MITTRO AP SAB KO DEEPAWALI SUBH HO
"दीप जलाने हों तो"
------ पाराशर गौड़
दीप जलाने हों तो
मन के दीप जलायें,
नफ़रत का तिमिर हटे
चेहरों पर मुस्काने लाये! दीप जलाने हों....
तम की तमस हटे,
विश्वासों का सूत्रपात हो,
जन मानस के उर में जागे
प्रेम मिलन की लौ हो
जगमग जगमग हो उजियारा
लौ दूर से दिये दिखाये! दीप जलाने हों....
विघ्नों की लौ जले,
क्षितिज पर नया सवेरा हो,
इन्द्रधनुष सा बिखरे प्यार,
शान्ति मिलन के अवसर हों,
थके न मन के भाव --
भावनाओं के दीप जलायें! दीप जलाने हों....
पुलकित हो दिन रात,
हर्षित शाम सवेरा हो,
आशाओं की बाती में
कल के सपनों का मंजर हो
दिशा दिशाओं से हटे तम
उजियारा उभर के आये! दीप जलाने हों....
द्वेष-रहित हो मानव,
मानव, मानव का सहचर हो,
कटुता मिट जाये मन से
लगन प्यार की हो --
धरा गगन और मन
तब मिलकर सब ज्योति जलायें! दीप जलाने हों....