Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54209 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
10 hrs ·

'झणि की छै धौं बात '

रात रा उणिदि उणिदि
दिन भी छो कुछ बुझुयु बुझुयु
झणि की छै धौं बात
रा शुसुगरा भुनी भुनी
ब्याली वा तमांम रात !

मौत अर जिन्दगीमा छै लड़ै लगी
जिंदगी हैरी गे छै , मौत जीत्ति गी
पात माँ का पाणी सि छा हम
जिंदगी भर नि जाणा हम य बात !

---- कापी राइट @पराशरगौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
11 hrs · Edited ·

गढ़वालीमाँ एक सेर दिखया ......

गाला गाला पाणी तक, भी नि डैरु मी

कभी डूबू त , कबी छाल ल्ग्युमी

पर जब बीटी देखी , तेरी रतन्य्ली आन्खियुमा

डुबगियुं -- अब नि लागुदु, छाल जणी मी !

copyright@parashar gaur

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
 

"जी उठा था मै"


जी उठा था मै

मै तो जी गया

मदीरा को जब

जब जब मैने उसे

अधरो से लगा दिया !

हाला तो बदनाम है

पर प्याला तो नही

पीने वाला है बदनाम

पर पिलाने वाला तो नही

भेद भाव भूल गया मै

जब घूंट एक पी लिया !

उठते है प्रशन बार बार

क्या पीना-पिलाना है जरूरी

कोई आशिक से पूछे की

क्या प्यार करनtा है जरूरी

बौखला जायेगा सुनके "प्रेम"

जो सब्ध उसे ये कह दिया !

copyright@ prshar gaur

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur‎Merapahadforum
Yesterday at 7:37am ·

गढवाली मजाक (जोक)

एक पहाड़ी भैजिल कोर्टम तल्लाक वास्ता अर्जी लगाई ! वकील्म गे , अर वेकी फीस पूछी कि कतका लगाला !

वेल वकील से पूछी आपै फीस .... !

वकील -- १०००० हजार ...

भैजी -- न - न वकील साब इत बहुत ज्याद च ! बाणनल हमरु ब्यूओ १०१ रूप्यम कैदे छो !

बकील बोली __ दे ख्याली सस्तो कु नतीजा !

-- पराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 21 at 4:17am ·

गढ़वाली मजाक (जोक )

एक दफा एक शराबी दूँन रेलवे स्टेशन माँ उत्तरी बड़ी मुश्किल से भैर गे ! एक बिक्रम खडू छो वेका पैसा जाइके बोली----

" डोभालवल चल ली -" - बुलद बुलद पतडम भ्यम् पडेगे ! वेल वेकी हालत देखी बोली ---

" न , न बुक च क्वी आणु च "

चलत साईं मै २० रुपया फालतु दे दुलु यार --- वेल फिर मना कैदी

शरब्या बोली --- " चल भी यार " बेल देखी आर सोची , येल यनत मननु नी ! बोली बैठा !

शराबी बैठी वेल विक्रम स्टार्ट करी ! द्वी चार दफा जोर जोर से घ्ररर घ्ररर करी अर गाड़ी बंद कैकि बोली --

"-- उत्तरा जी डोभालवाला ऐगी "

शराबी उतरी बोली, " कथगा ह्वेई "

"१०० रुपया " शराबी वैथी सौ रुपया देने अर साथ माँ २० औरी !

जरा अग्वाड़ी गे , फिर वापस आई अर २० रुपया औरी देकी बोली----

" भैजी कभी भी ऐसे ज्यादा स्पीट माँ नि चलया हो " बुल्दै बुलद धडम भ्यम् पडेगे !

--- पराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 20 at 4:20am ·

गढ़वाली शेर

लुखु थै चैंदन , लगाणु कु कुछ छुई
यत तु बिगरैली निहुँदी , यत मि ज्वान नि हुँदु !

कॉपी राइट @ -- पराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक गढ़वाली मजाक--- जोक

खबर

एक द्फा जगलमा शेर दिनमा घाम मा उतणा पोडि कि, आखा बंद कै की, बे फिक्र ह्वे कि छो घाम सिकुणु !

एक स्याल ल देखी अर सोची अब्बै , अबिच मौका ! वो सुरक् सुरक कैकि गे अर चट से वेकि भुक्‍की ( kis) पे के रखबर फू चकर ह्वेगी ! शेर ह्डबड़ै कि उठी अर देखी एक स्याल वे कि भुक्‍की ( किस ) कै की भागी गे ! वो उठी

अर गुस्समा वेका पिछनई दौड़ी ! स्याल ल जनि शेर थैं आंद देखी , य भाग वो भाग ! ज्यान बचाणी मुश्किल ह्वेगी !भगदा भगदा वैन देखी रता माँ एक अखबार छो पड़्यु ! वेंन वो उठाई अर रस्ता का मथी वे थाई खोली की मुढ़म बैठी गे !
इतका माँ शेर वेका पास ऐकी गुसामा रौब से बोली … " ये , तिल यख बिटि क्वी स्याल जांद भी देखी "

स्याल ल बोली --- " कु उउउ। … अरे ऊ जेल तेरी भुकी पे। ।"
शेर हैरान परेशान -- बोली --- " त्वै थै कन कै पता "
सेल ल बोली --- " द या खबर त अखबार म छपेगी --"
" है" आश्चर्यमा शेरल बोली ! य पड़ी माँ इतका जल्दी खबर छी भी गे ! अब अग्वाड़ी नी जाणु अरी पुछलत या जबाब द्यूलु
एमई च की चल घोर ! और वो मुड़ी के फिर जंग ल माँ चली !
--- पारशर गौर

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Parashar Gaur
38 mins ·

एक गढ़वाली मजाक (जोक )

एक गढ़वाली लड़का अपणी प्रेमिका से मिलणा की वेल ककई कोशिश करीनी
पर लड़की कु खडूस बुबल वेकी सरया कोशिशो पर पानी फेरी दे !
एक दिन अचानक वे थाई एक युक्ति सूझी वेल फोन उठाई अर
अपनी प्रेमिका थाई फोन लगाईं ! घंटी बाजी---! बुब्ल उठाई --- !!

बुबा -- " कुछ रै … " ( तभी हैंका तरफ बटी आवाज आई )

' ----जी . मि , अभीताप बच्चन बोनु छो कु बणालु करोड़पति बिटि ।"

( बबन जानी सूनी वो पागल से ह्वेगी-- बोली--- )

" --नमस्कार जी , नमस्कार जी , अहो भाग्य --- ब्वाला, ब्वाला मि क्या सेवा करे
सकदु आप की !

_ " प्रियंका से बात हवे सकद ! दरसल वींकी एक सहेली मेरा सामणी हाट सीट पर
बैठी च ! वा एक सवाल पर अटकी गे , अगर पिंकी वे सवालो सही उत्तेर दे देल त
समझा वेकी जिंदगी बनी जाली वरना एक दम ताल ऐ जालु !

बुब्ल बोली -- " (अभी बुलादुजी, रुका हवा । पिंकी थै आवाज लगांद
फोन देकी )_

"----अभिताप बचन जी छन फोन पर, ली बात कैर ! "

लड़का : सवाल च "आज शाम कुणी कख मिलली "
आप्सन छन -----

A: तैल्या बाजार
B: मैल्या बजार
C: बस अडा
D:गणेशै दुकानमा

लडकी:"Option बी

लड़का : पक्का ----!!!!

लड़की : _ पक्का २, पिताजी का सौं !

एक दम सही काम बनेगे --------

( तालिया बजणी रेन चैदन दगड़्यु )

--- पराशर

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Parashar Gaur
45 mins · Edited ·

एक गढ़वाली मजाक (जोक )

एक गढ़वाली लड़का अपणी प्रेमिका से मिलणा की वेल ककई कोशिश करीनी
पर लड़की कु खडूस बुबल वेकी सरया कोशिशो पर पानी फेरी दे !
एक दिन अचानक वे थाई एक युक्ति सूझी वेल फोन उठाई अर
अपनी प्रेमिका थाई फोन लगाईं ! घंटी बाजी---! बुब्ल उठाई --- !!

बुबा -- " कुछ रै … " ( तभी हैंका तरफ बटी आवाज आई )

' ----जी . मि , अभीताप बच्चन बोनु छो कु बणालु करोड़पति बिटि ।"

( बबन जानी सूनी वो पागल से ह्वेगी-- बोली--- )

" --नमस्कार जी , नमस्कार जी , अहो भाग्य --- ब्वाला, ब्वाला मि क्या सेवा करे
सकदु आप की !

_ " प्रियंका से बात हवे सकद ! दरसल वींकी एक सहेली मेरा सामणी हाट सीट पर
बैठी च ! वा एक सवाल पर अटकी गे , अगर पिंकी वे सवालो सही उत्तेर दे देल त
समझा वेकी जिंदगी बनी जाली वरना एक दम ताल ऐ जालु !

बुब्ल बोली -- " (अभी बुलादुजी, रुका हवा । पिंकी थै आवाज लगांद
फोन देकी )_

"----अभिताप बचन जी छन फोन पर, ली बात कैर ! "

लड़का : सवाल च "आज शाम कुणी कख मिलली "
आप्सन छन -----

A: तैल्या बाजार
B: मैल्या बजार
C: बस अडा
D:गणेशै दुकानमा

लडकी:"Option बी

लड़का : पक्का ----!!!!

लड़की : _ पक्का २, पिताजी का सौं !

एक दम सही काम बनेगे --------

( तालिया बजणी रेन चैदन दगड़्यु )

--- पराशर

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Parashar Gaur
October 27 at 2:04am · Edited ·

एक गढ़वाली मजाक (जोक)

एक पहाड़ी आदिम अपणी क्जयाँण/औरत थई बन बनीक नौ से छो बुलाणु

" हे वी ' 'अजी सुणा छा ' 'सुरु की बुई' 'ओजी ' आदि आदि ! सुण वॉलल

पूछी दे ---

"__यार भैजी, ६० साल का उम्रम भी तुम अजयू भी बोजी थई बड़ा प्यार से

अलग अलग से छो बूलना ! ये प्यार कु क्वी खास कारण ? "

आदिम ---" सच बुन भुल्ला त मि, पिछला १०-१५ साल बिटी मी वीन्कु नौ ही भूली गे यूँ "

----- पराशर गौर

 

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