Author Topic: Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख  (Read 61607 times)

Pooran Chandra Kandpal

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        मुफ्त की कद्र नहीं होती

कोइ भी वस्तु मुफ्त मिलतीं है तो उसका दुरुपयोग
होता है.  पानी का स्रोत पर मुफ्त मिलना ठीक है
परन्तु घर-घर पहुंचाने पर तो खर्च आता है. बताया
जा रहा है कि जिनके हर पानी का कनेक्सन है उन्हें
तो मुफ्त मिलेगा परन्तु दिल्ली के  १६% शहरी
और ३०% ग्रामीण परिवारों का क्या होगा जिनके
पास पानी की लाइन नहीं होने से पेयजल नहीं पहुंचता.
केजरीवाल जी को पानी के बिल पर दर कम करनी
चाहिए, पानी मुफ्त नहीं देना चाहिए. नई पाइप लाइन
बिछाने और पुरानी पाइप लाइनों  की मरम्मत करवाने
पर जोर देना चाहिए ताकि पानी सबको मिले. याद रहे
मुफ्त की कद्र नहीं होती, बर्बादी होती है. मुफ्त मत
दो, दर कम करो.
31.12.2013 fb

Pooran Chandra Kandpal

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         कर्म संस्कृति पर हैंडल मारो केजरीवाल जी

   केजरीवाल जी शासन तो बदला परन्तु प्रशासन को अभी बदलना  है.
जब तक दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगमों के कार्यालयों की
कुर्सी पर बैठै निठल्ले, अकर्मण्य, आरामखोर, चाटुकार और कर्मसंस्कृति
के दुश्मन नहीं सुधरेंगे तब तक 'आप' कुछ नहीं कर पाओगे.  इनको सुधारो
फिर 'आप' ही 'आप' हैं.  इस सम्बन्ध में पिछली सरकार को भी लिखता
था. उनके कार्यालय से उत्तर आता था 'आपका  पत्र सम्बंधित विभाग  को भेज
दिया है'.  उस विभाग में उस पत्र को कोई नहीं देखता था क्यों कि कभी
कोई जबाब नहीं आया. जिस दिन सरकारी कर्मचारी को कर्मसंस्कृति
का अर्थ समझ में आ जाएगा उस दिन से बदलाव शुरू होगा सर जी.

08.01.2014

Pooran Chandra Kandpal

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तेरी ताक में (महिला दिवस पर विशेष )

कदम बढ़ाने से पहले ज़रा देख लेना
आदमी की शक्ल में आदमखोर हो सकता है ,
वह भेड़िये की तरह  लपक कर 
अकेली देख तुझ पर झपट सकता है.

सोच  मत कोई आयेगा रक्षक  बन  तेरा
यह मनुख का नहीं जिन्दी लाशों का शहर  है,
सुध ले अपनी आबरू की स्वयं
तेरी हिम्मत ही नर-पिशाचों  पर कहर है.

जब ठान लेगी तू स्वयं  अपने को  बचाने की
तेरा अंग -अंग एक शोला बन जाएगा,
भष्म हो जाने के भय  से कांप  कर
फिर नहीं कोई तेरा आँचल कभी छू पायेगा.

08.03.2014

Pooran Chandra Kandpal

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       महिला दिवस

       महिला दिवस कल बीत गया.  आज अखबारों में था
कि कल  करीब एक दर्जन महिलाओं,बच्चियों के साथ यौन
अपराध हुआ.  १९९२ में बालविवाह रोकने के लिए सामूहिक
बलात्कार की शिकार हुई राजस्तान की भंवरी देवी ने
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न क़ानून २०१३ के बनाने में
महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई. वह आज भी महिलाओं को
यौन उत्पीड़न के विरोध में जागृत करने में जुटी हैं.
यौन पीड़ित महिलाओं को नरपिशाचों  को बेनकाब
करने की हिम्मत जुटानी ही होगी तभी महिला दिवस की
सार्थकता है. समाज ने नरपिशाचों को दण्डित करने में
खुलकर सहयोग करना चाहिए.

09.03.2014

Pooran Chandra Kandpal

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                दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

   २४ सितम्बर २०१४ हुणि पितर अमूस छी.  चनरदा दुनिय क रंग-ढंग
देखि ख़ुशी नि छी.  उनूल बता, " लोग कौनी क्याप और करनी क्याप. सोल
सरादों क पक्ष हुणि पितर पक्ष कौनी और पितरों क नाम पर सराद करनी.
पितरों कैं द्याप्त बतै  बेर उनार नाम पर कुछ खास लोगों कैं दान लै दीण
चैंछ कौनी.  दुसरि तरफ य पन्नर दिन क टैम कैं अशुभ लै बतूनी और क्ये
लै भल काम नि करो कौनी .  समझ में  य बात नि औनी कि य  पितर
पक्ष अशुभ क्यलै  मानी जांछ?  भगवान कैं कैल नि देख फिर लै वीकि पुज
 करी जींछ.  इज-बौज्यु जो मन्खियों क लिजी साक्षात द्याप्त हुनी, जो हमुकैं
सब कुछ दिनी, हमार लिजी  आपु कैं कुर्बान करनी, उनर श्रद्धा पक्ष अशुभ
क्यलै मानी जांछ?  सांचि बात त य छ कि लोगों ल पितर पक्ष कैं पितरों कि
पुज क पक्ष  मानंण चैंछ और य पक्ष कैं अशुभ कै बेर पितरों  क अपमान नि 
करण चैन.  पितरों क नाम पर दान, श्रद्धा दान समझि बेर  क्वे  लै सुपात्र कैं
दिई जांण  चैंछ.  य दौरान पितरों क नाम पर क्वे  शुभ काम करण चैंछ जैल
 समाज क हित हो.   उनार नाम पर डाव-बोट रोपी सकनी, असहाय कि मदद है
 सकीं,  उनरि स्मृति में  पुस्तक दान है सकूँ, उनार बतायी बातों पर क्वे  लै
काम है सकूँ या उनर अतपुर छोड़ी काम पुर करी जै सकूँ.  पितरों क नाम साल
में एक ता नै,  हर-हमेशा ल्हीण  चैंछ.  समाज कैं य भैम में डाई रौछ कि "पितर
पक्ष में पितर स्वर्ग बै जमीन में औनी और सोल दिन य दुनिय में घुमनी." नै
कैं स्वर्ग छ और नै यां पितर दुबार औन.  य एक काल्पनिक भैम छ जैल कुछ
लोगों कैं लाभ मिलूं.  य दौरान कएक तीर्थों में लै पितरों क नाम पर लूट हिंछ
लोग आपु कैं लुटौनी, मसमसानी पर यथार्थ कैं नि समझन.  पितरों की स्मृति
एक शुभ घड़ि छ, उनर नाम पर क्ये न क्ये भल काम कि शुरुआत करण चैंछ
जस कि गौं सभा या इस्कूल या क्वे असहाय कैं क्ये न क्ये चीज क दान."   

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली
25.09.2014

 

Pooran Chandra Kandpal

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    २ अक्टूबर २०१४


   राजधानी में अच्याल कएक  जागि रामलिल चली रईं. २ अक्टूबर
हुणि यां कएक  संगठनों ल मिलि बेर २० साल पैली मुफफ्फरनगर
क जख्मों कैं याद करौ.  मुख्य कार्यक्रम जंतर मंतर और गढ़वाल भवन
नई दिल्ली में हौछ.  यूँ द्विये जागि चनरदा मिलीं  और बतूं रौछी, "२
अक्टूबर १९९४ हुणि मुफफ्फरनगर में जो घृणित घटना घटी वीक
नरपिशाचों कैं आजि तक सजा नि मिलि. आज हम  न्याय कि
मांग करैं रयूं और गांधी-शास्त्री  कैं याद करनै काव दिन मनू रयूं.
य वीभत्स काण्ड क उत्तराखंडियों कैं न्याय  नि मिल.  उत्तराखंड राज्य
कि मांग में ४२ लोग शहीद हईं.  उनरि आत्मा आज लै भटकैं रै. ऊं
कूं रईं , न त राजधानी गैरसैण गेई और न आंदोलनकारियों कैं न्याय
मिल. शहीद पुछें रईं "क्यलै बहा हमूल आपण खून?"  नेता कूँ रईं
"को हौ शहीद , हमुकैं क्ये खबर न्हैति" उत्तराखंड में १४ वर्ष में ८
मुख्यमंत्री बनि गईं पर शहीदों कैं न्याय नि मिल. उल्टां ऊं भेड़ियों
क प्रमोशन हैगो जैल उत्तराखंड कि मातृशक्ति क अपमान करौ.  उ
घटना कि पुर देश और विदेश में भर्त्सना हैछ पर वर्दी पैरी भेड़ियों
कैं सजा नि मिलि.  उम्मीद छ कि एक दिन न्याय मिलल."

    "२ अक्टूबर हुणि प्रधानमंत्री मोदी ज्यू ल सफाई अभियान चलै
बेर भलि पहल करी.  राष्ट्रपति सहित पुर देश ल उनरि प्रशंसा करी.
उनूल देश कैं स्वच्छता कि कसम लै खवै. उनूल हफ्त में द्वि  घंट
या रोजाना २० मिनट सफाई क श्रमदान करणै कि अपील लै करी.
हमूल उनरि बात मानण चैंछ.  २ अक्टूबर हम ६७ साल बै मनू रयूं
पर यस २ अक्टूबर पैल बार मनाईगो जब स्वच्छता कि बात हैछ.
'लातों क भूत बातों'ल मानला त भलि बात छ नतर सख्त क़ानून
क हतौड़ मारण पड़ल. हमूल मोदीगिरी कैं समझण चैंछ. "

पूरन चन्द्र कांडपाल रोहिणी दिल्ली
03.10.2014

Pooran Chandra Kandpal

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   दिल्ली मैं सफाई क बार में चनरदा सुणौ रईं आपण आखों देखी
हाल, " २ अक्टूबर २०१४ हुणि मोदी ज्यु ल देश कैं स्वच्छता कि
कसम खवै. भारत रत्न सचिन तेंदुलकर लै मुंबई में सफाई में जुटीं. यां
कएक मंत्रियोंल लंब डंड क झाडु पकड़ी बेर फोटो खींचीं. पर कुकुर क
पुछड सिद नि हय.  गन्दगी फ़ैलुणीयां  कैं शरम नि आई. थ्वाड़- भौत
फरक नई दिल्ली क्षेत्र में देखण में आ.  बाकि दिल्ली में क्वे लै नि
सुधर.  रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, यमुना किनार में कुड लफाऊणीयांल
क्ये कसर नि छोड़ि.  तमाश देखि हताशा-निराशा हैछ.  धर्मगुरु, बाबा,
पंडित, पुजारी, संत, गुरु, सदगुरु सब चै रईं.  यूँ यमुना कि स्वच्छता कि
बात नि करन.  अगर यूँ लोगों हुणि अपील करना तो लोग जरूर बदलन.
हमर देश अंधविश्वास और पुराणि अवांच्छित परम्पराओं क म्वट सांगव
में बादी रौ.  हमर देश में अन्धविश्वास क विरोध करणीय कि हत्या है जीं.
अन्धविश्वास क विरोध करणी डोभालकर कैं पूना में कैल मारौ आजि तक
पत्त नि चल."
        चनरदा गुटक खणीयां  देखि लै हैरान छीं. बतू रईं," पिछाड़ी साल २
अक्टूबर हुणि राजधानी में तमाकु उत्पाद कैं सार्वजानिक जगा पर बेचण
कि पाबंदी लागी पर सब कुछ धडल्ल ल बेचीं जां रौ.  जनवरी बटि अगस्त
२०१४ क दौरान १२३४५ ईस्कूली नना कैं सिगरट पीते हुए पकड़ौ और
समझै-बुझै बेर छोड़ दे जबकि ७८९ दुकानों क चालान हौछ और ३४५
दुकान बंद हईं.  एक सर्वे क मुताबिक़ देश में १६ करोड़ लोग गुटक खां रईं
जमै ५० लाख ईस्कूली नान छीं. गुटक कि पुडिय क रंग-डिजैन बदलिगो
पर यैक भतेर क जहर उ ई छ.  राजधानी में करीब तीन दर्जन गुटक कंपनी
चोरि बेर गुटक  बनू रईं और बेचें रईं. जब सैंया कोतवाल तो डर कैकि?
लोग बतूं रईं कि उत्तराखंड में लै प्रतिबन्ध क बाबजूद गुटक कि खूब खपाई
है रै.  गुटक कि आदत छुटि सकीं बसरते मजबूत इराद हो.   गुटक  खणीयांल
चुटकी भरि जवांण (अजवाइन) गिच में डाउण  चैंछ, द्वि-चार दिन में आदत
शर्तियां छुटि जैंछ."
09.10.2014

Pooran Chandra Kandpal

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        दिवाइ और सफाई


    २३ अक्टूबर हुणि दिवाई की रात देश कि राजधानी में पटाखा
जगूंणीयां ल कैकि नि मानि.  चनरदा बतूं रईं," दिल्ली में उच्चतम न्यायालय
क आदेश छि कि रात १० बजी बाद पटाखा नि चलण चैन. पर यां रात द्धि
 बजी तक धुंआधार  और द्धि बजी बटि रत्ते तक छुट-पुट पटाखा चलते रईं.
पटाखों वजैल २११ जागि राजधानी में आग लागौ और ६३३ लोग  जइ बेर
घायल हईं जमै २० कैं आई सी यू में भर्ती करण पड़ौ. य दौरान पटाखों दुकान
और फैक्ट्रियों में आग लागण ल देश में करीब ३५ लोगों कि मौत लै हैछ.
लोगों ल करोड़ों रूपेँ आतिशबाजी में खर्च करीं.  हमार देश में १९ करोड़ लोग
यतू गरीब छीं कि उनुकें एक टैम क भोजन लै  ठीक ढंग ल नि मिलन.
काई कमाई करणी लोगों में संवेदना  नि हुनि.  ऊं हजारों रुपै पटाखों में फुकि
बेर गन्दगी फैलुनी, प्रदूषण करनी, क़ानून तोड़नी और शोर मचूनी.  यां हाव में
प्रदुषण ल लोगों कैं सांस ल्हीण में परेशानी, आंखां में जलन और ख्व्वार पीड़
जसि वेदना हैछ."

         २ अक्टूबर हुणि मोदी ज्युल स्वच्छता कि बात करी और बीस दिन बाद
लोगों ल दिवाइ क दिन बेहिसाब गंदी फैलै जबकि दिवाइ  स्वच्छता क त्यार छ.
पुलिस क काम क़ानून कि अवहेलना  रोकण छ पर उ  आपण काम में मस्त
रींछ. क्वे लै इलाक में पुलिस ल रत  भरि पटाखा जगुणीयां  कैं नि रोक.
राजनीतिज्ञ आपण वोट क ध्यान धरनी.  उनुकें सिर्फ और सिर्फ वोट चैंछ. ऊं
देश में गन्दगी फैलूणीयां हुणि देश हित में कभैं लै अपील नि करन. झाड़ू पकड़ि
एक फोटो खैंचण  तक उनर लक्ष्य हुंछ.   हमर देश कैं गन्दगी, अंधविश्वास और
भ्रष्टाचार क दंश है को बाचाल, आज य सवाल हमार इर्द-गिर्द जरूर गूंजें रौ
पर जबाब क्वे  नि दीं रय.  हमरि मरी संवेदना कैं संजीवनी कि जरवत छ.
बतौ धैं य कां मिललि ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली
30.10.2014

Pooran Chandra Kandpal

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       पुस्तक समीक्षा

      उत्कृष्ट साहित्य लेखन-संवर्धन "इंद्रैणी"

प्रखर साहित्यकार श्री पूरन  चन्द्र काण्डपाल अपनी साहित्यिक धर्मिता के चलते
हिंदी व उत्तराखंड साहित्य को अपने लेखन द्वारा समृद्ध करते रहे हैं.  अभी तक के
लिखे उनके साहित्य में अलग-अलग विषयों को उन्होंने उठाया है.  कुछ वर्षों से
कुमाउनी भाषा में  भी उनका लेखन प्रशंसनीय रहा है, जिनमें उकाव-होराव
(कुमाउनी गीत  कवितायेँ ), भल करो च्यला त्वील (कुमाउनी कहानियां),मुक्स्यार
(कुमाउनी गीत कवितायेँ), उज्याव (उत्तराखंड सामान्य ज्ञान),  बुनैद (१०१ निवन्ध
कुमाउनी में), बटौव (कहानी संग्रह कुमाउनी) आदि रहे हैं.  अप्रैल २०१४ में प्रकाशित
"इंद्रैणी " कुमाउनी भाषा में इंद्रधनुषी रंगों को लिए विद्यालयी बच्चों को ध्यान में
रखकर मुख्यतः लिखी गयी है. वस्तुतः इसकी उपयोगिता सभी के लिए है. इसमें
अनुच्छेद, कहानी और चिट्ठी-पत्री लेखन से लेकर २०० रचनाएं सम्मिलित हैं.
१२० पृष्ठों की इस पुस्तक में जानकारीपरक अनेक विषयों को सम्मिलित करने का
श्लाघनीय प्रयास किया गया है.

         श्री पूरन चन्द्र काण्डपाल एक सहृदय एवं विचारशील  लेखक हैं जो समाज को
कुछ श्रेष्ठ प्रदान करने हेतु सदैव अग्रसर रहते हैं. उनके लेखन में प्रवाह है तो ठहराव
भी है. सदैव अच्छे विषयों व उन्नत सोच को लेकर वह जागृतिपरक कार्यों के लिए
प्रयत्नशील रहते हैं. साहित्य की यह अविरल धारा उनके माध्यम से इसी प्रकार
प्रवाहमान रहे.  अपना और उत्कृष्ट वह समाज को प्रदान कर सकें. समाज तो समाज ..
ही है जब जाग जाए तभी सवेरा.

       पुस्तक का मूल्य -१००/- रु.
      मिलने का स्थान-  डी-२/२ सेक्टर -15   
                                 रोहिणी दिल्ली -89
                                                            डा. हेमा उनियाल (मोब. ९८९९२६२३८4
  पूरन चन्द्र काण्डपाल . मोब. ९८७१३८८८१५)




Pooran Chandra Kandpal

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नव वर्ष २०१५ की शुभकामनाएं

यादों की सुमधुर कलिका की मधुर
सुगंध को भूल न जाना.
राह दिखाई जिन पथिकों ने
उन पथिकों को भूल न जाना.

दिवस माह यहां वर्ष बिताये
हर पल आशा डीप जलाये
आशा के प्रज्वलित दीपों की
जगमग ज्योति नहीं बुझाना,
 
राह दिखाई जिन पथिकों ने
उन पथिकों को भूल न जाना.
यादों की सुमधुर कलिका की
मधुर सुगंध को भूल न जाना.

नव वर्ष की शुभकामनाएं .
01.01.2015

 

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