उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर है मेजर
उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ है जब सेना का कोई मेजर ड्यूटी के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहा है.

शनिवार शाम को तबीयत खराब होने के कारण उन्हें देहरादून सैन्य अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.
तीर्थनगरी के आईडीपीएल स्थित शिवालिक परियोजना मुख्यालय के गेट के बाहर भारतीय सेना के मेजर सचिन खंडगले बीआरओ में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठ गए हैं.उनकी तैनाती आपदा के दौरान उत्तराखंड के धारचूला बीआरओ की विंग हीरक परियोजना (एसटीएफ) में कमान अधिकारी के रूप में की गई है. मेजर डा. सचिन ने बताया कि बीआरओ में भ्रष्टाचार चरम पर है.
बीआरओ में तैनाती के दौरान उन्हें कैंटीन का सामान बाजार में बेचने का मामला पकड़ा था. उनके पास इसका सबूत है. इतना ही नहीं नेपाल सीमा पर धारचूला में बीआरओ अपनी गाड़ियों का डीजल और सरकारी सीमेंट बाजार में बेच रहा है. उन्होंने इसकी लिखित शिकायत विभाग के डीडीजी विजिलेंस दिल्ली से की तो जांच करने की बजाय उन्हें 28 जनवरी 2014 को उत्तराखंड के शिवालिक परियोजना में अटैच कर दिया गया.
यहां पर उन्हें किसी प्रकार का काम नहीं सौंपा गया है. बीआरओ में भ्रष्टाचार उजागर करने पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. मेजर रैंक होने के बावजूद उनको शिवालिक परियोजना में सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. उनको विवश होगर अनशन करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती उनका अनशन जारी रहेगा. मेजर के अनशन करने से बीआरओ की शिवालिक विंग परियोजना में हड़कंप मच गया है. उनके अनशन की सूचना आलाधिकारियों को दे दी गई है. जान को खतरा बताया : मेजर डा.सचिन ने बीआरओ में भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद खुद की जान को खतरा बताया है.
उन्होंने कहा कि गत शुक्रवार को राजकीय महाविद्यालय के पास साइकिल चलते वक्त उन्हें चक्कर आ गया. स्थानीय लोग उनको शिवालिक परियोजना मुख्यालय तक लाए. मेजर ने कहा कि उनका ठीक से उपचार नहीं किया गया. उन्होंने शिवालिक परियोजना के अधिकारियों से कहा कि उनको रायवाला के आर्मी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाए लेकिन उनको देहरादून रेफर कर दिया गया. उनकी एम्बुलेंस के पीछे एक अन्य गाड़ी को भेजा गया. उन्होंने आशंका जताई कि कुछ लोग दुर्घटना कराकर उन्हें मारना चाहते हैं.
भ्रष्टाचार का खुलासा करने के बाद कुछ लोग उनकी जान के पीछे पड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा को देखते हुए उन्हें आर्मी में भेज दिया जाए.
देश से बढ़कर नहीं नौकरी
सेना में रहते हुए सार्वजनिक रूप से विभाग के खिलाफ अनशन करने पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की आशंका पर मेजर सचिन खंडगले ने कहा कि नौकरी देशभक्ति से बढ़कर नहीं है. सेना में देश सेवा सिखाई जाती है.
सेना में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का उनका तरीका गलत हो सकता है मगर जब उनकी बात को न सुना जा रहा हो तो उनके पास अनशन के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा.
आपदा के दौरान दरांती से कराया प्रसव
सेना में तैनात मेजर सचिन पेशे से चिकित्सक हैं. उत्तराखंड आपदा के दौरान धारचूला में सारे मार्ग बंद हो गए थे. एक महिला प्रसव पीड़ा से परेशान थी. उनके पास चिकित्सा किट नहीं थी. इसके बाद उन्होंने एक एनजीओ के द्वारा तैनात नर्सिग कर्मचारी के साथ घास कटाने वाली दरांती से प्रसव कराया. इसके लिए स्थानीय लोगों ने उनका आभार भी व्यक्त !