दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै
२४ सितम्बर २०१४ हुणि पितर अमूस छी. चनरदा दुनिय क रंग-ढंग
देखि ख़ुशी नि छी. उनूल बता, " लोग कौनी क्याप और करनी क्याप. सोल
सरादों क पक्ष हुणि पितर पक्ष कौनी और पितरों क नाम पर सराद करनी.
पितरों कैं द्याप्त बतै बेर उनार नाम पर कुछ खास लोगों कैं दान लै दीण
चैंछ कौनी. दुसरि तरफ य पन्नर दिन क टैम कैं अशुभ लै बतूनी और क्ये
लै भल काम नि करो कौनी . समझ में य बात नि औनी कि य पितर
पक्ष अशुभ क्यलै मानी जांछ? भगवान कैं कैल नि देख फिर लै वीकि पुज
करी जींछ. इज-बौज्यु जो मन्खियों क लिजी साक्षात द्याप्त हुनी, जो हमुकैं
सब कुछ दिनी, हमार लिजी आपु कैं कुर्बान करनी, उनर श्रद्धा पक्ष अशुभ
क्यलै मानी जांछ? सांचि बात त य छ कि लोगों ल पितर पक्ष कैं पितरों कि
पुज क पक्ष मानंण चैंछ और य पक्ष कैं अशुभ कै बेर पितरों क अपमान नि
करण चैन. पितरों क नाम पर दान, श्रद्धा दान समझि बेर क्वे लै सुपात्र कैं
दिई जांण चैंछ. य दौरान पितरों क नाम पर क्वे शुभ काम करण चैंछ जैल
समाज क हित हो. उनार नाम पर डाव-बोट रोपी सकनी, असहाय कि मदद है
सकीं, उनरि स्मृति में पुस्तक दान है सकूँ, उनार बतायी बातों पर क्वे लै
काम है सकूँ या उनर अतपुर छोड़ी काम पुर करी जै सकूँ. पितरों क नाम साल
में एक ता नै, हर-हमेशा ल्हीण चैंछ. समाज कैं य भैम में डाई रौछ कि "पितर
पक्ष में पितर स्वर्ग बै जमीन में औनी और सोल दिन य दुनिय में घुमनी." नै
कैं स्वर्ग छ और नै यां पितर दुबार औन. य एक काल्पनिक भैम छ जैल कुछ
लोगों कैं लाभ मिलूं. य दौरान कएक तीर्थों में लै पितरों क नाम पर लूट हिंछ
लोग आपु कैं लुटौनी, मसमसानी पर यथार्थ कैं नि समझन. पितरों की स्मृति
एक शुभ घड़ि छ, उनर नाम पर क्ये न क्ये भल काम कि शुरुआत करण चैंछ
जस कि गौं सभा या इस्कूल या क्वे असहाय कैं क्ये न क्ये चीज क दान."
पूरन चन्द्र काण्डपाल रोहिणी दिल्ली
25.09.2014