Author Topic: Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख  (Read 60462 times)

Pooran Chandra Kandpal

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आपदा क जिम्मेदार को छ

15  और 16  जून कि बारिश ल उत्तराखंड क भौत बुर हाल
करि दीं। राज्य कि  यतु दुर्गति हैगे जैक विवरण लेखण
भौत मुश्किल छ। वैज्ञानिक बतूं रई कि य विपदा करीब
अडतीस हजार वर्गमील क्षेत्र में फ़ैली। मीडिया क माध्यम ल
य  बताई जां रौ कि  सेना , सुरक्षा कर्मचारी, आपदा प्रबंधन
विभाग और स्थानीय लोगों की मदद ल करीब एक लाख दस
हजार है ज्यादै यात्रियों कें लगभग 17 दिनों में बचाईगो।
य आपदा में भौत लोग मारी गयीं और भौत लोग लापता लै
छीं। य संख्या हजारों में बताई जारैं। वास्तविक  मृत और
लापता लोगों कि संख्या क पत्त करीब तीस दिनों में लागल
बताई जारौ क्यलैकि तब तक पुर देश बै उत्तराखंड यात्रा पर
निकली लोगों कि सूचना मिली जालि और य लै सूचना मिलि
जालि कि कतु लोग वापिस आपण  घर नि पुज।
    उत्तराखंड की य दुर्दशा क जिम्मेदार आपदा कम मनखी
ज्यादै छ. अवैध खनन, अवैध निर्माण, अंधाधुन्द डाव-बोटों
क कटान,नदी क बहाव क्षेत्र और किनार पर बेतरतीव निर्माण,
यात्रियों कि अणगणत भीड़, य दुर्दशा क मुख्य कारण छ।
उत्तराखंड में 12 वर्ष में सात सरकार बनीं और क्वे लै सरकार
ल अवैध हरकतों पर ध्यान नि दी बल्कि आँख बंद करि बेर
सबूंल  देखियक अणदेखी करि दे।
      सेना और सुरक्षा कर्मियों ल आपणि ज्यान जोखिम में
डाई बेर लोगों कें बचा। उनुकें लै हाम यसिके  भुलि जूल-

    य दुनिय में द्याप्त और फ़ौज द्विये एकजसै याद करी जानी,
    जब खत्र सामणी हुंछ तबै यूं अखां में ऐ जानी ,
    खत्र कि घड़ी टलते ही यूं द्विनूं कणी  क्वे नि पुछन ,
    फ़ौज दिल-दिमाग बै हटि जींछ,द्याप्त लै वडै जानी।

पूरन चन्द्र कांडपाल
०४.०७.2013

Pooran Chandra Kandpal

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दिल्ली बै चिठ्ठी 

   उत्तराखंड कि वर्तमान जलप्रलय पर कुछ लोग पुछै री कि  य
महाविनाश कें बाबा केदारनाथ ल क्यैलै  नि रोक ? य एक अंधश्रद्धा
क सवाल छ. वैज्ञानिक बतूं रईं कि केदारनाथ क मंदिर ये वजैल
बचि गो क्यलै कि य  मन्दाकिनी क पूर्वी और पश्चिमी  पाटों क बीच
हिमनदों द्वारा छोड़ी और बनाई  हुई जमीन पर बनी छ जबकि यांक
सब अवैध निर्माण मन्दाकिनी क पुराण तलछटी या बाट में बनाईगो।
भौत ज्यादै बारिश हुण क वजैल  और चोरबाड़ी हिमनद (गाँधी सरोवर)
क टुटण  पर मन्दाकिनी क पुराण पाटों में अणहोति  पाणि भबिकि
गोय जैल महाविनाशलीला करि दी। य साल भौत ज्यादै बारिश क
वजैल मन्दाकिनी,अलकनंदा,  भागीरथी और पिंडर जास सबै
नदियों क रौद्र रूप देखण में आछ।

   आम बातचित और फेसबुक  में  कुछ लोग य लै पुछें रईं कि अगर
यूं मंदिरों में क्वे द्याप्त हुनौ त उ महाविनाश क बखत श्रद्धालुओं कि
डड़ाडड़ -रोआरोव और करुण पुकार कें जरूर सुणन।  सांची बात त
य छ कि जतु लै लोग मारी गईं उनुकें कुव्यवस्था और अंधविश्वास
ल मारौ। राज्य बनणा क बार वर्षों में यां सात सरकार बनीं। यूं सातै
सरकारों कें ठुल बांधों कि स्थापना, अवैध-अवैज्ञानिक भवन निर्माण,
अवैध खनन, जंगलों क अवैध कटान, नदियों क बाट-किनार  और पुराण
पाटों में होटल,ढाबा,धर्मशाला ,मकान,दुकान  निर्माण, अणगणत
वाहनों क औंण-जाण और बिना पजीकृत करियै अंधाधुंध भीड़
बिलकुल लै नजर नि आई। य ई अनदेखी य महाविनाश क कारण
बनी। अंधविश्वास क भंवर में फंसी य अणगणत भीड़ कें य महाविनाश
क ज़रा लै आभाष नि छि कि य मोक्ष-पुण्य कमूण कि उनुकें यतु
ठुली कीमत चुकूंण पड़लि।

पूरन चन्द्र कांडपाल
11.07.2013

Pooran Chandra Kandpal

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 दिल्ली बै चिठ्ठी( हमार नान )

१४ जुलाई २० १ ३ हुणि  दिल्ली क नजीक गुडगाँव क एक पब में
एक सौ है ज्यादै नान हुक्का, शराब और यौन हरकत करते हुए
पकड़ी गईं।  यूं  नना की उम्र १ ३  वर्ष बटी  १ ७ वर्ष तक कि छी।
इनू में च्याल और च्येलि  लगभग बराबरी संख्या में छी . यूं लोग
घर में जन्मदिन पार्टी क नाम पर आपण अभिभावकों कें ध्वक
दी बेर गईं। य पार्टी में करीब सबै विद्यार्थी पब्लिक  इस्कूल में
पढ़णी छी और सबै संभ्रांत घरों क छी।  जब देर रात इनुमें बै
कुछ नान नश करि बेर बेहोश है गाछी और एकाद कि तब्यत
ज्यादै खराब हूँ फैगेछी तब पुलिस वां ऐछ। पुलिस ल देखौ कि
सबै किशोर-किशोरी अठार वर्ष है कम उम्र क छीं, उनूल रात कै
यूं नना क अभिभावकों कें पब (होटल ) में बुला और सब नना
कें इनार अभिभावकों हैं बै लिखित में ल्ही बेर वार्निग देते हुए
छोडि दे।
         य बात यां बतूंण  क मतलब छ कि हमूल आपण नना
कि चाल ढाल हरकत और उनरि संगत पर ध्यान धरण चैंछ।
हमार आसपास लै कएक  विद्यार्थी नश करैं रईं, बिडी -सिगरट
पीं रईं, गुट्क पान मशाला खां रईं, चोरि करैं रईं, च्येलियां कें
छेड़ें रईं, अश्लील भाषा बला  रईं, इस्कूल-कालेज बै बंक करैं
रईं, अभिभावकों कें ध्वक दी बेर पुरी रात घर है भ्यार बितुरईं।
अभिभावकों ल नना पर तिखी  नजर धरण चैंछ। बखत पर
ख्याल करला त नान समई जाल। अगर पाणी ख्वार है माथ
न्है गोय त फिर के नि है सकन। नना कि जिन्दगी बरबाद
करणी य पब क मालिक और मनीजर कें फिलहाल जमानत
मिली गे. गुडगाव प्रशासन ल क़ानून बनै है कि २ ५ साल है
कम उम्र क नागरिकों कें आब पब में नि औंण दिई जाल।
हमार देश में २ ५ वर्ष है कम उम्र क नागरिक कें शराब खरीदण
और पींण कि इजाजत न्हिति। हमार देश में कानूनों के हाल
है रई सबू कें मालाम छ.

पूरन चन्द्र कांडपाल
18.07.2013

Pooran Chandra Kandpal

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एक सत्य यह भी

उत्तराखंड में त्रासदी आये एक महीने से भी अधिक समय हो गया है।
५७४८ लोग लापता एवं लगभग एक हजार लोगों के मृत होने की
सूचना  राज्य सरकार ने जारी कर दी है तथा  राहत  राशि  का वितरण
आरम्भ कर दिया है। क्षेत्र की दुर्गमता एवं निरंतर बारिश के कारण
कार्य गति नहीं पकड़ रहा है। राहत पहुंचाए जाने के पक्ष-विपक्ष में
समाचार भी सुनने को मिल रहे हैं। यहाँ पर भ्रष्टों को प्रमाण सहित
बेनकाब किया जाना चाहिए।
       इस जलप्रलय के दौरान सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और
स्थानीय लोगों के सहयोग को भुलाया नहीं जा सकेगा जिनकी मदद
से एक लाख दस हजार से अधिक फंसे हुए लोगों को मौत के मुह से
बाहर निकाला  गया।  सैन्य बलों के वे बीस बहादुर सेनानी भी
अविस्मरणीय रहेंगे जो कर्तव्य निभाते हुए हेलिकोप्टर दुर्घटना
में वीरगति को प्राप्त हुये। इस महा आपदा में जो भी सहयोग के हाथ
आगे बढे उनके राष्ट्र धर्म की जितनी सराहना की जाय वह कम है।
       इस महाविनाश का पोस्टमार्टम तब से निरंतर हो रहा है। कुल
मिलाकर यहां हुए भ्रष्टाचार में वे सभी शामिल थे जिन्होंने अवैध निर्माण
किया,खनन और बिल्डर माफिया का साथ दिया, नदी तट-पूर्व पाटों में
होटल, ढाबा,दुकान,धर्मशाला और घर बनाया, बड़े बांधों के निर्माण एवं
 सुरंग खनन पर समय रहते जमकर विरोध नहीं किया तथा अंधविश्वास
से बशीभूत होकर मोक्ष-पुण्य और भगवान् की खोज के लालच  में
प्रकृति के दर्शन को व्यापारिक-पिकनिक पर्यटन में बदल दिया।साथ ही
सरकार और विपक्ष को भी अवैध-अंधाधुंध निर्माण नजर  नहीं  आया
जिससे राज्य में अनियंत्रित पर्यटक भीड़ और असंख्य  वाहन प्रवेश हुए।
       आजकल जहां-तहां इस विनाश पर विचारगोष्ठियां हो रही हैं जहां
एक ही भाषण में परस्पर विरोधी ताली बजाऊ व्याख्यान दिया जाता
है। कुछ लोग बाँध-सुरंग के साथ सडकों के निर्माण को भी गरिया रहे
हैं।सच्चाई यह है कि ये लोग अपने गावं में सड़क और रेल की पटरी
का निर्माण तथा नजदीक में हैलीपैड की चाह रखते हैं तथा दूसरी
ओर सड़क निर्माण को गलत बताते हैं। इन लोगों को सरकार को उसकी
लापरवाही पर जरूर गरियाना चाहिए  परन्तु चीन को देखते हुए
 सड़क-रेल निर्माण के समर्थन में जरूर मुंह खोलना चाहिये।

पूरन  चन्द्र कांडपाल
19.07.2013

Pooran Chandra Kandpal

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य दैवी आपदा नि छी

१ ६-१ ७ जून २०१३ उत्तराखंड में आई आपदा पर छ य
आज कि चिठ्ठी -

केदारनाथ पुर मलुवै ल दबी गोय
भयंकर जलप्रलय महाविनाश करि गोय
कुछ पल पैली जां दौडै  रछी जिन्दगी
वां चंद सेकेंडों में मरघट बनि गोय।

क्यलै ऐछ अचानक य भयंकर बाढ़
प्रकृति कें आछ गुस्स देखि अनाधून छेड़छाड़
कुपित है गेइ मन्दाकिनी अलकनंदा पिंडर
बेबस यात्रियों कि को सुणछी डाड़।

हमूल तीर्थों कें बाजार-दुकान बनै दे
अवैध अनाधून  कंकरीट क जंगलाद बनै दे
बनाय बाँध सुरंग होटल, कर खनन बेतरतीब
जीव-जन्तु जड़ी-बूटियों क घर-घोल उजाड़ी दे।

हमूल श्रद्धा कि जाग कें पिकनिक स्पॉट बनै दे
प्रकृति क दर्शन कें व्यौपार बनै  दे
धर्म कि परिभाषा आपण हिसाब ल बनै बेर
अध्यात्म कें अंधविश्वास दगे जोडि दे।

हमूल अंधविश्वासियों कें ख्वार में बैठै दी
उनूल दिखाव आडम्बर कें धर्म बतै दी
स्वर्ग मोक्ष पुण्य बैकुण्ठ क चक्कर में डाई बेर
दान-पुजपाठ क नाम पर लूट मचै दी।

य हमरि करनी क फल छी,दैवी प्रकोप निछी
य हमरि बलाई आपदा छी,केदारनाथ क दोष निछी
ज्ञान-विज्ञान त्यागि बेर जो अनाधून निर्माण करौ
वीक सजा तौर पर य कुदरत कि मार छी।

प्राकृतिक आपदा भविष्य में कभैं लै ऐ सकीं
बादोव फाड़ी,ढुंग मलू बोल्डरों कि बाढ़ ल्यै सकीं
अगर मनखी कुदरत दगै छेड़छाड़ बंद नि करल
प्रकृति रुठि बेर मनखिय क विनाश कर सकीं।

पूरन चन्द्र कांडपाल
 २५.०७.२०१३

Pooran Chandra Kandpal

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शहीदों का स्मरण

  कारगिल युद्ध हुए 1 4  वर्ष हो गए है। यह युद्ध करीब दो महीने
तक लड़ा गया। 2 6  जुलाई 1 9 9 9  को हमारी सेना ने कारगिल
के सर्वोच्च शिखर टाइगर हिल पर राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया था।
ओपरेशन 'विजय' और ओपरेशन 'सफ़ेद सागार' के नाम से यह
युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में लगभग 5 1 7  सैन्य कर्मी शहीद हुए
और लगभग एक हजार तीन सौ सैन्य कर्मी घायल हुए। युद्ध
जीतने के बाद सैन्यबल के रणबांकुरों को उनकी बहादुरी के लिए
राष्ट्र ने सम्मानित किया। सम्मान के बतौर चार परमवीर चक्र,
नौ महावीर चक्र तिरेपन वीर चक्र सहित कुल दो सौ पैंसठ वीरता
चक्र हमारी सेनाओं को प्रदान किये गये.  इस युद्ध में थल सेना
और वायु सेना ने तो अपने शौर्य का परचम लहराया ही,  नौ सेना
ने अपना बेडा अरब सागर में तैनात कर दुश्मन की सप्लाई
रोकने के लिए किलाबंदी की। हमें अपनी सेना पर गर्व है। हमें
अपनी सेना का सम्मान करते हुए शहीदों की याद को भी अपने
मन-मस्तिष्क संजोये रख कर शहीद परिवारों का आभार
जताना चहिये। यही हम सबके लिए 'विजय दिवस' होगा।

   शांति के समय बहादुरी के लिए प्रदान किये जाने वाला देश
का सर्वोच्च सम्मान 'अशोक चक्र' से सम्मानित शहीद इंस्पेक्टर
मोहन चन्द्र शर्मा की शहादत को भी राष्ट्र याद रखेगा। आतंक का
विरोध करने वाला प्रत्येक व्यक्ति  आज इस शहीद के परिजनों
के साथ है। उनकी शहादत पर सवाल खड़े करने वालों को अब तो
खेद प्रकट कर ही देना  चाहिए।

   "शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर
मिटने वालों का बस यही एक निशां होगा".

पूरन चन्द्र कांडपाल, रोहिणी दिल्ली।
.२६.०७.२०१३ विजय दिवस

Pooran Chandra Kandpal

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                                              सीमा पर मुस्तैदी

   हम सब जानते हैं कि पाकिस्तान के चार मालिक हैं -  सेना, आई एस आई, कठमुल्ला
समर्थित आतंकवादी और बरायनाम सरकार जिसकी बिलकुल नहीं चलती। भारत के
साथ अब तक के  युद्धों में पाक को मुह की खानी पड़ी है। प्रत्यक्ष युद्ध में जीत की उम्मीद
छोड़कर पाक ने छद्म युद्ध का रास्ता पकड़ा है। यह छद्म युद्ध सेना की देखरेख में
आतंकवादियों से करवाया जाता है। पाक की नजर कश्मीर पर है।  वह छद्म युद्ध से
भारत में ऐसा माहौल खड़ा करना चाहता है कि भारत की एकता में दरार पड़े और उथल-
पुथल मचे। हमें इस चाल को समझना  चाहिए। हर युद्ध के बाद फिर समझौता होता
है। इतिहास इस बात का साक्षी है। यदि हम सड़क से संसद तक पाक के बहकावे में
आकर उलझ गए तो उसकी यह छद्म चाल कामयाब हो जायेगी।
      वर्तमान स्तिथि  से निपटने का तरीका युद्ध और उन्माद नहीं है बल्कि हमें अपनी
सुरक्षा को इतना चुस्त, दुरुस्त और चौकन्ना करना पड़ेगा कि  सीमा पार से इस ओर
देखने का कोई साहस न कर सके। हमारी सेना ने विगत दिनों नियंत्रण रेखा पर जो
आतंकवादी ढेर किये हैं उस से पाक बौखलाया हुआ है। 6 अगस्त को सैन्य बल के
पांच सैनिकों की शहीदी इसी का नतीजा है। छद्मयुद्ध का जबाब चौकन्ना रहते हुए
रणकौशल के साथ बड़ी मुस्तैदी से दिया जाना चाहिए। मीडिया में इस घटना से
शहीदों का स्मरण तो हो परन्तु  उन्माद और अत्तेजना पर अंकुश रहे।

पूरन  चन्द्र कांडपाल , रोहिणी दिल्ली
08.08.2013

Pooran Chandra Kandpal

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                          ऐसे होगा रूपया मजबूत

     सरकार के भरसक प्रयास करने पर भी रुपए का गिरना जारी है।
यह स्तिथि लगातार आयत के बढ़ने और निर्यात के घटने से उत्पन्न
हुई। आयात की सूची में सबसे अधिक आयात कच्चे तेल का होता है।
हम कुल खपत का 80 % तेल आयात करते हैं जिसकी कीमत डालर में
देनी होती है। देश में सडकों पर कारों  की संख्या बहुत है जिसे घटाया नहीं
जा सकता बलिक यह संख्या दिनोदिन बढती रहेगी।  वर्षों से यह अपील
जारी  है कि  लोग कार पूलिंग करें अर्थात एक ही गंतव्य स्थान तक जाने
के लिए दो-चार व्यक्ति बारी-बारी से एक ही कार का उपयोग करें जिससे
चार करों की जगह सड़क पर एक ही कार चलेगी। पेट्रोल भी बचेगा और
सड़क पर वाहन भीड़ भी कम होगी।  इस अपील पर बिलकुल भी अमल
नहीं हुआ। कार मालिक सार्वजानिक वाहन (बस ) का उपयोग करना
पसंद नहीं करते।  सरकार यदि यह क़ानून बना दे कि  सम और विषम
संख्या की कारें बारी-बारी से सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए ही सड़क
पर चलें अर्थात जिन कारों के अंत में 1, 3, 5 , 7 ,9  हो वें सप्ताह के 
प्रथम तीन दिन (सो ,मं ,बु ) चलें और जिनके अंत में 2, 4, 6, 8, 0 वे
 सप्ताह के दूसरे तीन दिन (वीर,शु ,शनि )चलें। इससे सडकों पर वाहन
संख्या घट कर आधी रह जायेगी, तेल का आयात घटेगा  और डालर भी
कमजोर पड़ेगा।

पूरन चन्द्र कांडपाल, रोहिणी दिल्ली
17.08.2013

Pooran Chandra Kandpal

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                    प्याज पर चिल्ला पौ

सर्व विदित है कि महाराष्टर् में प्याज के कम उत्पादन से उत्तर भारत में
प्याज की मांगपूर्ति में बाधा आ रही है। कम उत्पादन का कारण पहले सूखा
फ़िर अत्यधिक वर्षा बताए जा रहे हैं। जो भी हो उत्तर भारत विशेषतः राष्टरीय
राजधानी क्षेत्र में मांग के अनुसार प्याज उप्लब्ध नहीं है। मांग और पूर्ति की
इस पकड़म-पकड़ाई में प्याज की कीमत बढ़ कर दो गुनी से ज्यादा  हो गई
है। ऐसी हालात में मुनाफ़ाखोर, जमाखोर और कालाबाजारियों ने भी अपना
खेल खेलकर आग में घी डाल दिया है।

   कुछ टी वी चैनल वाले कह रहे हैं “प्याज में आग लग गयी है”, “प्याज और
रुलायेगा”  “प्याज रसोई से गायब” “हाय प्याज, हाय प्याज, प्याज…प्याज…।
सत्य है प्याज कुछ लोगों की नियमित सहायक सब्जी है परन्तु ऐसा भी नहीं
है कि प्याज के बिना जीना मुश्किल है। आटा, चावल , दाल, आलू,  नून, तेल
जरूरी है जिनके बिना हम रह नहीं सकते परन्तु प्याज के बिना सब रह सकते
हैं। कुछ लोग तो प्याज खाते ही नहीं हैं और कुछ लोग नव्ररात्रियों में प्याज का
बिल्कुल उपयोग नहीं करते। मात्र 10-15 दिन लोग प्याज नहीं खरीदें या बिल्कुल
कम खरीदें। इससे कालाबाजारियों को घुटना टेकने में देर नहीं लगेगी और प्याज
पुरानी दर पर बिकने लगेगा।

पूरन चन्द्र कान्डपाल , रोहिणी दिल्ली
28.08.2013

Pooran Chandra Kandpal

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             अन्धविश्वास
पढ़े लिखे अन्धविश्वासी बन गये, लेकर डिग्री ढेर
अन्धविशास के मकड़जाल में फ़सते न लगती देर।
पंडित ओझा गुणी तान्त्रिक, बन गये भगवान
आंख मूंद विश्वास करे जग, त्याग तथ्य विज्ञान्।
उलझन सुलझे करके हिम्मत,और नहीं मंत्र दूजा
सार्थक सोच विश्वास अटल हो,मान ले कर्म को पूजा।
अन्धविश्वास ने जकड़ा जग को, यह जकड़ मिटानी होगी,
कूपमंडूक की जंजीरों से, मुक्ति दिलानी होगी।
अंधियारा ये अंधविश्वास का, मुंह बोले नहीं भागे
शिक्षा का हो दीप प्रज्वलित, तब अंधियारा भागे।
(स्व डाभोलकर जी को श्रधांजलि)
पूरन चन्द्र कांडपाल,
31.08.2013

 

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