डी जे में परोसी जांरै अश्लीलता
देवभूमि उत्तराखंड में शराब, धूम्रपान, अत्तर , गांज और
अंधविश्वास त खूब फ़ुफ़ै रौछ, दगड़ -दगडै यां डी जे
अश्लीलता लै दिनोदिन बढ़ते जांरै। ब्या में महिला संगीत
हो या रिसेप्शन पहाड़ में डी जे लगूण स्टेटस सिम्बल
बनिगो। देखादेखी सबै डी जे लगूं रईं भलेही दुसरी
व्यवस्था भलि झन हो।
डी जे में कुमाउनी गीत नाम मात्र कै बाजें रईं .
कुमाउनी गीतों कि जागि पर फ़िल्मी अश्लील गीतों
कि मांग बढ़ी रैछ। यूं आयोजनों में 'फेबिकोल' और
'चिकनी चमेली' गीतों दगै डी जे में भै , बैणी, मै , च्यल
सब दगडै नाचै रईं यानै पुर परिवार अश्लील गीतों
में भोंडापन कि हद पार करि जां रईं। क्वे लै डी जे
में यूं गीतों पर ऐतराज नि करन। कुछ लोगों क
मसमसाट पर एक-द्वि जागि यूं गीतों कें अवश्य
बंद करीगो।
जाट और गुजर समाज ल डी जे पर प्रतिबन्ध
लगै हैछ। हमरि संस्कृति पर डी जे कि य अश्लीलता
भारि पडि रैछ। ढोल ,दमू ,बीनबाज यूं उत्तराखंड में
क्वे लै ब्या में नि देखीं राय जबकि मैदानी क्षेत्रों में
यूं बाज-गाज कएक आयोजनों में देखीं रईं . हमूल
अश्लील गीतों क विरोध में गिच खोलण चेंछ , खाली
मसमसै बेर के निहुन बेझिझक गिच खोलि बेरै
यूं अश्लील गीत बंद ह्वाल।
पूरन चन्द्र कांडपाल
21.02.2013