दो शिष्य गुरु चार, सरकारी महिमा अपरंपार Sep 01, 12:35 pm

पौड़ी गढ़वाल [विनोद पोखरियाल]। एक स्कूल, चार शिक्षक, दो छात्र और खर्च साढ़े दस लाख रुपये सालाना। ये है उत्तराखंड केएक स्कूल की तस्वीर। यह कोई पब्लिक स्कूल नहीं, पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित एक गाव का सरकारी जूनियर हाईस्कूल है। यहा सरकार चार शिक्षकों के वेतन पर प्रतिमाह 88 हजार रुपये खर्च कर रही है। यह स्थिति एक-दो नहीं पूरे चार साल से है। यदि इन दोनों बच्चों को प्रतिष्ठित दून स्कूल में पढ़ाया जाए तो भी इस पर सालाना मात्र सात लाख रुपये ही खर्च होंगे यानी साढ़े तीन लाख रुपये की बचत और बच्चों के सुनहरे भविष्य की गारंटी अलग से। यह ऐसे राज्य का हाल है, जहा 1688 प्राथमिक विद्यालय एकमात्र शिक्षक के भरोसे हैं, जबकि शिक्षक न होने पर 84 स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
उत्तराखंड की यह तस्वीर हैरत में नहीं डालती। पहाड़ में ऐसे दृश्य आम हैं। कहीं एक ही अध्यापक पर 60 बच्चों का बोझ है तो कही शिक्षकों के अभाव में स्कूलों पर ताले लगे हैं। कुछ सौभाग्यशाली विद्यालय ऐसे भी हैं जहा तीन-चार शिक्षक एक-दो बच्चों को शिक्षित करने में तन्मयता से जुटे हैं। यानी मानकों को ताक पर रख कहीं घी घना, कही मुट्ठी भर चना और कहीं वह भी मना की तर्ज पर काम किया जा रहा है। पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित सिल्सू गाव के जूनियर हाईस्कूल की किस्मत से दूसरे स्कूलों के बच्चे अवश्य ही रश्क करते होंगे। पिछले चार साल से दो बच्चों को चार अध्यापक शिक्षा दे रहे हैं। इनमें से एक कक्षा तीन व दूसरा कक्षा चार का छात्र है। गाव के अधिकतर बच्चे शहर या दूसरे स्कूलों में शिक्षा पा रहे हैं। अब इसके आस पड़ोस के स्कूलों पर नजर डालते हैं।
इसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय रजाखेत में 22 बच्चों पर एक अध्यापक और जूनियर हाईस्कूल गेंड में 15 पर तीन अध्यापक तैनात हैं। ग्राम पंचायत गेंड के प्रधान रोशन बिष्ट का कहना है कि वह कई बार शिक्षा विभाग के अफसरों को स्थिति से अवगत करा चुके हैं। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं। ब्लॉक कल्जीखाल में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्राथमिक विद्यालय डिकमोलीधार में 34 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती है। प्राइमरी स्कूल ठंगरधार में 10 बच्चों पर दो अध्यापक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालय दयूंसी में 24 बच्चों पर एक अध्यापक तैनात है। दूसरी ओर अधिकारी स्थिति स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
अपर जिला शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि यदि ऐसा है तो स्कूल बंद कर दिया जाएगा और जहा पर कम अध्यापक हैं, वहा शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने बताया कि सितंबर में इस संबंध में बैठक आयोजित की जा रही है और उसमें फैसले लिए जाएंगे। ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर अपर जिला शिक्षा अधिकारी इस पर चुप्पी साध लेते हैं।