Uttarakhand Updates > Articles By Esteemed Guests of Uttarakhand - विशेष आमंत्रित अतिथियों के लेख

Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख

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Bhishma Kukreti:
             सरदेसाई ! कुत्तों से तो बच जाओगे  किंतु  कटखने भाजपाइयों से कैसे बचोगे ?

                           कव्वा  कु  ककड़ाट  :::  भीष्म कुकरेती

राजदीप सरदेसाई (अपण  सहयोगी से )- अरे ! इख अमेरिका मा बि कुत्ता ? अर इख मेडसन स्क्वायर , न्यूआर्क मा स्यु कुत्ता म्यार पैथर ?
सहयोगी - सर ! डरणै जरुरत नी च।  इख न्यूयॉर्क मा पैल त कुत्ता कटद नि छन अर काटि बि ल्याल तो बि राबी नि सौरे (फैलै ) सकदन। आप नरेंद्र मोदी बारा मा ब्वाला मि कैमरा एडजस्ट करद।
सरदेसाई - पर मि कटखना या नॉन कटखना कुत्ता से डरुद छौं। मि इन करद ये कुत्ता से दूर उना जांद तू कैमरा लेक उना इ ऐ जा।
सरदेसाई - अरे अरे ! यु कुत्ता म्यार  पूछ नि छुड़णु च।
एक शिव सैनिक समर्थक - अरे अरे ! पकड़ो साला तैं ! तै सरदेसाईन कबि माननीय उद्धव ठाकरे जी की आलोचना करी छे।  पीटो इस पाजी गधे  को !
एक मनसे समर्थक - वो चुप ! मराठी अस्मिता पर मनसे कु एकाधिकार च।  ये राजदीप सरदेसाईन इण्डिया मा उद्धव ठाकरे से पैल हमर नेता माननीय राज ठाकरे जी की आलोचना करी छे तो आज ए थुरद्वन्या  की टांग तुड़णो एकाधिकार हमर च।
एडीएमके समर्थक - नही नही ! मेरी अग्ल्यार च। मीन  सरदेसाइक कन्दुड़ काटिक एक खून कुमारी अम्मा जयललिता जीक फोटो मा चढ़ाणो कसम खायीं च।  तै निरा मुर्ख सरदेसाइन बोल बल न्यायपालिका जीती और जयललिता हारी।  हूँ !  हमारी जयललिता कुछ बि गुनाह कार तो भी अम्मा तैं क्वी गुनाहगार नि बोल सकुद।  सरदेसाई को सबसे पहले सजा मैं दूंगा !
कॉंग्रेस समर्थकों झुण्ड - अजी ! क्या बात करते हो ! इसकी हड्डी पसली पहले हम तोड़ेंगे।  सरदेसाईन हमर राजकुमार राहुल गांधी बड़ी बेज्जती करि छे।  आज हम इसको थींचेंगे , कुटेंगे।
क्रोधित भाजपा समर्थक -हटो , हटो !  पीछे हटो ! क्या बात करते हो तुम लोग ? मीडिया का भरता बनाने के लिए ही तो जनता ने हमें वोट दिया है , मेजोरिटी दी है।  इसने आज न्यूयार्क में माननीय नरेंद्र मोदी प्रशंसा नही की है।  हम भाजपाईयों ने कसम खाई है कि जो भी पत्रकार  किसी भी  मीडिया में श्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा नही करेगा तो हम उसकी ऐसी -तैसी करेंगे , उसकी झगुली -लगुली डाळ लगाएंगे , उसका मुंड फोड़ेंगे , उसके दांत तोड़ेंगे , उसका भट्यूड़ तोड़ेंगे और उसे पत्रकारिता करने लायक नही छोड़ेंगे ! ह पत्रकारों  पर लगाम लगाने  का पुण्य काम हमे करने दो ।
सभी एक स्वर मा - हाँ हाँ ! तुम ही पीटो ये साला  सरदेसाई  का बच्चा तैं ।  कुछ भी ह्वावो मीडिया पर लगाम लगाओ।
सरदेसाई का सहयोगी - सर जी न्यूयार्क छोड़िक वाशिंगटन च जांदवां।  कुत्तों से त हम बची जौंला किंतु यूँ  राजनीतिज्ञों का भेष मा खदुळ भेड़ियों से कनकै बचला ? चलो वाशिंगटन चल जाँदा !


Copyright@  Bhishma Kukreti 30  /9/ 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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Bhishma Kukreti:
              Capital Shrinagar in Pal / Shah Dynast in Garhwal

Administration, Social and Cultural Characteristics History of Garhwal in Shah Dynasty -7

History of Garhwal including Haridwar (1223- 1804 AD) –part -196       
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -444 
 
                       By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)

   Shrinagar at Alaknanda bank was the capital of Garhwal Kingdom from Ajay Pal to Pradyuman Shah Period.
             The climate for health was not so conducive in summer and rainy season in Shrinagar. However, being on the main route of Haridwar –Badrinath; water availability, Alaknanda crossing facilities, fertile land in nearby regions, Garhwal Kings opted for Shrinagar as capital. The place e was also safe from all directions.
              The capital was 10-12 Feet above the Alaknanda River surface. The capital was in elliptical shape and had area of ¾ mile by ¾ mile.
          There was no planning at the time of establishing Shrinagar as capital. The houses were two stories building built by mud and stone and roofed by gray colored flat stones. There were shops and godown  on ground floors and people used to live in first or second floor. There was not much distinction among the archeological structure of houses. Stone balconies were on each house. The streets were very congested and two persons could not walk together.
 The Gadhi  was in east of Shrinagar. There was Gorakhnath Temple near Fort or Gadhi. Multistoried Palace was in the middle of Shrinagar.
 There were many temples as Kamleshwar, Shankarmath, Bhairav, Garud, Keshoray temple are still there in Shrinagar. Gorakhnath Temple, Jain Temple and other Math or temples flew away in a flood and the capital was totally destroyed in earth quake.
                             The Court in Shrinagar

       The multistoried building court was called ‘Darbar’.  The records and other offices were there in the court.
  The court in second floor, used to start at 9.30 AM till 3.30PM. Then there was evening session from evening till mid night. The second session used to be entertaining session for elite. King, Mukhtyar, Bisht, Raur, Negi, Ministers, Goldar , Dharmadhikari used to attend both the session.
       In entreating session or Majlish,  there used to be storytelling, poetry reading, song, dances and jokes.


Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 30/9/2014
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -445
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
History of Garhwal from 1223-1804 to be continued in next chapter ….
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Notes on South Asian Modern Period  History of Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Pauri Garhwal; South Asian  Modern Period   History of Chamoli Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Rudraprayag Garhwal;  South Asian Modern  History of Tehri Garhwal;  South Asian Modern  History of Uttarkashi Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Dehradun, Garhwal;  Modern  History of Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Manglaur, Haridwar;  South Asian Modern Period   History of Rurkee Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Bahadarpur Haridwar ; South Asian Modern Period  History of Haridwar district, History of Characteristics of Garhwal Kings Shah dynasty ,  to be continued
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Bhishma Kukreti:
           ब्लाउज अपनी  बैरनी देख इतना  क्यों बौरा रहा  है ?

                                   कबलाट मा :: भीष्म कुकरेती
जनानी टी शर्ट - वार्डरोब से सब भैर आवो ! निकळो बाहर।  अब मि ऐ ग्यों तो मेरी  इ बादशाहत  चौललि।
बिलोज -ऐ छ कु छे तू इथगा बरबराट करण वळि  , चरबराट मचाण वळि , रौब मारण वळि  ?
टीशर्ट -मि स्त्री ह्वेक बि पुल्लिंग धारी लारा -लत्तों  दगड़ बात नि करदु !
बिलोज -जादा चर्र -चर्र करिल तो चीर फाड़ करिक रद्दी वाळु जोग कौर देलु हाँ !
टीशर्ट- अब त तू मनमोहन सिंग जन रिटायर ह्वे गे , लालकृष्ण आडवाणी जन घरबैठ ह्वे गे ,  तू ट्वीटर का   समणि ऑरकुट ह्वे गे।
बिलोज -औ तू अफु तैं नरेंद्र मोदी समजणि छे ? तू पीयूष गोयल ह्वे गे अर मि पयळ (पथरौ की थाळी ) ह्वे ग्यों ?
टीशर्ट -इक मा समजण  क्या च ? दिख्युं आँख क्या दिखण अर तप्युं  घाम क्या तपण ।  अब त तू पुरात्व विभाग की सम्पति ह्वे गे।
बिलोज -बिंडी खिकचाट , भड़भड़ाट ,   घुंघ्याट नि कौर हां !
टीशर्ट- हाँ त्वे पर  त चमराट, धगद्याट ,ममळाट  हूण लाजमी च आखिर म्येरी धूम चीन , जपान अर अमेरिका तक जि च।
बिलोज -हूँ ! त्यार त इ हाल छन घुस -घुस माई देळि मा आई
टीशर्ट- मि  अर  तू इनि छंवां जन -कख राजा की राणी कख मंगतू की काणी
बिलोज -तू तो इन छे बल आबत ना मित्र , पौंछ्यां भित्र
टीशर्ट -तू तो इन बुलणी छे जन त्येरु बाबा डांडा कौणी नि बुतद छौ तो रिखन म्येरू बाबा नि खाण छौ।
बिलोज -मि भारतीय स्वरूप छौं।
टीशर्ट -त्वे से अळजाट हूंद।
बिलोज -में से ना साडी अर पेटीकोट से अळजाट हूंद।
टीशर्ट- जन जोड़ीदार तनि  स्वारभार !
बिलोज -हिन्दुस्तानम मेरी बड़ी इज्जत च।
टीशर्ट -आज सबि जनान्युं की  असली , पहली अर आखरी पसंद जीन्स अर टी शर्ट ! जरा कखि बि जा जनान्युं बीच टीशर्ट अर जीन्स की ही मांग च।
बिलोज -अरे जा ! म्यार मुखन बिंडि नि बुलवा हाँ।   पूजा पाठ दैं त सबि नौनि अर जनानी साडी -बिलौज मा इ पूजा करदन।
टीशर्ट- हूँ ! त्यार त यी हाल छन समिण बिरळ बैठ्युं च अर कबूतर  आँख बंद करिक बोल्दु बल कख च बिरळु ?  जरा बद्रीनाथ , तिरुपति मंदिरों मा जादि अर गाउँमा नागराजा -ग्विल मंदिरों मा दिखदि किजनानी - नौनी बड़ी इज्जत से टीशर्ट -जीन्स मा पूजा पाठ करणा छन।
बिलोज -सब झूठ !
टीशर्ट -हाँ पथरूं आँख ह्वाल तो चिट्टु उज्यळ  बि औंसीक रात लगद।  नजला का रोगी तैं मिट्ठू बि नीमक सत लगद।  जैन मक्का मदीना नि देख हो वैन बुलण इ च तीन लोक मेसे  मथुरा प्यारी !
बिलोज -मि नि जाणदु कुछ तू ये वार्डरॉब मा खुट बि नि धरि सकदी।  ये वार्डरॉब पर म्यार अधिकार च अर जब तक सूरज -चाँद छन म्यार ही अधिकार राल।
टीशर्ट- दिखुद छौं कन अधिकार रौंद धौं त्यार ! मीन विज्ञापनुं , फिल्मुं , टीवी सीरियलुं फ़ौज कट्ठा करीं च अर बस आज ना भोळ तू ये वार्डरॉब से बहुत बहुत दूर , कखि पुरात्व विभाग का म्यूजियम मा रैली अर ये वार्डरॉब पर केवल मेरो ही अधिपत्य रालु।
बिलोज - त्यार फोकट का फफत्याण से कुछ नि हूण।  मेरी त अमरकाया खायीं च ; मीमा भारतीय संस्कृति की अमर ओढ़नी च , तू म्यार कुछ नि बिगाड़ सकदी।
वार्डरॉब का कूण्या बिटेन अंगुड़ - हा!  हा ! हरेक लारा , झुल्ला , ड्रेस  इनि बुल्दु  या बुल्दी कि मेरी अमरकाया खायीं च , मीन  संस्कृति की ओढ़नी ओढ़ी च च। मीन बि कबि जनान्युं कुर्ता कुण इनि घमंड मा बोल छौ कि कुर्ता म्यार कुछ नि बिगाड़ सकद।
वार्डरॉब का कूण्या बिटेन जनानी कुर्ता - अर स्यु बिलोज बिसरी गे कि जब यु बिलोज मैं  तैं धकल्याणो  ऐ छौ तो मीन बि संस्कृति की धौंस-रौंस  दिखै छे।  किन्तु मनुष्य तो जनि बाजा बजदु तनि नचदु तो ये  हिसाब से मनुष्य हर युग मा नया नया ड्रेस अपनाइ लींदु अर फिर जु  कुछ दिन तक नया फैशन हूंद पैथर वा ही ड्रेस संस्कृति का हिस्सा बण जांद।






Copyright@  Bhishma Kukreti   1 / 10 / 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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Bhishma Kukreti:
Land Management in Garhwal Kingdom of Pal / Shah Dynasty Period

Administration, Social and Cultural Characteristics History of Garhwal in Shah Dynasty -8

History of Garhwal including Haridwar (1223- 1804 AD) –part -197       
   History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -445 
 
                       By: Bhishma Kukreti (A History Research Student)

                      That that is Land
 The land was called That, Thati or Dharti.
 The Pal/Shah King was the owner of the whole land as was system in Paurava and Katyuri period. The King was free to change the ownership of land from one person to other. The people were not authorized to challenge the King order.
 Usually, King used to transfer the right of landlord (thati ) in following cases-
1-Vishnu Priti, Sankalp or religious donation- The King used to offer land to Mahatma, Saints, Sages , Priests of scholars.
2-Raut – When the land was offered those who lost lives or did brave acts to protect the Kingdom, King or King family or Court ministers were offered land as reward and that land was called ‘Raut  me’. Such landowners were called Rawat.
3- Jagir- The King used to offer land for earnings to his faujdar, soldiers, ministers, Dharmdhikari, Negis, Goldars
The above people were called Thatwan. The Thatwan could collect tax from the Kabjedar etc (who were farmers). Thatwan did not have power to dispatch farmers from the regions. Farmers were to give taxes. 

Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 1/10/2014
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -446
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
History of Garhwal from 1223-1804 to be continued in next chapter ….
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Notes on South Asian Modern Period  History of Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Pauri Garhwal; South Asian  Modern Period   History of Chamoli Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Rudraprayag Garhwal;  South Asian Modern  History of Tehri Garhwal;  South Asian Modern  History of Uttarkashi Garhwal;  South Asian Modern Period   History of Dehradun, Garhwal;  Modern  History of Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Manglaur, Haridwar;  South Asian Modern Period   History of Rurkee Haridwar ;  South Asian Modern Period   History of Bahadarpur Haridwar ; South Asian Modern Period  History of Haridwar district, History of Characteristics of Garhwal Kings Shah dynasty ,  to be continued
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Bhishma Kukreti:
                     तैं सफै वळि कुण जोर से ब्वालो -आज से  ठीक से सफाई कौर !

                             भजराम हवलदार ::: भीष्म कुकरेती
       
मि अर खुशाल सिंग रावत जी तैं उन्ना देसुं (विदेशों ) मा अछेकि सफै कु आनंददायक अनुभव च।  हम द्वी अपण बिल्डिंग मा बि सफै सुपिन दिखद छा।  पर पर शरमाक मारा , मुखमुलज मा , क्वी नराज नि ह्वे जावो का डौरन कै मा नि बुल्दा छा कि बिल्डिंग मा हर समौ सफै  हूण चयेंद।  परसि ( 1 / 10 / 2014  )नरेंद्र मोदी जीक आवाहन से हमर डौर खतम ह्वे अर ब्याळि गांधी जयंती कुण हम द्वी बिल्डिंगौ वरिष्ठ नागरिक की उम्रक सेक्रेटरी मा पौंछा कि चलो आज बिल्डिंग मा सफै अभियान चलाये जये जाओ । घौर घौर जै जैक लोगुं तैं चितळ  करे जाओ अर बिल्डिंग मा भविष्य का वास्ता रस्ता तयार करे जावो !
सेक्रेटरी - अरे बुबौं ! म्यार त घुण्डुं मा तागत नी , सरैल मा सक्यात नी त कैन चढण -उतरण सि सीढ़ी। यी काम त नई छिंवाळै च , नई साखीक च , नई जनरेसनौ च।
खुशाल - तो अपण द्वी नौनुं तैं भेजी द्यावा।
स्क्रेटरी - सुणो ! पता च मीन अर मेरी वाइफ़न अपण द्वी नौन  गंगा जी मा जौ का तरां पळिन।  त क्या वु  द्वी ये सफाई जनचेतना जैसो निमखणि (निष्कृष्ट ) कामौकुण तुमर दगड़ आल ? जावो ! जावो ! जु बि चेतना -ऊतना फैलाणै तुम अफिक फैलाओ ।
हम अति वरिष्ठ नागरिक जु हमर बिल्डिंगौ प्रेजिडेंट छन , वूं मा गेवां। वूं तैं सब बात समझाई।
प्रेजिडेंट - भै मि त ये काम तैं कर नि सकुद।  हाँ मि चौकीदार तैं अदा -एक घंटा कुण तुमर दगड़ भेजी द्युंदू।
हम कैशियर म गेवां अर वु बि वरिष्ठ नागरिक ही छन।
कैशियर - तुमम  अकल  नाम की क्वी चीज च कि ना ? अरे बिल्डिंग का इन काम सेक्रटरी , प्रेजिडेंट अर कार्यकारिणी का सदस्य करदन।  कैशियर को काम सफाई करवाणो थुका च।  बिल्डिंग का बाई लॉज तो पढ़ा कारो।
खुशाल जी अर हम समिज गेवां कि हमी तैं घौर -घौर जैक सफाई अभियान का अलख जगाण पोड़ल। अर हम एकैक कौरिक चालीस फ्लैटों मा गेवां।
एक सदस्य - ये भीषम ! तू त बुल्दु छौ की तू कैं बि पार्टी मा नि छे तो फिर झाड़ू , अर कचरा थैला लेक फिरणु छे ? भाजपा मा भर्ती ह्वे गे क्या ?
 खुशाल सिंग - साफ़ रौण , स्वछ रौण , चैन से रौणम क्यांक भाजपा अर क्यांक कॉंग्रेस ?
सदस्य - अरे मि तैं तुम बेवकूफ समजदवां क्या ? मि नि जाणदु बल महारष्ट्र विधान सभा क चुनाव समिण छन।  मतबल तुम भाजपा का एजेंट ह्वे गेवां।  ओ चुनाव मा कंळदार तुम कमैल्या ,   बैंक बैलेंस तुमर बढ़ल  अर बिल्डिंगौ सालों जमा कूड़ा, कड़कट , कचरा हम सदस्य साफ़ करला हैं ? जावो इख बिटेन।  हौर  लोग ऐ जाल तुमर भकलौण मा , बहकावा मा किन्तु मीन  कैबि पार्टी कुण काम नि करण चाहे उ म्यार अपण  इ पूठ पुंजणो काम किलै नि ह्वावो धौं !
एक जनानी - मि त सफाई मामला मा क्वी कम्प्रोमाइज नि करद हाँ !अपर भितरौ एक एक टींड बि मि त कचरा वळि तैं दींदु।  इन लगणु च  आज कचरा साफ करण वळि  नि आणि वाळ च ? भलो ह्वे तुम ऐ गेवां  निथर मि तैं कचरा फिंकणो  तौळ बिल्डिंगौ पैथर जाण पोड़ण छौ।  ल्या म्यार कचरा थैला तौळ डाळि देन।  भलो ह्वे जु बिल्डिंग पैथर हमर जगा च।  निथर इन समय पर हौर बिल्डिंग वळु  तरां हमतैं दूर जाण पड़न छौ या द्वी तीन दिन कचरा अपरी ड्यार धरण पड़न छौ। म्यार पपू का बुबाजी बड़ा सफाई पसंद छन।  जरा बि अपर ड्यार कचरा दिख्यावु ना तो वूं  तैं बड़ो क्रोध आई जांद जांद।  अर सूणो ! बिल्डिंगों पैथर बहुत कूड़ा ह्वे गे।  भौत  गंद आंद।  उनाक   बारा मा सुचदि उलटी आण लग जांदन।
मि - हाँ पर , वा जगा कचरा फिंकणो बान थुका च।  वा जगा तो बगीचा बान छे।
वा जनानी - बकि वा जगा बगीचा बान छे ! अरे जब सफाई वळि  कचरा उठाणो नि आदि त हमन कचरा कख फिंकण।  ड्यारम  कचरा जमा थोड़ा करे जांद ?
एक अन्य सदस्य - हूँ तो तुम नरेंद्र मोदी का बांदर छंवां ? जरा अपण हनुमान तैं त पूछो कि अल्लुक  भाव कम किलै नि हूणा छन ? बड़ो अयाँ छन सफाई वळा !  जावो पैल वै मोदी से मंहगाई कम करवाओ तब सफै करणो आवो।  मीन तुम तैं एक मुट्ठ बि कचरा नि दीण।  म्यार इक कचरा  थुपड़ा  लग जैन  तब बि मीन नरेंद्र मोदीक नि सुणन।
मि - भैजि ! हम कचरा उठाणो नि अयाँ छंवां।  हम त जनचेतना बाबत अयाँ छंवां।     
वु सदस्य - जावो जावो ! नरेंद्र मोदीक कै बि काम मा मीन शामिल नि हूण।
हैंकि जनानी डी  - यु भलो ह्वे जु तुमन अब बिल्डिन्गौ सफाई का जिम्मेबारी लिआल।  स्यु बुड्या सेक्रेटरी त मेरी सुणद इ नी च।  मि बड़ो धार्मिक छौं।   रोज मि कवौं तैं खलाणो बान घी -रुटि  टुकड़ा अपण खिड़की मा धरदु अर कव्वा हि ह्वाइ कुछ टुकड़ा तौळ क मौकी बालकोनी मा  पड़
 जांदन।  एक साल बिटेन हम सेक्रटरी कुण बोलि बोलिक थकी गेवां पर मजाल च कि सेक्रेटरी क कान माँ  जूं बि रींगन धौं।  अबि तक बालकोनी साफ़ नि  ह्वे।  मुंबई मा रौणो बाद बि हमर सेक्रेटरी सफाई का महत्व ही नि  समजद त इन सेक्रेटरीक अचार डालण ?  हम त यीं गंधन मरि गेवां। अब दूरौ रिस्तेदार बि च त सेक्रेटरी दगड झगड़ा बि नि कौर सकदां।  अब तुम दुयुंन सफाईक जुम्मेदारी लियाल त आजी वीं बालकोनी साफ़ करै द्यावो।  खिड़की खुल्दी भभकाण आदि।
इनि चालीस फ्लैटों मा लोग  सबी बिल्डिंगै गंदगी से परेशान छया अर रुणा छा कि बिल्डिंग वाळ कुछ नि करणा  छन।
 आज सुबेर बिटेन लोगुं फोन आण लग गेन। जन कि -
एक फोन - यी क्या भै म्यार ड्वारक समिण कचरा हूणु च अर तुम घौरम सियां छंवां ? जल्दी कचरा साफ़ करावो।
जनानी डी - हैं मीन त  समज कि तू  सेक्रेटरी तरां अणबुल्या नि  ह्वेली पर तू बि उनि छे अबि तक हमर तौळ वाळक बालकोनी साफ़ नि ह्वे।  कब तलक हम यीं  दुर्गन्ध सुंगला ? आज वा बालकोनी साफ़ हूण  चयेंद हाँ !
नरेंद्र मोदी विरोधी - तुम भाजपा वळा  क्या बुन्या क्या कन्या वाळ छंवां।  आज बि  बिल्डिंग मा उनि गंदगी च।
सेक्रेटरी - हे भै ! जब तुमसे जुम्मेबारी नि निभाये जांद त किलै फुन्द्यानाथ बणदा ? सुबेर बिटेन सबि लोगुं फोन ऐन कि बिल्डिंगौ सफै दिखण तुमर बसौ बात नी च।
प्रेजिडेंटक फोन आई - तुम नई जनरेसन वाळ क्वै बि जुम्मेबारी तैं  गंभीरता से नि लींदा।  सफाई एक गंभीर विषय च तो ए काम तैं सीरियसली ल्यावो अर वीं सफाई कर्मचारी तैं  जोर से डाँटो अर बिल्डिंगै सफै  इम्प्रूव कारो।  अर सूणो चूँकि तुमन यु काम अफिक ले तो  बिल्डिंग से बजट की उम्मीद नि कर्याँ हाँ !



Copyright@  Bhishma Kukreti   3 / 10 / 2014     
*लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ , चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

 
Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language, Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language; Garhwali Humor in Garhwali Language from Pauri Garhwal; Himalayan Satire in Garhwali Language from Rudraprayag Garhwal; Uttarakhandi Wit in Garhwali Language from Chamoli Garhwal; North Indian Spoof in Garhwali Language from Tehri Garhwal; , Regional Language Lampoon in Garhwali Language from Uttarkashi Garhwal; Ridicule in Garhwali Language from Bhabhar Garhwal; Mockery  in Garhwali Language from Lansdowne Garhwal; Hilarity in Garhwali Language from Kotdwara Garhwal; Cheerfulness in Garhwali Language from Haridwar;
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