो पाया। अब शासन से अतिरिक्त धन की मांग की गई है। शासन ने मुख्य अभियंता स्तर की जांच बैठाई गई है। जांच के बाद ही यह कह पायेंगे कि सड़क निर्माण का कार्य कैसे होगा।'
यतेन्द्र सिंह, अवर अभियंता, पीएमजीएसवाई
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6357428.html