Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1120434 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                     गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -43

                                गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 43



                                   Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -43                     

                                              भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

   

                                   महाराज प्रदीप शाह    (रा.का. 1717 -1772    )   

 

प्रदीप शाह क राज मा बि भौत सा उंच नीच होई . प्रदीप शाह बीर, चतुर, मयल़ू प्रकृति को मनिख थौ . माफ़ करण  वैकी आदत छे

मोरद  दें वै पर लकवा ह्व़े गे छौ

प्रदीप शाह को दरबारी :

बजीर : रंगी  बिष्ट , गंभीर सिंह भंडारी

सभा कवि : मेघाकर शाश्त्री बहुगुणा न संस्कृत काव्य  रामयण प्रदीप की रचना करी .

दीवान : रघुपति

वकील: श्रीबंधू मिश्र, लक्ष्मीधर, धरणीधर ,

दफ्तरी : सारंगधर खंडूड़ी , शंकर डोभाल

फौन्दार : श्रीविलास, सुरजा, खरक्याण , भीमसिंह बर्त्वाल ,खड्ग सिंह कठेत, सादर सिंह कठैत   

सभासद : पुरिया नैथाणी , भुजबल सिंह

सेनापति : गुलेर (कांगडा ) का प्रवासी नर पति सिंग गुलेरिया

दा डबराल न प्रदीप शाह को राज की छार घटनाओं तैं टक्क लगैक बताई

१- राणी राज जब प्रदीप शाह की ब्व़े राज करदी छे

२- युवा राज

३- कुमाऊं से सम्बन्ध

४- भाभर अर दून पर रोहिलाओं को अधिकार

                राणी राज

प्रद्देप शाह जब छ्वटु छयो त वैकी ब्व़े राज काज सम्बाळदि छे

राज मा राजपूत दल अर खशिया पाळयूँ मा  रोज खैंचा ताणी रौंदी छे

राजपूत सेना वल़ा भैर देसी खासकर हिमाचली छया अर खसिया गढवाळ का

ही ( बामण जजमान द्वीई )था पण जरा जट्ट क़िस्म क था जौं तैं उद्दंड प्रजा नाम दिए गे

पैल का रज्जा दुई जात्युं का बीच संन्तुलन रखदा छया . पण राणी ये काम तैं ठीक से

नी सम्बाळी सौक अर दरबार मा कथगा इ जुंटा बौ नी गेन

                        पंच भैया कटोच

 राणी क बगत गढ़वा ळ का दरबार मा पांच भै कटोच बड़ा काम का

पदों पर छ्या .यूंक नाम छौ :

भगवत सिंह

आलम सिंह

महीपत सिंह

दयाल सिंह

कमल सिंह

हरी सिंह कटोच : मेदनी शाह को टैम पर यूँ पंच भय्यों क बुबा हरि सिंह

कटोच  कांगड़ा बिटेन श्रीनगर राज दरबार मा कै

खास पद पर लगी गे छौ . हरि सिंह तैं थोक्दारी अर जागीर मिलीं छे

चूँकि राणी बि कांगड़ा कि कटोच छे त वा यूँ पर जादा भर्वस करदी छे

इन बुले जांद बल य़ी पंचभया बड़ा करुड (क्रूर ) छ्या 

यूँ मा अर गढवाळी (जौ तैं खश बोले जांद ) दरबार्युं  मा रोज की

खैंचा ताणी इतियास प्रसिद्ध च

यूँ पंच भाय्यों न जनता पर  य़ी नै दंड या रजौ- ड्डवार  (कर ) लगै छौ

स्यून्दी  सुप्प: जै परिवार मा जथगा स्यून्द (जनान्यूँ मांग )  तथगा सुप्प ड्डवार

राजकोष मा दी न पोडद छे

चुल्लू सुप्प : ज्थ्गा चुल्लू तथगा रज्जौ ड्डवार  (कर)

आमदनी सुप्प : आमदनी को हिसाब से रज्जौ ड्डवार (राजकीय कर )

                      पंच भय्या कटोचूं हत्या
 पंचभय्या  कटोच अत्या चारि इ णा यूँ दरबार मा बि सत्ता अपण कब्जा मा

कौरी ल़े छे . पुरिया नैथाणी , शंकर डोभाल जना दरबार्युं न सक्कड़  (गुप्त मन्त्रणा )

कौरी अर कटोच भाईयों तैं मार्णो कटोचूं  घर की घेरा बंदी करी . पंच भय्या 

भागे गेन अर प्रजादल का लोकुन भट्टी सेर का अगने यूँ सबबी भायुं तै मारी दिने (1726  ई.)

उख एक चबूतरा च जैको नाम 'पंच भय्या कटोचुं मांडा' अज्युं तक च

            पंच भय्यों कटोचुं  टैम की ऐतियासिक घटना

  कुमाऊं को आक्रमण : ये टैम पर कुमाऊं का गढवाळ पर आक्रमण मुख्य  घटना च

अर इख्मा कुमाऊं रज्जा जादा सफल णे होई

गढवाळ की सेना न बि कुमाऊं पर आक्रमण करी

खड़यंत्री पूरण मल गैंडा बिष्ट : कुमाऊं का एक राज्याधिकारी पूरण मल गैंडा बिष्ट

न अपण कुमौं रज्जा तैं धोका दे की पाँच भाय्यों की सहायता करे अर कबि यू

पूरण मल गैंडा बिष्ट गढवाल को थौ अर वैन कुमाऊं रज्जा की सहायता कॉरी छे

                  पंच भय्या कठैतऊँ    कठैतगर्दी 

 पंच भय्यों कटोचुं मोरणो परांत दरबार मा द्वी पाळी (दल ) ह्व़े गे छा

एक पाळी को मुखिया बजीर गजे सिंह भंडारी अर शंकर डोभाल छ्या जौं तैं

पुरिया नैथाणी, भागु सौन्ठियाल को सौ सौकार छौ

 सादर  सिंह कठैत, सादर सिंह को लौड़ खड्ग सिंह कठैत, फौंद दार छया अर कठोर छ्या

यूँ शंकर डोभाल, , बजीर गजे  सिंह भंडारी , अर भागु सोंठियाल के हत्या करवाई

जब कठैत भयात छ्वटु आयु वल़ू   राजकुमार की हत्या करण  वाळ छ्या त

पुरिया नैथाणी राजकुमार प्रदीप शाह तैं अपण गौं नैथाणा ल्हें गेन अर उख वैकी

परवरिश कॉरी

कठैतऊँ न प्रजा पर कटोचुं से जादा अत्याछार कौरिन अर कुछ ण्या कर लगैन जन की :

हड्ड सेर ( कर)  : जो मुर्दा तैं जल़ाण पर लिए जांद छौ

हौळ सेर (कर ): हरेक बल्दुं जोड़ी पर कर

गज सेर (कर) : कूड की लम्बे  हिसाब से कर

सौणी सेर (कर) : हरेक दुधाळ भैंसी  पर कर

           एक पावड़ा को सार

   डा शिव  प्रसाद डबराल न एक लोक गीत को अनुवाद इन कौर 

 "' स्युंदी  सुप्प' कर चुकाने के लिए कई भाईओं णे एक ही पत्नी से निर्वाह शुरू कर दिया

'हौळ सेर' कर चुकाने हेतु परिवार  एक ही हल और एक ही जोड़ी बैल रखने लगे

'चुल्लू सुप्पी' कर से बचने के लिए परिवार अलग ही नही होते थे

'सौणी सेर' कर से बचने के लिए ग्रामीण एक ही भैंस से काम चलाने लगे "

             

कठैत भय्युं  हत्या : कठैत भय्युं  हत्या बजीर मदन सिंह भंडारी अर भीम सिंह बर्त्वाळ के सेनाओं न

भगैक दशौली ज़िना करी 

नित्यनन्द खंडूरी क कारनामा : शंकर डोभाल की हत्या क बाड़ नित्य नन्द खंडूरी मंत्री बौण अर वैन

जु बि शंकर डोभाल की व्यवस्था छे वां मा बदलाऊ करी दे जां से कथगा ही प्रजा  हितकारी काम बंद ह्व़े गेन

 मतबल या च बल राणी राज मा अंधेर नगरी चौपट  राजा वल़ू हिसाब छौ . परवाण गिरी (नेतृत्व )

खतम ही छौ.

            प्रदीप शाह को युवा राज याने चकणो चक्कर  मा रज्जा

 प्रदीप शाह न जब राज सम्बाळ त हुस्यारी से अपण काम करी. इन बुले जांद बल कामकाज मा

पैथर बिटेन पुरिया नैथाणी को पुरो हाथ रौंद छयो अर ना त प्रदीप शाह अर णा ही पुरिया

नैथाणी सुद्दी मुद्दिक हस्तक्षेप करदा छया बस जब ज्रोरात होऊ त हस्तक्षेप करदा छ्या

चन्द्र मणि  डंगवाल :   पुराण लिख्वारून न (इतियासकार) मंत्री चन्द्र मणि की बड़ी बडे करी.

ये बगत कुछ पुराणा सुप्पों/सेरों (कर ) तैं या त बंद   करे गे या सुप्प/सेर (कर ) कम करे गेन

दून मा मातबरी : प्रदीप शाह को राजकाज से दून मा मातबरी (समृधी)  आई अर एक

मुसलमान सरदार सहारनपुर मा दिल्ली का बादशाह को फौंद दार नजीब्दुल्ला  तैं या मतबारी नागँवार लग वैन

दून उपत्यका तैं छीनी

चकनों का चक्कर  मा : प्रदीप शाह राज काज मा त ठीक ही छौ पर कुस्न्गत्युं असर मा औण

से जुवारी, रांडबाज  ह्व़े गे थौ . दूसरों कज्याणयूँ पर नजर डाळण बिसे गे छौ. चकनौं राज बि ह्व़े

कुमाऊं से ठीक सम्बन्ध : १७३१- १७३९ का करीब दुई राजाऊं सम्बन्ध ठीक ठाक ही रैन 

रोहिलों कुमाऊं पर आक्रमण: रोहिलों न १७४२ मा कुमाऊं पर आक्रमण करी अर कुमाऊं पर अधिकार करी .

प्रदीप शाह न कुमौं रज्जा तैं शरण दे

गढवाळी सेना को रोहिलों दगड लड़ाई  : कुमाऊं तैं सहायता दीनो बान गढ़वाल रज्जा न रोहिलों से लड़ाई लौड़

सेनानायक शीशराम सकलानी : शीश राम सकलानी न रोहिला-ग्ध्वाले जुद्ध मा बड़ा पराक्रम दिखें जौंका

लोक गीत अबी बि सुणणो मिल्दन

जुद्ध मा जीत अर फिर हार; पैल पैल त गढवाली सेना तैं द्वार हाट . दूणागिरी मा सफलता मील पर पैथर

कैंडारो   मा हार मील , रोहिलों न गढवाल मा बि लूटपाट करी  अर फिर कुमाऊं रज्जा तैं रोहिलों दगड संधि करण पोड़

संधि को हिसाब से अगने गढवाली रज्जा कुमौं नरेश की क्वी मौ मदद नि कॉरी सकदो छौ

प्रदीप शाह को कुमाऊं पर आक्रमण : काशीपुर कुमाऊं को एक हाकिम हरि राम जोशी/जयकृष्ण जोशी छौ जै तैं

कुमौं को महामंत्री अर कुमाऊं को राजकुमार दीप चन्द को  स्र्नर्क्ष्क शिव दत्त जोशी न हाकिमी से निकाळी दे थौ

हरिराम जोशी यां se शिव दत्त जोशी पर से खफा छौ अर वैन शिव दत्त जोही से बदला ल़ीणो बान  गढवाळओ

 रज्जा प्रदीप शाह तैं भक्लाई. प्रदीप शाह भकलौणी मा ऐ गे अर वैन कुमौं पर अधिकार करी पण

कुमौं के प्रजा अर अधिकार्युं न प्रदीप शाह तैं रज्जा नि मानी . इना  गढवाळ का कुछ मंत्रियुं न बि अपण रज्जा

तैं धोका देई . लड़ाई मा दुई यूँ नुकसान  ह्वेई . फिर दुई राजाओं मा संधि ह्वेई

रोहिलों भाभर अर दून पर अधिकार : रोहिलों न ये भूभाग पर अधिकार करी

रोहिलों सल़ाण पर छापे: रोहिल्लों न सल़ाण पर बि छापा मारिन पण सल़ाणियूँ न  रोहिलों तैं भगाई दिनी

सिखों छापा : दून प्रदेश पर सिखों क छपा बि पड़दा छ्या.

 

             

References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
 
History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

बकै अगने खंड 44 मा बाँचो ...

To be continued part 44   

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
              गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -44


                    गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 44



                              Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -44                     

                         भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

 

               महाराज ललित शाह  (1772 -1780 ई. )
  ललित शाह को राजगद्दी मा बैठण अर मोरण तिथियुं मा बि घंघतोळ च .

मौलाराम को अनुसार लाल्ट शाह क दूसरों राज लुठणो लालच न गढवाळ राज्य विणासऔ पौ  (आधार शिला ) धार

लाल्ट शाह न सिरमौर रज्जा की सक्यात (तागत) को तैं अंथाज्याँ  (अनुमान ) 

बगैर सिरमौर पर आक्रमण करी अर सेना तै हार दिखण पोड़. . कुमौं पर अधिकार की ल्ह़ाळसा से वैको धन अर पराणु नाश ह्व़े

ललित शाह को नौनु जैकृत शाह तैं गढ़वाळ बिटेन भजण पोड़ . एक नौनु प्रदयुम्न न वैको राज छीनी .
 
 ललित  शाह का द्वी नौनु प्रदयुम्न अर पराक्रम शाह को आपसी झगडा से गुर्ख्याणी  राज को बाटो साफ़ ह्व़े

                ललित शाह का दरबारी 

गुरु : कमला पति  नौटियाल , गुण नाथ ओझा

बजीर; सुलतान सिंह सजवाण, जयदेव सिंह डंगवाळ 

दफ्तरी : प्रेम पति खनूड़ी . शिव देव, चन्द्र मणि

देवान : प्रबल सिंह खत्री , जै सिंह भंडारी

बक्शी : सुकेत्या 

लेखवार : धीरजमणि पैन्यूली , श्रीचंद डोभाल

दानाध्यक्ष : भूदेव पंत

टकसाली : मौला राम

गोलदार ; मियाँ धन्नू गद्दी

सभासद : क्रष्ण नन्द जोशी, गोत्र नन्द , महंत मायाराम, केदार सिंह गुलेरिया, घमंड सिंह, बिजराम नेगीसोबन सिंह बागड़ी नेगी

     ललित शाहऐ  राणी ,  राजकुमार अर राजकुमारी

जसरोटिया ज्यू : अजमत्देव की बेटियाँ -२

डोटियाल ज्यू :  राजकुमार प्रदयुम्न अर पराक्रम की ब्व़े

कैठल़ी  ज्यू : जैकीर्ती शाह की ब्व़े

कुमाणी ज्यू ; क्फ्ल्ड क कुमाई भैचंद की नौनी अर प्रीतम शाहऐ ब्व़े

राजकुमारी ज्यू : राजकुमारी ज्यू को ब्यो देहरादून को थोकदार (जमीदर ) गुलाब सिंह पुंडीर को दगड ह्व़े

          ललित शाहे बगत गढवाळ मा उठा पोड़ (उठा पटक )

बदरीनाथ मा रावलूं पुजारी बणन : ललित शाह को बगत पर ही बद्रीनाथ मंदिर मा रावलूं तै पुजारी

 बणये गे छौ. पैलि रावल ज्यू का नम गोपाल ज्यू थौ

डिम्मर का डिमरी : गोपाल ज्यू का नम्बुरी भै बन्धुं तैं डिम्मर गाँव दिए गे थौ अर ऊ दिम्मारी जात का ह्व़े गेन

दून मा व्यवस्था : दून क्षेत्र पर प्रद्देप शाह क टैम पर फिर से गढवाल को अधिकार ह्व़े गे छौ .

ललित शाह को टैम पर ही  दून की राजधानी नवादा से डेरा का पास खुड बुड़ा मुहल्ला मा लये गे

जां से दून व्यवस्था मा गुरु दरबार को असर साफ़ दिखेण बिसे गे

दखणी भाभर पर शुजाउद्दौल़ा को अधिकार : दखणी भाभर का मोरध्वज, चंदनपुर अर मोटा ढंग पर

दून पर जाबितखां को असफल आक्रमण ह्व़े

दून पर सिखूँ आक्रमण हुंदा ही रैन

Sirmaur  पर lalit  शाह को आक्रमण : ललित  शाह न अपण राजकुमारूं  खुणी नयो राज्य को चक्कर मा

सिरमौर देश पर आक्रमण करी अर पराजय झेली

           कुमाऊं अभियान

  कुमौं का राज्य दरबारी जोशियों की भकलौणी अर लालच मा ऐकी lalit  शाह न अपण नौनु

प्रद्याम्नु शाह तैं श्रीनगर मा ही कुमाऊं को राजा घोषित करी दे अर जोशियों तैं लाखो रूप्या देनी

पैथर चालाक हर्ष देव जोशी न दुलड़ी शिविर मा  बड़ी बेज्जती कार अर वखी  दुलेडी शिविर मा ललित  शाह को इंतकाल ह्व़े

ललित  शाह धन से बे गे अर मान से बि गे

जगदेव बहुगुणा : मेघाकर शाश्त्री को भुला बि संस्कृत को विद्वान् छौ , कवि छौ अर ज्योतिषी बि छौ

पोखरी मा पुस्तकालय : द्वी बहुगुणा भायुं न अपण गाँव पोखड़ा मा एक बड़ो पुस्तकालय खोली छौ

जख मा हथा लिख्या कथगा ही ग्रन्थ छया .

पण जोशियाणी  का बगत कुमाऊं का पंडित  सौब ग्रंथुं तैं कुमाऊं ल़ी गेन

 


References;


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
 
History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

बकै अगने खंड 45 मा बाँचो ...
 
To be continued part 45   

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

            गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -45
                           
                          गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 45

                           Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -45                     

                             भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )
 
                        महाराज जैकीर्ति शाह (1780-1785 AD )
         

उन त ये रज्जा का नामै अगने जै अर पैथर कीर्ति छयो पण ये तैं दुयूं मादे कुछ बि नि मील

ललित  शाह को गुजरणो बगत फर पराक्रम शाह अर प्रदयुम्न शाह छ्वाता छया त जै कीर्ति शाह

गढवाळऔ रज्जा बौण

                      जै कीर्ति शाह क  दरबारी

तीन राणी : कठयाण जी , हतनावर जी , अस्वाळ जी

बजीर : जयदेव मिंयाँ , मोहन सिंह रावत

मुख्त्यार ; नित्या  नन्द खंडूड़ी , कृपाराम डोभाल

दफ्तरी : अजब्राम नेगी, वासबानंद , हरिदत्त खंडूड़ी , श्याम सिंह

बक्शी : देवी दत्त डोभाल

देवान : भवानंद , श्रीविलास नौटियाल, घमंड सिंह, धनीराम डोभाल

लेखवार : दिवाकर, सर्पा नन्द पैन्युली

                       फौंद दार
नित्या नन्द खंडूड़ी का पतन का बाद कृपाराम डोभाल सल़ाण का फौंद दार बि अफु बौ णि गे

रंवायीं का गजे सिंह बागड़ी

दून का -हरि सिंह अर उम्मेद सिंह

सलाण का - रामा खंडूड़ी , उछब सिंह खत्री , नित्या नन्द खंडूड़ी

ज्युलू : मुन्ना द्युलू

नेगी : उछव सिंह, सोहन सिंह, दीवान सिंह

गोलदार : विजय राम, मिंयाँ धन्नू गद्दी , बलिया

प्रेम पति खंडूड़ी: जब ललित शाह न प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम तैं कुमाऊं भेजी छौ त प्रेम पति खंडूड़ी दुयुंका  अभिभावक छौ 

धनी राम डोभाल: कृपा राम को नौनु बि राज दरबारी छौ

नित्या नन्द खं डू ड़ी का पतन का बाद महल का रक्षा बहार कृपा राम डोभाल न अपण रिश्तेदार भवानंद नौटियाल तैं दिने 

नित्या नन्द खंडूड़ी को खड़यंत्र अर नित्या नन्द को आँख फुटण   : जै कीर्ती शाह  कृपाराम डोभाल पर जादा भर्वस करदो छौ

अर डोभाल तैं मुख्त्यार बणे दे

नित्यानंद खंडूड़ी प्रक्रम तैं श्रीनगर को अर पद्य्मन तैं कुमाऊं का राजा बणान चांदो छौ अर वैन ख्द्यन्त्र कौरिक कुमौं को

मंत्री  जया नन्द जोशी तैं अपण तरफ करी अर जया नन्द तैं श्रीनगर बुलाई

रज्जा की मर्जी से कृपाराम डोभाल न खंडूड़ी का खास लोकुन तैं दरबार से अलग कार , खंडूड़ी तैं  , जण बच्चा  सैत परवार  तैं

बंदी बणेक बनड़  गढ़ को जेल मा बण्ड करी दे अर पैथर वैका आंका फोड़ी दिने . नित्यानंद की जायजाद जब्त करे गे

कुमौं मंत्री जयानंद को श्रीनगर औण : येई टैम पर कुमाऊं को मंत्री जयानंद जोशी श्रीनगर ऐं . जयानंद जोशी न अपण बूड खुडून तरां

 भमकी दे पण कृपाराम डोभाल न कुछ नि सुणी अर जया नन्द तैं खाली हथ वापस बौडे भेजी .

जांद दें दगड मा राजकुमार  प्रदयुम्न शाह बि कुमाऊं गे

                             कृपाराम की डोभालगिरी
नित्यानंद को पतन परांत कृपाराम अधिनायक जन ह्व़े गे, ख़ास जगाओं पर अपण आदिम लगै देन यां से  अर दुसर मंत्री,

राज दरबारी, राजकाज का चाकर रूसे  गेन

                              नेगीयुं खड़यंत्र अर कृपाराम डोभाल की हत्या

 कृपाराम की अधिनायकबाजी से राजदरबार का उच्छव सिंह नेगी, सोबन सिंह नेगी , दीवान सिंह खत्री न दून का

फौंद दार घमंड सिंह मियाँ अर वैको भै  केदार सिंह तैं अपण तरफ मिलैक एक खड़ यंत्र रची, सक्कड़ (गुप्त मंत्रणा ) करी .

सक्कड़ का तहत घमंड सिंह अर दून का हरि सिंह सेना समेट श्रीनगर ऐं अर बीच राजसभा मा

जै कृत शाह का सामणि ही कृपा राम डोभाल की हत्या करी दे

घमंड सिंह मियाँ न कृपा राम डोभाल का खास अर सम्बंधीयुं तैं जेल मा डाळी दे  अर अफिक मुख्त्यार बौणि गे

राजा कमजोर ह्व़े गे

                 घमंड सिंह की घमंड गिरी अर फिर पतन

घमंड सिंह न कृपाराम से बि बिंडी मनमानी करी अर फिर राजदरबारी वै से बि तंग ऐ गेन

  विजय राम,  अजबराम नेगी, धन्नू गद्दी , उपनायक लछमन, बलिया, केवल गद्दी  गोलदारून

घमंड सिंह की हत्या क बान सक्कड़  करी. य़ी सब्बी कुछ दिनी श्रीनगर से भैर गेन अर फिर यूँ छ्युं न  श्रीनगर पर आक्रमण करी .

घमंड सिंह मियाँ अपण जाण बचाणो मध्य देस भाजे गे अर इन्नी केदार सिंह बि भागी गे

फिर सब ठीक ठाक ह्व़े अर जु जन छ्या वो अपण पड पर आई गेन

उम्मेद सिंग तैं दून को फौंद दार बणये गे .

            सिखों आक्रमण अर सिखुं तैं रखड़ी

सिख भाभर दून मा लूट करदा छया . फिर यूँ सिखुं ण रखडी कर ल़ीण  शुरू कौर

               अजबराम को खड़यंत्र

गोलदार अजब सिंह बि घमंड सिंह का तरां घमंडी हों बिसे गे अर वैन राजा से कुछ अनावश्यक मांग धर ण शुरू करी देन

फिर गोलदारून सक्कड़ करी  कि श्रीनगर राज्य तैं हड़पे जाओ. जांके भणक हौरी राज्दर्बार्युं तै पड़ी गे

मौलाराम  (कवि , मंत्री, टकसाली, चित्रकार) की हिकमत अर चालाकी से कुछ गोलदार रज्जा दगड ह्व़े गेन अर फिर

यां से अजब राम, विजय राम, धन्नू गद्दे अपण सेना लेकी कुमाऊं भाजी  गेन

सोवन सिंह, उच्छव सिंह अर दीवान सिंग तैं रज्जा जै कीर्ति शाह न मरवाई दिनी

 ये दौरान घमंड सिंह का पतन का बाद भवा नन्द नौटियाल अर श्रीविलास नौटियाल तैं जेल से भैर कौरिक

रज्जा न फिर से राज दरबारी बणे पण यूँ पर बि घमंड को रोग शुरू ह्व़े गे

अर पैथर रज्जा न यूँ तै श्रीनगर से भैर करी दे

            अजब राम अर घमंड सिंह को दुबर श्रीनगर  आण

 अजब राम अर घमंड सिंह कुमाऊं से दुबर श्रीनगर ऐं अर अब की दें उन तैं क्वी रोकी नि सकीन

अजब राम अर घमंड सिंह ण राजा जै कीर्ति शाह तैं घर बंदी बणे दे  अब राजा की कुछ चलदी ही नि छे

       प्रदयुम्न अर पराक्रम तैं श्रीनार पर धावा बोलणो न्यूत
 
अजब राम अर घमंड सिंह न कुमाऊं मा राज पाठ दिखण वाळ प्रदयुम्न अर पराक्रम शाह तैं न्यूत भ्याज

बल श्रीनगर मा जाय कीर्ति शाह तैं राज्य से बेदखल करण अर याँ से प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह द्वी भै

अप ण भैजी पर आक्रमण का वास्ता सेना लेकी श्री नगर का तर्फां  आण बिसेन

        मौलाराम की होशियारी से सिरमौर बिटेन जगत प्रकाश के सेना को आण

 मौलाराम की होशियारी से सिरमौर क रज्जा जगत प्रकाश तैं मौ मदद का बान श्रीनगर बुलाई दे

जगत प्रकाश की सेना से पैलि ही प्रदयुम्न शाह अर पराक्रम शाह की कुमाउनी सेना न श्रीनगर घेरी दे छौ

पण जगत प्रकाश की सेना न विजय राम अर घमंड सिंह तैं    मारी अर पराक्रम प्रदयुम्न की सेना तैं हरै दे

अजब राम कुमाऊं भाजे गे

जगत प्रकाश न जै कीर्ति शाह तैं कुमाऊं पर आक्रमण की राय दे पण राजा अर हौरी लोग तैयार नि ह्वेन

जगत प्रकाश तैं दून की जागीर दिए गे अर सवा  लाखेक रूप्या बि दिए गेन

                   जोश्याणी  (जोश्युं अत्याचार  )

 देवलगढ़ की लूट : जै कीर्ति शाह जब अपण कुलदेवी राज राजेह्स्व्री कि पूजा बान देवलगढ़ आई

त जोश्युं बुलण पर प्रदयुम्न शाह न जै कीर्ति शाह पर आक्रमण करी दे . जै कीर्ति का पास

सेना भौत कम छे त जै कीर्ति शाह तैं भगण पोड़  अर कुमाउनी सेना ण देवल गढ़ मा लूट मचाई

पुस्तकालय की लूट : कुमौं का पंडित बि सेना का दगड अयाँ छ्या उन पोखरी क पुस्तकालय की लूट करी
 
अर सौब किताब ल्ही गेन

इना  प्रदयुम्न शाह श्रीनगर मा राज करने व्यवस्था मा लग्युं छौ उना पराक्रम कुमौं मा छौ

जै कीर्ति शाह को दुबर श्रीनगर पर अधिकार : जब कुमाऊं को रज्जा श्रीनगर से प्रदयुम्न शाह कुमौं बौड़ त

जै कीर्ति शाह न दुबर श्रीनगर पर अधिकार करी.

धनीराम को उत्पात :मंत्री  धनीराम डोभाल बल्द कृपाराम डोभाल बि घमंडी ह्व़े गे छौ अर उनां अजबराम को खड़यंत्र त चलणा

रौंद था. एक दें धनीराम ण रज्जा तैं रुप्यौं बान धौंस दे अर फिर रज्जा तैं अपण धन धनीराम तैं दीण पोड़

रज्जा खिन्न ह्वेका देव प्रयाग चली गे अर उख वैकी मृत्यु ह्व़े राणी satee ह्वेन

राणयूँ  सराप : चार राणी जु जै कीर्ति शाह क शब् का साथ sati hwe  छया ऊन प्रदयुम्न शाह, पराक्रम शाह

, राज दरबार्युं तैं सराप दे बल जन कुगति हमारी ह्व़े तनने तुमारी बि ह्वेन

रज्जा का मोरणो बाद श्रीनगर, देव प्रयाग सबि जगा राजा क धन , जेवरात स्ब्युं की लूट खसोट ह्व़े .

 जै कीर्ति शाह सहभागिता तैं जरोर माणदो छौ पण वैका भाई, राज दरबारी सद्यानी ख़ड़यंत्रों मा

लग्यां रैन. जै कीर्ति शाह असल मा राज करणों मा भौत ही संत थौ जां से गढवाळ अर कुमाऊं को बिणास ह्व़े

 जै कीर्ति शाह एक असफल डिप्लोमेट शाबित ह्व़े   

 



References:

 


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun)

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

बकै अगने खंड 46 मा बाँचो ...

To be continued part 46 

 

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
            गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -46


                    गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 46



                     Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -46                     

                              भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )

                 

                 महाराज प्रदयुम्न शाह : संयुक्त गढवाळ को आख़री रज्जा (1785 -1804  ई. )

               महाराज प्रदयुम्न शाह संयुक्त गढवाळ को  आख़री रज्जा छौ .वैको समौ मा गुर्ख्यौं न गढवाळ 

पर आक्रमण करी अर गढवाळ जीति. जै कीर्ति  शाह अर प्रदयुम्न शाह को राज सरा भारत वलुं 

खुणि  एक सीख च बल जै राज मा, जै परिवार मा पाळीबंदी/दल बंदी , जै संगठन मा स्वार्थी लोखुंक जमावड़ा

जख सबि अपणी स्वाचन अर संगठन को मूल का बारा मा नि स्वाचन त वै परिवार, संगठन, प्रदेश, देश

तैं गढ़वाळ -कुमाऊं जन घोर बिपदा/ बिप्पत्ति   दिखण पोडद. पाळी बंदी समौ मा भेमाता क बिप्दौं/ प्राकृतिक प्रकोपुं   

से बि नि बचे सक्यांद .प्रदयुम्न शाह होशियार मनिख छौ पण परिस्थिति वैका विरुद्ध ही रैन. जब वै तैं राज मील

त राजकोष खाली छौ

                          प्रदयुम्न शाह को दरबार   

राणी :

१- अजब सिंग गुलेरिया की बेटी गुलेरिया जी

२- कमल मियाँ की बेटी - रणोटी जी

३- सुदर्शन की ब्व़े - मंदरवाळ जी

नौनु : सुदर्शन शाह

गुरु : श्रीपति नौटियाल

बजीर : मोहन सिंग रावत, जै देव डंगवाळ , धौंकल सिंग बुगाणो

दफ्तरी : शिव देव, चन्द्र मणि, हरि दत्त खंडूड़ी (खनूडि),  कृष्णा नन्द खंडूडी, हर्षमणी,

बख्सी  : हमीर सिंग मिंयाँ

देवान: गजे सिंग, उर्बी दत्त, रामेश्वर, शीशराम सकन्याणी , मोहन सिंग रावत

गुरख्यौं लेखवार: धरणी खंडूडी

वकील: रामा खंडूडी

सभासद : कुंवर पराक्रम शाह , आनंद सिंग खत्री , धीरज मणि, दिवाकर, सर्पानंद पैन्युली ,

मंगला नन्द जोशी , उर्बी दत्त ओझा, देवी दत्त डोभाल

फतेबादारू को नेगी : अनूप सिंग

श्रीनगर को नेगी : दान सिंग

फत्यौ क नेगी- इन्दर सिंग

कुमौं का फौंददार :  जै देव पांडे

अजबराम को बध : अजब राम पराक्रम शाह तैं राज गद्दी मा बिठाण चाणू छौ पण

कुमाऊं को हर्ष देव जोशी प्रदयुम्न शाह तैं श्रीनगर को राजा बनौण  चाणू  छौ .

हर्षदेव जोशी न अजब राम की हत्या करवाई अर प्रदयुम्न शाह तैं गढ़वाळ  अर कुमाऊं

को रज्जा बणवै दे.

हर्ष देव जोशी को कुमाऊं भगण : इख श्रीनगर मा गढ़वाळी मंत्री /दरबारी हर्षदेव की चाल बिंगण/समजण  बिसे गे छया

.दरबार्युं न इन कौंळ  करी कि हर्ष देव जोशी तैं कुमाऊं भजण पोड़

                  कुमाऊं राज को प्रदयुम्न का ह्त्थुं से  जाण

इतियासकार बुल्दन बल उख कुमाऊं मा जोश्युं अत्याचार अर खड़ यंत्र पिला से बिंडी ह्व़े गे छया .

कुछ मंत्र्युं क सहायता, काशीपुर का दीवान कि मौ मदद से कुमौं का पूर्ब रज्जा मोहन चंद न कुमाऊं

पर आक्रमण करी दिने . इनी पराक्रम शाह बि मोहन चंद को दगड ह्व़े गे अर

वैन बि आक्रमण  मा मोहन चंद को साथ दे  . इन लगद दुयूं पैलि चिट्ठ्युं मा सक्कड़ -पक्कड  (गुप्त मन्त्रणा )

ह्व़े इ होली

मोहन चंद को आक्रमण तैं रुक णो बान प्रदयुम्न शाह श्रीनगर बिटेन सेना लेकी कुमाऊं तरफ गे

पाली गौं को जुद्ध : हार्स देव जोशी बि सेना लेकी पाली गौं आये अर प्रदयुम्न से मील.

हर्ष देव का भौत सा  कुमाउनी सैनिक मोहन चंद का पाळी ह्व़े गेन . पाली गौं को जुद्ध मा

प्रदयुम्न शाह अर हर्ष देव जोशी की हार ह्व़े

पराक्रम शाह न अफु तैं गढ़वा ळ को रज्जा घोषित करी दिने.मोहन चंद अर पराक्रम मा सैरी/ मेल/ संधि  ह्व़े गे  कि

गढवाल को रज्जा पराक्रम अर कुमौं का रज्जा मोहन चंद

श्रीनगर मा पाळी बंदी : श्रीनगर मा दरबार्युं द्वी पाळी (धडा/दल) ह्व़े गेन एक प्रदयुम्न शाह को समर्थक अर दुसर पराक्रम का हितेषी

गृह युद्ध की तैयारी चलण बिसे गेन

दून पर रोहिलों अधिकार : इख श्रीनगर अर कुमाऊं मा भितर घात चलणो छौ  अर वख भैर की सीमाओं मा बैरी घुसण बिसे गे छया .

रोहिल्लों न अधिकार कॉरी अर  गुलाम कादिर न गुरु राम राय दरबार  तैं ल्हिष्ट -भिष्ट( भ्रष्ट ) करी दे .

दून को गढ़वाली फौंद दार उम्मेद सिंग बि गुलाम कादिर को दगड ह्व़े गे . पैथर गुलाम कदीर को पतन दिल्ली का सुलतान न करी

कुमाऊं मा उंच नीच: मोहन चंद का पास धन की कमी  छे अर कर लगाण से लोक रुस्यां छया . हर्षदेव ण तराई मा सेना कट्ठा कार अर

कुमौं पर आक्रमण करी दे अर मोहन चंद तैं मरवाई दे . हर्ष देव एक तरां से रज्जा बौणी गे .

हर्ष देव की इच्छा थै बल प्रदयुम्न शाह तैं रज्जा बणये त पराक्रम शाह की इच्छा छे बल मोहन चंद को नौनु तैं कुमाऊं को रज्जा बणये जावू

मोहन चंद को भुला लाल सिंह न रामपुर का नबाब के मदद से कुमाऊं पर आक्रमण करी अर हर्षदेव तैं कुमाऊं बिटेन खदेड़ दे

महेंद्र चंद रज्जा बौण : पराक्रम कि सहायता अर पराक्रम तैं नजराना दीण को बद्दल मोहन चंद को नौनु महेंद्र चंद रज्जा बौ ण .

लाल सिंग न  सत्ता अपण ह्त्थुं मा करी दे

हर्षदेव तैं पैडूळस्यूं की जागीर : प्रदयुम्न शाह न हर्ष देव तैं गढवाळ मा पैडूळस्यूं की जागीर दे पण पराक्रम शा कि कूटनीति से वै तैं बरेली भजण पोड़.

 पैडूळस्यूं मा जोशीयाणा गौं हर्ष देव जोशी का परिवार वालुं न बसै थौ

जगा जगा आक्रमण : प्रदयुम्न शाह तैं भितर घात से निजात नि मिलणी  अर सीमा पर दून/हरिद्वार  मा रोज आक्रमण होणा रौंद छ्या, जब प्रदयुम्न शाह न

 रामा खंडूडी अर धरणी खंडूडी तैं दून क्षेत्र तैं सम्बाळणो भ्याज जख पराक्रम शाह न रामा खंडूडी अर धरणी खंडूडी की हत्या करवाई

कुमाऊं पर गोरखों राज : हर्ष देव जोशी क योजना/खड़यंत्र  क वजे से नेपाल को रज्जा न कुमाऊं  पर आक्रमण करी अर सं 1790 ई मा नेपाल

को कुमाऊं पर राज स्थापित ह्व़े . लाल सिंग अर महेंद्र चंद तैं भजण पोड़

                          हर्ष देव की चाल  अर गोर्ख्यों क गढवाळ पर बार बार आक्रमण 

हर्ष देव न नेपाली रज्जा तैं गढवाळ पर आक्रमण को ब्युन्त बि बिन्गाई . पण क्वी बि गढवाळी नेपाली सरकार तैं सहायता /मौ मदद

दीणो तैयार नि ह्व़े  सल़ाण पर /लं गुर गढ़ पर नेपाली आक्रमण होंदा ही रैन

चीन को नेपाल पर आक्रमण को वजे से  नेपाली सरकार तैं प्रदयुम्न शाह से संधि करण पोड़ जखमा नेपाल्युन तैं बार्सिक कर दिए गे 

प्राकृतिक बिपदा ; ये बगत गढवा ळ मा भौत सी प्राकृतिक बिपदा बि ऐन.

पराक्रम को देश द्रोह: पराक्रम ण देशद्रोह का कथगा ही काज करीन

                          गोरखा अधिकार
  अंत मा गोर्ख्यों न गढवा ळ राज्य पर आक्रमण कॉरी . गढवाळी सेना नाकामयाब रये . प्रदयुम्न शाह तैं भजण पोड़. गंगा पार ह्वेका प्रदयुम्न शाह

ज्वालापुर पौंछ . प्रदयुम्न शाह न गढवाळ राज्य प्राप्त हेतु आख़री लड़ाई खुड बुडा  (देहरा दून  )  मा लौड़ जामा प्रदयुम्न शाह शहीद ह्व़े

याने कि 1804 ई मा संयुक्त गढवाळ राज को अंत ह्व़े    

प्रीतम शाह तैं नेपाली लोक नेपाल ल़ी गेन अर पराक्रम शाह कांगड़ा नरेश के शरण मा गे

 भौत सालुं तक प्रदयुम्न शाह को परिवार ज्वालापुर मा शरणागत रैन .     

 



References:


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4
 
History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

बकै अगने खंड 47 मा बाँचो ...

To be continued part 47 

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

                 गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -47


                      गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 47



                           Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -47                     

                       भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti
 
                  गढवाळ मा गुरख्याणी      (1804  -1815 ई  . )              

               गढवाळ मा गुर्ख्याणी  एक सच च अर ये बगत अत्याचार को नयो नमूना  गढवाळ तैं दिखणो   मील.     

 कवि मौलाराम की एक कविता दर्शान्दी :

                                         
मालक रहा न गढ़ में मुलक खुवार हो गया

साहेब गुलाम पाजी सब इकसार हो गया

काजी करे ना काज सितमगार हो गया

रैयत पर जुल्म जोर बिसियार हो गया

            क्या खूब श्रीनगर था उजार हो गया

रीत के घर न पैसा कंगाल सब भये

ताम्बा रहा न कांसा माटी के चढ़ गये

टुकड़े का पड़ा सांसा म्घेस बध गये

कपड़ा रहा न तन में भंगेले बि सड़ गये


इतियासऔ हिसाब से तौळ ऐ तिथि खासम ख़ास छन


  १८०४ ई- खुड बुडा जुद्ध मा गढ़ रज्जा प्रदयुम्न शाह की मिरत्यु

  गढवा ळ पर गुर्ख्या राज की असली पवाण  . ग्ध्राज्य पर

रण जोर सिंह थापा को शाशन

१८०४-१८०६ अमर सिंग थापा को हिमाचल आदि जितण     

१८०५-१८०८- ग्ध्राज्य पर हस्तिदल चौतारिया को शासन

१८०६ - रण बहादुर की हत्या , गुरख्यों   कांगड़ा पर धावा

१८०८- अंग्रेज अधिकारी रेपर को गढ़ राज्य मा औण कुमौं पर बम शाह को शासन

१८०८-१८११ - गढ़ राज्य पर भैरों थापा को शासन

१८०९- गढवाल मा ब्रिटिश कम्पनी का चाकरों को लीसा उत्पादन

 गुरख्यों रण जीत सिंग से हार 

१८१०- जड़ा पंथ को जुद्ध

१८११ अमरार सिंग थापा तैं कजाई पद

सुदर्शन शाह द्वारा चंडी परगना तैं  बिचण   

गढ़ राज्य पर श्रेष्ठ थापा, बंधु थापा, भक्ति थापा को शासन

१८१३-१८१४- ग्ध्राज्य पर तुलाराम अधिकारी को शासन

१८१३- लार्ड मोयारा को गबर्नर जनरल बणण 

१८१४- बुत बल हत्याकांड ,

२० अक्टोबर - अंग्रेजुन    कालसी जीति

२१ अक्टोबर देहरादून पर ब्रिटिश हकुमत शुरू

नाहन पर अन्ग्रेजू  जीत 

सम्पूर्ण गढवाल पर ब्रिटिशऊँ जीत

कुमाऊं पर ब्रिटिश अधिकार

१८१५- ब्रिटिश अधिकारी फ्रेजर को पूरबी गढवाळ अफुम रखण अर

टिहरी गढ़वाळ सुदर्शन शाह तैं दीण

कुमाऊं अर पौड़ी गढवाल क एक हूण

३० दिसम्बर १८१५ खुणी टीरी  (टिहरी ) राजधानी स्थापित

 

References:


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 4

History of Garhwal, History of Kumaun) 2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

बकै अगने खंड 48 मा बाँचो ...

To be continued part 48   

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
          गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -48

                   गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 48

            Great Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -48                                                                                                                                                                               



              भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )


                  टिहरी नरेश सुदर्शन शाह (1815 -1859 ई.)

 सुदर्शन शाह कि गणना महान शाषक, चतुर मनिख, कुशल राजनीतिग्य, मनिखों की करण मा उस्ताद मा होंद

सुदर्शन शाह धार्मिक मनिख छौ पण गोरिल जन दिवता नाचण, जादू टूण  से भौत चिरड़यांदो  छौ

इन बोले जांद बल वैन बोक्सा ज़ात को टीरी राज बिटेन  मूल ही नष्ट करी

  ब्रिटिश सरकार की किरपा से ही गढवाळ गुर्ख्यों  से मुक्त ह्व़े .

सुदर्शन शाह को तिलक सैत  च वै दिन हे ह्व़े जै दिन राजधानी की स्थपाना ह्व़े . डा शिव प्रसाद न

लगाई बल तिलक को दिन य़ी लोक उपस्थित रै होला:

१- राजगुरु नौटियाळ

२- राजगुरु (वशिष्ठ ) पुरोहित- पांडे

३- देवी सिंग - जु प्रवास मा सुदर्शन शाह को दगुड रै

४-मुंशी - चुन्नी लाल

५- कृपाराम - हरिद्वार का गढवाल राज का पंडा या वैक नौनु/रिश्तेदार . प्रदयुम्न शाह न किरपाराम पंडा को इख शरण ल़े छे

६- किसन  सिंग : प्रदयुम्न शाह को चोपदार

 ७- शिव राम, कशी राम , असाड़ू गुसाईं

            राणी अर परिवार

१- राणी बमोरी जी (जम्मू भमोर रज़ा की बेटी )

२- राणी सिरमौर जी (निर्वासित  सिरमौर नरेश करम प्रकाश  की बेटी )

३-  सिरमौर नरेश संसार चन्द्र की द्वी बेटी 

४- खनेटि  जी (हिमाचल की कै छ्व टो  ठाकुर की बेटी )

५-खवास राणी (उप पत्नी ) : गुणकली  राणी क नौनु भवानी शाह अगनी जैक रज्जा बौण

६-आठ नौ खवास (उप पत्नी )  राणी

सुदर्शन शाह का आठ नौनु सौब खवासी रानियूं से ह्वेन (भवानि सिंग, शेर सिंग, गंगा सिंग, बद्री सिंग, सोबन सिंग, उत्तम सिंग,

. फत्ते सिंग, केशर सिंग)   ,

द्वी  नौनी छे एक को ब्यौ बुशेहर को रज्जा महेंद्र को दगड अर हैंकी को ब्यौ विलासपुर को राजकुमार को दगड ह्व़े

                      राज दरबारी
धर्माधिकारी : प. हरि राम शर्मा जैन धर्म वल्ली जन भौत सा ग्रंथुं  रचना करी

बजीर: दुर्गा दत्त पैन्यूली , धर्मदत्त बिजळवाण

दीवान : ज्वालादत्त बहुगुणा

हौरी अधिकारी : रमा नन्द नौटियाल, लक्ष्मीधर खंडूडी , रामदत्त रतूड़ी

मुख्त्यार : शिव राम सकलानी

बड़ी दीवानी का नाजिर : शंकरदत्त

छ्वटि दीवानी को  नाजिर  :   बलिराम, देवी दत्त, कृष्ण दत्त खंडूडी

थाणेदार

  भागीरथी पार का : गंगादत्त     

 भिलंगना  पार को - मोतीराम, राम कृष्ण

 रवाईन अर उदयपुर का - गंगा ड़ात, कृष्ण दत्त

              गरीब राज से ameeree को तरफ

जब सुदर्शन शाह ण राजगद्दी कायम करी त टिहरी कुछ नी छौ पण फिर सने सने कौरिक

टिहरी राज्य न सै राजा त अमीर बणदा गेन 

 गोरख्याळी मा जो बि उजड़ विजड ह्व़े  छौ धीरे धीरे अब गावं फिर से बस ण लगी गेन

             शिव राम सकलानी अर गोबिंद सिंह बिष्ट

 शिव राम सकलानी ((सकलाना अर अठुर का जागीरदार  ) अर वैकु नौनु हरिराम आदि न राजा की अवहेलना करी

इनी रवाइन को फौन्ज्दार /जागीरदार गोबिंद सिंह बिष्ट (एका बंशज कबि श्रीनगर मा दरबारी छया ) हमेश राजा क

नीतियुं बिरोध मा राई

               क्रान्ति का बीज : सकलाना मा बिद्रोह

शिव राम सकलानी तैं ब्रिटिश सरकार न सकलाना का माफीदार जागीर दार बणे छयो अर वो उदंड ह्व़े गे छौ .

जनता से वसूली मा बड़ी क्रूरता अर धांधली होंदी छे

  यां से टिहरी रियासत मा सकलाना पट्टी मा एक क्रान्ति का बीज पैदा ह्वेन

 अप्रैल , 1835 ई. मा सकलाना का ३२ गौं का कमीण , सयाणा संगठित ह्वेन

अर ३०० लोक कम्बळ , भंगल़ा क झुल्लौं मा  , पीठ मा सत्तू का झाबा, चिलम, लाठी  लेकी

 मेजर यंग का दफ्तर देहरादून कचहरी मा गेन अर अप नि फ़रियाद सुणाय़ी कि कं मुआफीदार

शिवराम अर वैका कारिन्दा जनता तैं तंग करणा   छन

 प्रीतम शाह तैं वजीफा : सुदर्शन शाह ण प्रीतम शाह का बान वजीफा मुकर्र कार

सुदर्शन शाह की हिंदी रचना सभा सार : सुदर्शन शाह क काव्य संग्रह बड़ो अलग सी बि च .

शीर्षक  गढवाली मा होंद छया अर बाकि कविता ब्रज भाषा मा . कविता श्रृंगार अर वैराग्य का छन

कुमदा  नन्द बहुगुणा : पैली  इ बहुगुणा बंश मा भौत सा विद्वान्, कवि/ज्योतिषी (भरत, मेघकर, रामदत्त )  ह्वेन .

 इनी सुदर्शन शाह क राज मा अचलानंद बहुगुणा क नौनु कुमदा नन्द बहुगुणा ण सुदर्शनो  काव्य' की रचना करी छे

सत्यानन्द अर दुर्गा दत्त ज्योतिषी : सत्यानन्द अर दुर्गा दत्त भौत बड़ा ज्योतिषी ह्वेन

वासबा नन्द ज्योतिषी : सैत च वासबा नन्द पोखरी का बहुगुणा छया पण यूँन अपण गौं क नाम पुख्श्री नाम दे

वासबानंद का दादा क नाम गुणा नन्द भारद्वाज अर बुबा ज्यू क नाम लीला नन्द छौ . लीला नन्द एक बड़ो ज्योतिषी छौ

 वासबानंद न 'प्रश्न सिन्धु' संस्कृत ज्योतिष काव्य की रचना करी

हरिदत्त शर्मा, नौटियाल: हरि दत्त का बुबा प्रमोद पति नौटियाल श्रीनगर दरबार मा छौ

हरि दत्त शर्मा सुदर्शन शाह को धर्माधिकारी छौ . हरि दत्त शर्मा न संस्कृत काव्य भूषण नाटक, विष्णु स्मृति, धर्मवल्ली,

लघुरामायण , लघु भागवत, नक्षत्र माला स्रोत्र, गंगालहरी, श्रृंगार ल्टा, कामदूत काव्य, भोज्याव्ली  आदि की रचना करी

गुमानी पंत : गुमानी पंत पिथोरा गढ़ को छौ अर सुदर्शन शाह को राज दरबार मा बि राई . गुमानी पंत अपण तरां को अलग हे

कवि छौ जु संस्कृत, नेपाली, कुमाउनी, गढ़वाली, Khadi boli  अर ब्रज भाषा मा कविता रचदू  थौ

मनमंथ कवि : मनमंथ कवि कुमौं को छौ अर रिख्डा कर बि छौ. वैन अल्मोड़ा को एक मानचित्र सुदर्शन शाह तैं भेंट दे छौ

कनखल मा पहाड़ी चित्रकार : जब शुदर्शन शाह कनखल मा छौ त वैक दगड कुछ पहाड़ी चित्रकार बि छया

यूँ पहाड़ी चित्र कारू न कनखल मा भारमल खत्री कि दीवाल, अर हैंकि दीवाल मा चित्रकारी करी छे

गुरु राम रै दरबार का दीवालुं मा बि यूँ पहाड़ी चित्रकारुं  न रंगीं रिखडा चित्र) बणेन

ज्वाला राम चित्रकार : ज्वाला राम मौलाराम को नौनु छौ अर वो श्रीनगर  रौंद छयो अर कबि कबि टीरी औंद छौ

वैन उख श्रीनगर मा कुछ चित्र गढ़वाळी ब्युंत (शैली) मा बणेन

माणकू चित्रकार ; माणकू चित्रकार को जन्म कख ह्व़े यू त नी पता पण वो सुदर्शन शाह क इख आंदो छौ

अर वैन भौत सा चित्र बणेन

चैतू  चित्रकार : चैतू चित्रकार  मौलाराम कू चेला छौ न भौत सा चित्र बणेन

मौलाराम कि स्तिथी : इन बुले जांद बल सुदर्शन शाह न मौलाराम तैं बड़ा मंगण (प्रशंशा कविता ) सुनणो परांत बि कुछ सौगात नि दे त मौलाराम श्रीनगर ऐ गे

मौलाराम न सुदर्शन शाह की कविता मा काट करीं छ 




References:


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 6 4
 
History of Garhwal, History of Kumaun, History of Tihri garhwal )

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

4- Minyan Prem singh - Guldast Tabarikh

बकै अगने खंड 49 मा बाँचो ...

To be continued part 49   

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                गढवाळ का नामी गिरामी लोक अर जाती(मलारि जुग बिटेन अब तलक ) फड़क -49
                           
                            गढ़वाल की विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक ) भाग 49
                                                                                                                                                                                                                                                                                                  Great  Garhwali Personalities and Societies of Garhwal Part -49                                                                                                                                                                               



                          भीष्म कुकरेती (Bhishm Kukreti )



                                  टीरी (टिहरी ) राज्य मुतालिक लार्ड डलहौजी की चिट्ठी

     राजा सुदर्शन शाह न वसीयत कॉरी छे या लोखुं तैं बताई छौ बल वैको उत्तराधिकारी भवानी सिंह होलू. कारण यू छौ

बल मुख्य रान्यूँ से क्वी नौनु नि जनम अर सब नौनु खावास (उप पत्नी )  राणी यूँ से छया. इन नौन्याल्यूं  तैं काम असल नौनु बोले जांद छौ

  . राजा सुदर्शन शाह न अपनों उत्तराधिकारी भवानी शाह तैं बणाणो  इजाजतऔ  बान द्वी तीन चिट्ठी ब्रिटिश सरकार तैं भेजी , क्वी चिट्ठी जबाब नी ऐ

अंग्रेजुन भारतीय राजाओं पर गोद ल़ीणो अर वूं तैं राजगद्दी मा बैठा न बन्द करी दे छौ  अर इन राज तैं इंगरेज अपण कब्जा मा करी लींद था .

 फिर २५ जून  १८५४ खुणि लार्ड डलहौजी न ईस्ट इंडिया कम्पनी क बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल  को अध्यक्ष तै ये बाबत चिट्ठी लेखी

  " इन हिन्दू राजा , जन कि टिहरी राजा च तैं अपण उत्तराधिकारी चुनणो पूरो अधिकार च . किलैली (सनद या संधि मुताबिक)

टीरी (टिहरी) यौ राजा णा त भारत (ब्रिटिश) सरकार तैं क्वी टैक्श दींदु णा णा ही यू राजा ब्रिटिश हकुमत को अधीन च .

 ना हे ब्रिटिश टीरी को सार्वभौम अधिपति च . भारत सरकार तैं उत्तराधिकारी क मामला मा दखलंदाजी करणो क्वी  अधिकार नी च. "

                                               

                                                      टिहरी राजा भवानी शाह (1859 -1871 ई. )

                                    राज मिलण मा कठनै

  ये त सब्बी जाणदा छया बल सुदर्शन शाह न भवानी शाह तैं उत्तराधिकारी घोषित कर्युं च पण खवास राणी खणेटी

को मोरदो  सुदर्शन शाह पर पुरो प्रभाव छौ अर वींन बीमार रज्जा तैं अपुण कब्जा मा करी दे . अर जै दिन सुदर्शन शाह मोर वै दिन

ही शेर सिंग ण अफु तैं शेर शाह को नाम से राजा घोषित करी दे अर शिवा नन्द खंडूड़ी न शेर शाह को तिलक करी.

                                      भवानी सिंग पर दबाब
  भवानी सिंग शेर सिंग तैं राज दीणो तैयार नी छौ अस्तु खणेटी राणी अर शेर सिंग का हितैषी जन कि

गजाधर खंडूड़ी , लक्ष्मी धर  खंडूड़ी, रमा नन्द नौटियाल, देबू गैरोला, उमा दत्त बहुगुणा, बैशाखू खजांची

शंकर दत्त सकलानी , कृष्ण दत्त लेखवार , बलिराम गैरोला, क्यूँल डंगवाल , ब्रंगला नेगी अर जितारु नेगी सब्ब्युन भवानी सिंग पर दबाब डाळ

बल दास हजार मैना की पेंसन मा भवानी सिंग माने जाओ पण भवानी सिंग तैयार नी ह्व़े.

 भवानी सिंग न अपणि दरखास्त ब्रिटिश अधिकारी हेनरी रामसे को भेजी

                                      ल़ा-दाबा' हस्ताक्षर
  फिर शेर सिंग  हौर कम असल राजकुमार ( रज्जा का खवास पुत्र ), राज अधिकार्युं लेकी बीस हजार रुप्यौं

महीना जागीर दीणो सनद पत्र लेखिक  ह्वेका भवानी सिंग का पास गेनी पण भवानी सिंग की राणयूँ

को कारण भवानी सिंग शेर सिंग तैं नी मील

                         फिर हेनरी रामसे टीरी पौंच अर जबरदस्ती या शेर सिंग तैं मनाये गे अर शेर सिंग तैं देहरादून मा बंदी बणयेगे

फिर छै सितम्बर १८५९ ई. खुणि आधिकारिक रूप मा ताजपोशी ह्व़े.

  भवानी शाह का राज मा कथगा ही प्रजा या फौन्ज्दारून मा असंतोष रै , जन कि जौनपुर मा बिद्रोह अर फिर बिद्रोह शान्ति,

सकलाना क्षेत्र का सुनार गाँव (अठुर इलाका) का किसाण परवाण (नेता) बदरी सिंग अस्वाळ की परवाण गिरी (नेतृत्व)  मा एक किसाण आन्दोलन हैंको ह्व़े

यां से उख नै भुव्यव्श्था ह्व़े .

                                  ढंडक आन्दोलन
ढंडक आन्दोलन टिहरी मा एक क्रान्ति बी को नयो रूप छौ. भवानी शाह एकांतवासी छौ . त राज वैका राज कर्मी सम्बाळदा था.

इन मा प्रजा कार वसूली से जब परेसान होंदी छे प्रजा लाठी लेकी कर वसूल करण वालुं तैं पीटदी  दी  छे . फिर राजकीय कारिन्दा

पुलिस ढंडकों तैं डंडयान्दी (दण्ड देना) छे

                   शिव सिंह रौतेला ढंडक क्रांतिकारी 

  गढवाली विभुतियुं मा एक सम्मानजनक  नाम च शिव सिंह रौतेला को. जब भी क्रान्ति की बात होली त

शिव सिंह रौतेला को नाम अगने रालो . शिव सिंग रौतेला धनारी गाँव को एक स्म्झ्युं, सुल्झ्युं मनिख थौ .

किसाणु का दुःख से दुखी ह्वेका शिव सिंग रौतेला न गावं गाँव जैका  लोगूँ तै संजाई कि 'ढंडक' जरुरी च

ढंडक माने अपण हक्क का बान राजकीय कारिंदों तैं पिटण. धीव सिंग रौतेला टिहरी राज को अत्याचार की व्यथा- कथा

को ब्योरा कुमौं कमिश्नरी का अंग्रेज अधिकार्युं , को बि लिखदो छौ 

यां से टीरी राजकीय व्यश्था नाराज ह्व़े अर  वै पर भारी कर लगै दिने अर शिव सिंग रौतेला क घर, पुंगडओं की

 कुर्की करे गे . शिव सिंग रौतेला का रिश्तेदार चिन्याली गाँव का शिव सिंग बिष्ट न जामिन देकी शिव सिंग रौतेला

की जमीन जैजाद छुडवाई 

रवाईं  मा विद्रोह : रंवांयी इलाका म त विद्रोह हुँदा ही रौंद था

इन दिखे जाव त भवानी शाह क राज मा बि उथल पुथल त राई च . भवानी शाह शांत प्रिय रज्जा छौ अर वैन

अपण भै शेर सिंह, खणेटि राणी तैं मुआफ करी दे छौ

भवानी शाह न आय का साधनु जन कि बौणऊँ   का ठेका , गंगा जल ठेका, हथ्युं तैं बिचणो  प्रबंध से

राज्य की आय बढ़ाई .

                         भवानी  शाह की द्वी राणी अर आठ नौन्याळ
भवानी शाह की द्वी राणी (मंडी अर हिंडूर की राजकुमारी ) छे

अर आठ नौनु छ्या :

प्रताप शाह (सबसे ज्याठो)  , विक्रम शाह, प्रमोद सिंह, फत्ते सिंह, गोपाल सिंह, हीरा सिंह, मदन सिंह, अर तेग सिंग

भवानी सिंग को मोंरणो पैथर प्रताप सिंग गद्दी पर बैठ


References:


1- Dr Shiv Prasad Dabral, Uttarakhand Ka Itihas Bhag 6 4

History of Garhwal, History of Kumaun, History of Tihri garhwal )

2- Harikrishn Raturi Garhwal ka Itihas

3- Garhwal ka Aitihasik Birtaant in Garhwali and Memoir of Garhwal as translation by Tara Datt Gairola

4- Minyan Prem singh - Guldast Tabarikh

बकै अगने खंड 50 मा बाँचो ...

To be continued part 50   

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

          गढवाळ का नामी लोक अर ज़ात (मलारी जुग बिटेन अज्युं तलक ) - फड़की -50          

              गढ़वाल के विभूतियाँ व समाज (मलारी  युग से  वर्तमान तक) - भग- 50

              Great Garhwali Personalities (malari era to till date ) Part -50

 

                                Bhishm Kukreti
 

                          राजा प्रताप शाह (1871 -1886 ई.)
 
राजा प्रताप शाह भवानी शाहौ ज्याठो नौनु छौ त वै तैं राजपाठ मील . वुँव्हारिक अर मयल़ू

किस्मे मनिख थौ प्रताप शाह

 प्रताप शाह अपण जादातर समौ राजकाज मा इ लगान्दु छौ . थोडा भौत मनोरंजन का बान

माछ मरदो छौ, घ्वीड़ , काखड़ , बाज, चकोरूं  शिकार करदो थौ . कुश्ती को शौक बि छौ

राणी ; चार राणी छे पण जब कैको बि नौनु णि बच त हिमाचल बिटेन कै थोकदार जजमान की बेटी दगड ब्यौ ह्व़े

जैन तैं गुअलेरिया जी बुले जांद छौ अर वीं से कीर्ती शाह, विचित्र शाह अर सुरेन्द्र शाह पैदा ह्वेन . कीर्ति शाह पैथर रज्जा बौण

लुट्यु   धन की खोजबीन : भवानी शाह क मोरण पर कुछ लोखुं  (दरबारी अर भावनी श की खवास राणी ) न  राज दरबार को धन लूठी. ए धन की खोज ह्व़े अर

लुटेरों तैं डंड्याय़ी गे

जागीर की झूटी सनद : कुछ द्वी चार लोक भवानी शाह की झूटी सनद ( मुआफी की जागीर ) पकडे गेन

पलटन तैं तोड़ेगे : ढड़क आन्दोलन कार्युं तै रुकणो  बान ज्वा पलटन बणे छे वा तोड़े गे

दरबारौ  इंतजाम  : जब तक राम कृष्ण पैन्यूली बच्युं राई दीवान राई . पैथर वैको भुला श्रीचंद तैं दिवां बणे अर दुसर भुला

गोबर्धन पैन्यूली तैं सिरस्तेदार बणाय़ी  श्रीचंद  भयंकर दर्वड्या छौ . राजकर्मचारी लोकुन तैं तंग करण मा माहिर था.

कारिन्दा (जाग्रिया० घुसखोरी मा आज का पट्वार्यों से भौत अग्वाडि छया 

भुव्यव्स्था मा बद्लौ:   Bhu  व्यवस्था मा बदलौ को पुट्ठ्याजोर  ( कोशिश ) करे गे

न्याय  निसाब : छ्वटु नजीर - कुंवर विक्रम शाह अर बड़ो नजीर - शंकर दत्त ड्यूडी , सने कौरिक न्यायालय की भाषा उर्दू/फारसी

हूंण  बिसे गे

कोष रक्छा : पैल छोटे लाल खत्री कोषध्यक्ष छौ पण वो बदमासी करण लग गे . फिर बद्री लाल तैं कोषा ध्यक्ष बणाय़ी

वो बि बदमाश निकळ त शंकर दत्त तैं कोष की चाबी दिए गेन

पुलिस व्यवस्था : शिव दत्त डंगवाळ अर वैक भै देवी दत्त डंग्व़ाळ कोतवाल छ्या. पैथर शिव दत्त डंगवाळ रंवायीं क कोतवाल बौण

नै निर्माण : रज्जा  न राजधानी मा एक बग्वान बणाय़ी . कार चलाण जोग बाटो बणाय़ी . कत्ति जगा डाक बंगला बणेन .

भौत सी सड़कूं  मरम्मत कराई

सरकारी स्कूल : टीरी मा एक primary  स्कोल ख्वाल जो पैथर प्रताप इंटर कालेज  का नाम से जणे गे

सरकारी होस्पिटल : एक सरकारी हॉस्पिटल बि खोले गे जै मा राजू राज्बैद रवि दत्त आयुर्वेद क हिसाब से

अर डा हरिराम एलोपैथी क हिसाब से उपचार करदा छा. उपचार मोफत होंद  छौ

प्रताप नगर को थर्पयाँण (स्थापना ) : प्रताप शाह न गर्म्युं खुणि  टीरी से नौ मील दूर ७००० फीट की ऊंचाई

पर प्रताप नगर नाम से नै राजधानी बणाय़ी . इख महल, न्यायलय , राज कारिंदों खुणि कूड, कोषागार,

भण्डार आदि बणये गेन , टीरी से प्रताप नगर तक बाटो ठीक करे गे .

बौण व्यवस्था : बौणु  से आमद  बढाणो खातिर बौण व्यवस्था क वास्ता प्रताप शाह न अपण ज्याठो स्याल़ू

 हरि सिंग तैं कंजरवेटर अर कणसो स्याळ तैं डिप्टी कंजरवेटर बणाय़ी ,

गौं की भौत स बौंण राजकीय बौण मा शामिल करे गेन जां से लोकुं तैं लकड ,

घास की तखलीफ़ होंण  लगी गे अर ऊन कुमौं कमिशनरी मा सिकैत करी

 बेगार से नकली छूट : गढ़वाळ कुमाऊं मा बेगार एक भौत पुराणि पर्था छे जैन तैं प्रभु सेवा नाम दिए गे छौ

यीं प्रथा मा हरेक मवाषा तैं राजा, हाकिम आदि औंण  पर ऊंका सामान मोफत मा ल़ाण /ल्हिजाण जरोरी छौ

. लोक बिद्रोह पर उतारू रौंदा छया . प्रताप शाह  न  नयो नियम बणेन बल जु बेगार मा शामिल णि ह्व़े सौकल

वु एक रुपया देकी बेगार से माफ़ी मांग सकद. मतबल यो छौ बल भेळ उन्द लमडीक  मोर या ढंडी मा फाळ मारिक

मोर , मोरण त तीन ही च.

आख़री समौ  मा राज दरबारियूं पाळीबंदी : प्रताप शा का समउ पर दर बारी यूँ मा पाळी  बंदी राई छे

आखरी दिनु कुछ दरबार्युं न जनता तैं ढंढक  आन्दोलन का वास्ता उकसाई अर राजा क बिरुद्ध सिकैत

कुमाऊं कमिश्नर हेनरी रामसे को चिट्ठी भ्याज. यूँ दर्बारियुं मादे दीवान राम कृष्ण कू

नौनु जोगेश्वर, छ्वटि दीवानी क सिरसतेदार श्रीदत्त सकलानी, बनवारी पैन्यूली, मुकुंद राम पैन्यूली ,

स्यालग राम पैन्यूली, जगरनाथ पैन्यूली ,.. केशर सिंग धनारी वला, फते सिंह रौतेला,

ज्वाला सजवाण आदि छ्या. यूँ तैं पड बिहीन कौरिक नै लोखुं तैं भरती करे गे

  आखरी दफैं प्रताप शाह क्वी असाध्य रोग से मोर अर खौंळयाणो  (अचरज ) बात या च बल  वैको

इलाज कै खास डाक्टर मा बि णि करायेगी   

 

References:

 Courtsy to books of Dr Shiv Prasad Dabral,  Pundit Hari Krishn Raturi, Minyaan Prem Singh

(Uttarakhand ka Itihas, History of Garhwal, History of Tihri Garhwal)

copyright@ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
           गढवाळ का नामी लोक अर ज़ात (मलारी जुग बिटेन अज्युं तलक ) - फड़की -51

                   गढ़वाल के विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक) - भग- 51

   

               Great Garhwali Personalities (malari era to till date ) Part -51



                                 Bhishm Kukreti

 

                        राजा कीर्ती शाह (1887 -1913 ई. )

                      रज्जा ब्व़े क शासन

 

राणी:   कीर्ति शाह   की एकी राणी छे जवा नेपाल क प्रधानमंत्री जंग बहादुर की नातन छे
ye raani se narendr singh naunu hwe ju paithar teeri riyasat ko maharaja baun

कीर्ति क एक खवास राणी छे ज्वा गढवाली बिष्ट (बरसाली-नदगांव )  छे    . वींक  अर

सुरेन्द्र सिंग नौनु छया . पैथर नरेंद्र सिंग टीरी रियासत को रज्जा बौण 

  कीर्ति शा होश्यार मनिख थौ अर स्ब्ब्युं दगड सम्बन्ध ठीक ठाक रखण मा उस्ताद छौ



     जब प्रताप शाह मोरी त टीका (राजकुमार ) कीर्ति शाह छ्वटु छौ . त वैकी  ब्व़े गुलेरिया जी न धीरज

 धौरिक शासन चलाई . जैबरी प्रताप शाह मोरे तैंबारी ढंढका आन्दोलनकारी बि राजधानी अयाँ छया .

राणी न सूझ बूझ से तौं सणि समजाई  बुझाई अर सौब अपण ड़्यार चली गेन . उना प्रताप नगर मा

राजकीय माल की चोरी बि ह्व़े

 :

                अस्सिटेंट कमिश्नर (जिला स्शाब ) को टीरी औण

 प्रताप शाह को मरण पर हेनरी रामसे को दूत जिला साब टीरी ऐन अर ऐलान कार बल राणी गुलेरिया जी

क बुल्युं पर शासन चौलल अर तीन मुख्य लोक - कुंवर विक्रम शाह , दीवान श्रीचंद, अर केवलराम
 
राणी की मदद कारल

दोषी राजकारीन्दो तैं माफी : प्रताप शाह ण जौं राज्कारिन्दों तैं नौकरी से भैर निकाळी छौ तौं तैं डिप्लोमेसी  का अंतर्गत

दुबर नौकरी पर रखे गे

विक्रम शाह असफल : राणी न  अपण द्यूर विक्रम शाह तैं शासन करणे छुट डे छै पण विक्रम शाह असफल रायीअर

राणी तैं शासन की बागडोर अफुम थमण पोड़

रीजेंसी कोंसिल : राणी न शासन की कमान सम्बाळणो  कुमाओं कमिश्नर की र्जबंदी से रेजेंस्य कौंसिल बणाई

जै मा शिव दत सकलानी, केवलराम रतूड़ी , विश्वम्बर दत्त सकलानी छ्या अर सेक्रेटरी छौ रघुनाथ भट्टाचार्य

कीर्ति शाह की पढे लिखै : कीर्ति शाह तैं हरिकृष्ण रतूड़ी क संरक्षता मा बरेली अर मेयो कोलेज अजमेर मा पढये गे

कीती शाह की राजपोशी : 1892 खुणि ह्व़े

स्कुलूं खुलण : इन मनण क्वी ऐतराज नी होंद बल कीर्ति शाह खुलो दिमाग को छौ

कीर्ति शाह न प्रताप प्रायमरी स्कोल तैं है स्कोल कार अर भौत सी पट्टीयूँ  मा प्राइमरी  स्कोल खोलींन

मुसल्मानु खुणि मदरसा ख्वाल

टिहरी नगरपालिका : टिहरी अब नगरपालिका ह्व़े गे अर उख बिजली, पाणी को इंतजाम बि ह्व़े.
 
विक्टोरिया क जयंती पर एक घंटाघर बि बणाई . कत्ति कूड बणेन . गढवाळ बैंक बि खोले गे

बाटों सुधार : भौत सा महत्व पूर्ण रस्तों तै ठीक करे गे . कत्ति धर्मशाला चिणये  गेन 

न्यायपालिका मा सुधार : न्याय पालिका मा बि सुधार करे गे

अस्पतालूं खुलण : कुछ जगा खासकर जात्रा मार्ग पर अस्पताल खोले गेन

 बौणऊँ  इंतजाम : बौणु ठीक इंतजामौ बान गोदिगाँव को चंद्रमोहन रतूड़ी तैं ऍफ़ अर इ देहरादून

बन प्रबंध की सिक्षा बान भिजे गे अर पैथर वै तैं अस्सिटेंट कोंजेर्वेटर बणये गे . रतूड़ी न आठ साल

तक काम करी

गंगाराम खंडूड़ी तैं  जंगल़ातौ  ठेका : गंगा राम खंडूड़ी (मरगदना, पौड़ी  ) तैं बौ णु ठेका दिए गे .

मोरद दें गंगाराम पर ६४००० रु करज छौ पण फिर गंगाराम खंडूड़ी क  चार  नौनु

 घनानंद , तारादत्त, राधा बल्लभ, चन्द्र बल्लभ न ब्योपार ठीक से सम्बाळ अर टीरी

 रियासत तै बि फैदा दे , दगड मा कथगा इ सामजिक कामू मा हथ बंटे  कॉरी 
 
 भवानी दत्त उनियाल ; भवानी दत्त उनियाल जु पैल प्रताप हाई स्कूल मा अध्यपक था  ऊँ तैं

भण्डार  को अधीक्षक बणये गे

कीर्ति नगर की स्थापना : किर्ती शाह न श्रीनगर का सामणि बिलोली गौं मा कीर्ति नगर की

स्थापना करी थै .

हरि कृष्ण रतूड़ी : हरि कृष्ण रतूड़ी एक विद्वान् अर इतिहास खुजनेर छया

हरि कृष्ण की गढ़वाल का इतिहास, नरेंद्र हिन्दू ल़ौ , गढवाल वर्णन किताब  प्रसिद्ध ह्वेन 

दिवा कर शर्मा : दिवाकर शर्मा प्रताप है स्कूल मा मास्टर छौ अर ऐतिहासिक संग्रह कार

का रूप मा प्रसिद्ध ह्व़े . रतूड़ी न अपण इतिहास किताब मा दिवा कर की भौत मदद ल़े

बद्रीदत्त शर्मा : बद्री दत शर्मा संस्कृत पाठशाला मा मास्टर छौ अर इतिहास को जणगरु थौ

मालू पंडित : कुमाऊं से टीरी अयाँ पांडे परिवार मा मालू पंडित बड़ो तांत्रिक छौ अर

संस्कृत  पाठशाला मा अध्यापक थौ

मगना पंडित : मालू पंडित को नौनु बि बड़ो पंडित ह्व़े

हरि कृष्ण रुडोला दौर्गा दत्ती : हरिकृष्ण दौर्गादत्ती एक संस्कृत कवि ( शतश्लोकी रघुवंश ,

प्रस्ताव पुष्पांजलि , स्तवन स्त्वकावाली ) ; गढ़वाली कवि अर हिंदी का प्रसिद्ध कवि छौ

सर्व धर्म सम्मलेन : कीर्ति शाह न  टीरी मा एक सर्व धर्म समेलन उर्या चौ

स्वामी रामतीर्थ : कीर्ति शाह स्वामी राम तीर्थ को भगत छौ अर स्वामी जी तैं वैन सर्व धरम सम्मलेन मा

जापान भेज, टीरी मा आश्रम  व्यवस्था कॉरी . पैथर स्वामी जी क नौनु मदनमोहन तैं  इंजीनिअर बणणो

बान इंग्लैंड बि भ्याज

प्रजा मा असंतोष : प्रजा मा बौण नीति जां से गौं वालुं lakhad  , घास, आदि क परेशानी होंद गे .

कत्ते दें लोखुं न कंजर  वेटर या फोरेस्ट गार्ड ऊँ दगड झगड़ा कॉरी . एक दें कंजर वेटर  की पिटाई क

नौबत ऐ गे छे

सकलाना  का मुआफी दारूं क अन्याय जारी छौ अर जनता न कथगा दै आन्दोलन कॉरी . आख़री मा

मुआफदार्युं कमिश्नर न मुआफी दारूं जुडिसियल अधिकार छीन  देन

 २५ अप्रैल १९१३ खुणि कीर्ति शाह को इंतकाल ह्व़े अर वै बगत नरेंद्र शाह पन्दरा सालौ छौ

 


 


References:

Courtsy to books of Dr Shiv Prasad Dabral, Pundit Hari Krishn Raturi, Minyaan Prem Singh

(Uttarakhand ka Itihas, History of Garhwal, History of Tihri Garhwal)
to be continued -- 52
 

Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
   गढवाळ का नामी लोक अर ज़ात (मलारी जुग बिटेन अज्युं तलक ) - फड़की -52                    [
        color=beige]गढ़वाल के विभूतियाँ व समाज (मलारी युग से वर्तमान तक) - भग- 52 [/color]                       
                 
              Great Garhwali Personalities (Malari era to till date ) Part -52
                          Bhishm Kukreti                           
            टिहरी महाराज नरेंद्र शाह (रा.काल. 1913 -1946 ई. )
 
      जब कीर्ति शाह को इंतकाल ह्व़े त नरेंद्र सिंह सिरफ़ पन्द्र सालौ थौ. राज्यभिषेक को परांत
नरेंद्र शाह अजमेर पढ़णो चली गे
राणी : नरेंद्र शाह को ब्यौ क्यूँठळ  राजा (हिमाचल) के द्वी नौन्युं दगड ह्व़े ,मतबल - नरेंद्र शाह की
 कमलेन्दु शाह अर इंदुमती द्वी राणी छे
 संरक्षण समीति : नरेंद्र शाह क अनुपस्तिथी मा राज काज चल़ाणो एक संरक्ष्ण
समीति बौण जैको अध्यक्ष अंग्रेज शैमिअर थौ पैथर मयूर आई.
समीति मा हरिकृष्ण रतूड़ी , बह्वानी दत्त उनियाल छा. नरेंद्र की दादी ण राज काज
संबाळी
 चन्द्र मोहन  रतूड़ी को त्यागपत्र  : चन्द्र मोहन रतूड़ी एक काबिल फोरेस्ट कंजर वेटर थौ
पण संरक्ष्ण समीति की नीती वै तैं माफिक णि ऐन अर वो त्यागपत्र देकी भैर चले गे
सत्य शरण रतूड़ी को त्यागपत्र : चन्द्र मोहन को गाँव को इ सत्य शरण रतूड़ी बागवानी
निरीक्षक थौ पण संरक्षक समीति क काम काज को वजे से वो पटियाल राज्य चली गे
महायुद्ध मा मिळवाक् (योगदान) : टीरी दरबार न पैलो महायुद्ध मा ब्रिटिश सरकार तैं
पुरो मिळवाक् देइ. कीर्ति शाह न एक पलटन ब णे छै वीं पलटन तैं ब्रिटिश हकुमत को
  हवाला करे गे
दरबान सिंग नेगी : दरबान सिंग नेगी कफाड़तीर, कड़ा कोट ,  पौड़ी  को छौ जै तैं
विक्टोरिया क्रोस मील . दरबान सिंग पैलो भारतीय छौ जै तैं लड़ाई मा विक्टोरिया क्रौस शौर्य पदक मील
गबर सिंग नेगी : गबर सिंग नेगी (सान्जुर, बमुंड , टीरी ) पैल टीरी महराज को पलटन मा थौ फिर गढ़वाल रायफल
मा भर्ती ह्व़े अर वीरगति ह्व़े . गबर सिंग नेगी तैं मोरणो परांत विक्टोरिया क्रोस मेडल  दिए गे
तोताराम थपलियाल : पैल सेना मा जजमान ही जांदा छया . तोताराम  थपलियाल (समतुळी, खात्स्युं , पौड़ी ) न बामणु
फ़ौजी की टोली बणे अर ब्रिटिश सरकार न वै तैं वीं बटालियन को सूबेदार बणे दे.
अकाळ  : १९१७-१८ मा गढवाल मा बड़ो अन्न  काल  पोड़.
युद्ध जौर : १९१६-१९१९ तलक युद्ध जौर (इन्फ़्लुइन्जिया ) ह्व़े अर सैकड़ों मनिख, पशु मोरीन
भुव्यव्स्था अर जोध सिंह नेगी : भूव्यव्स्था सुदारणो जोध सिंग नेगी (जु पैल पड़ी मा छौ)
 तैं रेविन्यु मेम्बर  बणये गे. विशाल कीर्ति का भूत पूर्व  सम्पादक प्रसिद्ध , इमानदार सदा नन्द कुकरेती (ग्वील पौड़ी)
तैं भू व्यवस्था का सिरिस्तेदार बणये गे . सदानंद कुकरेती इमानदार मनिख थौ सो वो जादा दिन
णि टिक सौकू .
जोध सिंग नेगी अर भवानी दत्त उनियाल ओ दगड णि बौं त १९२० मा जोध सिंग नेगी न पड़  छोडि दे
हरि कृष्ण रतूड़ी तैं भू व्यवस्था को अधिकारी बणेये गे. पैथर महा नन्द रतूड़ी न यो काम कॉरी.
राम प्रसाद डोभाल अभिलेख अधिकारी छौ
म्यूर का शासन :
म्यूर को संरक्षण मा य़ी शासन समीति लोग छ्या :
१- कुंवर विचित्र शाह - मजिस्ट्रेट
२- हरि कृष्ण रतूड़ी - दीवान
३- राय बहादुर केशवा नन्द ममगाईं - कंजरवेटर
४- भवानी दत्त उनियाल- सेक्रेटरी
                     नरेंद्र  शाह को शासन

भवानी दत्त उनियाल तैं दीवान बणये गे
कुली बेगार असंतोष : कुली बेगार या कुली बेगार पडत का वाजी से जगा जगा असंतोष राई
लछ्म सिंग कठैत की बीरता : रवाईं  परगना को हाकिम लछ्म सिंग ण जब कुली बेगार मा
जनता की तर्फ्दारे कॉरी त नरेंद्र शाह रूसे गे अर लछ्म सिंग की जायजाद कुडकी करे गे
कमिश्नर की बदोलत कथित पर प्रतिबन्ध हटाये गेन . लछ्म सिंग तैं आज बि
जनता याद करदी
कुली बेगार खात्मा : १९४१ मा सरकारी तौर पर बेगार पर्था ख़तम करे गे
यातायात व्यवस्था मा सुधार करे गे
नरेंद्र नगर आधुनिक शहर : नरेंद्र शाह न ऋषिकेश से दस मील दूर एक शहर को निर्माण कौर जु
अपण टैम को आधुनिक शहर थौ जख सौब सुविधा छे   
मोटर मार्ग : मोटर मार्ग बणोन पर ध्यान दिए गे
हजूर कोर्ट :  बड़ो कोर्ट याने हजूर कोर्ट मा राजा अफिक सुणवाई करदो थौ
चीफ कोर्ट : टिहरी मा एक चीफ कोर्ट बि छौ जेमा य़ी कारिन्दा छा
तीन जज - महेशा नन्द पैन्यूली , नारायण दत्त रतूड़ी अर सुरेशा नन्द नौटियाल ( बी.ये. एल एल बी )
 नया का छै सर्कल :
टिहरी सर्कल - उमा दत्त डंगवाल
अड़ा थली: भैरब दत्त पैन्यूली
रवांई: मुंशी करीम खान
बाड़ाहाट  - नाग्दत्त रतूड़ी
देव प्रयाग - रामानंद उनियाल
कीर्ति नगर : प्रहलाद दास बहुखंडी
शिक्षा प्रसार : नरेंद्र शाह क राज मा शिक्षा प्रसार बि होई
प्राइमरी स्कूलूं  संख्या ६०  तलक पौंची
कथगा ई छात्रवृति दिए गेन
नरेंद्र शाह न कुंदन सिंग गुसाईं तैं इतिहास मा पी एच डी करणी इंग्लैण्ड (१९२६)  भेजी 
पद्मा दत्त रतूड़ी तैं फोरेस्ट्री डिप्लोमा वास्ता इंग्लॅण्ड भेजी पैथर पद्मा दत्त बन विभाग को अधिकारी बौण
लैंस डौन विद्यालय तैं ४००० रु, कर्ण प्रयाग विद्यालय तैं ३००० रु दिने
कशी हिन्दू विष विद्यालय मा कीर्ति शाह चेयर -इण्डस्ट्रियल केमिस्ट्री ' का वास्ता एक लाख रुपया देन
सार्ब्जानिक पुस्तकालय , प्रताप हाई स्कूल तैं इंटर कौलेज बणे . टीरी मा कन्या पाठशाला खोले गे
टिहरी  मा कष्ट कला विद्यालय खोले गे 
अस्पताल : भौत सा अस्पताल बि खोले गेन 
जन संख्या आकलन : जन संख्या आकलन को काम बि शुरू ह्व़े
घना नन्द खंडूडी को सम्मान : घना नन्द खंडूडी न तिब्ब्र सीमा विवाद, आदि भौत सा सामजिक काम क्ररीन
 घना नन्द खंडूडी तैं राजा ण सम्मान दे. घना नन्द खंडूडी ण मुकंदी लाल तैं इंग्लैण्ड
जाणो बान ३५००० रु बि  दे छ्या
चक्र धर जुयाल : झांझ गौं, सितौनस्युं, पौड़ी ग. को चक्रधर जुयाल सणि भवानी दत्त उनियाल की जगा पर दीवान बणये गे
हिमाचलऔ दगड सीमा विवाद सुळजण : चक्रधर जुयाल के साफ़ सख्त ब्थुन हिमाचल सीमा विवाद सुळज 
बीर गबर सिंघौ समळऔण मा स्मारक : चंबा मा बीर गबर सिंग स्मारक की स्थापना ह्व़े
ग्राम पंचाय्तुं उत्थान : नरेंद्र शाह न गाँव मा पंचायत तैं सुचारू ढंग से काम करणों कोशिश करी   
 राज्य प्रतिनिधि सभा : पैल पैल त राज्य प्रतिनिधि दिखाणो ढोंग थौ पण पैथर यीं सभ मा २० चुनी क अयन सदस्य ह्वेन
अर पन्दरा राजा क नामजद सदस्य ह्वेन
शराब बणाण  पर रोक : चक्रधर जुयाल न खौळ म्यालोँ  बगत छोड़िक हौरी समौ मा शराब बणोण पर रोक लगाई
मिलसारा से मुक्ति : बौ क परांत जब द्वी झणो मा नि बणदि छे त छुट (तलाक) लिए सक्यांद थौ अर
जु ओ द्वी झण दुबर फिर से ब्यौ करण चन्दा छया त ऊँ तैं 'मिलासरा ' कर दीण पड़दो छौ. चक्रधर जुयाल
न मिलसारा  कर बन्द कराये .
             जनजाग्रती

गढवाली अब भैर जा न बिसे गे छया त याँ से टिहरी गढ़वा ळ मा बि स्वतंत्रता आन्दोलन की सुगबुगाट हों लगे गे छे
रवाईं कांड : रवाईं  का लोक  बन व्यवस्था से रुस्यां /नाराज छ्या ऊँन आजाद पंचायत को गठन करी जो चक्रधर जुयाल
तैं नि सुवाई वैन आन्दोलान्कार्युं तैं पाठ पढ़ाणो काम करी.
ये मा कत्ति दें लोकुं पर बंदूक चलाये गे
अर फिर रवाईं काण्ड मा गोली चलये गे, लोखुं तैं प्रताड़ित करे गे . कथगा इ लोकुं जान गे
विशम्बर दत्त चंदोला तैं जेल : विश्वम्बर दत्त च्नादोला हिन्दू समाचार समाचार पत्र छापडा छौ अर वैन
रवाईं काण्ड कि खबर अखबार मा क्या छाप कि चक्रधर जुयाल तैं नागँवार लगे गे
चक्रधर जुयाल न धन, अर कुन्नेती का बल पर चंदोला तैं देहरादून का न्यायलय मा केश चलाये
. चंदोला तैं जेल ह्व़े.
तारा दत्त गैरोला पर अभियोग: एक दें टिहरी गढ़वाळ को नमी वकील तारा दत्त गैरोला ( सदयी ,
मिमोर ऑफ गढ़वाल को लिख्वार) न टिहरी प्रशाशन की बड़ी काट करी त चक्रधर जुयाल न
गैरोला पर मुकद्दमा कॉरी दे जखमा चक्रधर जुयाल हारी गे अर जुयाल तैं  गैरोला
तैं 'हर्जा-खर्चा' दीण पोड़
तकाबी अर बकाया कर माफ़ी : नरेंद्र शाह क बगत 'तकाबी अर 'बकाया' कर की माफ़ी बि ह्व़े
ऋषिकेश कीर्तिनगर मोटर मार्ग : चक्रधर जुयाल की रूचि को कारण ऋषिकेश-कीर्तिनगर मोटर मार्ग
 अर टिहरी मोटर मार्ग बौण
चक्रधर जुयाल को रिटायर हूण : चक्रधर जुयाल १९३९ मा रिटायर ह्व़े अर वैकी जगा पर
मौली चन्द्र शर्मा तैं फेडरल सेक्रेटरी बणये गे
टिहरी रियासत को दुसर विश्व जुद्ध मा मिळवाक् : टिहरी रियासत न दुसर महायुद्ध मा ब्रिटिश राज
के बड़ी मदद करी अर सैकड़ों जावन ब्रिटिश सेना मा भारती कराये गेन
विद्या धर जुयाल तैं सम्मान :  ब्रिटिश सेना मा लेफ्टिनेंट विद्याधर जुयाल तैं अफ्रिका मा साहसपूर्ण काम
का एवज मा डिस्टिंगविश्ड सर्विस आर्डर की उपाधि से सम्मानित करे गे
                प्रजामंडल अर सुमन की आहुती        
कोंग्रेस अर गांधी जे क नेतृत्व मा ब्रिटिश गढ़वाळ मा स्वतंत्रता आन्दोलन जोरून मा चलणु छौ
टिहरी मा द्वी काम छौ एक त टीरी का राजा से छुटकारा र स्वतंत्रता .
देहरादून मा टीरी का वास्ता टिहरी राज्य प्रजामंडल कि स्थापना १९३९ मा ह्व़े
प्रजामंडल मा श्री देव सुमन (जौं ळ , बमुन्द , टिहरी) को आण से
प्रजामंडल की गति विशी भौत बढींन . सुमन कोंग्रेस का भौत सा सम्मेलनु  (श्रीनगर राजनैतिक सम्मेल्लन १९३८,
 देसी राज्य लोक परिषद्, लुधियाना १९३९,  लोक परिषद मुंबई १९४० आदि ) मा भाग ल़े. 
भाषण पर पाबंदी : टिहरी राज मा श्रीदेव सुमन का भष्णु पर पाबन्दी लगी.
कुछ आन्दोलनकारी ;  ये दौरान रज्जा अर वैका अधिकारी प्रजा मंडल का आन्दोलन तैं दबाणा बान भौं भौं
कौंळ  करणा रैन .
 छात्र नेता राम चन्द्र उनियाल अर राम प्रसाद बहुगुणा तैं  १९४२ मा जेल ह्व़े
लाहोर बिटेन कविराज दया शंकर भट्ट टिहरी का गौं गौं सोतान्त्र्ता का प्रचार करण लगी गे
आनंद स्वरुप रतूड़ी, ब्राह्म देव सीर्सवाल, शिव प्रसाद जोशी , डा कुशला नन्द गैरोला मसूरी मा मजदूर संगठन का बल
पर लोगूँ तैं चित्वळ जाग्रति फैल़ाणा) करणा  रैन
देव प्रयाग का बिद्या धर 'भिकारी' पत्रकार भैर का अख्बारून मा टिहरी को क्रूर शासन के खबर देणो रै
भगवान् दास मुल्तानी साबुण बेचणो बहाना से टिहरी का गाँव गाँव घुम्दो थौ अर लोखुं तैं चित्वळ करदो छौ
'पौण टूटी' कर : यू एक्श्पोर्ट अर इम्पोर्ट ड्यूटी छे अर लोक भौत रूसयाँ छया
'आमद  कर ' :   १९४१ मा राज्य प्रतिबिधि सभा न एक विधेयक पास ह्व़े जै मा  सालाना  २००० रु से अळग आमद पर कर लगाणे
नियम बौण हालाँकि खेम राज बहुगुणा, देवेन्द्र दत्त सकलानी, महानंद डंगवाल, लक्ष्मी चंद जैन,
इंद्र सिंह नेगी, शंकर सिंह, रतिराम अर नारायण सिंह जन प्रतिनिधि सभा सद्स्युन  विधेयक को विरोध कॉरी छौ
याँ से मातबर लोक बि राज को विरुद्ध ह्व़े गेन . सुमन न प्रतिन्ध्युं तैं त्यागपत्र को सुजौ दे
सुमन तैं राज्य निकाल़ा : १९३८ मा सुमन तैं राज्य निकाल़ा करे गे अर देहरादून जेल मा रखे गे . ९ सितम्बर खुणि
प्रों भगवती प्रसाद पांथरी , शिव प्रसाद पैन्यूली , रघुबीर पैन्यूली तैं बि देहरादून जेल मा भिजे गे
कार्यकर्ताओं की धर पकड़ : रियासत शासन न टैम टैम पर वीरेन्द्र सकलानी, प्रेम दत्त डोभाल, दिनेश चंद सकलानी,
बंशी लाल पुंडीर अर शिव प्रसाद नौटियाल, मनोहर लाल 'श्रीमन' तैं बंदी बणये गे
देव प्रयाग मा रामदयाल, विद्याधर डंगवाळ , देवी प्रसाद कोठियाल , घनश्याम कोठियाल तैं जेल भिजे गे
घूसखोरी : पुलिस वा लुं मजा ऐ गे छया ओ घुस ल़ीण मा उस्ताद ह्व़े गे छया
मुक्ती अर फिर बंदी : कुछ दिनों मा आन्दोलन कार्युं तै जेल से भैर कार . पर फिर श्री देव सुमन तै बंदी बणये गे
जेल मा श्रीदेव सुमन न टीरी जेल मा अनसन करीं अर बाद मा आमरण अनसन मा बैठी गेन  अर बयासी दिन की
भूख हडताल ५ जुलाई  १९४४ का दिन श्रीदेव सुमन को महाप्रयाण ह्व़े/बलिदान दिवस च . सुमन को बलिदान तैं
क्वी बि गढवाळी , क्वी बि भारतीय, क्वी बि स्वतन्त्रता प्रेमी नि बिसर सकदो
ये दौरान प्रजा क दगड अर प्रजामंडल का क्रांतिकारियों दगड प्रताडन को काम जारी रै
 प्रजमंडक का क्रन्तिकार्युं जां कि परिपुरना नन्द पैन्यूली , इंद्र सिंग , टीकाराम, , भूदेव लखेड़ा , दादा दौलतराम
जेल मा अगस्त १९४६ई.  मा भूख हडताल पर बैठी गेन  फिर समझौता ह्व़े त आन्दोलान्कार्युं न  सितम्बर खुणि 
भूख हडताल खतम करी .
                 नरेंद्र शाह को सिंघासन त्याग

श्रीदेव सुमन को इंतकाल से देश मा जगा जगा टिहरी नरेश के भौत काट ह्व़े . आन्दोलन जोरूं पर थौ जु
थमणो नाम नि लीणों थौ . राजा  नरेंद्र शाह तैं २६ मई १९४६ को गद्दी से उतरणे घोषणा करे अर
विजय दशमी को नरेंद्र शाह न टिहरी रियासत की गद्दी अपण ज्याठ नौनु मानवेन्द्र शाह  तैं सौम्पू
 
बकै फड़की - 53  मा बांचो ...
 To be continued on part 53 rd
 
References:
Courtsy to books of Dr Shiv Prasad Dabral, Pundit Hari Krishn Raturi, Minyaan Prem Singh
Bhakt Darshan's garhwal kee divangat vibhutiyan
(Uttarakhand ka Itihas, History of Garhwal, History of Tihri Garhwal)
Copyright @ Bhishm Kukreti, Mumbai
[/b]

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22