Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 1123037 times)

Bhishma Kukreti

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 71   

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती


 Trance,ध्यानावस्था = जु अवस्था  हम विद्यार्थी  काल म  नि पांदा
Transparent पारदर्शक =  जांक बाराम झूठ बुल्दन लोग
Transportation परिहवन - मुफ्त हूण चयेंद
Trap,फंदा = ब्यौ
Trashy, तुच्छ= - वरौ  बुबा की  दृष्टिम वधु पक्ष
Traumatic, दर्दनाक - दुल्हन की मां   क हिसाबन  शादी
Treacherous,नमक हराम = अधिकतर गठबंधन का साथी
Treadmill,ट्रेडमिल = ब्यय बाद बर तै जरूरत पड़दी
Trespass अतिचार = सब्युं  आदत
Triangle त्रिकोण - क्वी नि  चांदो वैक इन संबंध  पकड़ म आवन 
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Copyright@ Bhishma Kukreti
गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Roasting Garhwali satire , Sarcastic definitions in Garhwali , Sarcasm from  North  India Garhwal ,Garhwali  South Asian Satire , भारतीय सभ्य हंसी व व्यंग्य , South Asian satire, Mid Himalayan  satire,


Bhishma Kukreti

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[b]All Season Tourism Potentiality in Uttarakhand

By: Ashwini Gaur
[/b]


उत्तराखंड का बारामासी पर्यटन पर यक्ष प्रश्न –

देवभूमि उत्तराखंड देश ही ना दुनिया मा अपडि अलग पछांण रखदु।
एक तरफ नैसर्गिक सौन्दर्य, गैरी-गैरी घाटी केदारखंड त हैकि तरफा सीधी लंबी श्रृंखला कु कूर्मांचल।
पूरू अस्कोट बटि आराकोट तक पर्यटन घुमक्कडी की अथाह संभावना।
कखि तीर्थ स्थल, योग नगरी, गोल्जू माराज, बैजनाथ, त हैकि तरफा हरियाली अर वन्य जीव संसाधनों की असीम दुन्यां।
हर साल लाखों लोग पर्यटक घूमण पहाड़ औंदा, अर यखा भला मयादार सीदा मनख्यूं, मनख्यात देखी नमन भी कर्दा देवभूमि तै।
पर्यटन मा चार धाम बद्रीविशाल, केदारनाथ, गंगोत्री अर यमुनोत्री च त सिख लोखूं हेमकुंड साहिब,देरादूण गुरुराम राय दरबार जन बड़ा मठ छिन जख हर साल कै तीर्थयात्री औंदन।
एशिया कु पैलु नेशनल पार्क जिम कार्बेट पार्क नैनीताल हो, या राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार देरादूण आखिर पर्यटकों तै खींची ही ल्योंदा उत्तराखंड।
कांचुला खर्क की बात हो या विश्व विरासत फूलों की घाटी, ईं भूमि तै देवभूमि बणौण मा प्रकृति कि क्वे कमी कसर नी छोडी।
एशिया कु सबसे ऊंचाई पर थर्प्यूं मंदिर भगवान तुंगनाथ जी का बुंग्याल अर रौंतेलि डांडी कांठयूं बटि जब सैलानी धरती कु श्रृंगार देखदा त स्वर्ग की कल्पना मन मा अमिट हवे जांदि।
पंच बद्री, पंच केदार दगडि बावन गढ की या धरती पंच भै पांडवों अर वीर भडों की साक्षात गवै देंदि
पातालभुवनेश्वरी कु रहस्य, बैजनाथ कु इतिहास,
पंवार अर चंद वंश का राजौ विरासत, दगडि धार खाळ मा रोचक लोककथा, आंणा-भ्वींणा से खूब भर्यू पहाड़।
त्रियुगीनारायण जी की अखंड धुनी, ऊषा अनिरूद्ध परिणय स्थली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ की काष्ठ कला नक्काशी हमारी अखंड लोक विरासत छिन।
लाखामंडल का मंदिर, अर जीवंत लाक्षागृह प्रमाण, कालसी का अशोक शिलालेख, मलेथा का सैरा,
देवलगढ का स्तूप,
क्या क्या विरासत नि छिन यख!
कैप्टन यंग की बसांई मसूरी हो या पौडी, लैंसडौन, खिर्सू, चोपता, जखोली,ग्वालदम, हर्षिल, मोरी, रामनगर, कौसानी, हर जगह असीम संभावना छिन पर्यटन की।
महासू चालदा देवता हनोल, आराकोट, लखवाड, धनोल्टी, जोशीमठ हर जगा पर्यटन मा विविधता---'डायवर्सिटि' दिखेंदि।
रंवाई जोनसार-जौनपुर की संस्कृति, नागपुर कु पांडव नृत्य, जौनसारी हारुल, तांदी,चौंफला, हर दृष्टि बटि हम भौत समृद्ध लोग छा।
पर्यावरण मा चिपको जन आंदोलन हो या पाणी बचाओ आंदोलन हमारु प्रतिनिधित्व च कर्यू हर क्षेत्र मा।
ईं सांस्कृतिक-सामाजिक, प्राकृतिक, धार्मिक, धरती मा पर्यटन की त, भौत बड़ी संभावना छिन।
टीरी डैम जन परियोजना भी त पर्यटन का कै द्वार खोली सकदि।
बीस साल का ये उत्तराखंड मा ना त सांस्कृतिक विविधता तै पर्यटन कु आधार बणांई गै, ना पारंपरिक धरोहरों तै।
पारंपरिक धरोहरों मा होम स्टे जन कारगर योजना पर बडु काम हवे सकदु, कखि शुरुआत भी होंणी च।
हर गौं मुलक मा अपडि खास पछांण की नक्काशी मकान तिबार रिंगाल ढुंग्गा पर दिखेंदि ये तै हम सरकार दगडि मिलितै पर्यटन आधार बणै सकदा,
उदाहरण जन आप चंडीगढ़ मा नेक चंद सैनी का डिजाइन कर्या राॅक गाॅर्डन तै देखा, कखि घट्ट च त कखि मूर्ति डिजाइन साधारण वेस्ट मेटेरियल से करीं। लोग खूब पसंद भी कर्दा यन अलग चीजों तै।
त हमारी भी परंपरागत मकान तिबार, डंडयाली धुर्पळि आकर्षक लुक दगडि गैस्ट हाऊस का तौर पर विकसित कर्ये सकेंदि।
चारधाम यात्रा सीजनल च,यानी हम बारामासी पर्यटन पर चर्चा करुन, पहल करुन, ये वास्ता ग्रामसभा स्तर पर सरकार प्रोत्साहित करु, गौं का मठ मंदिर सिमेंटिकरण की बजाय परंपरागत स्वरूप मा ही विकसित किए जौन। गौं का बजट मा विसेस ध्यान पर्यटन की तरफां दिए जो।
धारा पंध्येरा पाणी छलबल बगदू रौ, स्थानीय उत्पाद कोदू झंगोरु बारनाज तै हम अपडा होटल-मोटल, रेस्ट्रां मा परोसुन, जब हम गुजरात मा सांभर डोसा, महाराष्ट्र मा इडली, खै सकदा त उत्तराखंड मा पर्यटन दगडि हम अपडा पहाड़ी उत्पादों तै प्रोत्साहन किलै नि दी सकदा?
बारामासी पर्यटन बढोण का खातिर सडक ब्यवस्था भी बारामासी मजबूत कन पडली, सडक का अगल बगल भरपूर हैर्याळी पोजौण पडली।
मसूरी मा ही भौत सारा लोग पर्यटक औंदा अर सैर का परदूषण से बचण का वास्ता जब डाक्टर शुद्ध पाणी शुद्ध हवा की बात कर्दा त भौत सारा लोग गरम्यूं भम्माण मा मसूरी ही रै जांदन द्वी तीन मैना।
हमारी सरकार प्रतिनिधियों अगर मजबूत इरादा ह्वौन त तस्वीर बदलि जौ?
पहाड़ बिजली पैदा कन अर डाळयूं चिरान की ही सामर्थ्य नि रखदा यख बारामासी फल पैदा होंदा, अनार, आडू, कीवी, माल्टा, संतरा, कटहल, लीची, सेब , आंवला, क्या पर्यटन दगडि हम अपडा उत्पाद नि जोडी सकदा?
बुरांश, टेमरु, घिघोरु, काफल, जन लकदक बण क्या पर्यटन तै न्यूती नि सकदा?
नैसर्गिक चाल-खाल अर छोटा बड़ा ताल, जन बधाणीताल, देवरियाताल आंछरी ताल क्या चारधाम बै इतर बारामासी पर्यटन नि ठेलि सकदा?
पहाड़ का गौं गौं मा पर्यटन की गैरी गैरी संभावना छिन, जै खातिर सबसे पैलि हमारी सरकारों तै अस्सी फीसदी भूभाग का पहाड़ कु बजट बढायूं चैंदु जबकि यूँ संभावनाओं बै ध्यान हटे जनप्रतिनिधि सरकार सब लोग मैदानी भाग की तरफा भाजणां।
जब पहाड़ मा ही मसूरी नैनीताल
पर्यटन कु भौत बडु विकल्प हवे सकदु, त जोशीमठ, ऊखीमठ, जखोली, बसुकेदार, खिर्सू, मक्कूमठ, देवाल, पोखरी, चिरबटिया, जन कै विकल्प किलै खडा नि हवे सकदा ?
ज्वान होंदा उत्तराखंड मा जरूर औंण वौळी पीढ़ी वोट मंगदरा नेताओं तै पूछली कि बिजली- पाणी, माटू-बौंण, बिकोण का अलावा बारामासी पर्यटन की तरफा किलै नि सोची?
हमतै पर्यटन अर पर्यावरण द्वीयूं तै बरौबर मिलेतै विकसित कनै तरफा काम कर्यू चैंद किलैकि विकास दगडि कखि हम रूखा सूखा सैर ही ना खडु करौन बलकन हर्या-भर्या पर्यटन की सकारात्मक दिशा मा काम करुन।
--@-अश्विनी गौड 'दानकोट रूद्रप्रयाग------



Bhishma Kukreti

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 74  

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश  )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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Twit निंदा , भांची = जु तुमर  पद  का पैथर पड़्यु हो
Two Faced दुमुखया = मथ्याक
Typewriter आदिवास्यूं लिखणै प्राचीन मशीन
Typical ठेठ , नमूना =अधिकतर हमर आदत
Tyranny उत्पीड़न = अधिकतर बड़ी वहुराष्ट्रीय कंपनियां
Ugly,भद्दो = हमर एक चरित्र
Umpire अम्पायर - क्रिक्यट खेल म जु  अंगुळी करणु  रौंद
Unacceptable अस्वीकार्य = बच्चों की आदत
Unaccommodating, बिन सुविधा = अधिकतर  सभी होटलुं व्यवहार  यदि तुमम डिस्काउंट कूपन हो तो

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गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Roasting Garhwali satire , Sarcastic definitions in Garhwali , Sarcasm from  North  India Garhwal ,Garhwali  South Asian Satire , भारतीय सभ्य हंसी व व्यंग्य , South Asian satire, Mid Himalayan  satire,


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मित्रग्राम  ढांगू , हिमालय की तिबारी काष्ठ  कला

ढांगू , गढ़वाल , हिमालय की तिबारी  (भवन काष्ठ  कला )    -3   
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  हिमालय की भवन काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  -  3 

( चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती


जैसा कि पिछले एक  अध्याय में मित्रग्राम की लोक कलाओं का विवरण देते लिखा गया था कि मित्रग्राम , मल्ला ढांगू , पौड़ी गढ़वाल का एक महत्वपूर्ण गाँव है जिसमे लगभग सभी परिवार (एक परिवार शिल्पकार ) जखमोला है।  ह्री प्रसाद जखमोला ने सूचना दी थी कि कुछ समय पहले मित्रग्राम में चार या पांच तिबारियां (पहले मंजिल पर बरामदा काष्ठ नक्काशीयुक्त ) सही सलामत थीं जबकि अब केवल नारायण दत्त जखमोला की तिबारी ही सही सलामत है।  यह तिबारी नारायण दत्त जखमोला ने लगभग सन 1950 के आस पास किन्ही गाँव वालों से क्रय किया था.
 तिबारी याने दो तल बाह्य कमरों के ऊपर काष्ठ  नक्कासीदार  युक्त बरामदा। 
  नारायण दत्त जखमोला की तिबारी पर चार स्तम्भ है दो स्तम्भ अलग अलग दीवार पर  सटे  हैं।  दो स्तम्भ मध्य में है और इस तरह तीन मोरी /द्वार /खोली बनती है।  प्रत्येक स्तम्भ जब शीर्ष की ओर पंहुचना चाहते है तो  दो स्तम्भों के शीर्ष से कलायुक्त , धनुषाकार  आर्क /मेहराब बनती है। 
  प्रत्येक स्तम्भ देहरी (छज्जे  का  पत्थर ) पर आधारित हैं।  आधार पर उल्टे कमल पंखुड़ियां साफ़ साफ़ झलती है और दर्शक को मुग्ध करने में आज भी सक्षम हैं।  फिर जिस जोड़ से कमल की पंखुड़ियां नीचे को ओर निकलती है उस जोड़ में नकासी युक्त गुटके है जो गोलाई में सारे स्तम्भ को घेरे होते हैं।  जोड़ में भी मुग्ध करने वाली गवाक्षजलम है।  फिर जोड़ से सीधे कमल की पंखुड़ियां ऊपर की ओर खिलती सी हैं।  जब कमल फूल बनता है तो नक्कासी युक्त खभा    ऊपर चलता जाता है जो एक जोड़ में समाप्त होता है और उस जोड़ के कुछ ऊपर अर्ध वृताकार आर्क /मेहराब शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के आर्क /मेहराब से मिलता है और चक्षु आनंद दायक धनुष सा बनाते है।  बीच के  स्तम्भों  /खम्बाों  / सिंगाड़ों   से दोनों ओर आर्क/मेहराब/अर्धमंडलाकार आकृति   बनते हैं और स्तम्भ /सिंगाड़ के बीच से कलाकृति शुरू होती है  जो छत की पटिया /लकड़ी का स्लैब से मिलता है इस बीच स्तम्भ में उभरी हुयी नक्कासी मिलती है।  मेहराब में  प्रकार की बेल बूटेदार  है।  प्रत्येक अर्धमंडलाकार आकृति /आर्क के   चक्राकार फूल दिखाई।   की अपने  बड़ा  फूल सा आनंद देता है।  फूल के केंद्र में गणेश (अंडकार गोल आकृति जैसे   पूजा में  गोबर  का गणेश बनाते ) होती  है।
  मेहराब या अर्धमंडलाकार आकृति के ऊपर मोटी  लकड़ी की पटिया है जो छत के दास (टोड़ी )  से नीचे है और सिलेटी  पत्थर वाली छत पट्टी व दास  पर तकि है।  छत के पत्थर इस तरह लगे हैं कि तिबारी लकड़ी पर वारिस का पानी पानी सीधे नहीं।  पट्टी पर कलाकृति रही भी होगी तो आज नहीं दिखती। 
     ऊपर जाते /नीचे आते कमल पंकी खुड़ियों आकृति  व जड़ों के बीच खम्बों पर उत्कीर्ण हिसाब से मित्रग्राम के नारायण  दत्त जखमोला की तिबारी के स्तम्भों  की उत्कीर्णन / कलाकृति  लगभग झैड़ के चित्रमणि मैठाणी की तिबारी के स्तम्भ से मिलती जुलती ही है।  मेहराब या अर्धमंडलाकार आकृति  आये उत्कीर्ण कलाकृति प्रशंसनीय है।  कोई पशु या पक्षी की आकृति नहीं दिखी ना ही फोटो में कोई नजर न लगे वाला कोई भयानक आकृति दिखाई देती है। दीवार से लगे किनारे के दोनों स्तम्भ भाग में भी चक्षु आनंद दायक कलाकृति उभर कर आयी हैं.
   हरी प्रसाद जखमोला (नारायण दत्त जखमोला के द्वितीय पुत्र )  के अनुसार तिबारी डेढ़ सौ साल पुरानी होगी किन्तु ढांगू में तिबारियों का प्रचलन सम्भवतया 1900 के आस पास ही शुरू हुआ। 

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सूचना वा फोटो सौजन्य - हरी प्रसाद नारायण दत्त जखमोला    (मित्रग्राम )
Copyright @ B.C Kukreti , 2020
House Wood Carving Art of, Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Malla Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Bichhala Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art (Tibari ) of  Talla Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Dhangu, Garhwal, Himalaya; ढांगू गढ़वाल (हिमालय ) की काष्ठ कला , हिमालय की  काष्ठ  कला; उत्तरी भारत की भवन काष्ठ कला

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 75

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश     )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती 

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Unfriendly,अमित्र = क्रेडिट एजेंसी का प्रतिनिधि
Unfunded ,अपव्ययी = तुमर बच्चा क दांत क तार
Unfurnished असज्जित /बिखरा = पत्नी दगड़ झगड़ा बाद घर का हाल
Ungentlemanly अभद्र = उधार वापस मंगण वळक व्यवहार
Ungrateful, कृतघ्न = उधार लेक मुख नि दिखाण  वळ
Unhappy,नाखुश = मनुष्य की असली स्थिति
Unhealthy अस्वस्थ = हम सब जु खांदवां
Unheard,अनसुना = दाढ़ी बणाद दैं  या टीवी  शो दिखद  दैं   पत्नी का हुक्म
Unificationएकीकरण = बुना क बात असलियत म कुछ ना
Uniform वर्दी = कुत्ता डराणो  झुल्ला

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Copyright@ Bhishma Kukreti
गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Roasting Garhwali satire , Sarcastic definitions in Garhwali , Sarcasm from  North  India Garhwal ,Garhwali  South Asian Satire , भारतीय सभ्य हंसी व व्यंग्य , South Asian satire, Mid Himalayan  satire,


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 तब मि छुट्टु छौ
When I was child
Experience based Garhwali Poem  on Caste discrimination (untouched ability)
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By: Mahesha Nand
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अजण्दम् सुद्दि हिट्दु छौ।
घस्स इना, घस्स उना
सुद्दि जै-कै फर भिड़े जाँदु छौ।
भक्कळ छौ कि सकुळु छौ
मि अजाण छौ।
मि भरि गाळि खाँदु छौ।
गाळि दींदा छा वु
जु नि घिंणादा छा
गौळा-ग्वींडों मा
हग्याँ देखी, मुत्याँ देखी,
रयाड़ कि रयाड़ देखी,
अणबर्तीं अपड़ि गत देखी।
वु भरि टिमणादा छा,
मे देखी,
बाठा अबठा सट्गि जाँदा छा
म्यारा छैल देखी।
मि भरि खकळांदु छौ
वे नळखा देखी-
जै कS गिच्चा फर
माखा भिमणादा राँदा छा।
चर्री सड़्यांण्म् लाल कीड़ा गिबजांणा रांदा छा।
वीं बितेक क्वी बि
न नळ्खु छळ्याँदु छौ,
न चर्यू किचील सुर्दु छौ।
जु नळखम् खड़ु रांदु छौ
वु एक लंखै छौं बरजुणु रांदु छौ
मे देखी।
भिटग्दि रूड़्यूम्
तिसळु मि वे नळ्खौ पेच जन्नि घुमांदु छौ
भरि किकलाट मचि जाँदु छौ
गळ्म-गळा, फिंगरम्-फिंगरा
हकर्वळा मचि जांदु छौ
मे देखी।
मि तिसळ्वी सुट्ट अपड़ा ड्यार सट्गि जाँदु छौ
जब मि छुट्टु छौ।
Copyright@ Mahesha Nand
Garhwali Experience poem on Caste discrimination ( Un-touchability) ; Garhwali Experience poem on Caste discrimination from Pauri Garhwal ; Garhwali Experience poem on Caste discrimination from Uttarakhand ; Garhwali Experience poem on Caste discrimination from Himalaya ;  जातिप्रथा व छुवाछूत संबंधी गढ़वाली कविता 

Bhishma Kukreti

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -     गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 77   

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश     )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती 

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Unkind,निर्दयी = तलाक का वकील
Unknown अज्ञान /अजाण = राहुल गांधी कुण कॉंग्रेस कु संविधान
Unlicensed बिनलासेंस = अधिकतर कर ड्राइविंग
Unlucky दुर्भाग्यशाली = अधिकतर लॉटरी टिकट धारी
Unmanageable,असहनीय = मोटर साइकल चलांद दै  उड़दा बाळ
Unnoticed बेखबर , जै पर नजर नि पड़ी =  लोकसभा म राहुल गांधी की उपस्तिथि
Unopposed बिन विरोध = कॉंग्रेस, अकाली दल , शिव सेना आदि म अध्यक्ष चुनाव
Unpaid अवैतनिक , मुफ्त म = भजराम हवलदारी
Unpalatable नि खाण लैक = फास्ट फ़ूड
Unpleasant अप्रिय = बस म पड़ोसी प्रवासी की सांस
Unpopularअलोकप्रिय = तुम है स्कूल म
Unpublished अप्रकाशित = गढ़वाली साहित्यकारों  नियति 

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Copyright@ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Roasting Garhwali satire , Sarcastic definitions in Garhwali , Sarcasm from  North  India Garhwal ,Garhwali  South Asian Satire , भारतीय सभ्य हंसी व व्यंग्य , South Asian satire, Mid Himalayan  satire,


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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -     गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 77   

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश     )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती 

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Unkind,निर्दयी = तलाक का वकील
Unknown अज्ञान /अजाण = राहुल गांधी कुण कॉंग्रेस कु संविधान
Unlicensed बिनलासेंस = अधिकतर कर ड्राइविंग
Unlucky दुर्भाग्यशाली = अधिकतर लॉटरी टिकट धारी
Unmanageable,असहनीय = मोटर साइकल चलांद दै  उड़दा बाळ
Unnoticed बेखबर , जै पर नजर नि पड़ी =  लोकसभा म राहुल गांधी की उपस्तिथि
Unopposed बिन विरोध = कॉंग्रेस, अकाली दल , शिव सेना आदि म अध्यक्ष चुनाव
Unpaid अवैतनिक , मुफ्त म = भजराम हवलदारी
Unpalatable नि खाण लैक = फास्ट फ़ूड
Unpleasant अप्रिय = बस म पड़ोसी प्रवासी की सांस
Unpopularअलोकप्रिय = तुम है स्कूल म
Unpublished अप्रकाशित = गढ़वाली साहित्यकारों  नियति 

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गढ़वाली हास्य , गढ़वाली व्यंग्य , ताना मारते , चिढ़ाते , जलाते , गढ़वाली,  व्यंग्य, मजाक उड़ाते गढ़वाली व्यंग्यकोश  , Roasting Garhwali satire , Sarcastic definitions in Garhwali , Sarcasm from  North  India Garhwal ,Garhwali  South Asian Satire , भारतीय सभ्य हंसी व व्यंग्य , South Asian satire, Mid Himalayan  satire,


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कठूड़ में राघवा नंद कुकरेती व देवानंद कुकरेती की तिबारियों की काष्ठ कला
 
कठूड़ , ढांगू गढ़वाल ,संदर्भ में   हिमालय  की तिबारियों पर काष्ठ अंकन कला 1
 
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  हिमालय की भवन ( तिबारी )  काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 5 
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(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती

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  ( उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला पर कुछ अधिक कार्य  हुआ है ।  यद्यपि पुस्तकें भी प्रकाशित हुयी हैं और लेख भी।  यह देखा गया कि कला इतिहासकारों ने देहरादून , चमोली गढ़वाल , रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी को  ही गढ़वाल समझा , पौड़ी गढ़वाल विशेषकर दक्षिण गढ़वाल की हर कला अन्वेषक , विश्लेषक , व  इतिहासकार ने हर तरह से अवहेलना ही की है।  ढांगू तो सदा की तरह इस विषय में भी अपेक्षित ही रहा  है। इसीलिए इस लेखक ने दक्षिण गढ़वाल की लोक कलाओं पर ध्यान केंद्रित किया है ) 


जैसा कि कठूड़ संदर्भ में हिमालय कलायें व कलाकार शीर्षक में उल्लेख किया गया है कि कठूड़ जनसंख्या दृष्टि से ढांगू का एक बड़ा गाँव था जहां 12 जातियां वास करती थीं व सम्भवतया क्षेत्रफल हिसाब से भी कठूड़  बड़ा गाँव है।  (यद्यपि कड़ती वाले भी दावा करते हैं कि कड़ती क्षेत्रफल में बड़ा गाँव है ) .
    तिबारियों की दृष्टि में कठूड़ में दो तिबारी पधान (राघवानंद कुकरेती परिवार ) परिवार व दो राजपूत परिवार में थीं।  पधान राघवा नंद कुकरेती के अतिरिक्त इसी परिवार के देवी प्रसाद कुकरेती की भी तिबारी थी।  अब राघवानंद कुकरेती की ही तिबारी बची है जबकि देवी प्रसाद कुकरेती की तिबारी उजाड़ दी गयी है और  नया  भवन निर्मित हो गया है।  तीसरी और भव्य तिबारी (लगभग क्वाठा भितर  जैसे ) तिबारी  जोध सिंह -प्रताप सिंह नेगी भाईयों की थी।  ये दोनों भाई देहरादून जा बसे और तिबारी नत्थी सिंह नेगी को बेच दी गयी थी। इस दौरान बस्बा नंद कुकरेती 'पटवारी व तनखीराम कुकरेती की तिबारियों  की भी जानकारी मिली है
      इस लेखक के पास राघवा नंद कुकरेती 'पधान' की तिबारी की सूचना व फोटो मिली है (आभार सतीश कुकरेती ) .
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       चार स्तम्भ वाली राघवा नंद कुकरेती 'पधान ' व देवा नंद कुकरेती की कठूड़ की तिबारी
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    राघवा नंद कुकरेती 'पधान ' की तिबारी व देवानंद कुकरेती की तिबारियां भी  प्रथम मंजिल पर हैं ।   चारों   स्तम्भ /खम्बे /सिंगाड़   छज्जे के  पत्थर से बने देहरी (देळी ) पर ठीके है।  किनारे के दोनों स्तम्भ  मिटटी पत्थर की बनी दिवार से लगी हैं।   चित्रकारी से समाहित लम्बी ऊपर जाती लकड़ी   स्तम्भ व दीवार को जोड़ती है। यह चित्रकारी से भरपूर दोनों लम्बी लकड़ी अंत में छत कीकाष्ठ  छज्जे से जा मिलते  हैं।  चारों स्तम्भ तीन मोरी /खोळी /mehrab द्वार बनाते है और चारों मोरी लगभग 6 फ़ीट से ऊँची होंगी ही।  चारों मोरी आयत व लम्बाई चौड़ाई में समान हैं। 
 प्रत्येक स्तम्भ का आधार उलटा कमल जैसे है और कमल खिलने के स्थान पर जोड़ है जिसके चारों ओर गोलाई लिए काष्ठ गुटके हैं।  फिर इन जोड़ों से प्रत्येक स्तम्भ में ऊपर की और उठते कमल पंखुड़ियां हैं  जो कुछ ऊपर खिलते जैसे लगती हैं और वहां से फिर नई मोटाी अंडाकार आकृति जो धीरे धीरे कम होती है ऊपर की ओर जाती है और कुछ ऊपर एक जोड़ है जो गोलाई में गुटकों से बना है।  यहां से ही स्तम्भ से मेहराब /arch निकलते है।  मुकुट  आकार के तीन मेहराब /arch  पर भी चित्रकारी है।  जिस जोड़ से मेहराब /arch शुरू होता है वहीं से एक काष्ठ आकृति जैसे थांत ऊपर की ओर जाती है जो मकान की छत के छज्जे से मिलते हैं। 
मेहराब के बगल में थांत पर मयूर नुमा पक्षी का गला व चोंच की चित्रकारी है।  इस तरह दोनों तिबारियों में प्रत्येक तिबारी में चार  पक्षिमनुमा  चित्रकारी मिलते हैं
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        तिबारी के प्रत्येक मेहराब में दो  चक्राकार फूल व  चित्रकारी
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 तिबारी के प्रत्येक मेहराब /arch  के किनारे  दो दो चौड़े पंखुड़ियां काले चक्राकार फूल है जिसके केंद्र में गणेश ( जैसे   पूजा  वक्त  गोबर का गणेश अंडाकार बनाया जाता है ) है।  तीनों मेहराबों में कुल 6 फूल हैं।  प्रत्येक  थांत पर भी नयनाभिराम करते चित्रकारी है।  मेहराब से और पत्थर की छत के छज्जे में मध्य कई मोटे  पटले / पट्टियां हैं जिन पर कई प्रकार की आनंददायक चित्रकारी  है। 
 मेहराब ऊपर चार पट्टियों  में विशेष बेल बूटे
        मेहराब के ठीक ऊपर चार आयताकार पट्टियां हैं जिनमे नीचे की तीन पत्तियों में हर पट्टी पर विशेष व भिन्न बेल बूटे /फूल व पत्तियां कलाकृतियां अंकित हैं।  सबसे उप्पर जो पट्टी छत को छूती है उस पर बिलकुल भिन्न किस्म के फूल हैं , सबसे ऊपर की पट्टी में  किनारे पर की दो चौकी में कमल आकृति दिखती है तो बीच में  ऊपर की ओर उठे पुष्प दल वाला बड़ा फूल दीखता है।  नीचे की तीन पट्टियों में चित्रकारी तरंगों का छवि perception प्रदान करने में सफल हैं।   
  छत के काष्ठ छज्जे से भी शंकु नुमा कलाकृति लटक रही हैं। 
             फोटो में कोई मानवाकृति  अथवा  पशु नहीं दीखते हैं। 
        राघवा नंद कुकरेती 'पधान ' की तिबारी व देवा नंद कुकरेती की तिबारी के स्तम्भों  पर कमल पंखुड़ी आकृति  , झैड़ के चित्रमणि मैठाणी की तिबारी स्तम्भ व मित्र ग्राम  के नारायण दत्त जखमोला की तिबारी स्तम्भ के सामान ही है। मित्रग्राम व कठूड़ की उपरोक्त दो तिबारियों में व झैड़  के तिबारी  स्तम्भों में समानता है। 
  आकलन से लगता है कठूड़  के राघवा नंद कुकरेती 'पधान ' व देवा नंद कुकरेती की तिबारियों का  निर्माण समय 1900 इ.  के पश्चात ही होगा
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 मुख्य सूचना व फोटो आभार - सतीश कुकरेती

 अतिरिक्त  सूचना , भास्कर कुकरेती व  शालनी कुकरेती बहुगुणा
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House Wood Carving Art of, Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Malla Dhangu, Uttarakhand , Himalaya; House Wood Carving Art of  Bichhala Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Talla Dhangu, Himalaya; House Wood Carving Art of  Dhangu, Garhwal, Himalaya; ढांगू गढ़वाल (हिमालय ) की भवन काष्ठ कला , हिमालय की  भवन काष्ठ कला , उत्तरी भारत की भवन काष्ठ कला

Bhishma Kukreti

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भरच्यांद , भड्यांद  तून लगांद , पित्यांद  अंग्रेजी-शब्द  -     गढ़वली में  परिभाषित करते व्यंग्य  शब्दकोश  B - 78   

 (English -Garhwali  Dictionary of Satire , Sarcasm,  Aggravating , Galling , Roasting  Definitions   )
 (गढ़वाली ,  व्यंग्य,  हंसी, जोक्स ,  चिढ़ाते , धृष्टता करते ,ठट्टा लगाते  , ताना मारते , झिड़कते शब्द -परिभाषा शब्दकोश , व्यंग्यकोश     )
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 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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Vacation ,  छुट्टी = सब्युं क इच्छा
Vacuum, शून्य स्थान = तुमर द्वी कंदुड़ुं  मध्य स्थान
Vague,अस्पष्ट = नेताओं द्वारा दियां विवरण
Vain, बेकार = हमर वोट
Valentine वैलेंटाइन = बेकारमम छोर्युं पर खर्चा करणो समय
Valet,सेवक = अब कख छन ?
Valiant बहादुर = एक लुप्त कौम
Valid,वैध  - जु तुमर बुल्युं कोर्ट म नि माने जांद
Valueless, बेकार , खत्युं = अचकाल लोगुं जुबान
Vampire, रक्त चूसू पिशाच = भारत म भ्रष्टाचारी नेता व सरकारी कर्मचारी


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