Author Topic: Articles By Shri D.N. Barola - श्री डी एन बड़ोला जी के लेख  (Read 209497 times)

WilliamideahIU

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D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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मानस खंड मंदिर माला मिशन  ( कनरा डोल आश्रम को ‘धाम’ की मान्यता )
राज्यपाल लैफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह (सेवा निवृत) ने विधान सभा  में अपने अभिभाषण में कहा कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिए मानस खंड मंदिर माला मिशन की शुरूवात होगी !
राज्यपाल व सरकार का यह संकल्प प्रसंसनीय है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए ! सरकार के इस कदम से कुमायूं को भी एक तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकेगा ! देव भूमि गढ़वाल में प्राचीन मंदिरों की श्रंखला है ! वहाँ केदारनाथ धाम है, बद्रीनाथ धाम है, गगोत्री धाम है, यमुनोत्री धाम है, गढ़वाल में ही हरिद्वार है व  ऋषिकेश भी है ! परन्तु देखा जाय तो कुमायूं क्षेत्र में मंदिर तो बहुत हैं, पर वह ‘धाम’ की श्रेणी में नहीं आते !
कुमायूं में पर्यटन को विकसित करने हेतु आवश्यकीय है धार्मिक पर्यटन को कुमायूं से जोड़ा जाय ! पर्यटक हरिद्वार, ऋषिकेश व  चार धामों की यात्रा कर वापस गढ़वाल के मार्ग से ही वापस चला जाते है !  मानस खंड मंदिर माला मिशन के प्रारंभ होने के साथ ही पर्यटक कुमायूं  के मंदिरों व अन्य पर्यटक स्थलों में प्रवास कर वापस जाएगा ! इससे कुमायूं का पर्यटन कारोबार बढ़ेगा ! कुमायूं में जागेश्वर धाम है, बाघ नाथ धाम है, कैंची धाम है, बैजनाथ धाम है, बग्वाल युद्ध के लिए मशहूर देवीधुरा धाम है ! दूनागिरी मंदिर है, परन्तु इन्हें धाम की मान्यता प्राप्त नहीं है! पर्यटन के लिए कुमायूं में  कटारमल सूर्य मंदिर है, कौसानी में विश्व प्रसिद्द अनाशक्ति आश्रम है, पहाड़ों की रानी नैनीताल जैसा आधुनिक शहर है, रानीखेत जैसा खूबसूरत हिल स्टेशन है, जहां से 360 किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला के दर्शन होते हैं !
कल्यानिका कनरा डोल आश्रम को ‘धाम’ की मान्यता :                                                                                                                                             
 विश्व के सबसे बड़े व सबसे भारी श्रीयंत्र की  स्थापना के अवसर पर तत्कालीन  राज्यपाल डॉ०के के पॉल ने  दिनांक  24 अगस्त, 2022 को घोषणा की थी कि कल्यानिका कनरा डोल आश्रम को  पांचवे धाम की मान्यता दी जायेगी ! यह मान्यता अब नई सरकार को शीघ्र देनी चाहिए ! डोल आश्रम  कनरा की खासियत यह हैं कि यहां पर 126 फुट ऊंचे तथा 150 मीटर व्यास के श्रीपीठम का निर्माण हुआ है। इस श्रीपीठम में एक अष्ट धातु से निर्मित लगभग डेढ़ टन (150 कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट ऊंचे श्रीयंत्र की स्थापना आध्यात्मिक आस्था को एक साथ जोड़ने के लिए की गई है । श्री पीठम में लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं ।
    इसी गाँव कनरा में 1,000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित सड़क मार्ग से जुड़ा शिव लिंग, ‘शिव जिव्हा’ के रूप में स्थापित है ! इस  शिव लिंग में अर्पित जल चमत्कारिक रूप से अलोप हो जाता है !                                                                                                                                                           
  आशा है सरकार अपने उपर्युक्त संकल्प को पूरा करने का कार्य करेगी, जिससे कि कुमायूं क्षेत्र के पर्वतीय अंचल में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलो सके !                     
डीएन बड़ोला,                                                                                                                                                                                      अध्यक्ष, प्रेस क्लब, रानीखेत                                                     
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ये दशक उत्तराखंड का दशक है ! – नरेन्द्र मोदी प्रधान मंत्री की इस घोषणा को मूर्त रूप देने हेतु मानस खंड (कुमायूं) के चार धाम परिभाषित हों !!
स्कन्द पुराण में वर्णित केदारखंड (गढ़वाल) में अवतरित  केदारनाथ  धाम का पुनरुद्धार करने व चारों धाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री व गंगोत्री को आल वैदर रोड से जोड़ने की योजना के पश्चात मानस खंड (कुमायूं) के लिए राज्यपाल लैफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह (सेवा निवृत) ने विधान सभा  में अपने अभिभाषण में  कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को भव्य बनाने के लिए मानस खंड मंदिर माला मिशन की घोषणा की है ! राज्यपाल व सरकार का यह संकल्प प्रसंसनीय है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए ! सरकार के इस कदम से कुमायूं को भी एक तीर्थ स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकेगा !
देव भूमि गढ़वाल में प्राचीन मंदिरों की लम्बी श्रंखला है ! वहाँ केदारनाथ धाम है, बद्रीनाथ धाम है, गगोत्री धाम है, यमुनोत्री धाम है, गढ़वाल में ही हरिद्वार है व  ऋषिकेश भी है ! परन्तु देखा जाय तो कुमायूं क्षेत्र में मंदिर तो बहुत हैं, पर वह ‘धाम’ की श्रेणी का कोई मंदिर नहीं है !
कुमायूं में पर्यटन को विकसित करने हेतु आवश्यकीय है धार्मिक पर्यटन को कुमायूं से भी जोड़ा जाय ! पर्यटक हरिद्वार, ऋषिकेश व  चार धामों की यात्रा कर वापस गढ़वाल के मार्ग से ही वापस चला जाते है !  मानस खंड मंदिर माला मिशन के प्रारंभ होने के साथ ही पर्यटक कुमायूं के मंदिरों व अन्य पर्यटक स्थलों में प्रवास कर ही गन्तव्य स्थान को जायेंगे  ! ऐसी अपेक्षा की जा सकती है ! इससे कुमायूं का पर्यटन व खास तौर पर धार्मिक पर्यटन का कारोबार बढ़ेगा ! कुमायूं में जागेश्वर धाम  12 ज्योतिर्लंगों में 8वां ज्योतिर्लिंग  है तथा पांचवे धाम के रूप में प्रसिद्द है ! बाघ नाथ धाम है, कैंची धाम है,बैजनाथ धाम है,आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित माता का शाक्तिपीठ हाट कलिका मंदिर है; स्कन्द पुराण में वर्णित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर है;बग्वाल युद्ध के लिए मशहूर देवीधुरा धाम है ! दूनागिरी मंदिर है,रानीखेत में  प्राचीन झूला  देवी मंदिर है, हैड़ाखान मन्दिर है , परन्तु इन्हें धाम की मान्यता प्राप्त नहीं है ! इसी प्रकार पुरातात्विक रूप से , द्वाराहाट के 55 मंदिरों समूह जिनका निर्माण 10 से 12 सदी के बीच में किया था दर्शनीय हैं | पर्यटन के लिए कुमायूं में  कटारमल सूर्य मंदिर है, कौसानी में विश्व प्रसिद्द अनाशक्ति आश्रम है, पहाड़ों की रानी नैनीताल जैसा आधुनिक शहर है, रानीखेत जैसा खूबसूरत हिल स्टेशन है, जहां से 360 किलोमीटर लम्बी हिमालय श्रंखला के दर्शन होते हैं !
भारत में कुल 4 धाम हैं – बद्रीनाथ धाम, रामेश्वर धाम, जगन्नाथ पूरी, व द्वारका !  इन मंदिरों को 8वीं शदी में आदि शंकराचार्य ने एक सूत्र में पिरोया था ।
बीसवीं शताब्दि के मध्य  में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्थ लों  बद्रीनाथ  को छोड़ कर केदारनाथ , यमुनोत्री एवं गंगोत्री को ‘छोटा' विशेषण दिया गया जो आज भी यहां बसे इन देवस्था नों को परिभाषित करते हैं । 
प्रश्न है कि कैसे चार धाम यात्रियों को मानस खंड की ओर आकर्षित किया जाय ? चार धाम यात्री हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुए चार धामों के दर्शन कर वापस लौट जाते हैं ! कुमायूं में एक भी धाम नहीं है, इसलिए आवश्यकीय है कि कुमायूं के प्राचीन मंदिरों को ‘धाम’ कि मान्यता मिले !जिस प्रकार बीसवीं शताब्दि के मध्य  में इन चारों तीर्थ स्थकलों, बद्रीनाथ को छोड़ कर केदारनाथ , यमुनोत्री एवं गंगोत्री को ‘छोटा' विशेषण दिया गया था उसी प्रकार चार या अधिक महत्वपूर्ण मंदिरों  को ‘छोटा धाम’ का विशेषण दिया जा सकता है !  प्रशन्नता है कि 22 अगस्त, 2022 को तत्कालीन राज्यपाल डॉ केके पॉल ने हमें राह दिखलाई है ! उन्होंने विश्व के सबसे बड़े ‘श्रीयंत्र’ की स्थापना के अवसर पर घोषणा की थी कि विश्व प्रसिद्द कल्यानिका कनरा डोल आश्रम को  उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में पहिचाना जाएगा ! इस प्रकार राज्यपाल महोदय ने धाम की मान्यता देने का श्रीगणेश कर दिया है ! इसलिए मानस खंड (कुमायूं ) में भी अधिकतम चार ‘छोटा’ धामों की मान्यता दी जा सकती है ! धार्मिक पर्यटक केदारखंड (गढ़वाल) में चार धाम मंदिरों के दर्शन कर मानस खंड (कुमायूं)  में नए चार धामों – पूर्व राज्यपाल द्वारा घोषित ‘धाम’ कल्यानिका कनरा डोल आश्रम, के अतिरिक्त  8वें ज्योतिर्लिंग जागनाथ धाम जो धाम के रूप में प्रसिद्ध है व  बागनाथ धाम आदि  के दर्शन के इच्छुक होंगे !  इस हेतु पर्यटन विभाग धार्मिक पर्यटन यात्रियों को विस्तृत जानकारी दे सकता है ! इसमें राज्य सरकार व केंद्र सरकारं  का योगदान महत्वपूर्ण  रहेगा !                                                                                  अतः इस विषय को लेकर आगे बढ़ा  जाय  तो कुमायूं में भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, इसमें संदेह नहीं  !                                                                         
डीएन बड़ोला, DN Barola  प्रेसिडेंट,  प्रेस क्लब, बड़ोला कॉटेज, रानीखेत  ! Mob.9412909980 

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Man has stopped eating Man, but not killing Man?
 
            In the creation of the Almighty, Man is the most intelligent, powerful, yet horrible living being. During my early life, when I was a student of English Literature, I read an article by Joseph Lynd about this wonderful creation of God – The Man. I don’t remember the exact words but his narration of the Man was something like this. What a strange animal is the Man who walks with only two legs. His body has several joints, yet he can walk and run fast with two legs. In fact in the Universe all the animals stand with four legs, but Man is the only two-legged animal. Strange! The Man and his better half grow grass like hairs and enthusiastically decorate them and in the modern times now by spending a sizeable amount on hair decoration. Having two twinkling eyes, pregnant with
emotions, considers himself the best creation of the Universe and boasts of being the most beautiful living creation of the Almighty. Now he flies in the Sky, dives into the Sea and does anything or everything, which he ever fancied.   

            Always vigilant and fighting for his existence, man is a social animal. Looks after his kith and kin and now dutifully leads a married life, eats, excretes, sleeps and produces carbon copies of himself, sometimes frequently, thus adds up the numbers to his race. Man has no doubt stopped eating Man, but what a paradox has not stopped killing Man. Today Man is the most wretched and ruthless killer, as everyday we hear of the Terrorists killing innocent men and women. He has amassed all weapons of disaster. A soft push or touch on the Atomic Button by any Atomic Power Country can be instrumental in finishing off the living beings including human race. Very well knowing this he has redoubled his efforts to continue his efforts to amass mass weapons of destruction. He is trying to find cure for Cancer, Diabetes, Aids and other diseases, but new diseases appear to tell the Man that it is no use to challenge the God, who is Almighty, Omnipotent, Omnipresent and Omniscient. At least for now the Man must think and brood. He must think why he is killing his own race. He should stop killing man, if it so happens, world will again be a place to live at peacefully without and kind of fear. (D.N.Barola)


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माननीय मुख्य  मंत्री श्री पुष्कर धामी  जी के विचारार्थ !                                                                                                                                           
                                                                                                                                                                                                       
1)चार धाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की अनियंत्रित भीड़ को देखते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि तीर्थ यात्रियों को चार धाम यात्रा का अवसर साल में केवल एक ही बार मिलेगा, तीर्थ यात्री अगले साल से एक से ज्यादा बार चार धाम यात्रा में नहीं जा पायेंगे ! इससे उन सभी श्रद्धालुओं को बहुत मानसिक कष्ट होगा जो बद्रीनाथ जी के कपाट खुलने व बंद होने समय प्रति वर्ष नियमित रूप से वहाँ जाते है ! इसके अतिरिक्त उत्तराखंड के उन तीर्थ यात्रियों को भी, जो अक्सर बद्रीनाथ जी के दर्शन हेतु जाते रहते हैं !  मंत्री जी का कथन  सही है कि चार धाम यात्रा के इतिहास में पहली बार तीर्थ यात्रियों की संख्या का नया रिकॉर्ड बन रहा है और भीड़ संभाले नहीं संभल पा रही है ! इस भीड़ को संभालने के लिए मंत्री जी ने कहा कि चार धाम यात्रा में प्रतिबन्ध लगाना पढ़ सकता  है !

2)इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए  ‘कुमायूं में चार धाम मान्यता अभियान’ के संयोजक डी एन बड़ोला ने मुख्य मंत्री धामी  जी से अपील की है  कि चार धाम यात्रा में अभूतपूर्व ब्रद्धि को देखते हुए बद्रीनाथ धाम से लौटते तीर्थ यात्रिओं को कर्णप्रयाग हाईवे से होते हुए कुमायूं के नए प्रस्तावित धामों के दर्शन हेतु जागेश्वर धाम, हाट कालिका मंदिर व पातळ भुवनेश्वर मंदिरों, जिन  तीनों मंदिरों को  8वी शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया था, उनके दर्शन हेतु भेजे हेतु भेजने हेतु सुविधा दी जाय और उनके लिए आवश्यक  इंतजाम लिए जाय  ! इन मंदिरों को तीर्थ यात्रिओं के लिए खोल देना चाहिए !  उक्त तीनों मंदिर सरकार द्वारा पहले से ही मंदिर माला मिशन के अंतर्गत शामिल किये जा चुके हैं !                                                         
 इसके अतिरिक्त कल्यानिका कनरा- डोल आश्रम में 1760 किलो वजनी  अष्टधातु से बने विश्व के सबसे बड़े श्री यंत्र की स्थापना के उदघाटन के अवसर पर 18 अप्रैल,1918 को तत्कालीन  राज्यपाल डॉ के के पॉल ने घोषणा की कि विश्व प्रसिद्द ‘श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा-डोल (डोल आश्रम)’ को  उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में पहिचाना जाएगा l  उन्होंने कहा -https://www.youtube.com/watch?app=desktop&v=VVfVNJUZ8_M                                                                                           “उत्तराखंड की देवभूमि अपने चार धाम के लिए तो जानी जाती है लेकिन अब यह आश्रम उत्तराखंड का पांचवां धाम बनने जा रहा है ! अपने उदघाटन भाषण में उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ० केके पॉल ने कहा कि डोल आश्रम को पांचवे धाम के नाम से पहिचाना जाएगा l” 
 
3)यदि चार धाम यात्रियों को कुमायूं में चार धाम यात्रा के  नए तीर्थ स्थलों के दर्शन करवाने के लिए कर्णप्रयाग हाई वे द्वारा रानीखेत-अल्मोड़ा एवं पूरे कुमायूं क्षेत्र हेतु प्रेरित किया जा सके तो कुमायूं की आर्थिकी में बहुत सकारात्मक बदलाव आएगा तथा पर्यटन एवं धर्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा !

4)कुमायूं के यह चार धाम बारह माह खुले रहते हैं ! अगले वर्ष जब  बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे नए रिकॉर्ड बनने निश्चित है l उस समय किसी भी परेशानी से बचने के लिए श्रद्धालुओं  की  रिकॉर्ड तोड़  भीड़ को बद्रीनाथ से कर्णप्रयाग हाईवे से रानीखेत– अल्मोड़ा एवं पूरे कुमायूं को तीर्थ यात्री नए तीर्थों के व नए पर्यटक स्थलों की खोज एवं नवीन एडवेंचर की खोज करने हेतु पर्यटकों को नए स्थलों की खोज का भी आनंद मिलेगा !   वह पौराणिक काल के  हमारे अनेक  मंदिरों के साक्षात् दर्शन भी कर पायेंगे !                                                     

5) हवाई यात्रिओं के लिए जहां एक तरफ जॉली ग्रांट हवाई अड्डा  देहरादून में है तो कुमायूं से वापस अपने गंतव्य जाने के लिए भी नैनी सैनी  हवाई यात्रा उनका इन्तजार करता मिलेगा ! इस प्रकार उनकी यात्रा अत्यंत शुभ रहेगी !

डी एन बड़ोला                                                                                                                                                                                   
संयोजक.                                                                                                                                                                                             
कुमायूं में चार धाम मान्यता सोसियल मीडिया अभियान,  बड़ोला कॉटेज, रानीखेत
                                                                                                 


D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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महोदय,                                                                                                                                                                                               
                                                                                                                                                                                                         
 ग्राम कनरा (लमगड़ा) 1980 तक सड़क विहीन था ! अब जाकर कनरा तक सड़क पहुँची है ! जो आज भी कच्ची है l  किसी भी विभाग ने इसकी सुधि नहीं ली है ! यह ग्राम मुख्य धारा से कटा रहा l इस कारण यह विकास विहीन ग्राम बन गया !  सुरेश बडोला कहते हैं - ‘हमारे बुजुर्ग बताते हैं बद्रीविशाल के प्रति अटूट श्रद्धा के कारण बद्रीनाथ मंदिर की पूजा सभा में बडोला ब्राह्मणों का भी स्थान नियत है, जब कि कनरा (लमगड़ा) के बड़ोला ब्राह्मण भगवान् शिव के उपासक हैं ! इसलिए निवेदन है कि  मानस खंड मंदिर माला मिशन का लाभ उन मंदिरों को भी मिलना  चाहिए  जो लम्बे समय से उपेक्षित एवं पिछड़े हैं l  ऊँटेश्वर महादेव मंदिर जो गाँव कनरा में अवतरित हुए हैं, यह गाँव 1,000 वर्ष प्राचीन दुर्लभ ऊँटेश्वर महादेव मंदिर सालम पट्टी क्षेत्र में प्रसिद्द है l कनरा स्थित इस मंदिर हेतु अल्मोड़ा से लमगड़ा से चायखान से कनरा-तोक से कनरा तक अब मोटर रोड बन चुकी है l अल्मोड़ा से इसकी कुल दूरी 43 किमी है !                                                                         इस मंदिर की निम्न विशेषताएं हैं l                                                                                                                                                                   
 1)एक हज़ार वर्ष से भी अधिक प्राचीन है ! इसमें 12 देवालय स्थित है !                                                                                                                       
 2)यह स्वयंभू पृथ्वी/भूमि से स्वयं निकला हुआ अर्थात प्राकृतिक है l                                                                                                                             
 3)यह  शिवलिंग महादेव की जिव्हा के रूप में प्रकट हुआ है l                                                                                                                               
 4)भंडारे आदि आयोजनों में सैकड़ों भक्तजनों द्वारा अर्पित जल विलुप्त हो जाता है !                                                                                                           
 5)इस शिव लिंग की लम्बाई जमीन से ऊपर 7  फीट है और बांकी शिवलिंग प्रथ्वी के अन्दर है l इस शिवजिव्हा का उद्‌गम जानने हेतु हफ़्तों खुदाई की गई परन्तु इस शिवलिंग की लम्बाई का कोई पारावार नहीं मिला l                                                                                                                                                                       
 6)यह मंदिर पर्यावरण विभाग द्वारा संरक्षित है !                                                                                                                                                 
 7)शिव लिंग (शिव जिव्हा) दुर्लभ श्रेणी में आता है ! मेरी जानकारी में शिव जिव्हा के रूप में अन्य स्थानों में शिव जिव्हा के रूप प्रकट शिव लिंग नहीं है !                                                                          8) ऊँन्टेश्वर महादेव मंदिर के विषय में मंदिर के पुजारी पंडित खीमा नन्द बड़ोला का यह वीडियो चन्द्र शेखर बड़ोला के सौजन्य से प्राप्त हुवा है - https://www.youtube.com/watch?v=X_GfqH8ZUQg&t=1710s                                                                                                                           
 9)इसलिए अनुरोध है कि इस मंदिर को मानस माला मंदिर मिशन में शामिल करने की कृपा करें !                                                                                             
 10)  श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा-डोल (डोल आश्रम) कनरा की  ही भूमि पर स्थित है  और ऊँटेश्वर महादेव  मंदिर इसी  गाँव कनरा  में 6 किलोमीटर की दूरी पर है !                                                                                                                                                                                             
 11)लोकार्पण द्वारा पुजारी लीलाधर बड़ोला का इंटरव्यू :                                                                                                                 https://fb.watch/eZBipsYoug/
धन्यवाद !                                                                                                                                                                                           
भवदीय
                                                                                                                                                                                               
डीएन बड़ोला,  निवासी ग्राम कनरा                                                                                                                                                                                                                                                                                            अध्यक्ष, प्रेस क्लब, रानीखेत l Mobile 9412909980                                                                                             





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इत्ती सी सड़क और इसके भी सौ अफसाने – रानीखेत की बूचड़ी रोड
                                                                                                                                                                                                       
दिल्ली से पधारे एक मित्र बोले इत्ती सी सड़क और इसके सौ अफसाने ! हमने उत्तर दिया यही तो है गागर में सागर,यही तो है हमारा रानीखेत ! यही तो है ‘बूचड़ी रोड’ की खासियत !
यह सही है जब हम यहाँ 1988 में आये थे यहाँ बित्ता सा सामन भी नहीं मिलता था ! समय बदला अब तो मेरे घर बड़ोला कॉटेज से मात्र फकत 99  कदम आगे बढ़ो तो इस बीच आपको हवाई जहाज के अलावा सब कुछ मिल जाएगा ! हांलांकि हम हमेसा जाम,  व भीड़ भाड़ की स्थिति से परेशान भी रहते हैं, पर इस परेशानी का भी अपना मजा है !
रानीखेत की सदर बाजार को टक्कर देती हैं यह सड़क ! मिनी सदर बाजार का रूप ले रही हैं यह सड़क ! पर अफ्सोच बंदरों से भी गुलजार रहती है यह  सड़क l   आखिर मंजिल पर पहुँचते पहुँचते बड़े बड़े घाव लिए कराह रही है यह सड़क !                                                                                                                                       
 पुलिस भी कभी-कभी इस स्थान में रेड करती है और गलत पार्किंग के कारण  टैक्सी वालों को हटा देती है ! पर कुछ समय बाद वह फिर यथा स्थान दीखते हैं !  इस सड़क को कोई फरक नहीं पड़ता ! यह सब कुछ बड़े प्यार से चलता रहता है l  किसी को कोई शिकायत नहीं ! हमें भी नहीं ! क्यों न हो तो हमारे तो दरवाजे पर  ही फैंसी टेलर फैशन डिज़ाइनर विराजमान है तो ब्यूटी पार्लर भी है ! क्या आप सोच सकते हैं जिन जिन कार्यों के लिए हमें हल्द्वानी जाना पड़ता था वह घर पर ही हो जाते हैं ! कितनी लम्बी है यह बाजार यह तो देखना पढेगा ! मजे की बात है यहाँ बड़े-छोटे ट्रक भी शोभायमान रहते हैं !
अरे अरे, यह तो एक कहानी का प्लाट बन गया है ! इस पर एक लेख तो बनता ही है ! मैं भूल रहा हूँ, जो हमारे सामाजिक कार्यकर्ता व नेता जो नहीं कर पाए, वह इस सड़क ने कर दिखाया ! नर सिंह ग्राउंड में सामाजिक कार्यकर्ताओं व नेताओं के मध्य भयंकर 'श्रेय ' की होड़ को धता बताये हुए इस सड़क पर हर साल एक झन्नाटेदार,  जोरदार मेला भी तो होता है ! इसमें बाहर के व्यापारियों की चांदी हो जाती है, पर रानीखेत वासी इसमें भाग नहीं लेते एवं निर्विकार भाव से मूक दर्शन बने रहते है !   क्यों यह तो वहीं जानें ?  इस जोरदार  मेले का न कोई अध्यक्ष होता है न जनरल सेक्रेटरी ! पर 4-5 दिन के मेले में जनता बहुत सामान घर को ले जाते हैं ! ऐसा लगता है जैसे सामान फ्री में मिल रहा हो !
कार में  फैंसी प्लेट लगानी है, कार,स्कूटर, ट्रक  की बैटरी चाहिए सब कुछ है यहाँ ! यहाँ किराना की दुकानें हैं जो मॉल से कम नहीं हैं ! लो यहाँ दूध, सब्जी भी यहाँ मिल जाती है ! युवा युवतियों के लिए कंप्यूटर कोचिंग सेंटर भी हैं ! पीछे  एक हाईली क्वालिफाइड एम० डी० महिला डॉक्टर का क्लिनिक भी  है l  यहाँ की दुमंजलि दुकानों की तो बात ही क्या है l यहाँ वकील हैं तो चार्टर्ड अकाउंटेंट भी विराजते है ! यहाँ मेडिकल स्टोर हैं तो चश्मे की दूकान भी है l यहाँ होटल है तो टेलीविज़न शॉप भी है तो क्लॉथ मर्चेंट की दूकान भी है तो डॉक्टर का क्लिनिक भी है !
 परन्तु टॉयलेट ढूढ़ते ही रह जाओगे ! वैसे अगले 200 कदमों की दूरी पर आधुनिक टॉयलेट तो है ही ! पर  पुरातन कालीन ओपन एयर टॉयलेट का आप्शन भी है  !  कूड़ा फेंकने के लिए एक नहीं दो-दो कूड़ेदान हैं !  यहाँ सुभाष चौक भी है  जहां जिला अन्दोलन तो होता है पर नगर पालिका अभियान यहाँ नहीं होता ! इसका उचित स्थान तो गाँधी चौक ही माना जाता है ! ऐसा क्यों ?  इस पहेली का उत्तर मैं नहीं ढूढ़ पाया !                                                                                                                                                       यहीं पर हर पार्टी के नेताओं का अड्डा है ! यहां क्षेत्रीय से लेकर अंतर राष्ट्रीय समस्याओं  पर बहस होती रहती है,  वाद विवाद होते रहते हैं ! कहते हैं यहाँ बाघ और बकरी एक ही घाट पर पानी पीते हैं ! परन्तु इस राजनितिक  अड्डे की उपलब्धि क्या है ? यह पता नहीं !  यहाँ की ज्वलंत समस्या रानीखेत जिला, नगर पालिका, खेल का मैदान, सीवर लाइन है l कुमायूं के चार धाम मान्यता हेतु सोसियल मीडिया अभियान  को सफल बनाने की बात भी है ! इन पर बात होती है पर नेताओं के मतभेदों व श्रेय लेने की प्रवृति के कारण  सब मामले  टाँय-टाँय फिस हो जाते हैं !  इन समस्यों को मुख्य मंत्री क्या केन्द्रीय मंत्री भी नहीं सुलझा पाए ! बात तो जोर शोर से होती है, जुलूश भी निकलते हैं, मिठाइयां भी वितरत की जाती हैं और ऐन मौके पर नेता एक दूसरे पर दोषारोपण  कर निकल लेते हैं  !                                                                                                                        इस सड़क का नाम बदलने हेतु बड़े बड़े राजनीतिक सूरमाओं ने प्रयास किये !                                                                                                       
कटक पालिका, रानीखेत के बोर्ड की 30 मार्च, 2016 को नाम परिवर्तन हेतु बोर्ड  ने प्रस्ताव पास किया ! पर साईंन बोर्ड नहीं लगे ! अब यह मामला 7 साल 4 माह से लंबित है !  क्या कोई नेता गण हमारी गुहार सुनेंगे !  जनता की पुकार सुनेंगेर ?                                                         राजकीय स्नातकोत्तर कॉलेज चिलियानौला का रानीखेत से कट सा जाने के बाद विद्वित जनों एवं जन साधारण में बौद्धिक विचार विमर्श एवं पत्रकारिता में उच्च मानदंड स्थापित करने हेतु प्रेस क्लब को उचित भवन उपलब्ध करवाने  हेतु हमने बहुत प्रयास किये पर वही ढाक के चार पात ! इसलिए इन चार अक्षरों को ही पढ़ कर संतोष्ट मिल जाय तो क्या बात !                                                                  अतः इति अष्टम, लस्टम , खस्टम ???                                                                          बड़ोला कॉटेज की 2023 व 1999 की 3 फोटो संलग्न है !                                                                                                                               
डीएन बड़ोला  9412909990    9 अगस्त, 2023
   
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Important Comments :
Rajiv Lochan Sah From : 9.5.23
जानदार. आपने तो पूरा रानीखेत आँखों के सामने रख दिया.
                                                                                                                       HJB Singh                                                                                                                  वह क्या बात है रानीखेत के कोने की कहानी माननीय वरिष्ठ समाजसेवी, राजनेता एवं अध्यक्ष प्रेस क्लब रानीखेत  के सम्मानित श्री डी एन  बडोला जी की जबानी। बहुत बढ़िया
Narendra Rautela : अद्भुत शब्द कथा अथवा रानीखेत की व्यथा कथा l




D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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‘नया रानीखेत’  - कभी चिलियानौला को नया नाम दिया  था कुंजराशन ने !  -  बड़ोला                                                                  .                                         
                                                                                                                                                                                                          52 साल पहले मैं  नैनीताल से रानीखेत आया था ! तब कुंजराशन साप्ताहिक,चिलियानौला से प्रकाशित होता था l  इसके संपादक पीताम्बर त्रिपाठी चिलियानौला को ‘नया रानीखेत’ के रूप में प्रचारित करते थे  ! तब चिलियानौला एक छोटा सा गाँव था ! चिलियानौला की  बुद्धिजीवी व संभ्रांत जनता रानीखेत में ही रहती थी !  समय ने पलटा खाया धीरे धीरे चिलियानौला विकसित होने लगा !  हैढ़ाखान मंदिर व राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना चिलियानौला वासियों के लिए वरदान सिद्ध हुई ! आज चिलियानौला एक नगर पालिका है ! उसका अपना भवन निर्माणाधीन है !  ग्रामीण परिवेश के कारण चिलियानौला में मंहगाई दर अपेक्षाकृत कम है ! बस चिलियानौला को एक कॉम्पैक्ट मार्किट की जरूरत है !
दूसरी ओर रानीखेत में स्थान की उपलब्धता न होने   व अन्य कारणों से अनेक  कार्यालय यहाँ से  शिफ्ट कर दिए गए ! रानीखेत को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब एक-एक कर 5 नयी तहसीलें बन गई ! और  रानीखेत उपमंडल में मात्र एक तहसील रह  गई !                                                                                                                                              डिग्री कॉलेज शिफ्ट होने व अनेकानेक कार्यालयों के जाने से मॉल रोड लगभग वीरान हो चुका है !                                                                                             
शिक्षा के मामले में अब रानीखेत में आधा दर्जन इंटरमीडिएट  कॉलेज ही बचे हैं !  एक भी उच्च शिक्षा संस्थान न होने के कारण अब इस शहर का बुद्धिजीवी स्तर कैसे बढ़ेगा ?  ख़ास तौर पर इसलिए क्योंकि रानीखेत का संपर्क उच्च शिक्षित क्लास प्रोफेसर व लेकचरर्स  से कट सा गया है ! रानीखेत के किसी भी समारोह में पीजी कॉलेज के प्रोफेसर एवं प्राचार्य की अनुपस्थित क्या कुछ कहती है ! यह सोचने की बात है ? हालांकि यह भी कटु सत्य है इन समारोहों में रानीखेत के इंटर कॉलेजों के प्रिंसिपल एवं लेक्चरर्स आदि की उपस्थिति न होना भी खटकने वाली बात  है ! यह सब कुछ  यक्ष प्रश्न हैं ! जिन पर विचार किया जाना  चाहिए ! 
समय बड़ा बलवान होता है ! किसने सोचा था एक दिन ऐसा आयेगा जब रानीखेत वासी नगरपालिका हेतु चिलियानौला से मिलने की बात कर रहे हैं l एक प्रकार से तो अच्छा ही है, इसमें अब कोई शक नहीं  चिलियानौला भी तो रानीखेत ही है !                                                                                                                                                 
स्पष्ट है कई साल पहले की गई नया रानीखेत की कल्पना साकार हो रही है ! 
प्रश्न है रानीखेत का भविष्य क्या है ? रानीखेत में जमीन की उपलब्धता नगण्य  है इसलिए यहाँ नए संस्थान कैसे आयेंगे ?
इसलिए रानीखेत को अपने बल बूते पर खड़ा होना होगा ! हमें युवा शक्ति को जाग्रत करना होगा ! वरिष्ठों की राय से कुछ ऐसा किया जाय कि रानीखेत में पर्यटन बढ़ें ! युवाओं को आगे लाना होगा l
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के इस युग में पर्यटन को इन्टरनेट के माध्यम से बढ़ाया  जा सकता है ! रानीखेत को एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में लांच किये जाने की आवश्यकता है !  सरकार  इसमें सहयोग देने हेतु तत्पर है l इस सम्बन्ध में जॉइंट मजिस्ट्रेट रानीखेत से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम बात भी की गई थी !                                                                           मेरा पिछला लेख “इत्ती सी सड़क और इसके भी सौ अफसाने” जम कर वायरल हुवा ! वायरल करने में रानीखेत के प्रवासी युवाओं का बड़ा योगदान रहा ! वह रानीखेत की दशा से व्यथित हैं ! उनमें से कुछ की मदद से पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है ! जो युवा के रानीखेत का विकास करने हेतु प्रतिबुद्ध हैं, उन्हें जाग्रत किया जाना आवश्यकीय है !  उन्हें जिम्मेदार स्थानों में स्थापित किया जाना चाहिए !  यह नई पीड़ी ही है जो रानीखेत में पर्यटक क्रांति ला सकती है !  रानीखेत से  360 किलोमीटर विस्तृत                                               नगाधिराज  हिमालय पर्वत श्रंखला के दीदार होते है ! यहाँ रानीझील है जो कमाऊ एवं आत्मनिर्भर साबित  हो रही है एवं पर्यटक आकर्षक का केंद्र है !  हमारे पास आशियाना पार्क है जहाँ बच्चे पर्वतीय परिवेश से आच्छादित प्राकृतिक पहाड़ियों में अठखेलियों का आनंद उठाते हुए वापस घर जाने हेतु तत्पर नहीं देखते ! उन्हें तो बस आशियाना पार्क ही चाहिए !! 
मेरे पिछले लेख का  रानीखेत पर प्रभाव नगण्य रहा ! रानीखेत निर्विकार भाव से शांत रहा !  हाँ प्रवासी रानीखेत वासियों ने इस पर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रया दी और सहयोग का वायदा भी किया ! अतः रानीखेत वासियों के समक्ष यह लेख प्रस्तुत है !                                                                                                                                         
 .डर है रानीखेत एक बार फिर प्रतिक्रियाविहीन  न हो जाय  !  फिर भी मैं आशावान हूँ !   लेख समाप्ति पर मेरी प्रतिक्रया है :                                                                            इति अष्टम, लस्टम , खस्टम ???                                                                                                                                                                 लेखक : डीएन बड़ोला, अध्यक्ष प्रेस क्लब, रानीखेत                                                                                                                                                   
     मोबाइल: 94129099 80 -         8 सितम्बर , 2023                                                                     
 

D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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मैडम सीमा बर्गली,                                                                                                                                                                                       
 प्रधानाचार्य                                                                                                                                                                                           
 गोबिंद बल्लभ  इन्टर कॉलेज, भवाली                               
 मैडम,                                                                                                                                                                                                                           
                                                                                                                                                                                                       
कहते हैं उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति अपनी जड़ों की खोज करने लगता है ! आज उम्र के 84वे साल में  ऐसा ही कुछ मैं भी करने जा रहा हूँ ! मैं आपके इस स्कूल का विद्यार्थी रह चुका हूँ ! बात सन 1952 की है ! जब मैंने जूनियर हाई स्कूल. भवाली से कक्षा 8 उत्तीर्ण की  थी ! भवाली नगर के गणमान्य नागरिकों एवं समाज सेवियों ने  लिया विचार विमर्श किया और  इस विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता दिलाने का संकल्प लिया ! इस हेतु स्कूल की बाईं ओर स्थित प्राचीन बंगले में हाई स्कूल कक्षाएं संचालित की जाने लगी !  दो साल हमने इस विद्यालय में 9 व 10 कक्षा की पढ़ाई की ! परन्तु मान्यता न मिलने के कारण मैनेजमेंट कमिटी ने निर्णय लिया कि यहाँ के विद्यार्थी  हाई स्कूल  परीक्षा मैं प्राइवेट कैंडिडेट के रूप में भाग लेंगे ! नैनीताल CRST इन्टर कॉलेज  में हमारा परीक्षा केंद्र था ! हमारा रहने का इंतजाम फ्लैट में स्थित  मंदिर धर्मशाला में किया गया था !  धर्मशाला चारों  ओर शीशों से आच्छादित थी ! भवाली में बिजली नहीं थी ! नैनीताल में बिजली की जगमग से हम सब लोग प्रसन्न थे ! इस कारण हम बहुत देर तक जागते रहे l                                                                                   
                                                                                                                                                                                                          हाई स्कूल परीक्षा में कुल 4 छात्र उत्तीर्ण हुए ! उस समय के परिवेश में यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी ! इसमें जो 4 छात्र उत्तीर्ण हुए उनके नाम मुझे आज भी याद हैं - रघुबर दत्त (निंगलाट),  भुवन चन्द्र दुर्गापाल (श्यामखेत), दौलत सिंह और मैं देवकी नन्दन (भवाली) 
                                                                                                                                                                                                          हम भवाली मुख्य मंदिर के ठीक सामने शिप्रा नदी (गधेरे) के पार रहते थे ! वहाँ अब नया भवन बन चुका है ! आगे की शिक्षा के लिए मैं हल्द्वानी से  लखनऊ  चला गया था ! बाद में हम हल्द्वानी के बाद नैनीताल सेटल हो गए थे ! 1971 में मेरा ट्रान्सफर रानीखेत को हो गया तबसे रानीखेत ही मेरा घर है !
                                                                                                                                                                                                         
इस बीच मैंने पाया कि आज भी  बहुत से विद्यार्थी  विभिन्न  कारणों से शिक्षा  बीच में ही छोड़ देते हैं ! सरकार के आंकड़ो के अनुसार उत्तराखंड में सेकेंडरी लेवल में स्टूडेंटस  का ड्राप आउट रेट 13.25 परसेंट हैं !  हो सकता है आपके व अध्यापकों के सहयोग के फलस्वरूप यह कम हो या नगण्य हो ! ड्राप आउट करने वाले  छात्र पढ़ना न छोड़ें इस हेतु कॉलेज क्या प्रयास करता है l मोटे तौर पर कितने छात्र प्रति वर्ष पढ़ाई  छोड़ देते हैं ? इसकी जानकारी यदि मुझे दे सकें तो आभार मानूंगा !  क्या आप मुझे  कॉलेज का मोबाइल नंबर दे सकती हैं ?                                                                            वर्तमान में पूर्णतया रिटायर्ड व्यक्ति हूँ और सामाजिक कार्यकर्ता हूँ तथा  इन्टरनेट में ब्लॉग आदि  लिख कर अपना समय व्यतीत करता हूँ ! अपने इस स्कूल, जो अब कॉलेज बन चुका हैं की प्रगति से अति प्रसन्न हूँ !  हालांकि इसे  अब तक डिग्री कॉलेज का स्टेटस मिल जाना चाहिए था !
हल्द्वानी जाते समय  मैंने कई बार अपने इस स्कूल/कॉलेज का फोटो लेने का प्रयास किया ! पर पेड़ों के झुरमुट के कारण सम्भव  न हो सका ! सुझाव है यदि  कॉलेज का विहंगम द्रश्य लिया  जा सके तो यह कॉलेज के पूर्व  छात्रों के आकर्षण का केंद्र बन सकेगा ! अब तो ड्रोन के जरिये भी यह कार्य  किया जा सकता है ! एक भवन कॉलेज की वेब साईट में है पर वह अपूर्ण सा लगा ! 
मैंने कॉलेज वेबसाईट में देखा कि कॉलेज के रास्ते  के प्रारंभ में कुछ सीडियां दिखाई दे रही हैं ! कई साल पहले में कॉलेज का दीदार करने हेतु अपने एक साथी के साथ  मोटर साइकिल से आया था ! तब हम कॉलेज भवन तक पहुँच पाए थे, अब स्थिति क्या है ? क्या कार कॉलेज तक जाती है ?
मैंने ढेर सारे प्रश्न आपके समक्ष रख दिए हैं ! आशा है अनुग्रहित करने की कृपा करेंगी !                                                                                                                                             इस पत्र को ब्लॉग के रूप मैंने इन्टरनेट में पोस्ट कर दिया है ! Link है -                                                                                                                                                                                                भवदीय
आपके कॉलेज का  पूर्व छात्र                                       
डीएन बड़ोला,    ( देवकी नन्दन बड़ोला )                                                                                                                                                       
अध्यक्ष, प्रेस क्लब,  बड़ोला कॉटेज, रानीखेत                                                                                                                                                     
मोबाइल : 9412909980    दिनांक 11 सितम्बर, 2023
                                                   


 

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