Parashar Gaur
November 10 at 5:07am ·
हैप्पी बर्थ डे : उत्तराखंड
बिस्ट जी , उत्तराखंड के किसी , सरकारी आफिस में कलर्क है ! बगल में तिवारी जी बैठते है ! आज ब्र्हस्पती बार है ! दोनों अपने अपने कामो में व्यस्त है की तभी चपरासी दरवान सिह ने दोनों का ध्यान भंग कर दिया ये कह कर की.... .......
" अरे बिस्ट जी, ... और तिवारी जी , जल्दी घर जाओ .. उत्तराखंड सरकार ने शुक्रबार की भी छुटी करवा दी है ,क्यूंकि उत्तराखंड राज्य का जन्मदिन शनिबार को पड़ रहा है इसीलिए उन्होंने शुक्रबार को छुटी घोषित कर दी है बजाय शानिबर के ! "
वे दोंनो उसकी इस बात को सुनकर एक दुसरे के ओर देखने के बाद कहने लगे तीन दिन की छुटी ! शुक्रबार / शानिबर अर इतवार - ---- " वाह ----" !
बिस्ट जी सारे आफिस में एक नेक, इमानदार व देशभक्त के रूप में जाने जाते रहे है ! उत्तराखंड के जन्मदिन का नाम सुनकर उनमे उत्साह का होना या दिखाना कोई बड़ी बात नही थी ! वे अपने आप से कहने लगे की कल हमरी सरकारी कोलानी में इसका जनम बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा ! वे इसलिए भी आसक्त थे की सभी तो अपने पहाडी भाई बंधू है !
घर पहुँचते ही उन्होंने अपनी पत्नी से कहा ..... " जानते हो आज कया है ? " उसने ज्याद ताबजू न देते ही हुए कहा ,( एक मायेने में वयंग से कहा )
" -----क्या है ? "
----- " अरी भगवान् , आज हमारे राज्य उत्तराखंड का जन्म दिन है , जन्म दिन ...."
पत्नी ने फिर वयंग से देख कर कहा " --- अच्हा .... ? थोड़ी देर रुकने के बाद उसने कहा ...... " चलो , मेरा ना सही ... .. आपको तो अपने बचो का जन्म दिन तक , याद नही रहता .... इसका कैसे याद रहा गया ? "
" क्यों नही , क्यों नाही ... /// भाषण बाजीके लिए तो, आज के दिन हर मंत्री, बिधायक , नेता सब के सब कही ना कही बुक हो गए होंगे .. जैसे सादियो में बैंड हो जाया करते है, फिर भला, वो नही.., तो तुम ही सही !
अकड़ते हुए उसने कहा .... " आलाराम लगा दूंगी ! सुबह खुद ही उठ जाना ! हमें और बचो को डिस्टरब मत करना " कहते वो रासोई में चली गई !
सुबह जब घंटी बजी ! बिस्ट जी उठे ! खुद ही चाय बनाई ! अखबार खोलकर पडा , पड़ते पड़ते घडी कि ओर देखा ! अभी ८ बज रहे रहे थे सोचा थोडा और इन्तजार कर लू फिर चलूगा पास पड़ोस वालो को उठाने ! उनके बगल में काला जी, पुंडीर जी , उनियाल जी , तिवाडी जी , आर्य जी , कुकरेती जी , डोभाल जी याने सबी अपने ही लोग रहते थे और सब को पता है कि आज उत्तराखंड राज्य का जन्म दिन है फिर भी कोलानी में कोई रोनक नही ! नहीं कोई उठा है !
सबसे पहले वो बन्दुडी जी के घर गए ! दो तिन बार घंटी बज्जी तो तब जाके उनका बेटा सुधीर आँख मलते हुए दरवाजा पर आया ! सुबह सुबह सामने दरवाजे पर बिस्ट जी को दिखकर पूछने लगा ... " आरे अंकल जी आप ... सब कुछ तो ठीक ठाक है ना ? वो क्या बोलते एसा अटपट सवाल सुनकर ! वो बोले " हां सब ठीक है ! पापा है ? वो बुला ..." जी ... सो रहे है "
" ----सो रहे है ? " बड़े आचर्य के साथ बिस्ट जी ने पुछा !
" हां क्यों ? " जैसा उत्तर वेसे ही जबाब ! अरे , आज उत्तराखंड का जन्म दिन है और वी सो रहे है उन्हें उठाओ ....///
'... पापा ने कहा है कि उन्हें मत जगाना , " कहते , उसने फट से दरवाज बंद कर दिया ! बेचारे बिस्ट जी अपना मुह देखते रह गए !
आगे चले सामने पुंडीर जी का मकान था जा कर घंटी बजाई ! थोड़ी देर में पुंडीर जी बहार आये ! बिस्ट जी को देखकर बोली '------ अरे बिस्टजी, बहुत दिनों के बाद बड़ी मुश्किल से तो आराम करने का समय मिला ... बीच में बिस्ट जी बोल पडे , लेकिन आज तो ऊताराखंड का जन्म दिन है ...
---- तभी तो, आराम कर रहे है पुंडीर जी बोले .. आप भी जाकर आराम करे क्यों खामा खा और कि नीद हराब कर रहे हो ! अच्हा नमस्कार ..कहते उन्होंने भी दरवाजा बन्ध कर दिया ! अंत में वे तिवाडी जी के घर गए ! घंटी बजाई सामने मिसेज तिवारी थी ! बिष्ट जी को देखकर वे ठैट कुमौनी में बोली
'-------- वो बिष्ट भेजी , नमस्कार .. की हरियु .. नान तिन भला .... "
" हां सब ठीक ही छै " तिवाडी जी कहा है ? वो भीतर पूजा में है .. पट ३-४ घंटा के बाद उठेगे !
पूजा ?
" हा हा ..पूजा .. /// आज अपण राज्य कु, जन्म दिन जू ठैथरा .. वेके लिए पूजा कर रहे है !"
बिस्ट जी सोचने लगे कि ये क्या हो रहा है सबी आराम कर रहे है जिन्हीने इसके लिए अपने पराणो कि आहुती दी उसके बारमे कोई भी कुछ नही सोच रहा है ! नजर दोडाई देखा हर जगह एक सनाटा ठीक वेसे ही जैसे मुज्ज़फर नगर के तिराह के चोक पर जब गोल्लियो से हमारे लोग मरे थे ! उस समय का वो सनाटा किसे ने नही सूना ! जैसे आज मेरी आवाज को कोई नही सुब रहा है ! वे मरे हमारे लिए और आज ये आराम रहे है अपने लिए !
कोलानी में कोई रोनक नही ! नहीं कोई उठा है ! चारो ओर सुन सान और तो और आज तो इस इलाके के कुते भी चुप्प चाप है जैसे लगता है कि यहाँ कोई कुता रहता ही नहीं !
पराशर गौर