Author Topic: Article by Famous Scientiest Ram Prasad Ji - वैज्ञानिक राम प्रसाद जी के लेख  (Read 64148 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Date: Thursday, 3 January, 2013, 7:00 AM

साइंस कांग्रेस में तो  केवल  झुनझुने ही पकडाए जा सकते है

 

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सदस्य, म्यर उत्तराखंड, धुमाकोट/नैनीडांडा तथा इंटरनेट पर उपलब्ध दूसरे उत्तराखंडी ग्रुप

 

PM to announce science and tech policy at congress  शीर्षक से खबर है:

Kolkata, Jan 2 (PTI) Prime Minister Manmohan Singh will announce the country's fourth science and technology policy at the inaugural session of the Indian Science Congress beginning here from tomorrow.

 

यहाँ हम आम आदमी को चर्चा में ला सकते है.  उसे मालूम नहीं होगा  कोचियार लाइब्रेरी में तो विज्ञान नीति पर ही चर्चा होती आई है.  उसे मालूम नहीं होगा कि कोचियार तो एक गांव है जहां उसके नाम पर एक इंटर कालेज है. इस कालेज में लाइब्रेरी तो होगी ही. इस कालेज का नाम इस लिए प्रसिद्ध होता आ रहा है कि इस के पास वह जगह है जिस पर लेन्स नर्सरी स्थापित होनी है. कोशिशें १९६९ से चल रही है.  उस लाइब्रेरी को तो पता भी नहीं होगा उस के नाम से मेलें भेजी जा रही हैं.  मेलें भी तो एक प्रकार से झुनझुना ही तो बजा रही है.  फर्क यह है कोचियार लाइब्रेरी जमीन पर है. १९९६९ में कोचियार प्राइमरी स्कूल थी.  पुरानी स्कूल थी. अंग्रेजो के ज़माने में वहाँ  शिक्षा प्रसार ग्राम  पुस्तकालय की ब्रांच थी.  शिक्षा प्रसार ग्राम पुस्तकालय की योजना १९३७ में बनी थी.  कोचियार लाइब्रेरी में इस पर चर्चा हो चुकी है.  मेलDate: Friday, 28 December, 2012, 4:47 AM स्थाई विकास तो दूरगामी लक्ष्य ही प्राप्त कर सकते है  के अनुसार

आज की पीढ़ी शायद यह नहीं जानती होगी कि ब्रिटिश राज के दौरान  भी संयुक्त प्रान्त  जो कि अब उत्तर प्रदेश राज्य है  कांग्रेस सरकार बनी थी  यह सरकार १७ जुलाई १९३७ से लेकर २ नवम्बर १९३९ तक  चली.  उत्तराखंड क्षेत्र के पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त इस के मुख्य मंत्री थे. डाक्टर सम्पूर्णानन्द इस सरकार के शिक्षा मंत्री थे.  उन्होंने शिक्षा प्रसार ग्राम पुस्तकालय योजना  चलाई थी  नैनीडांडा क्षेत्र में  कोचियार प्राइमरी स्कूल को डुंगरी प्राइमरी पाठशाला में स्थित पुस्तक केन्द से जोड़ा गया था.  डुंगरी में पुस्तकों का केन्द्र था.  इस केन्द्र से पुस्तकें सम्बंधित स्कूल को हर हप्ते भेजी जाती थी और वहाँ से वापस मांगी जाती थीं. डुंगरी जैसे न जाने कितने केंद्र स्थापित किये गए होंगे  जो नजदीकी प्राइमरी स्कूलों को जोड़ने का काम करती रही होंगी.  डाक्टर सम्पूर्णानन्द और डाक्टर राधाकृष्णन  आज भी शिक्षा के क्षेत्र में जाने जाते है.  पर आज नैनीडांडा क्षेत्र या देश में कही भी शिक्षा क्षेत्र अल्प विकसित नहीं है.               

 

शब्द झुनझुना आम आदमी समझता है.  आम पत्रकार समझता है.  आम नेता समझता है.  झुनझुना पकड़ा कर ही तो वह इलेक्शन जीतता है.  जागरण की लेख प्रतियोगिता के विजेता  मदन मोहन सिंह अपने लेख ये समाजवाद क्याा होता है!  पोस्टेड ओन: 16 Mar, 2012 Contest, Junction Forum    में कहते है

यहाँ मुफ्त लैपटाप तथा टैबलेट देने की बात की जा रही है . चू रही झोपड़ी में , जहाँ आदमी तो क्या जानवर के भी रहने की जगह नहीं है , जहाँ पुरे समय बिजली नहीं आती है तो लैपटाप और टैबलेट चलेगें किससे ?ऐसा दिवा स्वप्न दिखाना , जनता को झुनझुना पकडाना बंद होना चाहिए .

देश के संसाधन कैसे अपने लिए , अपने लोगों के लिए, अपने समूह के लिए लूटा जाय इसकी होड़ मची हुई है . रोज़ एक से बढ़ कर एक घोटालों से अखबारों की शुरुआत हो रही है परन्तु कोई भी दल घोटालों की , भरष्टाचार की बात नहीं करता क्योकि मुद्दे ये राजनीतिक दल निर्धारित करते हैं , फिर उसी पर बहस करते हैं , जनता तो इनका कठपुतली नृत्य देखने के लिए अभिशप्त है . देखे जा रही है , देखे जा रही है . कब तक देखेगी ,यही देखने की बात है .

 

विज्ञान नीति की बात करें.  आज की बात करें.  साइंस कांग्रेस की बात करें.  नेहरू के विज्ञान नीति के बाहर की बात करें तो अच्छा रहेगा कि हम Science and Technology Policymaking: A

Primer,  Deborah D. Stine ,Specialist in Science and Technology Policy  May 27, 2009 के इस उद्धहरण को सामने रखें

Despite these challenges, scientific and technical knowledge and advice has the potential of being useful in making decisions related to public policy. Policymakers have an opportunity to make their decisions based on the best knowledge and guidance available, along with the other factors they must take into account. Perhaps one way to recognize the value of scientific and technical  knowledge and guidance in the policymaking process is to think of the many countries in which  policymakers must make decisions with limited scientific and technical advice. An intuitive sense can only go so far in such situations, while scientific and technical knowledge and guidance can help policymakers assess the potential risk and benefits of a decision they make so that societal and economic benefits are enhanced and losses are mitigated.

 

अमेरिका में भी तो नई पीढ़ी है.  उसके पास भी चुनौतियां है.  उसे भी विज्ञान और टेक्नोलौजीनीतियों को समझाना है. इसी लिए  उक्त प्राइमर तैयार की गई होगी. अमरीका तो दुनिया का राजा है.  उसे अपनी समस्याओं के अलावा दुनिया की समस्याओं को समझना है.  सत्ता हमेशा अस्थाई होती है.  सत्ता को स्थायी बनाए के लिए सदा सतर्क रहना पड़ता है.

 

Satendra Rawat ने  NAINIDANDA VIKAS SANGH ग्रुप में कमेंट किया

श्रधेय राम प्रसाद जी नमस्कार, आपके माध्यम से यह जानकर हम सभी नैनीडांडीयन के लिए बहुत ख़ुशी की बात है कि श्री धरम सिंह बुटोला जी नैनीडांडा विकास संघ में रूचि ले रहे है,और हमे आशा है कि उनके द्वारा उठाये गए पहाड़ी क्षेत्रों का औद्योगिकीकरण के संदर्भ में वे अपने विचारों को हमारे साथ आपके माध्यम से साझा करते रहेंगे. और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं ब्यक्तिगत रूप से अपना पूर्ण सहयोग उनको देता रहूँगा.

 

सतेन्द्र जी नैनीडांडा विकास संघ के उत्साह के प्रतिनिधि बनते जा रहे हैं और कुछ करना चाहते है. मेल की अब तक की प्रस्तावना को धयान में रख कर अब हम साइंस कांग्रेस के मंच पर आ सकते है. इस मंच पर पंहुचने के लिए इस खबर पर नज़र डालना इस अवसर पर ठीक रहेगा और झुनझुनों की प्रतीक्षा करनी होगी.

भारतीय विज्ञान कांग्रेस 2013 के लिए भारत के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए

आईएएनएस को 10 अक्टूबर, 2012 को 15:23 IST

विज्ञान भारत में विकास की प्रक्रिया में सहायता करने के लिए,शत बार्षिकी सत्र का केन्द्र विषय भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) की अगले साल हो जाएगा कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है बुधवार, अधिकारियों ने कहा.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 100सत्र के अध्यक्ष, देश में सबसे बड़ी वार्षिक राष्ट्रीय विज्ञान घटना,कोलकाता में 3-7 जनवरी को आयोजित किया जाएगा.

नोबेल पुरस्कार और दुनिया भर से प्रख्यात वैज्ञानिकों सहित करीब 10,000 प्रतिभागियों, इस घटना के लिए कोलकाता में एकत्र की उम्मीद कर रहे हैं, जिस पर स्कूली बच्चों और आम जनता के सदस्यों को भी उपस्थित रहेंगे.

 विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव टी. रामासामी, ने कहा कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी सत्र के फोकल विषय "भारत के भविष्य को आकार देने के लिए विज्ञान" होगा. सत्र मायनों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के लक्ष्यों को आगे करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है पर चर्चा करेंगे, उन्होंने कहा.

"हमारे समाज में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए,तो हम समावेशी विकास हासिल डिवाइड को पाटने पर जोर रखा जाएगा" रामासामी ने कहा.

ISC अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों, वैज्ञानिक उत्पादों और सेवाओं के प्रमुख, अनुसंधान एवं विकास की पहल और भारत के अग्रणी और अग्रणी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संगठनों,सरकारी विभागों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, शैक्षिक संस्थानों और रक्षा सेवाओं की उपलब्धियों पथ तोड़ने प्रदर्शन करेंगे.

 

राम प्रसाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - Ram Prasad

 Date: Wednesday, 2 January, 2013, 8:25 AM

 विकास धर्म की बहस पहाड़ी उत्तराखंड के औद्योगिकीकरण पर अटक जाती है

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सदस्य, म्यर उत्तराखंड, धुमाकोट/नैनीडांडा तथा इंटरनेट पर उपलब्ध दूसरे उत्तराखंडी ग्रुप

 

 हम चर्चा  करते आये हैं कि जनवरी के महीने में चार महत्व पूर्ण भाषण होते है.  दो देश के राष्ट्र पति के और दो प्रधान मंत्री के.  इस साल राष्ट्रपति का एक और भाषण होने वाला है.  यह भाषण साइंस कांग्रेस  के अवसर पर होगा.  राष्ट्रपति इस कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे. दूसरी ओर कोचियार लाइब्रेरी में विकास धर्म की चर्चा शुरू हो गयी है.  इस धर्म में विज्ञान आता है और सनातन धर्मों में समा जाता है. आज की  चर्चा साइंस कांग्रेस से शुरु की जा रही है.  तभी तो साइंस धर्म पर  चर्चा करना जरूरी है.    इस संदर्भ में सब से पहले कल कोलकाता में उद्घाटित हो रहे साइंस कांग्रेस की जानकारी लेना ज़रूरी होगा. यहाँ इन्टरनेट यह जानकारी दे रहा है:

The Centenary Session of Indian Science Congress is being organised  from 3rd-7th, January , 2013  in University of Calcutta,  Kolkatta. The President of India, ShriPranab Mukerjee will inaugurate the Centenary Session of the Indian Science Congress at Salt lake Stadium on 3rd January, 2013 , in the august presence of the Prime Minister of India Dr Manmohan Singh , Ms Mamata Banerjee, Chief Minister of West Bengal,  Shri. M K Narayana Governor, West Bengal and Dr Jaipal Reddy,  Minister of Science & Technology, Government of India.

This is another historical occasion where the presiding Prime Minister of the Country is the General President for the Indian Science Congress Association (ISCA). Bose Institute and University of Calcutta are co-hosting the events being organized at Kolkata.  The five-day Science Congress will be attended by eminent scientists and academicians from all over the world.

The  historical importance of 100th Science Congress  is in more than one way. Whereas the themes for all the sessions up the period of 2003 since the first session in 1914 could be grouped under ‘Shaping of the Indian Science’, the focal theme selected for the centenary session is “Science for shaping the future of India”.   

 

साइंस कांग्रेस की जानकारी तो समाचारों के माध्यम से मिलती जाएगी.  पर कोचियार लाइब्रेरी तो उस साइंस में रुचि ले रही है जो साइंस उत्तराखंड के पहाडी हिस्से के  औद्योगिकीकरण में सहायक हो.  इसलिए यहाँ पर हम मेल  Sun, 3 January, 2010 12:24:29 PM  How Phatte ki Sarkar is working as a template for Gopio-WFSW Effect  के पहले पैराग्राफ को उद्धृत कर रहे हैं जो कहता है

The Science Congress Ritual has started in Trivandrum. Shortly the Indian Prime Minister will inaugurate it. He will deliver his prepared speech. It will follow the familiar template of speeches. The people attending this annual ritual would not know what happened in the 1947 Science Congress.  The country was still a British Colony.  But the Prime Minister of the Interim Government was Jawaharlal Nehru. The world was different then.  The Second World War had erased the power of colonial empires. The power of emperors had been erased by the First World War.  The world around the 1947 Science Congress was concerned   about the future of colonies that were being liberated from the colonial rule of the Colonial Powers of Europe.  The Great Britain was the leader of the leader of the Big Three that won the war.  It was this country that was to create a template of development for the decolonized world of the tomorrow of that time. The Phatte ki Sarkar has discussed this template of development in terms of 1946 WFSW Nehru Effect and the Nehru Bhatnagar Effect.

 

इस के साथ ही अगली मेल  Mon, 4 January, 2010 9:14:34 AM Endless Frontiers for Nishank (RPN) provided by the Phatte ki Sarkar  का अवलोकन करना  भी  उचित होगा.  इस मेल का अन्तिम भाग इस चर्चा में लाया जा सकता.  यह था

Dr Nishank can also help the Central Government. "Inclusion of the lens nursery project in the state plan" can help Indian Government to solve some of the problems mentioned in PM’s Trivandrum address.

"noted Nobel laureate Dr Ramakrishnan's recent comment on the need for greater "autonomy from red tape and local politics" for Indian scientists".  He recognizes that much of what we have to do to improve science requires money.  But his "but" , that is, this  is only one part of what is needed" requires an instrument to work with." He admits that  also requires a change in mindset, including, if I may say so, the mindset of senior faculty and university administration. Sometimes that is the hardest thing to do.

Dr Nishank can provide information to the central government by what he is able to do by getting the lens nursery project included in the staff plan.  Phatte ki Sarkar has already covered some ground in the direction of brain gain" . Gopio may agree to find resources for the "Gopio Institute of iBusiness"  if things move in the direction of "establishing the lens nursery." The following solutions sought by the Prime Minister " have already been found"  through the movements of Dhumakot Sangliya Experiment:

I urge all our scientific institutions to introspect and to propose mechanisms for greater autonomy, including autonomy from the government, which could help to improve standards for research and development. We must make a special effort to encourage scientists of Indian origin currently working abroad to return to our country including coming to our universities or scientific institutions for a short period. In this way we can, convert the "brain drain" of the past into a "brain gain" for the future. This will require special incentives. We need to think creatively on how this can be done so that high quality minds are attracted to teaching and research in our country. I invite you all to explore all these issues and engage with the Government so that we can do what is needed to liberate Indian science from the shackles and deadweight of bureaucratic and in-house favouritism. Only then we can unleash the latent talent and creative energies of our vast scientists and engineers too.

 

Dr Nishank has already done some thing by accepting the above suggestion of the Phatte ki Sarkar

Dr Nishank can also help the Central Government. "Inclusion of the lens nursery project in the state plan" can help Indian Government to solve some of the problems mentioned in PM’s Trivandrum address.

 

Asha Ballabh Maindoliya ने मेल Date: Monday, 31 December, 2012, 2:44 AM  2014 के चुनाव मुद्दों में लेन्स नर्सरी का मुद्दा लाया जा सकता है Dhumakot/Nainidanda ग्रुप में कहा

Yahi Jeewan ki muskan hai.

 

यह मुद्दा गंभीर रूप से चर्चित हो रहा है.  इस दिशा में पहल धर्म जी कर रहे है. वह साथ ही साथ वह  नैनीडांडा विकास संघ में भी रुचि ले रहे है.  आशा बल्लभ जी स्थानीय नैनीडान्डीयन हैं.  इस से  उनके जीवन की मुस्कान और फैलेगी. धर्म जी ने कल की मेल Date: Tuesday, 1 January, 2013, 5:46 AM राजनीति को विकास धर्म तो अपनाना ही होगा पर टिप्पणी की

Uttarakhand as a state has done well since inception. As compared to average annual growth of mere 4.2% over 1993-94 to 2000-01, the State witnessed a robust growth of 13% over 2004-05 and 2009-10.

This growth has been primarily driven by manufacturing and construction sectors.

In terms of future development, in our view the following should be the guiding principles

1. Employment generation should be the one of the key objectives

2. The growth momentum over the last decade has to be sustained

3. The economic development should leverage on the competitive advantages of the State. Tourism has a critical role to play here

4. Hill Development has to be brought in greater focus. Tourism and Agri Business, including Herbal and Medicinal plants have to be the pillars of hill development strategy.

5. Growth has to be balanced with the imperatives of environment conservation, given the ecologically fragile nature of the State.

While the detailed recommendations are presented in the full document

लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र का विकास तो TNORD की टेक्नोलॉजिकल नर्सरी से ही संभव हो पायेगा |

लेंस नर्सरी के प्रोजेक्ट को "स्टेट प्लानिंग कमीशन"(SPC) में लाना ही होगा |

आईये, सभी मिलकर, इस विषय पर एकजुट होकर प्रयास करें, एवं उत्तराखंड के विकास में अपना योगदान दें |

 

इस टिप्पणी पर बहस हुई जो कि इस तरह चली

Incredible(अतुल्य उत्तराखंड) - "ठेठ पहाड़ से" ॥ सिर्फ पहाड़ के लिए ॥

Date:Tuesday, January 1, 2013 राजनीति को विकास धर्म तो अपनाना ही होगा addressed to सदस्य,म्यरउत्तराखंड,धुमाकोट/नैनीडांडातथाइंटरनेटपरउपलब्ध दूसरेउत्तराखंडीग्रुप कोचियार मेलों में जनवरी महीने को महत्व दिया जाता है. साइंस कांग्रेस होती है. साइंस और विकास का सीधा सम्बन्ध ह...

Balbir Singh Rawat

Should we not differentiate between the words DEVELOPMENT and PROGRESS? pragati and unnati. One takes us ahead on the same plain, the other takes us higher over another plain. Rush after money and materials without elation of humane qualities is long-term-sure-to-damage achievement.

Sunil Negi

It's undoubtedly that we have progressed manifold in the last 12 years of our coming into existence, but it is ofcourse quite natural as well as after coming into separate existence the amount of budget and the decentralisation of political and economic power as compared to the undivided Utter Pradesh has increased tremendously and after being accorded the special status things have come quite favorably in terms of development. Previously when we were with UP there was merekly the development of the state except total negligence and draining out of the budget unnecessarily but after having a separate entity we were able to select our priorities and do the development as per our wishes, local realities and according the the regional demands. Let's see whether we'll be able to continue this trend in future as well or we are going to go down. But one thing is sure that as compared to development the corruption has also led to filing ofthe coffers of the politicians, corrupt bureaucracy, private contractors and the big business houses who have made UK their prime land for earning profits out of exploitation of its natural resources. We have to apply a formidable brake to this unholy trend.

धर्म सिंह बुटोला

we shall not debate on the ITIHAAS

the scenaro like PONTY/MONTY is about to vanish

the need of the hour is the indutrialisation for Hill Area Development, hence we cant say anything progressive unless there is DEVELOPMENT in the HILL AREA

Balbir Singh Rawat

You are very correct Butola Ji.

Balbir Singh Rawat

Sunil Ji, to prove that I am better, I must compare myself with one on who was equal to me at the starting point. UP vs UK is no topic for debate. What should be the standard measure of testing development/progress? WHAT IS THE REASON WE STRUGGLED FOR THE STATE OF UP HILLS? EMPLOYMENT/SELF-EMPLOYMENT AND HALTING MIGRATION, I suppose. Have we made any progress in these two aspects when seen as percentage of total population of the UK (include the pravaasees after the State was formed). Find the right figures and you will get the answer.

 

 इस तरह हम देख रहे है कि बहस किसी भी  तरफ से चल कर उत्तराखंड के औद्योगिकीकरण पर रुक जाती है.  ई बिजनेस की और से चलने वाली सभी सभी बहसें  इसी स्थान पर आ कर रुक जाती है.  वहाँ से तो आइ बिजनेस की चढाई शुरु हो जाती है  वहाँ  विवेक का उपयोग में लाना जरूरी हो जाता  है. टेक्नोलॉजिकल नर्सरियों की सीमा शुरू हो जाती हैं. ई बिजनेस अब तक  अपरोक्ष ढंग से आइ बिजेनेस का  क्षेत्र पार करता आया है.  खुलकर इसलिए  नहीं कर रहा था क्योंकि तब उसके लिए गरीबी की समस्या कोई समस्या थी ही नहीं.  अब है. अफ्रीका का क्षेत्र अल्प या अविकसित है.  उस पर संयुक्त राष्ट्र इसलिए ध्यान दे रहा है कि गरीबों का मसीहा सोविएत संघ चल बसा है.  इस तरह लेन्स नर्सरी का महत्व उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं है.  विश्वव्यापी है.

 
राम प्रसाद     

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - Dr Ram Prasad.

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[/color]Forwarded copy of the mail:
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[/color] [/color] [/color]Friday, 24 May 2013 9:08 AM
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[/color] [/color]किसे सामाजिक-आर्थिक विकास के आड़े नहीं आना चाहिए[/color]
[/color]addressed to
[/color]सदस्य[/color], [/color]म्यर[/color] [/color]उत्तराखंड[/color], [/color]धुमाकोट[/color] [/color]नैनीडांडा[/color] [/color]तथा[/color] [/color]इंटरनेट[/color] [/color]पर[/color] [/color]उपलब्ध[/color] [/color]दूसरे[/color] [/color]उत्तराखंडी[/color] [/color]ग्रुप[/color]
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अन्ना हज़ारे उत्तराखंड के दौरे पर है.  यह दौरा अब अंतिम दौर पर पहुंच चुका हैपरिणाम  तो इफेक्ट 2014 के नतीजे ही बतायेंगे .  पर यह साफ है की राजनीतिक स्तर पर उनकी ओर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है  जितना कभी दिया जा रहा था.  यह बात  रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून  की उस  खबर से स्पष्ट हो जाती है जो आज के  दैनिक जागरण में  प्रकाशित हुई है.  खबर बता  रही है
[/color]पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखंड के योगदान को सर्वाधिक आंकने के बावजूद केंद्रीय योजना आयोग ने इसकी क्षतिपूर्ति करने की राज्य की मांग पर कान नहीं धरे। इको सेंसिटिव जोन के नाम पर तमाम पर्यावरणीय बंदिशें झेल रहे राज्य को फिलहाल आर्थिक मोर्चे पर विशेष राहत नहीं दी गई[/color], अलबत्ता आयोग उपाध्यक्ष डा मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने इस मामले में राज्य के सुर से सुर मिलाए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण जरूरी है[/color], लेकिन इसे सामाजिक-आर्थिक विकास के आड़े नहीं आना चाहिए। विशेष दर्जाप्राप्त राज्यों में उत्तराखंड को कम अनुदान मिलने के मुद्दे को वित्त आयोग के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया। आगामी सितंबर तक राज्य को कुछ और धनराशि देने पर विचार करने की बात भी कही गई। 8500 करोड़ के योजनाकार का प्रस्ताव आयोग ने स्वीकार कर लिया। टिहरी झील के विकास समेत कुछ योजनाओं में केंद्रीय योजना आयोग ने रुचि दिखाई है।[/font][/font]
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कोचियार लाइब्रेरी का चल रहा मेलक्रम तो नैनीडांडा ज्वाइंट डिस्कशन फोरम पर केन्द्रित  है जहाँ  आजकल कोई डिस्कशन हो ही नहीं रहा है, धर्म जी अपने विकास टोकरी से रंगीन लिंकों की पतंग  निकाल कर उड़ा रहे हैं. उनकी अनदेखी हो रही है.  तभी तो   फोरम पर  Narendra Rawat ने कह रहे है
[/color]नमस्कार भाई लोगो क्या हाल चल है आप लोगो के [/color], [/color]लगता है आजकल सब [/color]summer trip [/color]पर है[/color]
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अगर फेस बुक या समाचारों पर नज़र डाली जाती है तो लगता है कि सारा इंटरनेट  समर ट्रिप पर है. कभी इंटरनेट को छुट्टी भी दे दी जाती है, आज की  ही एक  अंतर्राष्ट्रीय खबर में कहा गया है
[/color]तेहरान। ईरान में महमूद अहमदीनेजाद का उत्तराधिकारी चुने जाने के लिए अगले माह होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले देश में इंटरनेट एक तरह से [/color]'कोमा[/color]' में चला गया है। इंटरनेट सेवाएं अचानक धीमी होने का असर व्यापारिक गतिविधियों ही नहीं बैंक और यहां तक कि सरकारी दफ्तरों पर भी पड़ रहा है।[/font][/font]
[/color]माना जा रहा है कि अरब जगत के विरोध प्रदर्शनों में सोशल साइट्स की ताकत का अहसास कर चुकी सरकार के इशारे पर इंटरनेट पर पहरा बैठा दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव के बाद सोशल नेटवर्किंग साइटों पर धोखाधड़ी के दावों के बाद भारी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए थे। इस बार सरकार ने पहले ही इंटरनेट पर शिकंजा कस दिया है। कारोबार[/color], बैंक और सरकारी एजेंसियां भी नेट धीमा पड़ जाने से परेशान हैं। स्थानीय मीडिया ने बताया कि इंटरनेट धीमा पड़ जाने का अधिकारी कोई कारण नहीं बता पा रहे हैं। हालांकि[/color], वह मान रहे हैं कि इंटरनेट धीमा है। घनून डेली ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इंटरनेट कोमा में है। यह केवल ईरान में ही होता है। हर बार चुनाव आने के साथ इंटरनेट को जानबूझकर कमजोर कर दिया जाता है।  [/font][/font]
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राजनीति  की चाल तो तो हर जगह एक सी ही होती है.  कोचियार लाइब्रेरी ने सोचा था कि इस बार उत्तराखंड क्रांति दल ईएक्ट 2014 के लिये एकजूट हो जायेगा.  डाक्टर पंत को याद करेगा.  उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्से के  औद्योगिकीकरण में रुचि लेगा.  पर हुआ क्या इस का दर्शन नीचे दी ज़ा रही खबर के माध्यम से स्पष्ट हो जाता है .  खबर है
[/color]केंद्रीय कार्यालय को लेकर यूकेडी के दो गुटों में मारपीट
[/color]प्रकाशित: 21 मई 2013
[/color]वीर अर्जुन संवाददाता
[/color]   सोमवार को सुबह दस बजे के करीब ऐरी गुट के कार्यकर्ता यूकेडी के केंदीय कार्यालय में आकर बै" गए थे। पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे के करीब त्रिवेंद सिंह पंवार केंदीय कार्यालय पहुंचे[/color], लेकिन कार्यालय के सभी कक्षों में ऐरी गुट के कार्यकर्ताओं के बै"स होने के कारण त्रिवेंद पंवार बाहर परिसर में चले गए और लोगों से बतियाते रहे। त्रिवेंद पंवार के कार्यालय में पहुंचने पर उनके समर्थक भी वहां पहुंचने शुरु हुए। महाधिवेशन में नई कार्यकारिणी के चुनाव के बाद अपराह्न पौने तीन बजे के करीब जैसे ही दल के नवनिर्वाचित केंदीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी और उनके समर्थक केंदीय कार्यालय पहुंचे कार्यालय में हंगामा शुरु हो गया। काशी सिंह ऐरी शहीद स्मारक स्थल पर राज्य आंदोलन के शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद कार्यालय पहुंचे तो वहां ऐरी समर्थकों ने उनके पक्ष में जमकर नारेबाजी शुरु कर दी। कार्यकर्ता नारे लगा रहे थे कि हमारा नेता कैसा हो काशी सिंह ऐरी जैसा हो। ऐरी समर्थकों ने कार्यालय में आतिशबाजी की और मि"ाइयां बांटी। नवनिर्वाचित अध्यक्ष ऐरी के कार्यालय में पदार्पण करते ही त्रिवेंद सिंह पंवार गुट के कार्यकर्ताओं ने कार्यालय में हंगामा शुरु कर दिया। पंवार समर्थक काशी सिंह ऐरी और उनके समर्थकों के कार्यालय से बाहर जाने की मांग कर रहे थे[/color], लेकिन ऐरी कार्यालय से बाहर नहीं गए। इस दौरान पंवार गुट और ऐरी गुट के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। दोनों गुटों में जमकर हाथापाई हुई। ऐरी गुट से जुड़ी महिला कार्यकर्ताओं ने पंवार गुट की महिला नेत्री पमिला रावत के साथ मारपीट की[/font][/color], कुछ लोगों ने बीच-बचाव कर पमिला रावत को बचाया। यूकेडी कार्यालय में काफी देर तक हंगामा होता रहा। हंगामे की सूचना पर एडीएम पशासन हरक सिंह रावत और सीओ सिटी हरीश चंद सती पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं को समझाने का पयास किया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। त्रिवेंद सिंह पंवार का कहना है कि जिन लोगों ने महाधिवेशन बुलाया उन्हें पूर्व में ही दल से निष्कासित किया जा चुका है। उनका कहना था कि निकाले गए लोग असंवैधनिक रूप से कार्य कर रहे हैं[/font][/color]उनका दल से किसी भी पकार का कोई लेना-देना है।[/font][/font]
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केन्द्रीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने   कहा कि पर्यावरण संरक्षण जरूरी है, लेकिन इसे सामाजिक-आर्थिक विकास के आड़े नहीं आना चाहिए।  पर किसी ने यह नहीं कहा कि राजनीति जरूरी है पर ऐसी राजनीति नहीं जैसी राजनीति उत्तराखंड क्रांतिदल शुरू से ही खेल रहा है. बात कुछ अलग होती अगर काशी सिंह एरी  अध्यक्ष चुने जाने के बाद जड़ाऊखाँद आते. डाक्टर डीडी पंत को याद करते और उत्तराखंड क्रांति दल को डाक्टर पंत की सिफारिशों को लागू करने के लक्ष्य के प्रति समर्पित करने की बात करते.  बात इतनी आसान नहीं है. यह काम नैनी डांडा विकास संघ के स्तर पर भी तो किया जा सकता था डाक्टर पंत की जगह आलम सिंह गुसाईं याद किये जा सकते थे.  जड़ाऊखाँद मजेडा मोड मोटर मार्ग जैसा स्थानीय मुद्दा उत्तराखंड क्रांति दल के लिये भी लाभ प्रद हो सकता था और नैनीडांडा विकास संघ के लिये भी

कोचियार मेलों में धर्म जी को आज के कृष्ण के रूप में मान्यता मिलती जा रही है.  उन्होने डाक्टर गौनियाल से जड़ाऊखाँद के खंडहरों की फोटो नैनीडाण्डा ज्वाइंट डिस्कशन फोरम में प्रकाशित कर दी.  आज वह तस्वीरें काशी सिंह ऐरी , उत्तराखंड क्रांति दल  और नैनीडाण्डा विकास संघ को भी उपलब्ध हैं. इंटरनेट शक्तिशाली हथियार है पर राजनेताओं को यह बात समझनी है

स्थानीय स्तर पर विनोद रावत नैनीडांडा स्तर पर उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ता  माने जा सकते हैं. कहा जाता है कि वह Delhi राज्य में उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष हैं.  उनका पैतृक गाँव मजेडा मोड से कुछ ही दूर है.  संभव है कि नैनीडांडा ज्वाइंट डिस्कशन ग्रुप अपने क्षेत्र में आम चेतना जागृत करे.  इस टिप्पणी के साथ यह मेल समाप्त की जा रही है.  कल की मेल पर जो प्रतिक्रिया डाक्टर बलकबीर सिंह रावत से प्राप्त हुई वह है
[/color]BSR 0135[/color] KL 23[/font][/color] M[/font]
विकास में पद यात्राओं की भूमिका हो सकती है . (लेकिन है नहीं[/font][/color]??) शब्द सोच समझ कर चुने गए है.[/font][/font]
[/color]गांधी जी की देश भर की पद यात्रा ने स्वाधीनता की अलख को प्रचुर किया . जय प्रकाश जे ने मतदाताओं में साहस का संचार किया [/color], अन्ना ने महाराष्ट्र के लोगों को तो जगाया लेकिन उत्तरभारत के लोगों पर उतना असर नहीं हुआ। अब अन्ना देव  भूमि की पद यात्रा पर हैं  और मीडिया ने उन्हें वह महत्व नहीं दिया जो देना चाहिए था. अभी अभी हमारे हिमालय बचाओ[/color], गाँव बसाओं वालों ने भी एक यात्रा की है[/font][/color], कुछ पद से कुछ वाहनों से. असर वहाँ के लोगों  पर हुआ हो या नहीं[/font][/color], लेकिन प्रवासियों की जिज्ञाशा अवश्य जागी है[/font][/color], और वे गहन रूप से सोच रहे हैं कि कैसे हमारे मूल स्थानों का विकास हो सकता है[/font][/color]?.[/font]
गांधी जी और नारायण जी के जमाने के लोग और थे आज के और है. आज विकास करना एक सरकारी मोनोपोली है.  वे ही तय करती है की क्या करना है[/font][/color], कहाँ करना है [/font][/color],कितना[/font][/color], कब[/font][/color], और कैसे करना है[/font][/color]? जनता लाख चिल्लाय[/font][/color], बुद्धिजीवी अपने दिमागों के "टुकड़े " बांटते फिरें[/font][/color],समाजसेवी और भावी राजनेता बन्ने के आकांक्षी कितनी ही पदयात्राएं निकालें[/font][/color], सरकार रूपी हाथी अपनी चाल से अपनी दिशा में चलता रहता है।[/font][/font]
[/color]तो क्या करें [/color]? एक उदाहरण था गांधी का दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह। कहा भी और किया भी। गांघी जी का [/color], जय प्रकाश जी का व्यक्तित्व प्रभाव्शाली था[/font][/color], अंग्रेज भी और आजाद भारत की जनता भी उनकी बातों को महत्व देते थे. अन्ना जी को बातों को बर्तमान सर्कार ने महत्व नहीं दिया[/font][/color], (छलावा किया ) [/font][/color], तो मीडिया भी और जनता भी अधमना हो गयी .[/font][/font]
[/color]पदयात्रा और सत्याग्रह को मिळा कर कुछ होगा [/color]? सत्याग्रह यानी दबाव .आज के माहोल में दबाव ही कारगर होगा और यह चुनाओं के समय ही अगर [/color], जय प्रकाश जी की तरह इस दबाव को लाया जाएगा और केवल उन्ही को भोट दिया जाएगा जो विकास का [/font][/color], सही विकास का खाका मन में रखते हों और उसे आम जनता के सामने रख सकेंगें की क्या और कैसे करेंगे [/font][/color], तो [/font][/color], बिना दल को देखे [/font][/color], ऐसे ही लोगो को चुनेंगे तो ही विकास हो सकता है. अब कौन करेगा  ऐसी पदयात्रा[/font][/color]? है किसी के पास रोड मैप[/font][/color]? इस यात्रा के लिए प्रभावशाली यात्री भी तो होने चाहिये. आइये पहिले उन्हें ही ढूढ़ते हैं .[/font][/color]BSR        .                                                        [/font][/color]please join the Alzheimer's Support Group.[/font]
[/font][/color][/font]
  राम प्रसाद

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Thursday, 23 May 2013 10:03 AM
 विकास में पदयात्राओं की भूमिका हो सकती है
addressed to
सदस्य, म्यर उत्तराखंड, धुमाकोट नैनीडांडा तथा इंटरनेट पर उपलब्ध दूसरे उत्तराखंडी ग्रुप
 
कोचियार लाइब्रेरी की मेलों में इतिहास की पदयात्रा होती आई है.  यह पदयात्रा तो चिम्पांजी युग में ही शुरू होगयी थी.  उसने उस युग में ही पैरों की खोज की और उन का उपयोग शुरू कर दिया था.  पर बात आज की है. उत्तराखंड में अन्ना हजारे पदयात्रा पर हैं .बुद्धिजीवियों ने हिमालय बसाओ अभियान के अंतर्गत पदयात्रा कीहै.  नैनीडांडा ज्वाइंट डिस्कशन फोरम के कुछ सदस्य गांव जा कर पदयात्रा कर रहे है.  उत्तराखंड क्रांति दल नेभी अपनी पद यात्रा पूरी कर ली है.  अपना अध्यक्ष चुन लिया है. कल की मेल Wednesday, 22 May 2013 10:50 AM   नेहरू/गांधी नाम  भ्रम पैदा करने वाली . वास्तविकता बन गए है.  ने  काशी सिह ऐरी के उत्तराखंडक्रांतिदल  के अध्यक्ष पद पर चुने जाने पर कहा
उत्तराखंड क्रांतिदल कोचियार लाइब्रेरी के काम से बहुत कुछ कर सकता है.  डाक्टर पन्त को वह भूलगया है. कोचियार लाइब्रेरी ने मौका दिया है कि कम से कम जड़ाऊखाँद के स्तर पर डाक्टर पंत यादरहे डाक्टर नरेन्द्र गौनियाल ने इसीलिये नैनीडांड़ा क्षेत्र के गढ़ों पर व्यवहारिक जानकारी देकरइतिहास को विकास से जोड़ने की कोशिश की है.
 
डाक्टर बलबीर सिंह रावत ने सीधे शब्दों  ऐरी जी की सफलता को  ऐतिहासिक घटना तो नहीं माना. कोचियार लाइब्रेरी ने महत्व दिया तो   स्वीकार किया
लेकिन गुजडू गढ़  की सैनिक छावनियां, गोरखाली, भीष्ण अकाळ, अकाळ  सड़क , थपेडू बिष्ट,अंग्रेज,देश की आजादी, लखनऊ से पर्वतीय क्षेत्रों का संचालन, ट्नोर्ड का प्रस्ताव,उत्तराखंड राज्य आन्दोलन,एक उत्तराखंडी बड़े नेता के विरोध के होते हुए भी उत्तरांचल का निर्माण, राज्य का नाम परिवर्तन,अपनी ही सरकारों को जनता द्वार हर पाच साल में बारी बारी से दोनों प्रमुख दलों को सता सोंपना, आन्दोलाकारी क्षेत्रीय दल का हासिये पर आ जाना  सताधारियों का खरा न उतर पाना, ट्नोर्ड और गैरसरकारी उत्तराखण्डीयों द्वारा सुझाए गए अन्य विकास प्रस्ताओं की सभी सरकारों द्वारा अनदेखीकरना, बुद्धिजीवियों का "खद्योत सम" यंह वंह प्रकाश करने के लिए  अपने अपने समूह बना करमैदान में आकर खो जाना,एक मंच पर आने से कतराना
 
वर्तमान मेल श्रृंखला का परिचय भी कल की मेल में इस प्रकार दिया गया था 
धर्म जी ने टेक्नोलॉजिकल नर्सरियों की भूमिका को समझ कर जमीनी धर्मक्षेत्र पर नैनीडांडा ज्वाइंटडिस्कशन फोरम  बना कर कृष्ण की भूमिका आरम्भ कर दी है. फिलहाल यह डिस्कशन फोरमसक्रिय नहीं है.  इस के कुछ सदस्य पहाड़ की पद यात्रा पर हैं.  अनुभव के साथ लौटेंगे. इसलिएफ़िलहाल  जड़ाऊखांद डिस्कशन का केन्द्र बिन्दु बना है.  वहां डाक्टर नरेन्द्र गौनियाल सक्रिय हैं औरइस सक्रियता  संदर्भ में जड़ाऊखाँद मजेडा मोड मोटर मार्ग मुद्दा बन चुका है.
 
प्रेस की मुख्य धारा में पदयात्राएं तो है पर यह पदयात्रा नही.  हिमालय बसाओ अभियान है.  धर्म जी इस पदयात्रा के सदस्य थे.   इसके बारे में  Bharat Rawat कह रहे है 
"हिमालय बचाओ हिमालय बसाओ" यात्रा के प्रथम चरण में हम लोगों ने टिहरी क्षेत्र में पदयात्रा की जोकी प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है जहां प्रत्येक गाँव में पानी प्रचुर मात्रा में है उस सबके बावजूदलोग खेती एवं पशुपालन से मुंह मोड रहे हैं... और अधिकतर लोग दिल्ली / राजस्थान / गुजरात मेंपॅक की गयी थैलियों का दूध / घी / दही / पनीर खाने में अपना विकास समझ रहे हैं... क्या यहीविकास
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