Author Topic: Hydro Power Scam in Uttarakhand - उत्तराखंड में बिजली घोटाले  (Read 26267 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज तक इस घोटाले का पर्दाफास करने बाद मजबूरी में सरकार को ये सारे जल विधुत परियोजनो को निरस्त करना पड़ा!

जरुरत है इस प्रकार के अन्य घोटालो का पर्दाफास हो !

सत्यदेव सिंह नेगी

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जी कहते हैं की हम ईमानदार हैं तो फिर क्यों निरस्त करने पड़ें हैं

आज तक इस घोटाले का पर्दाफास करने बाद मजबूरी में सरकार को ये सारे जल विधुत परियोजनो को निरस्त करना पड़ा!

जरुरत है इस प्रकार के अन्य घोटालो का पर्दाफास हो !

धनेश कोठारी

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Neele rang mein aakhir kab tak sher bane rahenge

सत्यदेव सिंह नेगी

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बढ़िया  कहे  कोठारी  साहब 
Neele rang mein aakhir kab tak sher bane rahenge

दीपक पनेरू

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उत्तराखंड में बिजली घोटाले
« Reply #74 on: August 27, 2010, 10:07:00 AM »
ऊर्जा प्रदेश का सच    उत्तराखंड में बिजली का संकट लगातार गहरा रहा है। जो हालात बन गए हैं,   उन्हें देखकर यह कहने में कोई संकोच नहीं कि ऊर्जा प्रदेश अंधियारे की ओर   तेजी से बढ़ रहा है। यहां मांग और खपत के बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है।   गुजरे आठ सालों के दरम्यान खपत में करीब डेढ़ सौ गुणा इजाफा हो चुका है,   जबकि उपलब्धता का आंकड़ा बयालीस प्रतिशत पर ही सिमटा हुआ है। औसतन खपत हर   साल बीस से पच्चीस फीसदी बढ़ रही है। उम्मीद की जा रही थी कि राज्य में   प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाएं आने वाले समय में उत्तराखंड को इस भंवर   से बाहर निकाल लेंगी, लेकिन नए प्रोजेक्ट पर अब एक प्रकार का ग्रहण सा लग   गया है। केंद्र के स्तर पर लोहारीनाग पाला प्रोजेक्ट निरस्त होने के साथ ही   प्रदेश में निर्माणाधीन कई और बड़ी परियोजनाओं का भविष्य भी अधर में लटका   नजर आने लगा है। जर्जर हो चुके पुराने पावर हाउसों के जीर्णोद्वार   (रेनोवेशन) से ही रोशनी उम्मीद करना भी बेईमानी है। वैसे तो इनसे छह सौ दस   मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है, लेकिन इनकी धीमी प्रगति निराशा   का भाव पैदा कर रही हैं। ऐसे में राज्य की बढ़ती ऊर्जा जरूरतें कैसे पूरी   होंगी, उत्तराखंड के सामने यह एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है। मौसम की   बेरुखी समस्या को और बढ़ा रही है। सिल्ट आने व दूसरे कारणों से उत्पादन   लगातर गिर रहा है। नतीजा सूबे की दूसरों राज्यों पर निर्भरता बढ़ती ही जा   रही है। इसका खामियाजा राज्यवासियों को कटौती के रूप में झेलना पड़ रहा है।   रोजाना 3 से 5 घंटे की कटौती की जा रही है। औद्योगिक इकाईयां बिजली की मार   से अलग कराह रही हैं। सरकारी खजाने पर भी इसकी मार पड़ रही है। बिजली की   कमी को पूरा करने के लिए ऊर्जा निगम को नार्दन ग्रिड से ओवरड्रा करना पड़   रहा है। देखा जाए तो इन हालात के लिए काफी हद तक सरकार और ऊर्जा निगम ही   जिम्मेदार हैं। उनके स्तर से विद्युत व्यवस्था में सुधार के जो प्रयास होने   चाहिए थे, गंभीरता से नहीं किए गए। हां, सपने देखने और दिखाने में निगम का   जरूर कोई सानी नहीं है। लेकिन अब यह समझने का वक्त आ गया है कि सिर्फ   ख्याली पुलाव से काम नहीं चलने वाला। सतही कारणों को तलाश कर व्यवस्था में   बदलाव लाना होगा, तभी इस समस्या के हल होने की उम्मीद की जा सकती है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड का नाम ऊर्जा प्रदेश अब केवल नाम का ही है,क्योंकि उत्तराखंड में उजाला है ही कहाँ,अब तो सिर्फ घोटाला रह गया है ! और घोटाला ही होता रहेगा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  हाइड्रो प्रोजेक्ट के घोटालेबाजों का एक और महाघोटाला  (http://www.nnilive.com/2010-10-12-09-44-21/2646--nni-exclusive.html)
  Saturday, 19 February 2011 00:28 NNI E-mail Print PDF   उत्तराखंड , 19 फरवरी । पहले हाइड्रो प्रोजेक्ट फिर स्टर्डिया घोटाला और अब एक और अरबों रूपये के घोटाले में उत्तराखंड सरकार की संलिप्तता ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि 2 जी स्पेक्ट्रम, सीडब्ल्यूजी और आदर्श सोसायटी घाटोलों पर हायतौबा मचाने वाली भाजपा की नजर उत्तराखंड की भ्रष्ट सरकार द्वारा किये जा रहे अरबों के घोटालों पर नहीं पड़ रही है । राज्य में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है । हर तरह के घोटालों को राज्य सरकार का संरक्षण प्राप्त है लेकिन पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री निशंक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है । जिस तेजी से मुख्यमंत्री निशंक इन घोटालों को अंजाम दे रहे हैं उससे तो इस बात का भ्रम उत्पन्न होता है कि वे जनता के मुख्यमंत्री हैं या इन कंपनियों के एजेंट जो सिर्फ इसलिए मुख्यमंत्री बना है ताकि इन कंपनियों का और खुद की तिजोरियों में रखे माल को दोगुना चौगुना कर सके । निशंक सरकार राज्य के संसाधनों और परियोजनाओं को लूटने में जितनी तेजी दिखा रही है उससे तो ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री यह मान चुके हैं कि इस पद का भरपूर दोहन किया जाये क्या पता यह मौका आगे मिले न मिले । प्रदेश की जनता के हित के लिए शुरू की परियोजनाओं में भयंकर ‘खेल’ हो रहे हैं । मुख्यमंत्री निशंक पर धन कमाने की अतिमहत्वाकांक्षा इस कदर हावी है कि तमाम तरह के घोटाले को हजम करने के बाद भी उनका पेट सुरसा के पेट की तरह भर ही नहीं रहा है । नियम कानून को ताक पर रख कर प्रदेश की महाघोटालेबाज सरकार ने घोटालों की नई परिभाषा गढने की ठान ली है।


आश्चर्य तो तब होता है जब भ्रष्टाचार के ऊपर कांग्रेस को आईना दिखाने वाली देश की मुख्य विपक्षी पार्टी अपने ही गोद में भ्रष्टाचार के महिसासुर को पाल रही है । निशंक किसी भी तरह इतना पैसा कमा लेना चाहते हैं कि आगे मुख्यमंत्री न भी बनें तो कोई दिक्कत न हो । पार्टी हाईकमान की चुप्पी उन्हें और हौसला प्रदान कर रहा है । हैरत की बात है कि देश की जांच एजेंसिया कान में तेल डालकर सो रही है । आंकड़े चिल्लाकर इस भ्रष्ट सरकार के नंगे खेल को बयां कर रहे हैं पर ताज्जुब की बात तो ये है कि किसी भी जांच एजेंसी को इसमें कोई खेल नजर नहीं आ रहा ।


इस बार जिस घोटाले का एनएनआई पर्दाफाश करने जा रहा है वह निशंक सरकार द्वारा किये गए पहले के घोटालों का बाप है यानि यह घोटाला नहीं महाघोटाला है ।


क्या है यह महाघोटाला...
 

डी. वी राव की स्वामित्व वाली गुड़गांव स्थित कंपनी श्रावंथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, जिसका गठन 6 अप्रैल 2009 को हुआ था। कंपनी ने 165 मेगावाट की गैस आधारित उर्जा उत्पादन के लिए आवेदन किया था। विद्युत गृह औद्योगिक विभाग के नोटिफिकेशन सं. 2039 दिनांक 4.11.2009 के द्वारा इसे अनुमति प्रदान की गयी। इसी विद्युत परियोजना को तहसील काशीपुर जनपद उधमसिंह नगर में राजस्व विभाग के पत्र सं. 3500/2009-1(84/09) दिनांक 6.11.2009 के द्वारा 18.920 हेक्टेयर भूमि क्रय करने की भी अनुमति प्रदान की गयी। कंपनी द्वारा दिनांक 08.08.2009 को भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में आवेदन किया गया। जसमें कंपनी द्वारा 225 मेगावाट गैस आधारित परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति प्रदान करने की प्रार्थना की गयी। जिस पर भारत सरकार द्वारा अपने पत्र संख्या- जे-13012/77/2009-1ए, II (T) दिनांक 05.11.2009 के द्वारा कुछ शर्तें लगाई गईं। जिसके अनुसार केवल 12 हेक्टेयर (30 एकड़) भूमि के प्रयोग की अनुमति दी गयी। कंपनी ने भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के समक्ष इस परियोजना को उर्जा नीति के तहत स्वीकृति मांगी जबकि उत्तराखंड सरकार के समक्ष 10.08.2009 को एक पत्र प्रेषित किया गया। उसमें इसे उद्योग दिखाकर इस परियोजना को लगाने की अनुमति चाही एवं 18.92 हेक्टेयर (40.75 एकड़) भूमि क्रय करने की अनुमति मांगी।

कंपनी द्वारा औद्योगिक विकास विभाग, उत्तराखंड को प्रेषित अपने पत्र दिनांक 10.08.2009 के द्वारा यह भी सूचित किया गया कि उसके पास गैस अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) से गैस आपूर्ति की अनुमति मिल चुकी है। इस परियोजना को लगाने के लिए अनुमति मांगी गयी और कंपनी द्वारा ऐसा कोई भी आदेश अपने आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं किया गया। कंपनी द्वारा अपने आवेदन पत्र के साथ अपना टेक्निकल एवं फाइनेंसियल स्टेटस भी प्रस्तुत नहीं किया गया। इस कंपनी का शेयर कैपिटल मात्र एक लाख है और कंपनी ने अपनी कोई भी बैलेंस शीट आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं की। कंपनी द्वारा महज सौ रूपए के स्टांप पेपर पर तहसील काशीपुर के किसानों के साथ किए गए अनुबंध की छाया प्रतिलिपि आवेदन पत्र के साथ संलग्न की गई। जिसके अनुसार कंपनी का केवल 21 एकड़ (8 हेक्टेयर) ज़मीन के ही अनुबंध थे। जबकि कंपनी द्वारा 18.92 हेक्टेयर (46.75 एकड़) भूमि की सूची संलग्न की गई एवं 18.92 हेक्टेयर खरीद करने की अनुमति मांगी।

हम आपको एक और दिलचस्प तथ्य देना चाहेंगे।जिसे देखकर आपकी आंखे फटी की फटी रह जायेंगी और आप कहेंगे कि जब सिर पर भ्रष्ट सरकार का हाथ हो तो इस देश में सबकुछ संभव है ।

इस महाघोटाले में भी उसी व्यक्ति का हाथ है, जो कुछ समय पहले हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अरबों रूपए के घोटालों में शामिल रहा है। इस घोटाले से जुड़े डी.वी.राव की चर्चा हम उपर कर चुके हैं यह वही व्यक्ति जो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट घोटले में शामिल रहा है । हम आपको बताते चलें की डीवी राव और डाडामुंडी शांति किरण क्रमशः डाडामुंडी अन्नाई प्रावइवेट लिमिटेड और देव भूमि एनर्जी के भी मालिक रहे हैं जो  अरबो रूपये के हाइड्रो घोटाले मे शामिल थी  ।  ये श्रावंथी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के मालिक भी यही कुख्यात घोटालेबाज हैं । जाहिर है निशंक सरकार से इनकी गहरी सांठगांठ है क्योंकि इन घोटालों को राज्य सरकार की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। प्रदेश में लघुजल विद्युत परियोजना के आवंटन और उसे रद्द करने के खेल में भी एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर इसने अपनी भूमिका निभाई थी। यह इस बात पर चर्चित रहा था कि एक ही रात में इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर देहरादून में एक कंपनी खरीदकर तीन प्रोजेक्ट हासिल कर लिए थे। एक प्रसिद्ध चैनल ने जब इस कंपनी का मूल पता तलाशने की कोशिश की तो उस कंपनी के दिए गए पते पर कोई कोई नहीं मिला। उस वक्त की पावर पॉलिसी से खिलवाड़ करते हुए उक्त व्यक्ति ने चार प्रोजेक्ट नियम विरूद्ध हासिल कर लिए थे। चूंकि घोटाला खुल गया था तो इसलिए इसे रद्द करना पड़ गया था।

घोटालों के रेकॉर्ड कायम कर चुकी उत्तराखंड की महाभ्रष्ट निशंक सरकार ने इस परियोजना को अनुमति प्रदान करने में भी भयंकर साजिश रची है।

1.    इस परियोजना की अनुमति औद्योगिक विकास विभाग द्वारा प्रदान की गई है। जबकि इसे उर्जा विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की जानी चाहिए थी। अगर यह उर्जा विभाग द्वारा अनुमति दी जाती तो उत्तराखंड की उर्जा नीति के अनुसार कंपनी को उत्तराखंड सरकार को 12 प्रतिशत फ्री पावर देने का प्रावधान रखा जाता।

2.    12 प्रतिशत फ्री उर्जा के प्राविधान के अनुसार कंपनी को फायदा पहुंचाने हेतु इस परियोजना को औद्योगिक विकास विभाग को प्रस्तुत किया गया। औद्योगिक विभाग द्वारा इसमें अनुमति भी प्रदान की गई।

3.    कंपनी को जब इस प्रोजेक्ट के लिए 2009 में मंजूरी दी गई उस वक्त राज्य में गैस अधारित प्रोजेक्ट्स के लिए कोई नीति ही नहीं थी। फिर क्या कारण हैं कि दिसंबर 2010 में आनन-फानन में यह पॉलिसी बनाई गई। हम बताते हैं इसका मुख्य कारण...
कस्टम विभाग द्वारा चेन्नई में इस कंपनी के मशीनों को क्लीयरेंस देने से मना कर दिया गया क्योंकि वे मशीने उर्जा उत्पादन के लिए लाई गई थी। जबकि कंपनी के पास उद्योग आधारित सर्टिफिकेट था। जाहिर है इससे कंपनी को काम में बाधा पहुंचने वाली थी और उनका भारी नुकसान होने वाला था। यहीं पर घोटालेबाज निशंक की सरकार ने सारे नियम कानून को ताक पर रखते हुए उस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रातों रात यह नीति बनाई।

4.    कंपनी के साथ कोई भी ऐसा अनुबंध भी नहीं किया गया। जिसके द्वारा उर्जा क्रय करने का पहला अधिकार राज्य सरकार के पास हो। इस प्रकार का क्लोज़ प्रत्येक राज्य सरकार समान्यतः अपने पास रखती है।

5.    केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य को अपनी उर्जा नीति के तहत कुछ प्रतिशत उर्जा राज्य की जनता की भलाई के लिए प्रदेश सरकार को देती है। जिसका प्रयोग जनता की भलाई के लिए शुरू की गई परियोजनाओं में किया जाता है लेकिन निशंक सरकार ने इस उर्जा को भी श्रावंथी कंपनी को समर्पित कर दिया। ज़ाहिर है इसका इस्तेमाल कंपनी अपने फायदे के लिए करेगी और इससे जनता को कोई भी लाभ नहीं होने वाला।   

कंपनी द्वारा जो तथ्य दिए गए उनका पूर्ण रूप से सत्यापन भी नहीं किया गया। भारत सरकार द्वारा परियोजना को केवल 12 हेक्टेयर भूमि क्षेत्रफल पर लगाने की ही अनुमति प्रदान की गई। जबकि उत्तराखंड सरकार द्वारा 18.2 हेक्टेयर भूमि क्रय करने की अनुमति प्रदान की गई। जो कि पूर्णतयः नियमों के विरूद्ध है एवं कंपनी को 6 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि क्रय करने की अनुमति दी गई एवं उसका भू-उपयोग भी औद्योगिक दिखाया गया। कंपनी की कृषि भूमि को औद्योगिक भूमि में बिना किसी शुल्क के परिवर्तित कर दिया गया।
उक्त कंपनी द्वारा किसानों से ली गई भूमि में भी सौ रूपए के स्टांप पर अनुबंध किया गया। जिसमें की राजस्व की अत्यधिक हानि हुई है। कंपनी द्वारा जो अनुबंध प्रस्तुत किए गए। उनका मूल्यांकन 4 करोड़ 9 लाख बनता है। जिस पर 32 लाख रूपए स्टांप देयता बनती है और कंपनी द्वारा मात्र 1200 रूपए स्टांप शुल्क दिया गया।

भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का घोर अराजक उत्तराखंड सरकार ने कैसे किया खुला उल्लंघन....

1.    पर्यावरण मंत्रालय ने यह कहा था कि यह भूमि बेहद उपजाऊ है इसलिए  परियोजना के लिए किसी और जगह का चुनाव कर लिया जाए पर राज्य सरकार ने इसको कोई भाव न देते हुए प्रमुख कृषि भूमि को औद्योगिक क्षेत्र में बदल दिया

2.    किसी क्षेत्र में उद्योग वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार लगाने की गाईड लाइन का पालन नहीं किया
गया।
3.    पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जो टर्म ऑफ रिफ्रेंस दिए गए, उसमें जमीन की सीमा 30 एकड़ थी। फिर 46 एकड़ की परमीशन राज्य सरकार द्वारा कैसे प्रदान कर दी गई? जबकि नियम मुताबिक इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है।

4.    उत्तराखंड सरकार द्वारा 4 नवंबर 2009 को विशेष औद्योगिक क्षेत्र की घोषणा की गई लेकिन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इसकी मंजूरी 5 नवंबर को दी गई थी। फिर यहां सवाल यह उठता है कि कैसे उत्तराखंड की महाभ्रष्ट सरकार ने पहले ही इसे औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर दिया।

5.    इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट को लगाने पर क्षेत्र में पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभाव के विषय मे पर्यावरण नीति का इस प्रकरण में अनुसरण नहीं किया गया और न ही कोई पब्लिक हेयरिंग कराई गई है, जैसा कि नीति में प्रावधान था।

6.    पर्यावरण मंत्रालय की 30 एकड़ जमीन खरीदने की पूर्व अनुमति का पालन सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया? अगर पर्यावरण मंत्रालय की टर्म ऑफ रिफरेंस का पालन किया जाता तो कंपनी की जमीन नोटिफाई हो ही नहीं सकती थी क्योंकि राज्य सरकार का जीओ नंबर 940 दिनांक 9 नवंबर 2004 जो निजी औद्योगिक क्षेत्र के नोटिफाई उस शर्त पर हो सकता है कि भूमि 30 एकड़ से अधिक हो। अगर पर्यावरण मंत्रालय के टर्मस ऑफ रिफरेंस का पालन किया जाता तो राज्य सरकार यह जमीन इंडस्ट्रियल एरिया की तौर पर नोटिफाइ कर ही नहीं सकती थी, जिससे बचने के लिए और निजी कंपनी को फेवर करते हुए प्रयावरण मंत्रालय की पूर्व अनुमति से ठीक एक दिन पहले नियम विरूद्ध 46.75 एकड़ भूमि का नोटिफाई किया गया। जबकि राज्य सरकार का जीओ नंबर 387 दिनांक 20 दिसंबर 2006 जो राज्य में मेगा प्रोजेक्ट लगाने के संबंध में नीति से संबंधित है। साफ कहता है कि उतनी ही भूमि अधिसूचित की जाएगी। जितनी वास्तविक आवश्यक्ता हो। बताते चलें कि इस प्रोजेक्ट को इसी नीति के तहत राज्य सरकार ने बतौर मेगा प्रोजेक्ट मंजूरी दी। चूंकि पर्यावरण मंत्रालय ने 30 एकड़ जमीन की बंदिश लगाई, तो ऐसे मे राज्य सरकार द्वारा बिना पर्यावरण अनुमति के अपने स्तर से 30 एकड़ से ज्यादा की अनुमति दे देना निश्चित ही इस नीति का उल्लंघन है।

7.   राज्य सरकार ने गैस बेस्ड थर्मल पावर प्लांट की अनुमति इस संदर्भ में बिना नीति बनाए दे दी। राज्य की बिजली खरीदने पर पहला अधिकार का प्रयोग भी नहीं किया गया। जबकि राज्य सरकार वर्तमान में राज्य बिजली जरूरत को पूरा करने के लिए महंगी दरों पर बाहर से बिजली खरीद रही है। बिना नीति के राज्य को रायल्टी संबंधी नुकसान तो हुआ ही साथ ही फ्री बिजली मिलने के विकल्प की भी ऐसी की तैसी हो गई। जबकि इस प्रोजेक्ट में राज्य की जमीन के उपयोग के साथ-साथ जल संसाधन का भी लगातार दोहन होगा। जिसके एवज में राज्य को इस प्रोजेक्ट से कुछ भी हासिल होने नहीं जा रहा है।

वर्तमान में राज्य में सौ मेगावाट से ज्यादा की जल विद्युत उत्पादन की नीति है। जिसके मुताबिक 12 प्रतिशत के हिसाब से राज्य को फ्री बिजली तीस साल तक मिलनी थी। जो वर्तमान प्रोजेक्ट पर अगर लागू होती तो इसका मूल्यांकन करीब करीब 4 हजार करोड़ रूपए बैठता है। क्या यह प्रदेश की हानि नहीं है। क्या इसमें कंपनी को सीधे-सीधे फायदा नहीं पहुंचाया गया?

उत्तराखंड की वर्तमान सरकार द्वारा राज्य को हुई राजस्व हानि पर एक नजर...

कुल उत्पादन 225 मेगावॉट का 12 प्रतिशत 27 मेगावॉट बनता है तथा राज्य सरकार को 12 प्रतिशत फ्री पावर का मूल्यांकन निम्न है।
1 MW per Day – 24000 Units

27 MWx24000 Unit x 365 days = 236520000 unit per year

Rate per unit = 5/2 to 7/2 per unit = Appx. 82.5 Crore per year
सरकार को होने वाली कुल वार्षिक क्षति- 82.5 करोड़ प्रति वर्ष

एनएनआई अपने पाठकों के लिए मिनिस्ट्री ऑफ कर्पोरेट अफेयर्स से प्राप्त कागजातों की प्रति यहां संलग्न कर रहा है जिसमें कंपनी का नाम, मालिक और उनके आवासीय पते के जरिए मामले को आसानी से समझा जा सकता है । हम आपको उस हरे भरे और उपजाऊ भूमि की तस्वीर भी उपलब्ध करा रहे हैं जिसे औद्यगिक भूमि करार दिया गया ।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
यही है वह उपजाऊ कृषि भूमि जिसपर लग रहा श्रावथी कंपनी का पावर प्लांट
इसके बदले में पर्यावरण मंत्रालय ने कोई और जगह चुनने को कहा था पर मंत्रालय की बात को अनसुना कर दिया गया।
 

बौखलाए सीएम निशंक ने पत्रकार उमेश कुमार के घर धावा बोलने के आदेश दिए
Sunday, 20 February 2011 21:36 B4M भड़ास4मीडिया - हलचल   

http://bhadas4media.com/vividh/9380-2011-02-20-16-09-27.html
: उत्तराखंड पुलिस ने उमेश कुमार के नोएडा स्थित घर को घेरा : गिरफ्तारी कर अपमानित करते हुए उत्तराखंड ले जाने पर तुली : एनएनआई और भड़ास4मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के महाघोटाले के बारे में खबर छपने के कुछ ही देर बाद निशंक का माथा घूम गया और उन्होंने उमेश कुमार के खिलाफ बर्बर कार्रवाई शुरू करा दी है. अभी तक पत्रकार उमेश कुमार के घर और मकान को निशाना बनाए मुख्यमंत्री निशंक ने अब सीधे उमेश और उनके परिजनों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का इरादा कर लिया है.

इसी इरादे के तहत निशंक ने उत्तराखंड की पुलिस फोर्स को उमेश और उनके बच्चे व पत्नी को गिरफ्तार करने के लिए आदेशित कर दिया है. ऐसी अपुष्ट जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है. उमेश ने उत्तराखंड राज्य में अपने उपर उत्पीड़न होते देख खुद को और अपने परिजनों को नोएडा बुला लिया था लेकिन निशंक सरकार की पुलिस उमेश का लोकेशन ट्रेस करते हुए नोएडा तक पहुंच गई है. ताजी सूचना के अनुसार उमेश कुमार, उनकी पत्नी और इकलौता बच्चा नोएडा के जिस फ्लैट में आज रहने के लिए आए, उसी फ्लैट को उत्तराखंड पुलिस ने घेर लिया है. यह घेराबंदी पिछले कई घंटों से चल रही है. पुलिस हर हाल में उमेश और उनके परिजनों को अपमानित करते हुए देहरादून ले जाने पर तुली हुई है जबकि उमेश और उनके परिजन गिरफ्तारी के पीछे वजह जानने की बात कह रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक पुलिस का कहना है कि जो समाचार एजेंसी उमेश कुमार चलाते हैं, एनएनआई नाम से, उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है और कई अन्य मुकदमे उमेश की तरफ से लिखाए गए हैं, उसी के तहत उत्तराखंड पुलिस उनकी गिरफ्तारी करना चाहती है. फिलहाल पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. पुलिस उमेश कुमार को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है. नोएडा और दिल्ली के पत्रकार उत्तराखंड पुलिस द्वारा उमेश के घर को घेरे जाने की सूचना मिलते ही उमेश कुमार की घर की तरफ पहुंच रहे हैं. कुछ न्यूज चैनलों की ओवी वैन भी उमेश की घर की ओर पहुंच रही है. कई पत्रकार संगठनों और पत्रकारों ने निशंक सरकार की दमनकारी नीति की निंदा की है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर कोई पत्रकार घोटाले का पर्दाफाश करता है तो उसका सत्ता द्वारा दमन करना न सिर्फ निंदनीय है बल्कि उस मामले में घोर अपराध है जब सत्ता के शीर्ष पर एक पत्रकार से नेता बना शख्स बैठा हो.

इस घटनाक्रम पर भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा है कि अगर उत्तराखंड की निशंक सरकार किसी पत्रकार द्वारा घोटाले को उजागर करने पर उसे चुप कराने पर तुली हुई है तो इस देश के आनलाइन माध्यम से जुड़े सारे लोग, खासकर मीडियाकर्मी फेसबुक, ब्लाग सहित सभी प्लेटफार्मों पर निशंक सरकार की निंदा करेंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली और देहरादून में काला दिवस मनाएंगे और गिरफ्तारी भी देंगे. यशवंत ने स्थिति की पूरी जानकारी मिलने के बाद अपनी रणनीति का खुलासा करने की बात कही है.

अगर आप लोग इस खबर को पढ़ रहें हों तो आप सभी से अनुरोध है कि निशंक सरकार के इस काले कारनामें की निंदा करें और देहरादून से लेकर दिल्ली, रायपुर, पटना, भोपाल आदि सभी छोटे बड़े शहरों में यथासंभव जो भी कर सकते हों, आनलाइन माध्यम के जरिए या आफलाइन माध्यम से, अपनी बात कहें और अपने अपने हिसाब से विरोध प्रदर्शित करें. कई प्रेस क्लब और प्रेस संगठन भी इस घटना की निंदा करने की तैयारी कर रहे हैं. पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान को अब भारत में भी आगे बढ़ाने की जरूरत है और जिस तरह उमेश कुमार ने पहल की है, उस पहल को आगे बढ़ाने का कार्य हम सभी लोगों को करना चाहिेए.


Comments (7)
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written by dobhal, February 21, 2011

अच्छा तो ये वही राजेंद्र जोशी कमेंट कर रहा है उमेश के खिलाफ जो कई वर्षों से उन्हीं उमेश की न्यूज एजेंसी में उनके तलवे चाट कर काम कर रहा था.... तब उमेश से पगार पाते हुए उमेश की जय जयकार करता था और आजकल निशंक से वित्तपोषित होकर उमेश के खिलाफ राग अलाप रहा है. जिस आदमी ने खुद नेताओं के तलवे चाटकर अपनी जीविका चलाई हो वो क्या दूसरों के बारे में बात करेगा. उमेश अगर इतने धन संपत्ति का मालिक है तो भी वो अपने धन संपत्ति की परवाह न कर पत्रकारिता की अलख जगाए है और एक भ्रष्टाचारी सत्ताधारी के खिलाफ कलम की ताकत दिखा रहा है. राजेंद्र जोशी, वो तुमसे तो लाख गुना अच्छा है जो कलम को गिरवी रखे हुए है. तुम जैसे दलालों के कारण ही आज उत्तराखंड में मीडिया की ये हालत है कि कोई सत्ता के खिलाफ लिखने बोलने का साहस नहीं करता. उमेश के निजी जीवन के बारे में मैं नहीं जानता लेकिन वो जिस तरह का साहसिक काम कर रहे हैं, उससे उनके प्रति समर्थन का भाव ही पैदा होगा, विरोध कतई नहीं. हां, इसी बहाने तुम जैसे भाटों चारणों के चेहरे पर लगे मुखौटे जरूर हट रहे हैं. तुम्हें शर्म आनी चाहिए राजेंद्र जोशी और तुम्हें खुद को पत्रकार कहने से पहले सौ बार सोचना चाहिए. अगर तुम्हारे में हिम्मत होगी और तुम असली पत्रकार होगे तो उमेश द्वारा खुलासा किए गए निशंक के महाघोटाले के तथ्यों पर बात करोगे, न कि उमेश के निजी जीवन व आचरण पर. एक बार फिर मैं तुम जैसे उत्तराखंडी दलाल पत्रकारों को महा चारण और महा भाट की उपाधि देता हूं. तुम्हें कीड़े पड़ेंगे कथित पत्रकार राजेंद्र जोशी, देख लेना.
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written by संजीव शर्मा, February 21, 2011

ये क्या मूर्खता कर रहे हो निशंक भाई..? भ्रष्टाचारी नेताओं को इतनी अकड़ में नहीं रहना चाहिए. अब अपने भाई मधु कोड़ा को ही देख लो. तुमसे तो कहां आगे थे खाने-पकाने में, लेकिन क्या मजाल जो किसी पत्रकार का बाल भी बांका किया हो.. आज भी कोड़ा भाई के इर्द-गिर्द उनके चहेते पत्रकार मधुमक्खियों की तरह मंडराते रहते हैं.. निशंक भाई, कल को तुम्हारा भी बुरा वक्त आएगा, तब यही लोग काम आएंगे. अभी तो तुम हॉट सीट पर हो... सँबल कर बैठो वर्ना जल गए तो फोड़ा हो जाएगा.
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written by अभिषेक, February 21, 2011

ये तो बहुत ही शर्मनाक हरकत है निशंक की. शायद निशंक यह भूल गए हैं कि वो कुर्सी पर हमेशा चिपके नहीं रहेंगे. जब उतर जाएंगे तो उनकी यही करतूतें उन्हें सांप बन कर डंसने को दौड़ेंगी.. तब कहां-कहां भागते फिरेंगे..?
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written by ??? ????? ??????, February 20, 2011

written by मदन कुमार तिवारी , February 20, 2011

उतराखंड पुलिस को बिना यूपी पुलिस को साथ लिये उमेश के घर को घेरने या गिरफ़्तार करने का अधिकार नही है । अविलंब उस थाना क्षेत्र का फ़ोन न० तथा उमेश का पता बतायें । मैं गया में हूं । परन्तु अभी बात करुंगा । उतराखंड के डीजीपी का भी फ़ोन न० बतायें या जिस जिले से पुलिस आई है , उस जिले के एस पी का न० बतायें । मैने अभी-अभी डीजीपी के इमेल किया है । This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it '> jspndy@yahoo.co.inThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it यह इमेल है डीजीपी का । मैने जो इमेल किया वह निचे दे रहा हूं ।
Mr. DGP , right now it has come to my knowledge that the utrakhand police is harassing one Journalist Mr. Umesh kumar and even trying to enter into his Noida house without adopting legal provision to inform local police . procedure to arrest outside of state has been well defined in Cr.p.c . person must be informed reason and should be allowed to make consultation with his lawyer. I hope you will stop such illegal act of your police with immediate effect . It appears that Mr. Umesh kumar has written few articles against CM Nishank that is why he has been made target . we are living in a civilised society having legal provision to safe guard the life and property of citizen. Any act against the provision as enshrined in our constitution is offence . Stop the illegal act of your concerned police officials .

madan kumar tiwary
advocate



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written by naren, February 20, 2011

निशंक दरअसल राजनीति के लिए नही स्त्रैण लहजे में कविताऐं पढ़ने और उत्तराखंड को लूटने के लिए मुख्यमंत्री बने है। हैरत की बात ये है कि केन्द्र को मँहगाई और घोटालों के लिए घेरने वाली बीजेपी को ये दिखाई ही नही देता। उत्तराखंड में पत्रकारिता का क्या हाल कर रखा है निशंक ने, ये तो आप रीजनल चैनल और अखवारों में देखते ही होगें। रही बात शर्माजी की तो अगर सही घोटाले का खुलासा किया है तो पुलिस तो क्या कोई भी हाथ नही डाल सकता। बशर्ते मानसिकता सही रही हो। पत्रकार होने के नाते अच्छी खबरों के बाद ऐसी कार्रवाई झेलनी पड़ती है, मुकाबला कीजिए हम सब आपके साथ है।
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written by Rajender Joshi, February 20, 2011

आदरणीय यशवन्त जी
आपके द्वारा पत्रकारों को अपनी बात कहने का एक माध्यम उपलब्ध कराया गया है वह सराहनीय है लेकिन कुछ माफिया जो जमीनों का धन्धा करते हैं इसका बड़ा मासूमी से उपयोग कर रहे हैं। उमेश कुमार शर्मा जिनकी बड़ी दर्दनाक कहानी आपने पोस्ट की है उसका सत्य भी जानने का प्रयास करें। कितने गरीब लोगों की जमीनें इस मासूम व्यक्ति ने हड़प ली और अपना महलनुमा आवास मन्दाकिनी विहार में खड़ा कर दिया है। कृपया देहरादून आकर उसकी भी जानकारी लें और इस व्यक्ति के विषय में सुनिश्चित करें कि यह पत्रकार है अथवा पत्रकार की खाले में छुपा हुआ भेड़िया है, जो पैसा और औरत का उपयोग कर आज देहरादून में अकूत सम्पति का मालिक है। इसकी सहस्रधारा रोड, राजपुर रोड तथा डी०एल० रोड पर सम्पति है दर्जनों महंगी कारों का मालिक है। शायद देहरादून के वास्तविक पत्रकारों के पास अपना मकान या वाहन तक ना हो। यह सत्ता का दलाल नेताओं के तलवे चाटने वाला जब तक पैसा कमाता तब तक उसका रहता है जब पैसा नही मिलता तो उसका विरोधी बन जाता है। पहले खण्डूरी का दुश्मन अब निशंक का दुश्मन, आखिर क्या कारण है? और भी पत्रकार हैं। इसकी संस्था एन०एन०आई० में काम कर चुके अरुण शर्मा, प्रवीन भारद्वाज आदि ऎसे कई पत्रकार हैं जो इसकी असलियत जानते हैं। यहां कई लोगों के मकानों पर इसने कब्जे कर रखे हैं उनमें से एक श्री सन्त सूद के मकान में यह २००३ में ७ माह का किराया तय कर घुसा था और आज तक कब्जा किये बैठा है। माननीय यश्वन्त जी एक शातिर टोपीबाज जो आपके पोर्टल के माध्यम से आपको भी ईस्तेमाल कर रहा है और आप इससे बच कर रहियेगा।
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written by मदन कुमार तिवारी , February 20, 2011

उतराखंड पुलिस को बिना यूपी पुलिस को साथ लिये निशंक के घर को घेरने या गिरफ़्तार करने का अधिकार नही है । अविलंब उस थाना क्षेत्र का फ़ोन न० तथा निशंक का पता बतायें । मैं गया में हूं । परन्तु अभी बात करुंगा । उतराखंड के डीजीपी का भी फ़ोन न० बतायें या जिस जिले से पुलिस आई है , उस जिले के एस पी का न० बतायें ।

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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If this is all true.. .. Very shame.

It means .. haathi ke daant dikhane ke kuch or khane ke kuch or..

बौखलाए सीएम निशंक ने पत्रकार उमेश कुमार के घर धावा बोलने के आदेश दिए
Sunday, 20 February 2011 21:36 B4M भड़ास4मीडिया - हलचल   

http://bhadas4media.com/vividh/9380-2011-02-20-16-09-27.html
: उत्तराखंड पुलिस ने उमेश कुमार के नोएडा स्थित घर को घेरा : गिरफ्तारी कर अपमानित करते हुए उत्तराखंड ले जाने पर तुली : एनएनआई और भड़ास4मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के महाघोटाले के बारे में खबर छपने के कुछ ही देर बाद निशंक का माथा घूम गया और उन्होंने उमेश कुमार के खिलाफ बर्बर कार्रवाई शुरू करा दी है. अभी तक पत्रकार उमेश कुमार के घर और मकान को निशाना बनाए मुख्यमंत्री निशंक ने अब सीधे उमेश और उनके परिजनों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का इरादा कर लिया है.

इसी इरादे के तहत निशंक ने उत्तराखंड की पुलिस फोर्स को उमेश और उनके बच्चे व पत्नी को गिरफ्तार करने के लिए आदेशित कर दिया है. ऐसी अपुष्ट जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है. उमेश ने उत्तराखंड राज्य में अपने उपर उत्पीड़न होते देख खुद को और अपने परिजनों को नोएडा बुला लिया था लेकिन निशंक सरकार की पुलिस उमेश का लोकेशन ट्रेस करते हुए नोएडा तक पहुंच गई है. ताजी सूचना के अनुसार उमेश कुमार, उनकी पत्नी और इकलौता बच्चा नोएडा के जिस फ्लैट में आज रहने के लिए आए, उसी फ्लैट को उत्तराखंड पुलिस ने घेर लिया है. यह घेराबंदी पिछले कई घंटों से चल रही है. पुलिस हर हाल में उमेश और उनके परिजनों को अपमानित करते हुए देहरादून ले जाने पर तुली हुई है जबकि उमेश और उनके परिजन गिरफ्तारी के पीछे वजह जानने की बात कह रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक पुलिस का कहना है कि जो समाचार एजेंसी उमेश कुमार चलाते हैं, एनएनआई नाम से, उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है और कई अन्य मुकदमे उमेश की तरफ से लिखाए गए हैं, उसी के तहत उत्तराखंड पुलिस उनकी गिरफ्तारी करना चाहती है. फिलहाल पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है. पुलिस उमेश कुमार को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है. नोएडा और दिल्ली के पत्रकार उत्तराखंड पुलिस द्वारा उमेश के घर को घेरे जाने की सूचना मिलते ही उमेश कुमार की घर की तरफ पहुंच रहे हैं. कुछ न्यूज चैनलों की ओवी वैन भी उमेश की घर की ओर पहुंच रही है. कई पत्रकार संगठनों और पत्रकारों ने निशंक सरकार की दमनकारी नीति की निंदा की है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर कोई पत्रकार घोटाले का पर्दाफाश करता है तो उसका सत्ता द्वारा दमन करना न सिर्फ निंदनीय है बल्कि उस मामले में घोर अपराध है जब सत्ता के शीर्ष पर एक पत्रकार से नेता बना शख्स बैठा हो.

इस घटनाक्रम पर भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा है कि अगर उत्तराखंड की निशंक सरकार किसी पत्रकार द्वारा घोटाले को उजागर करने पर उसे चुप कराने पर तुली हुई है तो इस देश के आनलाइन माध्यम से जुड़े सारे लोग, खासकर मीडियाकर्मी फेसबुक, ब्लाग सहित सभी प्लेटफार्मों पर निशंक सरकार की निंदा करेंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली और देहरादून में काला दिवस मनाएंगे और गिरफ्तारी भी देंगे. यशवंत ने स्थिति की पूरी जानकारी मिलने के बाद अपनी रणनीति का खुलासा करने की बात कही है.

अगर आप लोग इस खबर को पढ़ रहें हों तो आप सभी से अनुरोध है कि निशंक सरकार के इस काले कारनामें की निंदा करें और देहरादून से लेकर दिल्ली, रायपुर, पटना, भोपाल आदि सभी छोटे बड़े शहरों में यथासंभव जो भी कर सकते हों, आनलाइन माध्यम के जरिए या आफलाइन माध्यम से, अपनी बात कहें और अपने अपने हिसाब से विरोध प्रदर्शित करें. कई प्रेस क्लब और प्रेस संगठन भी इस घटना की निंदा करने की तैयारी कर रहे हैं. पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान को अब भारत में भी आगे बढ़ाने की जरूरत है और जिस तरह उमेश कुमार ने पहल की है, उस पहल को आगे बढ़ाने का कार्य हम सभी लोगों को करना चाहिेए.


Comments (7)
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written by dobhal, February 21, 2011

अच्छा तो ये वही राजेंद्र जोशी कमेंट कर रहा है उमेश के खिलाफ जो कई वर्षों से उन्हीं उमेश की न्यूज एजेंसी में उनके तलवे चाट कर काम कर रहा था.... तब उमेश से पगार पाते हुए उमेश की जय जयकार करता था और आजकल निशंक से वित्तपोषित होकर उमेश के खिलाफ राग अलाप रहा है. जिस आदमी ने खुद नेताओं के तलवे चाटकर अपनी जीविका चलाई हो वो क्या दूसरों के बारे में बात करेगा. उमेश अगर इतने धन संपत्ति का मालिक है तो भी वो अपने धन संपत्ति की परवाह न कर पत्रकारिता की अलख जगाए है और एक भ्रष्टाचारी सत्ताधारी के खिलाफ कलम की ताकत दिखा रहा है. राजेंद्र जोशी, वो तुमसे तो लाख गुना अच्छा है जो कलम को गिरवी रखे हुए है. तुम जैसे दलालों के कारण ही आज उत्तराखंड में मीडिया की ये हालत है कि कोई सत्ता के खिलाफ लिखने बोलने का साहस नहीं करता. उमेश के निजी जीवन के बारे में मैं नहीं जानता लेकिन वो जिस तरह का साहसिक काम कर रहे हैं, उससे उनके प्रति समर्थन का भाव ही पैदा होगा, विरोध कतई नहीं. हां, इसी बहाने तुम जैसे भाटों चारणों के चेहरे पर लगे मुखौटे जरूर हट रहे हैं. तुम्हें शर्म आनी चाहिए राजेंद्र जोशी और तुम्हें खुद को पत्रकार कहने से पहले सौ बार सोचना चाहिए. अगर तुम्हारे में हिम्मत होगी और तुम असली पत्रकार होगे तो उमेश द्वारा खुलासा किए गए निशंक के महाघोटाले के तथ्यों पर बात करोगे, न कि उमेश के निजी जीवन व आचरण पर. एक बार फिर मैं तुम जैसे उत्तराखंडी दलाल पत्रकारों को महा चारण और महा भाट की उपाधि देता हूं. तुम्हें कीड़े पड़ेंगे कथित पत्रकार राजेंद्र जोशी, देख लेना.
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written by संजीव शर्मा, February 21, 2011

ये क्या मूर्खता कर रहे हो निशंक भाई..? भ्रष्टाचारी नेताओं को इतनी अकड़ में नहीं रहना चाहिए. अब अपने भाई मधु कोड़ा को ही देख लो. तुमसे तो कहां आगे थे खाने-पकाने में, लेकिन क्या मजाल जो किसी पत्रकार का बाल भी बांका किया हो.. आज भी कोड़ा भाई के इर्द-गिर्द उनके चहेते पत्रकार मधुमक्खियों की तरह मंडराते रहते हैं.. निशंक भाई, कल को तुम्हारा भी बुरा वक्त आएगा, तब यही लोग काम आएंगे. अभी तो तुम हॉट सीट पर हो... सँबल कर बैठो वर्ना जल गए तो फोड़ा हो जाएगा.
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written by अभिषेक, February 21, 2011

ये तो बहुत ही शर्मनाक हरकत है निशंक की. शायद निशंक यह भूल गए हैं कि वो कुर्सी पर हमेशा चिपके नहीं रहेंगे. जब उतर जाएंगे तो उनकी यही करतूतें उन्हें सांप बन कर डंसने को दौड़ेंगी.. तब कहां-कहां भागते फिरेंगे..?
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written by ??? ????? ??????, February 20, 2011

written by मदन कुमार तिवारी , February 20, 2011

उतराखंड पुलिस को बिना यूपी पुलिस को साथ लिये उमेश के घर को घेरने या गिरफ़्तार करने का अधिकार नही है । अविलंब उस थाना क्षेत्र का फ़ोन न० तथा उमेश का पता बतायें । मैं गया में हूं । परन्तु अभी बात करुंगा । उतराखंड के डीजीपी का भी फ़ोन न० बतायें या जिस जिले से पुलिस आई है , उस जिले के एस पी का न० बतायें । मैने अभी-अभी डीजीपी के इमेल किया है । This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it '> jspndy@yahoo.co.inThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it यह इमेल है डीजीपी का । मैने जो इमेल किया वह निचे दे रहा हूं ।
Mr. DGP , right now it has come to my knowledge that the utrakhand police is harassing one Journalist Mr. Umesh kumar and even trying to enter into his Noida house without adopting legal provision to inform local police . procedure to arrest outside of state has been well defined in Cr.p.c . person must be informed reason and should be allowed to make consultation with his lawyer. I hope you will stop such illegal act of your police with immediate effect . It appears that Mr. Umesh kumar has written few articles against CM Nishank that is why he has been made target . we are living in a civilised society having legal provision to safe guard the life and property of citizen. Any act against the provision as enshrined in our constitution is offence . Stop the illegal act of your concerned police officials .

madan kumar tiwary
advocate



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written by naren, February 20, 2011

निशंक दरअसल राजनीति के लिए नही स्त्रैण लहजे में कविताऐं पढ़ने और उत्तराखंड को लूटने के लिए मुख्यमंत्री बने है। हैरत की बात ये है कि केन्द्र को मँहगाई और घोटालों के लिए घेरने वाली बीजेपी को ये दिखाई ही नही देता। उत्तराखंड में पत्रकारिता का क्या हाल कर रखा है निशंक ने, ये तो आप रीजनल चैनल और अखवारों में देखते ही होगें। रही बात शर्माजी की तो अगर सही घोटाले का खुलासा किया है तो पुलिस तो क्या कोई भी हाथ नही डाल सकता। बशर्ते मानसिकता सही रही हो। पत्रकार होने के नाते अच्छी खबरों के बाद ऐसी कार्रवाई झेलनी पड़ती है, मुकाबला कीजिए हम सब आपके साथ है।
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written by Rajender Joshi, February 20, 2011

आदरणीय यशवन्त जी
आपके द्वारा पत्रकारों को अपनी बात कहने का एक माध्यम उपलब्ध कराया गया है वह सराहनीय है लेकिन कुछ माफिया जो जमीनों का धन्धा करते हैं इसका बड़ा मासूमी से उपयोग कर रहे हैं। उमेश कुमार शर्मा जिनकी बड़ी दर्दनाक कहानी आपने पोस्ट की है उसका सत्य भी जानने का प्रयास करें। कितने गरीब लोगों की जमीनें इस मासूम व्यक्ति ने हड़प ली और अपना महलनुमा आवास मन्दाकिनी विहार में खड़ा कर दिया है। कृपया देहरादून आकर उसकी भी जानकारी लें और इस व्यक्ति के विषय में सुनिश्चित करें कि यह पत्रकार है अथवा पत्रकार की खाले में छुपा हुआ भेड़िया है, जो पैसा और औरत का उपयोग कर आज देहरादून में अकूत सम्पति का मालिक है। इसकी सहस्रधारा रोड, राजपुर रोड तथा डी०एल० रोड पर सम्पति है दर्जनों महंगी कारों का मालिक है। शायद देहरादून के वास्तविक पत्रकारों के पास अपना मकान या वाहन तक ना हो। यह सत्ता का दलाल नेताओं के तलवे चाटने वाला जब तक पैसा कमाता तब तक उसका रहता है जब पैसा नही मिलता तो उसका विरोधी बन जाता है। पहले खण्डूरी का दुश्मन अब निशंक का दुश्मन, आखिर क्या कारण है? और भी पत्रकार हैं। इसकी संस्था एन०एन०आई० में काम कर चुके अरुण शर्मा, प्रवीन भारद्वाज आदि ऎसे कई पत्रकार हैं जो इसकी असलियत जानते हैं। यहां कई लोगों के मकानों पर इसने कब्जे कर रखे हैं उनमें से एक श्री सन्त सूद के मकान में यह २००३ में ७ माह का किराया तय कर घुसा था और आज तक कब्जा किये बैठा है। माननीय यश्वन्त जी एक शातिर टोपीबाज जो आपके पोर्टल के माध्यम से आपको भी ईस्तेमाल कर रहा है और आप इससे बच कर रहियेगा।
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written by मदन कुमार तिवारी , February 20, 2011

उतराखंड पुलिस को बिना यूपी पुलिस को साथ लिये निशंक के घर को घेरने या गिरफ़्तार करने का अधिकार नही है । अविलंब उस थाना क्षेत्र का फ़ोन न० तथा निशंक का पता बतायें । मैं गया में हूं । परन्तु अभी बात करुंगा । उतराखंड के डीजीपी का भी फ़ोन न० बतायें या जिस जिले से पुलिस आई है , उस जिले के एस पी का न० बतायें ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पावर प्रोजेक्ट को लेकर बीजेपी सरकार पर घोटाले का आरोप
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निशंक सरकार पर पावर प्रोजेक्ट में घोटाले का आरोप (फाइल फोटो)
 

उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत ने सरकार पर करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया है.

रावत का कहना है कि राज्य के काशीपुर में गैस से बिजली बनाने के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है. उनका कहना है कि एक व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए कस्टम विभाग को करीब 40 करोड़ का और राज्य को मिलने वाली 13 प्रतिशत बिजली का सीधा नुकसान कराया गया है.

रावत ने इस आरोप के माध्यम से उत्तराखंड की निशंक सरकार को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है. उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने काशीपुर में लगने वाले गैस पावर प्रोजेक्ट के ज़रिये एक कंपनी को हज़ारों करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया है.

इतना ही नहीं, नेता प्रतिपक्ष ने राज्य के ऊर्जा विभाग पर सवाल उठाते हुए ये भी आरोप लगाया कि इस मामले में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के नियमों की भी अनदेखी की गई है.

उधर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस खुद ही भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसी है इसलिए इस तरह की बयानवाजी कर रही है.

लेकिन कांग्रेस इस घोटाले में सीबीआई जांच की मांग कर रही है.

क्या है पावर प्रोजेक्ट
काशीपुर के खाईखेड़ा में स्थित श्रावंती पावर प्वांट में इन दिनों ज़ोर- शोर से काम चल रहा है. इस प्लांट में गैस पर आधारित बिजली का उत्पादन किया जाएगा. यह प्लांट 36 एकड़ भूमि पर 825 करोड़ रु की लागत से बनाया जा रहा है.

प्लान के मुताबिक पहले इस प्लांट में 225 मेगावाट बिजली बननी थी. इसे अब बढ़ाकर 450 मेगावाट कर दिया गया है. अब तक यहां काफी बिजली उपकरण आ गए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल 2011 में बिजली का उत्पादन शुरू हो जाएगा.

पावर प्लांट को गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया से गैस सप्लाई प्रदान की जाएगी.

http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/111925/uttarakhand-government-gas-power-project-kashipur-gas-authority-.html

 

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