छतिंड में जनार्दन प्रसाद भट्ट बंधुओं की तिबारी में काष्ठ कला व अलंकरण
House Wood carving art and Ornamentation in Tibari of a Bhatt Family of Chhatinda
ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला
Traditional House wood Carving Art of West South Garhwal l (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Uttarakhand , Himalaya
दक्षिण पश्चिम गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर , डबराल स्यूं अजमेर , लंगूर , शीला पट्टियां ) तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बखाइयों ,खोली में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण श्रृंखला
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गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 91
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 91
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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मल्ला ढांगू में छतिंड सदियों से जसपुर का भाग रहा है। अब छतिंड नई ग्राम सभा सौड़ के अंतर्गत गाँव है। छतिंड पणचर जमीनी गांव है व कृषि समृद्ध छोटा भूभाग है। यहां एक ही तिबारी की सूचना मिली है जो जनार्दन भट्ट के पिताजी की थी व अब पुरुषोत्तम दत्त सिलस्वाल के उत्तराधिकारी भी इस तिबारी के भागीदार है। . सौड़ के लुंगाड़ी सिंह नेगी की पत्नी अनुसार सौड़ में दोनों तिबारी के कलाकार /शिल्पी छतिंड ही ठहरे थे व वे श्रीनगर तरफ के थे। इससे अनुमान लगाना सरल है कि ग्वील में क्वाठा भितर निर्मित करने वाले रामनगर के कलाकार भी छतिंड में ही ठहरे होंगे व यहीं काष्ठ कार्य किया गया होगा व ग्वील जाकर तिबारी फिट की गयी होगी।
मूलतः भट्ट परिवार की इस तिबारी ढांगू की अन्य तिबारियों जैसे ही दुखंड /तिभित्या मकान के पहली मंजिल पर है। तिबारी छज्जे के ऊपर देहरी पर टिकी है। छज्जे के नीछे वाली पट्टिका पर कुछ आध्यात्मिक अलंकरण का बोध होता है। तल मंजिल पर खोली ( प्रवेश द्वार ) के मुरिन्ड में संभवतया देव काष्ठ प्रतिमा भी जड़ी है।
तिबारी में चार स्तम्भ हैं जो तीन खोली /द्वार बनाते हैं , किनारे के स्तम्भ एक प्राकृतिक नक्काशीयुक्त कड़ी से दीवार से जुड़े हैं। स्तम्भ का आधार कुम्भी है जो अधोगामी पद्म दल से बना है व अधोगामी कलम दल के ऊपर डीला ( wood plate ring ) या पगड़ है जिससे ऊर्घ्वाकार पद्म दल शुरू होता है , व जहां से कमल दल समाप्त होता है वहां से स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है व ऊपर की ओर जहां पर अधोगामी कमल दल है वहीं पर स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है. अधोगामी कमल दल के ऊपर फिर डीला है व तब फिर एक ऊर्घ्वाकार कमल दल है। ऊर्घ्वाकर कमल दल से स्तम्भ में सीधा ऊंचाई में स्तम्भ का थांत (bat plate ) शुरू होता है जिस पर दीवारगीर /ब्रैकेट लगे थे। यहीं से महराब की चाप arch भी शुरू होती है जो सामने के स्तम्भ की चाप से मिलकर सम्पूर्ण मेहराब /arch बनता है। मेहराब तिपत्ति (trefoil ) नुमा है व मध्य में arch तीखा /sharp है।मेहराब /arch पट्टिका के दोनों किनारों पर बहुदलीय पुष्प अलंकृत हैं याने ऐसे छह बहुदलीय पुष्प हैं। पट्टिका पर प्राकृतिक कला के चिन्ह हैं।
दीवारगीर /bracket में संभवतया पद्म पुष्प नली (Lotus flower Stem ) अलंकृत रही होगी या कोई पक्षी का गला जैसे क्षेत्र के अन्य तिबारियों में मिलता है।
मुरिन्ड याने मेहराब के ऊपर की पट्टिकाओं में कोई प्राकृतिक या मानवीय कला के दर्शन नहीं होते हैं।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि जनार्दन प्रसाद भट्ट व बंधु ( अब सिलस्वाल भी भागीदार हैं ) की शानदार तिबारी में प्राकृतिक , मानवीय , ज्यामितीय व आध्यात्मिक कला अलंकरण उत्कीर्ण हुयी है।
फोटो आभार : बिक्रम तिवारी Vickey
सहयोगी सूचना - सोहन लाल जखमोला ,जसपुर
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