द ब्वाला बल ....
एक कल्चर प्रोग्रामम में किसी ने , एक सज्जन का मुझ से परिचय कराते हुए कहा .. "पाराशर जी , ये भी आपके इलाक से है ..मिल , बड़ा गर्म जोशी से हाथ मिलै कि , बिना लंग लपोड़ कैकी सीधा , उसै अपणी माँ बोली , याने गड्वाली माँ पूछी .... " आप गडवाली छा "
उन बोली '_------- जी ... हा..., मै गड्वाली हूँ "
मिन बोली ... " क्या आप गड्वाली बोली लिंदा .."
उन बोली ... " मै समझ सकता हूँ लेकिन बोल नहीं पाता "
मिन बोली " किलै ?.."
उन बोली .. " कभी मौका ही नही मिला !"
मिन बोली ..."--- मिन बोली आप थै आपणा बुडा ददो नो याद छ ?
उबं बोली .. " ये क्या होता होता है ?"
मिन बोली ..... अभी अभी त आपन बोली कि मै बींग तो सकता हूँ पर बोल नहीं सकता हूँ ? मिन समझाई . " बुडा कु मतलब बुडा दादा , याने को पीता ...का पिता !
उन बोली ....." ओ, ई सी ........ /// " शायद कोई.... , सिंह था ! पका पता नहीं ? "
मिन बोली .. " कवी चचा उचा ... उकु नो , त , याद होलू ?"
उन बोली ... " सबसे बड़े चाचा का नाम करामती सिह , सबसे छोटे का नाम गुमनाम और दो बीच वालो का नाम मुझे याद नहीं है ! "
मिन बोली .. .उ कु नो किलै नि याद ? "
उन बोली ..... " वो गौ में रहते है ना ....., इसिलए .."
मिन बोली ... " वो, ई सी.... पर क्या तुम कभी गौ न जांदा क्या ?"
उन बोली ... " गया था एक बार , जब मै छोटा था !"
मिन बोली ... " एक बार क्यों ?'उन बोली .....'उसके बाद मुझे मोका ही नहीं मिला !"
मिन बोली.. " मिन सवाल कई कि आप पद्या लिख्या त ह्वैल्या ही ?उन बोली ...... :' जी जी.. , पी यच डी इन हिस्ट्री ? "
मिन बोली .... " अकबरो ददो नो क्या छो ? '
उन झट से बोली ... " बाबर ..?"
मिन बोली _" बाबरो बेटा कु ?/
उन बोली ....... " हुमायु ..."
मिन बोली ...... " त आप थै युका दादो का नो याद छी पर अपण ना ! इन किलै ?/
उन बोली ...... " दादा का नाम बहुत है क्या करना है उन्हें याद करके ? कौन से उन्होंने हमें रोटी देनी है ! इनको याद करके सरकार हमें इनाम देती है ! रोजगार देती है !
मिन बोली ... " आप के गडवाल का छा ?" टेहरी, पोड़ी चमोली ....
उन बोली .... " माफ़ करे .. मै मुबई से हूँ ? जहा एक ही नारा है आम छे मुबई ....///
पराशर गौर मई ९ २०१० रात १०३९ पर