Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1127345 times)

Bhishma Kukreti

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Mangament Guru -30

प्रबंध शास्त्री - 30   





                                       थिओडोर लेविट : मार्केटिंग को महत्व बथाण वाळ 

                     Theodore Levitt : Who Put Marketing  in First  Place             






Notes on General management Guru, , Notes on Managemnt Thinkers and Bright Management Practices,
 
Management Gurus, Marketing management Guru, Qaulity Mangement Guru, Operation Managemnt Guru,

Human Resourse Development Management Guru, )
 


                                             Bhishm Kukreti

                   

                 थिओडोर लेविट (१९२५-२००६, दगड्यों बीच टेड ) क लेख 'मार्केटिंग मायोपिया' (१९६०) न ब्यौपार अर व्यौपार- अकादमी संसार 

मा धमाका कार. जै टैम पर  उत्पादन काम छौ अर मांग जादा छे वै बगत पर थिओडोर लेविट क 'मार्केटिंग मायोपिया' लेख न

अकादमी विद्वानु अर ब्यापारियुं तैं सुचण पर मजबूर कार बल मार्केटिंग को भौत इ महत्व च. इनी लेविट कु लेख

'ग्लोबलाइजेसन ऑफ़ मार्केट्स' (१९८३)  से सन १९४४ मा सुच्युं शब्द 'ग्लोबलाइजेसन' तैं ब्यापारिक अर अकादमिक

संसार मा प्रचार अर प्रसार मील.



            थिओडोर लेविट कु जनम जर्मनी मा ह्व़े छौ अर वो अपण परिवार को दगड जर्मनी छोड़िक अमेरिका आई.

    थिओडोर लेविट ण हार्वर्ड बिजिनेस स्कूल मा तीस साल तलक मार्केटिंग पढ़ाई अर जग प्रसिद्ध हार्वर्ड बिजिनेस रिव्यू  क

पांच साल तक संपादक बि राई

              थियोडोर को मनण छौ बल बगैर मार्केटिंग तैं महत्व दियां क्वी बि बड़ो बिजिनेस तैं सफलता नि मील सकदी .मार्केटिंग मायोपिया

लेख का बाद थिओडोर न मार्केटिंग मुतालिक अकादमीय विद्वानु अर ब्यापारिक प्रबन्धकुं तैं कथगा इ विधाऊ से  परिचय कराई

             थिओडोर लेविट तैं कथगा इ प्रसिद्ध संस्थानु न पुरुष्कार देन

               

                    Books and Artilces by Theodore Levitt

Artilce, which created stir in business world, 'Marketing Myopiya', 1960

Another article 'Globalization of Markets' 1983,  popularized the word 'Globalization' in the business world.



1- Innovation in Marketing : New perspectives for Profit and Growth, 1962

2-Marketing for Business Growth, 1974

3- The Marketing Imagination, 1983

4- Thinking about Management, 1991



हैंको Management Guru का बारा मा फड़कि -31 मा बाँचो
 


Management Guru, management Thinkers Series to be continued.......



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कुतगळी  अर खैड़ाs कटांग   [/color]
 

                                हे! खिल्वणि  : तेरा कथगा रूप ?         
 
 

(Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,
Satire and Humour in Himalayan Languages)

 

                                               भीष्म कुकरेती

 

               खिल्वणि काम बौगा न होंद .  खिल्वणि  आजी ना पुरण जमानो मा बि  छया.

खिल्वणि बच्चों ह्वेन या बूड दुयूं तैं पसंद आंदो. हाँ खिल्वणि क ढांचा  समौ, जगा, ,

अर वर्ग को हिसाब से , भौं भौं का प्रकारअलग अलग रूप  होन्दन. ढुंग जुग/पाषाण युग की

खिल्वणि आज  बूड या बच्चों तैं रास त ना अली पण जु यि खिल्वणि म्यूजियम मा राली
 
 त सब्युं  तैं रौंस देली , हरेक खुणि मजा की बात ह्वेली .

                खिल्वणि कै बि जुग की ह्वावन पण छ त 'हैब्स अर हैब्स नॉट ' भेद करणे  निसाणि.
 
हरेक जुग मा खिल्वणि बर्ग भेद (क्लास डिफरेन्स ) करण मा कामयाब राई च .  राजा अर राजकुमार

हाथी मा बैठिक हाथी , शेर , गैंडा तैं खिल्वणि जाणिक  यूँ जानवरूं  शिकार  करदा छा त गरीब गुरबा
 
चखुली तैं खिल्वणि  मानिक  पथरों न शिकार करदा छा. कती लोक  स्याळ , कुरस्याळऊँ  दगड

प्रतिस्पर्धा करदा छा अर सौलु तैं खिल्वणि समजिक सौले  शिकार करदा छा.


            हमन त बाळपन मा खिल्वणि द्याख नी छे हाँ म्यार गौळउन्द एक अज्वाणे (अजवाइन )
 
की थैली लटकी रौंदी छे .   अज्वाणे वा इ थैली खिल्वणि बि छे अर पथ्य बि छे. जब हम रूस्वड़ ब्वालो या

बेडरूम ब्वालो क भितर रौंदा था त भांड कूंड, लुट्या (वो बि एक) , गिलास या थाळी इ  हमकुण

खिल्वणि छया . भैर चौक मा जु बि माटो , गारो या कठग छया खिल्वणि छया. जौंका ब्व़े -बाब

जरा समजदार या ब्यूँतदार  छया त ओ  अपण छ्वटों कुण रिंगाळ की  पिंपरी बणेक दीन्दा छया .

जरा बड़ होण पर हम अपण पाटी,  बुळख्या अर कम्यड़ू  तैं इ खिल्वणि समजिक खेल करदा छया.

प्याजौ बगत पर प्याजौ डंकुळी से पिंपरी बजान्दा छया. हमर बगत मा  बस यो ही  खिल्वणि छया.

 

           अब त खिल्वणियूँ मा बि भौत  विकास ह्व़े गे . अब त मनोविज्ञान का हिसाब से

खिल्वण अर खिल्वणि बणना छन. अर इलेक्ट्रोनिक टॉयज को  त क्या बुन !  हाँ गरीबुं खुणि

प्लास्टिक का खिल्वणि अर मातबरूं / अमीरुं खुणि मनोविज्ञान का हिसाबन खिल्वणि उपलब्ध छन .
 
 

           खिल्वणि खाली बच्चों खुणि इ नि होन्दन बल्कण मा राजनीति का खल्यण /खलिहान

 मा तक  बैक (प्रौढ़) जनता कुणि बि खिल्वणि इजाद करे गेन अर रोज इ असंख्य खिल्वणि

राजनीति कबौण मा कुल्चर करे जान्दन.

 

                मि तैं याद च जब उत्तरप्रदेश   मा पर्वतीय मंत्रालय खुली  छौ  त भग्यान शिवा नन्द नौटियाल

न धाई लगैक , किरैक, फडेक , ऐड्याट भुभ्याट  कौरिक बोली छौ , "उ.प्र. सरकार ने पहाड़ियों को

पर्वतीय मंत्रालय डे कर झुनझुना पकड़ा दिया है." शिवा नन्द नौटियाल तैबारी विरोधी पार्टी मा छया

त पृथक पर्वतीय मंत्रालय तैं  खिल्वणि बतायी .पण जै तैं बि जब बि पर्वतीय मंत्रालय की

खुर्सी मील वो बड़ो उलारी  / उत्साही भौण मा बुल्दु छौ, " पर्वतीय मंत्रालय खिल्वणि नी च बल्कण मा

 पहाड़यूँ  बान रसगुल्ला च, गुलाबजामुन च, अरसा च, रसमलाई च, अरे राजभोग च ." 

 

             इथगा मा शिवा नन्द जी औडळ बीडळ ल्हैका बोल्दा छया , " हाँ पृथक पर्वतीय मंत्रालय राजभोग त छें

 च पण वैखुणि जु पर्वतीय मंत्रालय को मंत्री बौण." विरोध अम छया त नौटियाल जी न इन बुलणि छौ 

             हाँ पर एक बात सत्य च जु पर्वतीय मंत्रालय का मंत्री -संतरी रैन वूं खुण पृथक पर्वतीय मंत्रालय

राजभोग इ राई अर पहाड़ी जनता खुणि पृथक पर्वतीय मंत्रालय खिल्वणि ही राई. उन दिखे जाओ त

पृथक उत्तराखंड राज्य बि अब पहाड़यूँ  बान झुन झुना इ साबित हूणु च. हाँ !  खिल्वणि ज़रा बडी च .

 

            अच्काल क्या आजादी मिलणो उपरान्त डिल्ली मा अर प्रदेसुं राजधान्युं मा रोज नी बि हवाव्न त

सैकडाक कमीसन बैठाए जांदा  होला  . अर कमीसन क्या खुणी की मंत्री न घूस खायी की ना , जनता की

क्या क्या परेशानी छन , बाढ़ किलै आन्द अर रुड़ी मा पाणी क किल्लत किलै हूंद. इख तलक कि

विधान सभा परिसर का आस पास कुत्ता किलै  टंगड़ उठान्दन जन विषयूँ  पर कमीसन बैठदा छन.

 

            राजनीति क चौक / परिसर मा कमिसन बैठाण कुछ नी च बलकण मा जनता तैं

बौगाणो  'जिग्सौ पज्जल' च कमीसन अपण काम टैम पर करदो नी च अर जनता आस मा इ बौगीं रौंदी

           राजनीति मा कमिसन बैठाण मतबल लोगूँ तैं कैबेज पिच किड्स कि खिल्वणि दीण   कि लोग बौग्याँ
 
रावन . 

           जब लोक परेशान ह्व़े जान्दन अर आतुर्दी  मा आन्दोलन करण बिसे जान्दन त सरकार क्वे कमिसन नाम क

कैलिडोस्कोप जन खिल्वणि  जनता तैं पकडै दींद अर कैलिडोस्कोप मा जन बनि बनि क रंग से लोग रौंस लीन्दन
 
उनि कमिसन का रंग ढंग देखिक लोक अचेते जान्दन अर समस्या तैं बिसरी जान्दन. सरकारी कमिसन

जनता तैं असली समस्या से दूर रखणो खिल्वणि च ,

 

     राजनीति मा नेताओं आश्वासन कुछ नी च बल्कण मा यो-यो, हुला -हूप, लेगो, बार्बी , , पोगो स्टिक, स्लिंकी.
 
सुपर सोकर , टेड्डी बियर , लिनकॉलिन लौग्स, रुबिक क्यूब्स, कोर्गी , जोवो, ऐन्ट फार्म,  लीप फ्रौग , स्नूपी ,

जन खिल्वणि होन्दन . हाँ खिल्व णि त बच्चों तैं रौंस बि दीन्दी अर बौगांद बि च . पण राजनीतिक आश्वासन

रूपी खिल्वणि बस पैल पैल बौगांदी च अर बाद मा निराशा पैदा करदी .

 

               उन यो फोकट मा बौगाणो काम आज इ नी होंद बल्कण मा पुराणो जमानो मा बि होंद था .

 गुरु द्रोणाचार्य न त अपण नौनु तैं बौगाणो बान दूध कि जगा चूना क सुफेद पाणी पिलाई थौ. 

 
          खिल्व णि बौगांद बि च अर वर्ग भेद की बिसात बि बिछांदी करदी . जन आजकल

टॉय /खिल्वणि /खिल्वण उत्पादक नया अनवेषण/खोज  करणा रौंदन की ग्राहकुं तैं नया नया

खिल्वणि मिलन  उनि अजकालौ नेता लोक हर पल , हर सेकंड मा आश्वासन अर कमिसन बैठाण 
 
की खिल्वणि जनता तैं दीणो बान खोज पर लग्यां  रौंदन. द्वीई टॉय उत्पादक बि अर नेता लोक बि

खोजी छन.

 

Garhwali Humour, Garhwali Satire, Humour and Satire from Uttarakhandi Languages,

Satire and Humour in Himalayan Languages to be continues in next issue ...

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Mangament Guru -31

प्रबंध शास्त्री - 31   





                                           कुर्ट लेविन  : बदलौ प्रबंधन अर ग्रुप डाईनेमिक्स  को  धड्वे                           

                         Kurt Lewin: Change Management and Group Dynamics Fame




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                              Bhishm Kukreti


       कुर्ट लेविन  (१८९०-१९४७ ) की खोज अर सिद्धांत अबि बि औचित्यपूर्ण अर संगत  छन.

जर्मनी मा जनम्युं कुर्ट लेविन औ नाम  सामाजिक मनोविज्ञान मा   बड़ो आदरणीय च .

बर्लिन वि.वि बिटेन पीएच. ड़ी कार अर फिर वुखी पढ़ाण बिसे गे पण १९३२ मा कुर्ट तैं

जर्मनी छुड़ण   अर अमेरिका मा बसण पोड़.


                                    नेतृत्व का ढंगढाळ /शैली अर शैली को प्रभाव


            लिप्पिट, व्हाईट क दगड  कुर्ट न नेतृत्व क ढंग ढाळ पर खोज (१९३९)  आर अर पाई की


तीन तरां का नेतृत्व हूंद :

१- डेमोक्रेटिक, प्रजातंत्री नेतृत्व 

२-ऑटोक्रेटिक , निरंकुश नेतृत्व

३- लाइसेज -फेयर , ठीक ठाक बस

            यूँ तीन सामाजिक मनोविग्यानकों न पाई बल प्रजातांत्रिक नेतृत्व जादा सटीक अर सफल ढंग च



                     ग्रुप मा निर्णय लीण



              दुसर विश्व  जुद्ध को परांत कुर्ट न अमेरिकी सरकार का वास्ता एक खोज करे अर पाई

कि बदलाव  करद दें लोगूँ/सदस्यों तैं योजना, विधि बणाण दें शामिल करे जाव त बदलाव चौड़ /जल्दी

बि औंद अर बदलौ ल़ाण मा औसंद/अट्वांस /कठिनाई बि कम आन्द

              वतावरण  को सदस्यों क स्क्यात/शक्ति पर प्रभाव 

 
           कै बि संगठन या समूह मा कुछ फ़ोर्स काम करदन अर य़ी फ़ोर्स काम कु  क्षेत्र

क वातावरण से प्रभावित हुन्दन

* आचरण वातावरण को फल च

*कबि बि निरीक्षण या समीक्षा पूरो काम को हूण  चएंद ना कि काम क टुकड़ो क

हाँ ! हरेक टुकडा पूरो तैं प्रभावित करदो

* ठोस व्यक्ति याने ठोस काम



                    बदलाव नमूना /मॉडल  का तीन सूत्र   

 
           कुर्ट लेविन क बदलौ बदलू नमूना या चेंज मॉडल आज बि संगत च अर या बिगळी/अलग

बात च कि मानो विज्ञानिकुन इख मा कुछ बदलाव कौरिन पण आधारिक नमूना   

कुर्ट का इ हूंद

१- बदलाव की तैयारी : यीं स्थिति मा पैल त नेतृत्व तैं बदलाव तैं स्वीकार करण पोडद ,

फिर बद्लौ  की तैयारी कौरिक हौर्युं तैं बि बदलाव का बान तैयार करण पोडद. बदलाव क्वी

बि ह्वाऊ सद्यानी इ बदलाव मा पैल पैल आराम से कम-आराम की स्थिति से भेंट हुंदी अर यो इ

आराम अर कम-आराम की स्तिथि लोगूँ तैं बदलाव से दूर करदी

२- संक्रमण काल या बदलाव: बदलाव एक घटना णि होंदी बल्कण मा एक विधि/प्रोसेस होंद.

जब बदलाव की तैयारी से बदलाव क तरफ कदम बढ़ये जान्दन त,बदलाव हुंद अर यो बि

एक संक्रमण काल कु समौ हूंद. संक्रमण काल कठण समौ होंद जख मा लोक बदलाव विधि

सिखदन, लोक विधि तैं समजण मा टैम लगांदन , बदलाव तैं अपण्यान्दन, अफु तैं अनुकरण

लैक बणान्दन.   इख मा उच्च प्रबंध पंगत तैं तौळ वाळऊं  तैं पूरो समर्थन दीण जरुरी च .

३- बदलाव को टिकण: तीसरी स्तिथि मा बदलाव अपण जगा मा जमी जांद याने बदलाव

अपण उद्देश्य पूर्ति करण बिसे जांद, बदलाव अब एक सत्य ह्व़े जांद.



                            ट्रेनिंग ग्रुप (टी-ग्रुप)     



कुर्ट लेविन ट्रेनिंग ग्रुप या टी-ग्रुप क खोजी बि छौ . जब कै बि काम /खेल मा 

 अलग अलग ग्रुप आन्दन त हरेक ग्रुप अलग अलग आचरण करदन अर

उदेश्य पूर्ति बान  अलग अलग ग्रुपुं मा एका करणे खास विधि होंद. 


                    एक्सन रिसर्च

  कुर्ट लेविन क  टी  ग्रुप अर एक्सन  रिसर्च कु आपस मा  मा सम्बन्ध  च .

एक्सन रिसर्च मा कुर्ट को बोल ण च बल कार्य क बान  खोज औ बान

कार्यकर्ताओं को  शामिल हूण जरुरी च



                     Books by Kurt Levin

1- Resolving Social Conflicts : Selected Papers on Group Dynamics, 1948

2- Field Theory in Social Science (Edited by Dowrwin), 1952



 


हैंको Management Guru का बारा मा फड़कि -32 मा बाँचो

 

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Mangament Guru -32     

प्रबंध शास्त्री - 32     


                                                       अब्राहम मासलो : मानवीय जरुरात को जणगरु       



                                   Abraham Maslow : Famous for The Heiarchy of Needs

               



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                        अब्राहम मासलो 'थिओरी ऑफ़ हैरार्की ऑफ़ नीड्स' क बान प्रसिद्ध च .

               महान मनोवैज्ञानिक अर आचरण वैज्ञानिक अब्राहम मासलो (१९०८-१९७०)अमेरिकौ वासिन्दा  छौ.

अब्राहम क मनिखों पांच आधारभूत जरोरत की चर्चा आज  क्या भोळ बि होली .

मासलो न बताई बल य़ी पाँच आवश्यकता मनुष्य का वास्ता प्रोत्साहन दायी/प्रोत्साहन मूलक  छन

१- ज़िंदा रौणे आवश्यकता : खाणक , पाणी, झुल्ला, कूड, गर्मी अर निंद जन आवश्यकता ज़िंदा रौणे जरूरी छन

२- सुरक्षा, बचाव, जमानत: सुरक्छा, बचाव, जमानत आदि दुसर महत्वपूर्ण आवश्यकता च

३-सामाजिक आवश्यकता; गाँव गौळ मा रौणे याने समाज मा रौणे आवश्यकता बि जरुरी च

४- अहम् तुष्टि  भावना : चौथी आवश्यकता अहम् तुष्टि च गर्व, मान, सम्मान , आदर सत्कार आदि बि

जरुरी ह्व़े जान्दन.

५- अंतर्मन या आत्म संतुष्टि :  जब सौब कुछ प्राप्त ह्व़े जाओ त मनिख आत्म संतुष्टि चांदो या आत्म संतुष्टि की

खोज मा जांद.

  हरेक मनिख की आवश्यकता अलग अलग होन्दन अर वीं आवश्यकता /जरोरात तैं पछ्याणिक

मनुष्य तैं प्रोत्साहन दिए जाण चएंद


                    Books by Abraham Maslow


 1- Motivation and Personality, 1987

2- The Further Reaches of Human Nature 

 



हैंको Management Guru का बारा मा फड़कि -33 मा बाँचो

 

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Mangament Guru -33     

प्रबंध शास्त्री - 33     


                                        इल्टन मायो: कार्य-संतुष्टि कु महान प्रबंधन  विचारक

                     Elton Mayo: Famous for The Hawthorne Experiments                                       





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                                    Bhishm Kukreti

                ऑस्ट्रेल्यौ वासिन्दा इल्टन मायो (१८८०-१९४९) न अडेलैड वि.वि मा मनोविज्ञान पौढ़ अर

फिर क्वीन्सलैंड वि.वि मा मनोविज्ञान, दर्शन शाश्त्र को प्रोफ़ेसर बौण. १९२३ मा इल्टन मयो

अमेरिका ऐ गे अर पेनिसिल्वेनिया वि.वि मा प्रोफ़ेसर बौण. इख मायो तैं  हावथोर्न कपड़ा मिल 

मा कुछ खोज कु मौक़ा मील (१९२४-१९२८) . यीं मिल मा मजदुरूं  टर्न ओवर २५० प्रतिशत छौ

जब की हौरी उद्योगों मा मजदूर टर्न ओवर मात्र चै प्रतिशत छौ ,

बाद मा मायो हार्वर्ड वि.वि मा प्रोफ़ेसर बि राई, अमेरिकी सरकार तैं उद्योगुं मा मजदूर

समस्याओं सलाहकार बि राई  , अर इल्टन मायो पैथराँ   ब्रिटेन मा बि सरकारों सलाहकार राई.   


इल्टन मायो न प्रोत्साहन, नेतृत्व, कार्य-संतुष्टि  आदि पर अप ण विचार देन जु आज बि कम आन्दन

*मजदूर संतुष्टि मा कामकाजी वतावरण महत्वपूर्ण होंद अर मजदुरूं स्वतन्त्रता भौत माने रखद

*एक हैंकाक विचार आदान-प्रदान, सहयोग से समूह मा एकता आन्द

* कार्य  संतुष्टि , उत्पादकता खुणि तनख्वा से जादा  सहयोग, अर गर्व की भावना महत्वपूर्ण होदन 



                                  Books by Elton Mayo


1- The Human Problems of an Industrial Civilization, 1946

2-The Second Problems of an Industrial Civilization , 1949


 
 

हैंको Management Guru का बारा मा फड़कि -34 मा बाँचो

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Mangament Guru -34     

प्रबंध शास्त्री - 34     



 

                                      डगलस मैकग्रेगोर :पूठों  पर डंडा  ('X ') अर पुल़े पुल़े क पटाणो ( 'य) 'सिद्धांत क बुबा जी 



                                       डगलस मैक्ग्रेगोर : 'X ' अर 'Y ' सिद्धांत  का प्रतिपादक

                                       Douglas Mcgregor: Famous For Theory X and Theory ''Y''                          







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                                                     Bhishm Kukreti
                        डगलस  मैकग्रेगोर (१९०६-१९६४) क नाम महान प्रबंध विचारूं मा आन्द. मैकग्रेगोर हार्वर्ड वि.वि मा पढान्द  छौ.

डगलस का प्रोत्साहन का द्वी सिद्धांत आज बि चर्चित अर औचित्यपूर्ण छन



                                   सिद्धांत  एक्स या पूठों पर चटका /डंडा



       एक्स सिद्धांत की धारणा छन :

१- साधारण मनिख  काम पसंद नि करदो  अर जख तक ह्व़े साको काम तैं टाळदो च 

२- चूँकि मनिख काम नि करण चाँद त कम कराणो बान टैट/कठोर नियंत्रण, जोर- जबरदस्ती, दिशा बताण ,

अर डौर, डंड्याणे  की जरुरत होंद

३- अब जब कि आम  मनिख कम नि करण चाँद, दिशा की जरुरत वळ होंद त इन मनिख महत्वाकांक्षा हीन होंद


                                  सिद्धांत 'वाई' माने पूल़े क काम हूंद



  सिद्धांत 'वाई' मा धारणा छन :

१- काम की इच्छा इनी होंद जन खिलण  या आराम करणे इच्छा. याने काम ही प्रोत्साहन को स्रोत्र छ

२-डंड , डौर ही से लोक काम करणो कोशिश नि करदन  बल्कण मा  स्व-दिशा अर स्व-नियंत्रण का तहत बि काम करदन

३-उदेश्य -प्रतिबद्धता को सम्बन्ध कार्यपूर्ति से मिलण वाळ इनाम /पुरूस्कार से च

४- जु वातावरण ठीक ह्वाऊ त मनिख सिखद बि च अर खिड  जुमेवारी बि लीन्दु   

५- लोकुं मा संस्थान की समस्या समाधान का वास्ता कल्पनाशीलता, उद्यम अर रचनाधर्मिता होंद च

६- आधुनिक उदोगुन मा , लोकु मा जथगा सामर्थ्य च  वांक पूरो प्रयोग नि होंद.       

   

                         Books by  Douglas McGregor
 
1- The Human Side of Enterprise, 1960

2-Leadershipand Motivation, 1966

3- The Professional Manager , 1967 
 
 


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         Chal Maangan : An Invocating deities  Folk song for Pnadaun, Garhwali-Kumauni Folk Dance

(Garhwali Folk Dance, Garhwali folk songs, Kumauni Folk Dances, Kumauni Folk Songs )

                                    Bhishm Kukreti
   Pandau Nrity geet (Pandau dance-Song) is a very popular and likable religious and community dance-song of Kumaun and Garhwal regions of Uttarakhand.
             Pandau Nrity is a dance of Mandan (मंडाण). Mandan dance means where the worship and dance is performed around fire (Agni devta). The place is usually, country yard, community yard and dancers dance in groups with full vigor. There is no restriction of numbers of dancers in Pandaun dance (पंडोउ-
नाच). The dance is called ‘Mandan (मंडाण) only when there is worshipping of fire at the corner by music instrument players-Aujee/das. Lighting fire by rituals calls the deities. The Aujees worship deities as Bhumipal, Khetrpal, Ghandyal, and Kurum deities by aid of Chandan, Akshat, Roli-Pithai, dhoop-deep after worship of fire. The fire is burnt till the dance ceremony is not completed (Pnadon nrity samapan).
   Male Pandau dancers dance in circle and there is lighted fire in the centre of circle called ‘Bhad or Homastahal. The music instrument players and the jagar singer who is also a Aujee and music instrument Dhol player.
 After Agni Pooja and Vastuk pooja, the Aujee/singer (the dhol player ), perform the Chauras Baja ceremony through music and ritual songs.
  When Chauras performance is over , the singer or Pandoli (who is specialist of Pandau stories) asks for ‘Chal’ which is called ‘Chauras Mangan’.
 The song for ‘Chal-mangan ‘is as under:

           गढवाली लोक नृत्य पंडो नाच का 'चाल मांगण ' गीत

अमर रयान तेरी राम तोता बाणी ..... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरा ह्रदय सागर ...........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान तेरो सोवन कनौठी........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान यो तामा बिजेसार ......... (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान नौ टंका नागर ............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
अमर रयान सोळ टंका ढोल ...............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
पिता स्याम्दासु ! माता महाकाली .........(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
लगौ मेरा दास टकनौरी रान्सा ............ (ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),
जंगलूं          की      सैर ..............(ढोल-दमाऊ की ध्वनि-- गिजा-गिजड़ी ),

   As soon as the Dhol Bajan val Aujee (The dhol player who also sing Chal-mangan Jagar geet)
Starts singing and both Dhol and damau players play Dhol-Damau in the tone of ‘gija-Gijadi..Gija-gijadi’
, the dancers stand in circle and start dancing. The dance of Chal-mangan’ is very slow and creates the  rapture of peace (Shant evam Bhakti Ras) .

Source: Dr Shiva Nand Nautiyal,   

Folk Dance, Garhwali folk songs, Kumauni Folk Dances, Kumauni Folk Songs to be continued in following page..
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Mangament Guru -35     

प्रबंध शास्त्री - 35                                                   




                                       हेनरी मिंट्ज बर्ग : प्रसिद्ध वहु विधाई प्रबंध शास्त्री

                                        Henry Mintzberg: a Great Genralist




(Notes on General management Guru, , Notes on Managemnt Thinkers and Bright Management Practices,

 Management Gurus, Marketing management Guru, Qaulity Mangement Guru, Operation Managemnt Guru,

Human Resourse Development Management Guru, )
 


                                                 Bhishm Kukreti


      कनाडा  मा जन्म्यु (१९३९) हेनरी मिंट्जबर्ग को नाम प्रबंध विज्ञान का भौत सी फान्क्युं (शाखाएं) मा प्रसिद्ध च.

कनाडा मा रेलवे मा काम करणों बाद  हेनरी मिंट्जबर्ग मैक्कगिल्ल वि.वि मा प्रोफ़ेसर बौण.

   हेनरी मिंट्जबर्ग ण भौत सी प्रबंध फान्क्युं/शाखाओं   मा अपण सिद्धांत बतेन जन कि   :

                                  १- संस्थानु रूप /आकार

अ- सरल संस्थान

ब- मशीन जन संस्थान जख सौब काम  औपचारिक रूप याने फोर्मल इ हूंद.

स- केन्द्रीय प्रशासन केन्द्रित संस्थान  जख इकैयुं  मा  स्वतंत्रता बि होंद 

द- प्रोफेसनल संस्थान जन अस्पताल, विश्व विद्यालय

इ. मिसिनरी संस्थान जख उद्देश्य/मिसन  तैं सबे बड़ो मान मिल्द

                   २- प्रबंधक कन काम करदन : या पर बि हेनरी मिंट्जबर्ग ण ल्याख अर चर्चित ह्व़े


१- मैंनेजरूं  काम नियम, अनियम, अनियमित -योजनाबद्ध  अर नियमित-योजनाबद्ध सबि मिलैक हूंद

२- मैंनेजर विशेषग्य अर गैर विशेषग्य होंद

३-मनेजर सौब जगा बिटेन सूचना लींद पण विश्वास सुणि बतुं पर करद

४- मैंनेजरूं  काम मा- वीरता, विविधता, अर खंडितता  होन्दन

५-प्रबंधकरण क काम विज्ञान से जादा कलाकारि /कौंळ  का हूंद

६- आजकर प्रबंधक को काम जादा जटिल हूणु च   

                                  ३- सूचना का प्रकार


               हेनरी मिंट्जबर्ग ण तीन तरा का सूचना बठैन , मोनिटर , भैर बिटेन भितर आण वाळ सूचना अर भितर बिटेन भैर आण वाळी सूचना

                                     ४- निर्णय
 
हेनरी मिंट्जबर्ग क बुलण च बल  निर्णय की जरोरत विशेष रूप से यूँ जगा मा पोडद :

अ-बदलाव ल़ाणे, बदलाव क शुरुवात,  बदलाव क टैम पर अनुकरण ,

ब- गडबडी टैम पर

स- संसाधनु बितरण

द- समझौता क बगत 

            रणनीति , योजना अर प्रयोजना

अ- विधि

आ- डाटा एकत्रीकरण  , संकलन

इ- मूल बातुं  ज्ञान,  , सामूहिकता अर प्रतिबद्धता

ई- रण नीति योजना को फल नी च बल्कण मा पवाण/ शुरुवात च


                  Books By Henry Mintzberg


1- The Nature of Mangerial Work, 1973

2-The Structuring of Organization : A Synthesis of the Research , 1979

3-Structures in Fives: Desgning Effective Organizations, 1983

4-Power in and Around Organizations, 1983

5-Mintzberg on Management: Inside our Strange World of Organizations, 1989

6- The Rise and Fall of Strategic Plnning , 1994

7-Stretegy Process: Concept , Contexts, Case, 1996

8- Mangers not MBAs, 2004

यांक अलावा अतः किताब और बि छपी गेन


Management Guru का बारा मा फड़कि -36 मा बाँचो
Management Guru, management Thinkers Series to be continued.......


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[color=blue]गढवाळी कवियुं रचना करणों ढौळ/ब्युंत -१ [/color] :



             गढवाळी क युवा  कवि श्री विनोद जेठूड़ी से भीष्म कुकरेती क छ्वीं
 

 

(ये वार्तालाप मा मीन पता लगाणे कोशिश कार कि कवि कविता गंठयांद दें कौं मनोस्थिति अर

कौं कौं भौतिक स्तिथियुं मा कविता करदन. आज गढवाळी का उभरदा युवा कवि विनोद जेठुड़ी से छ्वीं[/color
])


भीष्म कुकरेती को सवाल : आप कविता क्षेत्र मा किलै ऐन ?
 
विनोद जेठुड़ी क जवाब : कविता लिखण मेरु शौक छ अर शौक अछु लगदु ।
 

भी.कु. : आपकी कविता पर कौं कौं कवियुं प्रभाव च ?

वि.जे. : कै भी कवियो कु प्रभाव नी छ ....


भी.कु: आपका लेखन मा भौतिक वातावरण याने लिखनो टेबल, खुर्सी, पेन, इकुलास, आदि को कथगा महत्व च ?
 
वि.जे. : मै तै लिखदी दौं टेबल कुर्सी की क्वी जरुरत नी होन्दी.. बस इकुलास होण चयेन्दी..एक कलम और एक कागज..

भी.कु:: आप पेन से लिख्दान या पेन्सिल से या कम्पुटर मा ? कन टाइप का कागज़ आप तैं सूट करदन मतबल कनु कागज आप तैं कविता लिखण मा माफिक आन्दन?
 
वि.जे. :अधिकतर कलम अर कागज जु कि हमेशा मेरु किसा (जेब) पर होन्दु, बस एक क्वारु पन्ना ।


भी.कु:: जब आप अपण डेस्क या टेबले से दूर रौंदा अर क्वी विषय दिमाग मा ऐ जाओ त क्या आप क्वी नॉट बुक दगड मा रखदां ?
 
वि.जे. : ना फट सी एक कागज पर लिखी देन्दु अर किसा पर धारी देन्दु फिर टैम (समय) मिलण पर रचना तै पुरी करदु ।


भी.कु: माना की कैबरी आप का दिमाग मा क्वी खास विचार ऐ जवान अर वै बगत आप उन विचारूं तैं लेखी नि सकद्वां त आप पर क्या बितदी ? अर फिर क्या करदा ?
 
वि.जे. : मन करदु कि कागज मा वे विचार तै लिखुं पर परिस्तिथी तै देखी खन बस वे विचार तै वखी मु भुली जान्दु ..।


भी.कु:: आप अपण कविता तैं कथगा दें रिवाइज करदां ?
 
भी.कु:: बस १-२ दौ (बगत) लेकिन मणदु कि जादा बगत होण चयेन्दु ।


 

भी.कु:आपन कविता गढ़णो बान क्वी औपचारिक (formal ) प्रशिक्षण ल़े च ?
 
वि.जे. : कविता वर्कशाप का बारे मा ता नी सोची पर हां लैन्गवेज वर्कशाप का बारे मा सोची भी छ अर करि भी छ जैमाकि काफ़ि लोगो न (बच्चा, ज्वान और दान सयाण) सबो न भाग ले छ अर गढवाळी/कुमावनी भाषा सिखी छ। मार्च अप्रैल २०१० मा दुबई मा ।
 
भी.कु: हिंदी साहित्यिक आलोचना से आप की कवितौं या कवित्व पर क्या प्रभौ च... क्वी उदहारण ?

वि.जे. : मै द्वी भाषाओ गढवाळी व हिन्दी मा कविता लिखदु, कविताओ पर हिन्दी साहित्य आलोचनाओ कु थुडी बहुत असर दिखण कु मिललु ।
 

भी.कु:: आप का कवित्व जीवन मा रचनात्मक सुखो बि आई होलो त वै रचनात्मक सुखा तैं ख़तम करणों आपन क्या कौर ?

वि.जे. : हां नौकरी, परिवार अर जिम्मेदारियो की दगडी मनखी कभी-कभी इन फ़न्सी जान्दु कि वेतै रचना लिखण कु समय नी मिलदु..। ब्यस्त जीवन क दगडी समय क अभाव मा कवित्व जीवन पर इन सुखा पुडदु कि रचना लिखण कि कोशिस करा फिर भी नी लिखेन्दी..। कोशिस करदु कि कुछ समय एकान्त मा बितैउ...।
 
भी.कु:: कविता घड़याण मा, गंठयाण मा , रिवाइज करण मा इकुलास की जरुरत आप तैं कथगा हूंद ?

वि.जे. : इकुलास ही ता रचनाओ कि मुख्य सामग्री छ। बिना इकुलास कि कविता लिखण बहुत कठिन होन्दी ।
 

भी.कु: : इकुलास मा जाण या इकुलासी मनोगति से आपक पारिवारिक जीवन या सामाजिक जीवन पर क्या फ़रक पोडद ?

इकुलासी मनोगति से आपक काम (कार्यालय ) पर कथगा फ़रक पोडद
 
वि.जे. : अगर हम यखुली-यखुली रैन्दा ता हर जगह याकुं असर पडुदु छ, समाज, परिवार अर औफ़िस क सब लोग छ्वी लगान्द कि उ हमारु दगड जरा सी भी नी बैठुदु सायद हमतै पसंद नी करदु, पर ऊ तै क्या मालुम कि कविमन छ इकुलास ही अच्छु लगदु। बहुत फ़रक पुडदु जु कि सभीयो तै मै अभि लिखी नी सकदु ।
 

भी.कु:: कबि इन हूंद आप एक कविता क बान क्वी पंगती लिख्दां पं फिर वो पंगती वीं कविता मा प्रयोग नि

करदा त फिर वूं पंगत्यूं क्या कर्द्वां ?
 
वि.जे. : बहुत अच्छु सवाल पुछी आपन, मेरु दगड अकसर इन बहुत बार होन्दु जबारी तलक २-४ लैन लिखीन तब तलक क्वी ये जान्दु या समय समाप्त ह्वे जान्दु या अगने कि पग्ति तै बहुत समय चयेन्दु। मै यों पक्तियों तै समाळी कि धारी देन्दु अर हैकु दिन कोशिस करदु लेकिन हैकु दिन गठंयाण बडी मुस्किल होन्दी ता ईनी ही बेकार चली जान्दन ।
 

भी.कु: जब कबि आप सीण इ वाळ हवेल्या या सियाँ रैल्या अर चट चटाक से क्वी कविता लैन/विषय आदि मन मा ऐ जाओ त क्या करदवां ?

वि.जे. : झट सी उठीकी कागजी कि कतरी मा लिखण मिसी जांदु मै सन ता रात ही मा लिखण अछु लगदु जब सब लोग से जाउन क्वी आवाज ना हल्ला न चिबलाट ।
 

भी.कु: आप को को शब्दकोश अपण दगड रख्दां ?

वि.जे. : क्वी ना


भी.कु: हिंदी आलोचना तैं क्या बराबर बांचणा रौंदवां ?
 
वि.जे. : ना कभी कभी


भी.कु: : गढवाळी समालोचना से बि आपको कवित्व पर फ़रक पोडद ?

वि.जे. :जी हां समालोचना अर आलोचना द्वीयो सी कवि क मन मा कविता क प्रति और जादा बढिया लिखण की भावना जगदी ।

भी.कु:: भारत मा गैर हिंदी भाषाओं वर्तमान काव्य की जानकारी बान आप क्या करदवां ? या, आप यां से बेफिक्र रौंदवां ?

वि.जे. गैर हिंदी भाषाओ कु काब्य कु बारे मा जादा सी जादा जानकारी लेण की कोशिस रैन्दी ।
 

भी.कु: : अंग्रेजी मा वर्तमान काव्य की जानकारी बान क्या करदवां आप?

वि.जे. : अंगेजी सी ता दुर ही रैन्दा, लेकिन कोशिश रैन्दी कि हर भाषा कु काब्य सी कुछ ना कुछ सिखी सकुं ।
 

भी.कु: भैर देसूं गैर अंगरेजी क वर्तमान साहित्य की जानकारी क बान क्या करदवां ?

वि.जे: हर देश कु साहित्य कु बारे मा जानकारी हो इन सदनी कोशिस रैन्दी ।
 

भी.कु: आपन बचपन मा को को वाद्य यंत्र बजैन ?

वि.जे : डौरु, थकली अर ढोल दमो


भी.कु: आप संस्कृत , हिंदी, अंग्रेजी, भारतीय भाषाओँ क, होरी भासों क कौं कौं कवितौं क अनुवाद गढवाळी मा करण चैल्या ?
 
वि.जे.:सिर्फ़ हिन्दी भाषा कु अनुवाद अच्छु तरह सी गढवाळी मा कैरी सकदु ।

आज कुजाणि किलैयी ?

गौंव की याद आणी छ...
 
मुल्कि भै-बन्दो सभी की

याद.. सताणी छ......

 प्रतिक्रिया: यु मेरु एक बहुत ही पसन्द वाळु गीत छ प्रितम भरतवाण जी क द्वारा जैकी विडियो ओमान मा शुट ह्वे॥
बहुत अच्छु लगी आपकु सवालो कु जवाब दे तै । धन्यबाद आपकु कि आप उत्तराखन्डी साहित्य अर भाषा तै वे मुकाम पर पहुचांण मा लग्या छवा जु कोशिस कि मेरु ख्याल सी मुसकिल ही यांसी पहली कैन कैरी होलु । अपणु किमती समय निकाळी तै ईत्का सुन्दर-सुन्दर अर किमती सवालो पुछण कु वस्त तहेदिल से आपकु अभिनन्दन ।





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Bhishma Kukreti

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                             Arjun-Vasudatta Love Saga in Pando Dance

(Garhwali Folk Dance-Songs, Kumauni Folk Dance-Songs, Himalayan Folk Dance-Songs)

                        Bhishm Kukreti

           There is very popular story of Pando dance narrated by das/Aujees. The story is Arjun-Vasudatta love story. Arjun is sleeping with his queesn Draupadi and in dream he sees the daughter of nag that is Vasudtta.
 After awakening Arjun goes to Naglok, kills hurdling animals and meets Vasudatta.  Vasudatta is very beautiful girl and she also fell in love with Arjun. She keeps Arjun there and makes love.
     Here, after three days, when Draupadi awakes, she does not find Arjun. She goes to mother Kunti to get help but Kunti acuses Draupadi for killing Arjun by her. Draupadi is in dialema and a parrot tells her that Arjun is alive and is in love with vasudatta  . Listening good news  Draupadi becomes happy but by listening the love between Vasudatta and her husband Arjun, Draupadi feels envy too.
  Vasudatta –Arjun story is a very good woven story with varieties of emotions in each line.

पंडो नृत्य में अर्जुन वासुदत्ता प्रेमगाथा



द्रोपती अर्जुन सेयाँ छया
रातुड़ी होयें थोडं स्वीणा ऐन भौत
सुपिना मा देखद अर्जुन
बाळी वासुदात्ता नागुं कि घियाण ,
मन ह्वेगे मोहित , चित्त ह्वेगे चंचल
वींकी ज्वानी मा कं उलार छौ
वींकी आंख्युं मा माया को रैबार छौ
समळीक मुखड़ी वींकी अर्जुन घड्याण बिसे गे
कसु कैकु जौलू मै तै नागलोक मा
तैं नागलोक मा होला नाग डसीला
मुखड़ी का हँसीला होला, पेट का गसीला
मद पेंदा हठी होला, सिंगू वाल़ा खाडू
मरखोड्या भैसा होला मै मारणु आला
लोहा कि साबळी होली लाल बणाइ
चमकादी तलवार होली उंकी पैळयाँयीं
नागूं की चौकी बाड़ होलो पैरा
कसु कैकु जौलू मैं तै नागलोक मा
कमर कसदो अर्जुन तब उसकारो भरदो ,
अर्जुन तब सुसकारो भरदो
मैन मरण बचण नागलोक जाण
रात को बगत छयो , दुरपदा सेइं छयी
वैन कुछ ना बोले चाल्यो , चल दिने नागलोक
मद्पेंदा हाती वैन चौखाळी चीरेन
लुवा की साबळी नंगून तोड़ीन
तब गै अर्जुन वासुदत्ता का पास
घाम से घाम, पूनो जसो चाम
नौणीवालो नाम , जीरी वल़ो पिंड
सुवर्ण तरूणी छे , चंदन की लता
पाई पतन्याळी, आंखी रतन्याळी
हीरा की सी जोत , ज़ोन सी उदोत
तब गै अर्जुन सोना रूप बणी
वासुदत्ता वो उठैकी बैठाए अर्जुन
वींको मन मोहित ह्व़े ग्याई
तब वीन जाण नी दिने घर वो
तू होलो मेरो जीवन संगाती
तू होलो भौंर मै होलू गुलाबो फूल
तू होलो पाणी मै होलू माछी
तू मेरो पराण छई, त्वे मि जाण न देऊँ
तब तखी रै गे अर्जुन कै दिन तै
जैन्तिवार मा दुरपदा की निंद खुले ,
अर्जुन की सेज देखे वीन कख गये होला नाथ
जांदी दुरपदा कोंती मात का पास
हे सासू रौल तुमन अपण बेटा बि देखे
तब कोंती माता कनो सवाल दीन्दी
काली रूप धरे तीन भक्ष्याले
अब मैमू सची होणु आई गए
तब कड़ा बचन सुणीक दुर्पति
दणमण रोण लगी गे
तब जांदी दुरपदी बाणो कोठडी
बाण मुट्ठी बाण तुमन अर्जुन बि देखी
तब बाण बोदन , हम त सेयान छया
हमुन नी देखे , हमुन नी देखे
औंदा मनिखी पुछदी दुरपता
जांदा पंछियों तुमन अर्जुन बि देखे
रुंदी च बरडान्दी तब दुरपदी राणी
जिकुड़ी पर जना चीरा धरी ह्वान
तीन दिन ह्वेन वीन खाणो नी खायो
ल़ाणो नी लायो
तब आंदो अर्जुन का सगुनी कागा
तेरो स्वामी दुरपति, ज्यूँदो छ जागदो
नागलोक जायुं वासुदत्ता का पास
तब दुरपता को साँस एगी
पण वासुदत्ता क नौ सुणीक वा
फूल सी मुरझैगी डाळी सी अलसेगी
तिबारी रमकदों झामकदों
अर्जुन घर ऐगे


स्रोत्र : डा गोविन्द चातक
सन्दर्भ : डा शिवा नन्द नौटियाल

 This folk song is proof that the folk song creative had full knowledge (if not from any formal school)
of Ras /rapture creation.
               There are emotions as pleasure, dream, grief, anger, zeal, surprise, stunning, thrill, choking of voice, trembling, change of complexion, apprehension, envy, intoxication, fatigue, awe, depression, anxiety, delusion, illusion, agility, joy, agitation, arrogance 9here by Kunti) , dejection, eagerness, slumber, awakening, resolution, insanity, and deliberation of rapture of love (Shringar ras ke bahv) . In Shringar ras (rapture of love), there are all relevant emotions of Sambhog Shringar (Union) and Vipralambha (Separation)
                 In the same story, there is rapture of Chivalry (Veer ras0 and there is description of energy, optimism, absence of surprise, and there are emotions of rapture of Chivalry as zeal, anger, intoxication, recollection, , contentment, joy , violence, thrill too.
 The folk poetry creative had been wise enough to use figure of speeches very effectively.
             The phrase used in this song  are very strong to create the desired images.
 This is the reason that in Kumaun and Garhwal, Pando dance and song is very popular because there are very effective narration creating various emotions in one story as found in  Arjun-Vasudatta love story.

Copyright@ Bhishm Kukreti

 

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