आधे गांव को बना दिया गरीब
गोपेश्वर (चमोली)। सरकारी मुलाजिम चाहें तो किसी भी नियम-कानून को ताक पर रखा जा सकता है। इसके लिए थोड़ी पहुंच चाहिए। कागजों में ही सही कोई भी व्यक्ति अमीर आसानी से गरीब और गरीब और भी आसानी से अमीर बन सकता है। यदि बीपीएल सुविधाओं को हासिल करने की बात हो तो गांव का गांव बीपीएल बन जाए तो भी हैरानी की बात नहीं। ऐसा ही सनसनीखेज मामला देवाल विकास खण्ड की बानूड़ी ग्राम पंचायत का है यहां गांव के के आधे से अधिक परिवार बीपीएल श्रेणी में दर्ज हैं। हैरानी की बात है कि इन परिवारों के मुखिया अथवा सदस्य या तो सरकारी नौकरी पर हैं या फिर पेंशन पा रहे हैं। इतना ही नहीं अव्वल दर्जे के ठेकेदार भी इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।
ग्राम पंचायत बानूड़ी अन्तर्गत देवस्थली, मल्ला व बसरा तीन तोक स्थित हैं। पूरे गांव में 127 परिवार निवास करते हैं। इस गांव के ग्रामीणों को बीपीएल श्रेणी का लाभ देने के वास्ते सरकार के नियम कानूनों को ताक पर रखा गया है। इसी का नतीजा है कि गांव के परिवारों में से 64 बीपीएल श्रेणी में दर्ज हैं। इन परिवारों में से अधिकांश के मुखिया अथवा सदस्य सरकारी नौकरी में है अथवा सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सूची में दर्ज मोतीमा देवी के पति कांति बल्लभ दिल्ली नगर निगम में नौकरी करते हैं तो दिनेश चन्द्र पुत्र गोपाल दत्त भी सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। जिला सहकारी समिति मुन्दोली मिनी बैंक के सचिव भोला दत्त पुत्र जयदत्त भी बीपीएल सूची में शामिल हैं। इसी तरह मोहनानन्द पुत्र मंगलानन्द, उर्वी दत्त पुत्र जयदत्त, नारायण दत्त पुत्र दत्तराम और नारायण दत्त पुत्र परशुराम समेत कई पेंशनरों को भी बीपीएल सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। आर्मी के सेवानिवृत्त कैप्टन तारादत्त के पुत्र हरीश चन्द्र का अपना वाहन और व्यवसाय है, बावजूद इसके उसका नाम भी सूची में दर्ज है। एक और सेवानिवृत्त कैप्टन केदार दत्त का पुत्र जगदीश प्रसाद दुकान चलाता है। उसे भी बीपीएल श्रेणी में रखा गया है।