श्रीकोट (पौड़ी गढ़वाल ) के थपलियाल परिवार के भव्य मकान संख्या 1 में काष्ठ कला, अलंकरण अंकन , लकड़ी की नक्कासी
House Wood carving Art from Pokhrikhet (Khatsyun )
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 167
(कला व अलंकरण केंद्रित )
संकलन - भीष्म कुकरेती
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श्रीकोट गांव पौड़ी के निकट खातस्यूं पट्टी का एक महत्वपूर्ण गाँव है। संस्कृति प्रेमी किशोर रावत ने श्रीकोट से दो भव्य मकानों की सूचना व फोटो भेजी हैं जिनमे काष्ठ कला का प्रदर्शन आकर्षक, मनमोहक व भव्य तरीके से हुआ है।
शैलीगत रूप में श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान आधुनिकता व पारम्परिक शैली का मिश्रण है। श्रीकोट के थपलियाल परिवार का मकान चरपुर /चारपुर याने तल मंजिल +३ मंजिल) का है। जिला पौड़ी गढ़वाल में चारपुर मकान बिरले ही मिलते थे व आज भी गांवों में नहीं निर्मित होते हैं ।
श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान में काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण उत्कीर्णन विवेचना हेतु चारों मंजिलों का अध्ययन आवश्यक है।
श्रीकोट के मकान संख्या 1 के तल मंजिल में पाषाण कला अलंकरण भव्य है और स्तम्भ /पिलर्स व मेहराब पर सुंदर नक्कासी हुआ है। बरामदा पिलर्स के अंदरूनी भाग में है और हो सकता है अंदर कमरों के दरवाजों या खोली में कोई काष्ठ नक्कासी हुयी हो।
श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान संख्या 1 में किसी भी मंजिल में कोई छज्जा नहीं है जो आम तौर पर पौड़ी गढ़वाल के मकानों की विशेषता है। श्रीकोट के मकान संख्या 1 के पहली मंजिल में तीन बड़े पाषाण स्तम्भ स्तम्भों से बने दो ख्वाळ /द्वार व दो शानदार मेहराब हैं। में आकर्षक पाषाण अंकन मिलता है। ख्वाळों/ द्वारों के अंदर कमरे हैं व उन कमरों के दरवाजों पर ज्यामितीय कला के दर्शन होते हैं। पहली मंजिल की चौखट खिड़की के चौखट व दरवाजों पर ज्यामितीय काष्ठ कटान हुआ है। कहा जा सकता है कि श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान के पहली मंजिल में लकड़ी ज्यामितीय अलंकरण ही हुआ है व प्राकृतिक (बेल -बूटे ) व मानवीय अलंकरण नहीं हुआ है।
श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान के दुसरे मंजिल काष्ठ कला अंकन अध्ययन हेतु के लिए महत्वपूर्ण ।
पहली मंजिल में भी छज्जा नही है व मध्य में तिबारी / baramada है जिसके बाहर चार लकड़ी के सिंगाड़ / स्तम्भ हैं जो तीन ख्वाळ /द्वार /खोली निर्माण करते हैं। दीवार को सिंगाड़ों से जोड़ने वाली कड़ियों में लताकार आकृति अंकित है।
प्रत्येक स्तम्भ के आधार पर उलटे कमल दल से बनी कुम्भी या पथ्व ड़ है जिसके ऊपर ड्यूल है फिर कमलाकृति व फिर मोटा ड्युल , छोटा ड्यूल व फिर सुल्टा /उर्घ्वगामी कमल दल है जहां से सिंगाड़ लौकी की शक्ल ले लेता है जहाँ पर सिंगाड़ की सबसे कम गोलाई है वहां उलटे कमल पंखिडियों की बारीक नक्कासी हुयी है व तब ऊपर तीन ड्यूल उत्कीर्ण /खुदे हैं। यहां से सिंगाड़ थांत की शहकल ले ऊपर मुरिंद abacus से मिल जाता है व यहीं से मेहराब का एक अर्ध चाप भी सिंगाड़ से निकलता है जो सामने के सिंगाड़ के अर्ध चाप से मिलकर पूरा अर्धमंडलाकार आकृति बनाते हैं। मेहराब के बाहर त्रिभुजों में कोई अंकन दिखाई नहीं देता है जो सामन्य तौर पर पौड़ी के मेहराबों में अंकन होता ही है। ऊपर दो कड़ियों का मुरिन्ड /शीर्षफलक /गिनतारा बना है। मुरिन्ड के सबसे ऊपरी कड़ी में मेहराब के कोन कोण के ठीक ऊपर लकड़ी के गोल आकृतियां हैं। मुरिन्ड /शीर्षफलक के लकड़ी की बड़ी कड़ी है जो तीसरी मंजिल का भाग है।
दूसरे मंजिल में दो खिड़कियां हैं जिन पर ज्यामितीय कटान हुआ है।
काष्ठ अलकंरण दृष्टि से तीसरी मंजिल भी महत्वपूर्ण है। तीसरी मंजिल में कुल पांच खड़कियाँ (गढ़वाली शब्द मोरी ) हैं। निम्न तल के चार मोरियाँ चौखट हैं व उन मोरियों /खड़िकियों में केवल ज्यामितीय कटान हुआ है व उच्च स्तर का कटान हुआ है।
श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान के तीसरे मंजिल में सबसे ऊपर मोरी /खिड़की में काष्ठ कला का उम्दा प्रदर्शन हुआ है। मोरी में तीन स्तम्भ /सिंगाड़ हैं व उन पर नक्कासी वैसे ही हुयी है जैसे दूसरे मंजिल के सिंगाड़ों में हुयी है। ये तीनों सिंगाड़ ऊपर ु एक लकड़ी के कड़ी से मिलते हैं . इस कड़ी के मध्य से अर्ध मडल चाप निकलते हैं जो दो अर्धमंडलाकार (मेहराब ) आकृति बनाते हैं। दोनों मेहराब के ऊपर एक ुर मेहराब बना है।
श्रीकोट के थपलियाल परिवार के मकान की छत सिलेटी पटाळों से बनी हैं व नीचे छत आधार में किनारे लकड़ी की कड़ियाँ दिखती हैं।
निष्कर्ष निकला है कि कला व शैली दृष्टि से श्रीकोट के मकान संख्या 1 उच्च स्तर का है व जिसमे लकड़ी में ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण हुआ है व मानवीय अलंकरण अंकन देखने को नहीं मिला। श्रीकोट के मकान संख्या 1 कई मामलो में शैली व अलंकरण व कला दृष्टि से पौड़ी गढ़वाल के मकान से कुछ हटकर है।
भवन के मिल्कियत , मकान निर्माण काल व शिल्पकारों का विवरण प्रतीक्षित है .
सूचना व फोटो आभार : किशोर रावत
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
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