Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54173 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 24 at 4:53am ·

sab thai deepawli mubaark er sath ma ek...

गढ़वली मजाक (जोक)

गीता अर मधुली बिंडी दिना का बाद मिलिनी ! मधुलिल गीता थै पूछी

"--- हे , गीता - तिन अपना नौनु बिजुकु अंग्वाठा चुसुणु कनक्वै छुड़वाई "

गीता बोली -- " कुछ ना, वेकी मिन निकर ना, ज्रररा ठीली सिलवे दे , बस
अब्त वो २४ घन्टा थैकी पकड़ी रैंद !
---parashargaur

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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MITTRO AP SAB KO DEEPAWALI SUBH HO

"दीप जलाने हों तो"
------ पाराशर गौड़

दीप जलाने हों तो
मन के दीप जलायें,
नफ़रत का तिमिर हटे
चेहरों पर मुस्काने लाये! दीप जलाने हों....

तम की तमस हटे,
विश्वासों का सूत्रपात हो,
जन मानस के उर में जागे
प्रेम मिलन की लौ हो
जगमग जगमग हो उजियारा
लौ दूर से दिये दिखाये! दीप जलाने हों....

विघ्नों की लौ जले,
क्षितिज पर नया सवेरा हो,
इन्द्रधनुष सा बिखरे प्यार,
शान्ति मिलन के अवसर हों,
थके न मन के भाव --
भावनाओं के दीप जलायें! दीप जलाने हों....

पुलकित हो दिन रात,
हर्षित शाम सवेरा हो,
आशाओं की बाती में
कल के सपनों का मंजर हो
दिशा दिशाओं से हटे तम
उजियारा उभर के आये! दीप जलाने हों....

द्वेष-रहित हो मानव,
मानव, मानव का सहचर हो,
कटुता मिट जाये मन से
लगन प्यार की हो --
धरा गगन और मन
तब मिलकर सब ज्योति जलायें! दीप जलाने हों....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
1 hr · Edited ·

तलाश !

एक युग जीने के लिए
जीने पड़ते है कई युग
तिल तिल कर मारना पड़ता है
उसे जीने के लिए
ठीक
वैसे ही -- तुमको समझने के लिए
लेने होंगे कई जन्म ,
बिना रुके ,बिना थमे !
हाँ -----
मैंने अपने मर्म को जान लिया है
तुम्हे देख कर !
आब तो बस मेरे पास
दुवाओ और
आशिर्बाद के सिवा कुछ भी नहीं !

--- कापी राइट @ पराशर गौड़

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
9 hrs · Edited ·

Ek Tajee kavita ke chand shair....

दरारे

सुनो , गर बातो बातो में
तुम से रूठ भी जाए हम
दोस्ती का वास्ता दे दे कर
हमको मना लेना सनम !

तुम्हारा "लौट आओ " कहना ही
बहुत होगा हमारे लिए ------
तुफानो को करके पार
लांघ के समँदरो को चले आयेगे हम !
copy right@--पराशर gaur
31-1014 dinke 2 baje

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
Yesterday at 7:42am ·

एक गढ़वाली मजाक (जोक )

एक गढ़वाली लड़का अपणी प्रेमिका से मिलणा की वेल ककई कोशिश करीनी
पर लड़की कु खडूस बुबल वेकी सरया कोशिशो पर पानी फेरी दे !
एक दिन अचानक वे थाई एक युक्ति सूझी वेल फोन उठाई अर
अपनी प्रेमिका थाई फोन लगाईं ! घंटी बाजी---! बुब्ल उठाई --- !!

बुबा -- " कुछ रै … " ( तभी हैंका तरफ बटी आवाज आई )

' ----जी . मि , अभीताप बच्चन बोनु छो कु बणालु करोड़पति बिटि ।"

( बबन जानी सूनी वो पागल से ह्वेगी-- बोली--- )

" --नमस्कार जी , नमस्कार जी , अहो भाग्य --- ब्वाला, ब्वाला मि क्या सेवा करे
सकदु आप की !

_ " प्रियंका से बात हवे सकद ! दरसल वींकी एक सहेली मेरा सामणी हाट सीट पर
बैठी च ! वा एक सवाल पर अटकी गे , अगर पिंकी वे सवालो सही उत्तेर दे देल त
समझा वेकी जिंदगी बनी जाली वरना एक दम ताल ऐ जालु !

बुब्ल बोली -- " (अभी बुलादुजी, रुका हवा । पिंकी थै आवाज लगांद
फोन देकी )_

"----अभिताप बचन जी छन फोन पर, ली बात कैर ! "

लड़का : सवाल च "आज शाम कुणी कख मिलली "
आप्सन छन -----

A: तैल्या बाजार
B: मैल्या बजार
C: बस अडा
D:गणेशै दुकानमा

लडकी:"Option बी

लड़का : पक्का ----!!!!

लड़की : _ पक्का २, पिताजी का सौं !

एक दम सही काम बनेगे --------

( तालिया बजणी रेन चैदन दगड़्यु )

--- पराशर

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Parashar Gaur
Yesterday at 7:37am · Edited ·

एक गढ़वाली मजाक (जोक )

एक गढ़वाली लड़का अपणी प्रेमिका से मिलणा की वेल ककई कोशिश करीनी
पर लड़की कु खडूस बुबल वेकी सरया कोशिशो पर पानी फेरी दे !
एक दिन अचानक वे थाई एक युक्ति सूझी वेल फोन उठाई अर
अपनी प्रेमिका थाई फोन लगाईं ! घंटी बाजी---! बुब्ल उठाई --- !!

बुबा -- " कुछ रै … " ( तभी हैंका तरफ बटी आवाज आई )

' ----जी . मि , अभीताप बच्चन बोनु छो कु बणालु करोड़पति बिटि ।"

( बबन जानी सूनी वो पागल से ह्वेगी-- बोली--- )

" --नमस्कार जी , नमस्कार जी , अहो भाग्य --- ब्वाला, ब्वाला मि क्या सेवा करे
सकदु आप की !

_ " प्रियंका से बात हवे सकद ! दरसल वींकी एक सहेली मेरा सामणी हाट सीट पर
बैठी च ! वा एक सवाल पर अटकी गे , अगर पिंकी वे सवालो सही उत्तेर दे देल त
समझा वेकी जिंदगी बनी जाली वरना एक दम ताल ऐ जालु !

बुब्ल बोली -- " (अभी बुलादुजी, रुका हवा । पिंकी थै आवाज लगांद
फोन देकी )_

"----अभिताप बचन जी छन फोन पर, ली बात कैर ! "

लड़का : सवाल च "आज शाम कुणी कख मिलली "
आप्सन छन -----

A: तैल्या बाजार
B: मैल्या बजार
C: बस अडा
D:गणेशै दुकानमा

लडकी:"Option बी

लड़का : पक्का ----!!!!

लड़की : _ पक्का २, पिताजी का सौं !

एक दम सही काम बनेगे --------

( तालिया बजणी रेन चैदन दगड़्यु )

--- पराशर

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स्पर्श (गीत )

तुमने हौले से छुआ जो तन
भावना मधुर -मधुर हुई थी
सप्त रंगी हो गया था मन !

नयनो में था असर
आप की खुमारी का
खुशबु थी हवाओ में
आपकी देह के गंध का
था असर - मगर --
अभी भी थे अधखुले नयन !

ऐसी थी दशा मेरी
की पर्वतों को छू लू
थाम के सागर -----
गगन को चूम लू
बनके मी त जब तुम
समा गए थे मन !

सपनो में लगे थे पंख
सोच बाबरी सी हो गई
क्या कहूँ मै अपने आपको
खुद अपने से जु दा हो गई
बसीभूत हो गई थी मै
मिले थे तुमसे जब, ये नयन !

थी अडिग शिखर सी
मौन थी मै झील सी
बिराम था बिचारों में
थी सोच पारदर्शी सीसा सी
आपके एक ही स्पर्श ने
नीवे है हिला दिए कई
जल जले उठ खड़े हुए थे
तोड़के सीमाये , तोड़ के बंधन !

कापी राइट @पराशर गौर

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arashar Gaur
Yesterday at 4:32am ·

न्यूज

यखम दंगा
वखम दंगा
अजि ----
जखमै दयाखा
उख मै दंगा
जू कनु , अर जू कराणा छन
अपणी बोइका $$$$$ स्स्स
सब का सब नंगा !

- कापी राइट पराशर गौर

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Parashar Gaur
November 11 at 2:21am · Edited ·

गढ़वाली शेर ( पहाड़ी झांझियो पर )

अरे रवाकू रवाकू, जरा मेरी सांग ( आर्थी) थई रवाकू

इन लगद जणी, मी पर जन ज्यांन आणी च

थ्वड अग्वॅडी जैकी राइट ले ल्या दग्ड़्यो

५ क्दमो क बाद, दारू की दुकान आणी च !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
November 10 at 6:32pm ·

आवारगी छोड़ दी हमने तो लोग भूलने लगे है.

वरना शोहरत कदम चूमती थी जब हम बदनाम हुआ करते थे!

 

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