बिरखांत-१२३ : बुढ़ापा ! चल हट (१),०६.१०.२०१६
आपके और मेरे पूर्व परिचित चनरदा अब वरिष्ठ नागरिक हैं जबकि वे ऐसा नहीं मानते | उन्हें बुड्ढा, बूढ़ा. बुड़बू, बुड़ज्यू, वृद्ध, बुजुर्ग आदि शब्दों से चिढ़ है | हाँ, इस कैटेगरी के लोगों को वरिष्ठ नागरिक या सीनियर सिटीजन कहना उन्हें अच्छा लगता है | जीवन के साठ से अधिक बसंत देख चुके चनरदा साठ के भी नहीं लगते | उनकी सेवा निवृति का पता लगने पर लोग पूछते हैं, “यार लगते तो नहीं हो, हमें तो यकीन नहीं होता कि तुम साठ पार कर गए हो |” मुस्कराहट को छिपाकर चनरदा पूछते हैं, “तो फिर कितने का लगता हूँ ?” जवाब मिलता है, “यही कोई पचास-बावन के |” चनरदा का जबाब, “अरे भईया रहने दो मुझे जमीन पर, पुदीने के पेड़ पर मत चढ़ाओ | सेवानिवृति के लिए चमकता मुखड़ा नहीं कागज़ का टुकड़ा देखा जाता है जिसमें उम्र का रिकार्ड होता है |”
मैंने चनरदा से पूछा, “बूढा होते हुए भी बूढ़ा न दिखने का राज क्या है ?” वे झट से बोले, “मुझे बूढ़ा मत कहो | मुझे सख्त नफरत है इस शब्द से | सबकुछ तो मैं कर रहा हूँ फिर काहे का बूढ़ा ? वैसे भी हमारे समाज में लोगों को वरिष्ठ नागरिकों से बात करने की ज़रा भी तमीज नहीं है जबकि हमारी संस्कृति वृद्धजनों को शीर्ष पर रखने की है और देश के साठ वर्ष से ऊपर वाले आठ करोड़ वरिष्ठ नागरिक इस संस्कृति की चाह रखते हैं जो कभी पूरी नहीं होती | रोबीले चेहरे वाले खुशमिजाज अंदाज में लिपे- पुते चनरदा से मैंने पूछा, “तो तुम ये बात तो मानोगे नहीं कि तुम बूढ़े हो गए हो ?” वे आँखे चढ़ाते हुए बोले, “तुम्हीं बताओ, क्या मैं तुम्हें बूढ़ा जैसा लग रहा हूँ ?” सच बताना, एकदम सच |” मैंने कहा, “बूढ़े जैसे लग तो नहीं रहे, परन्तु हो जरूर गए हो | ठीक है मैं तुम्हें ‘यंग ओल्ड मैन’ मान कर चलता हूँ |” चनरदा मुस्कराते हुए बोले, “कह लो यार जो कहना है फिर भी ‘ओल्ड यंग मैनों’ के बीच में ‘यंग ओल्ड मैन’ कहना मेरे लिए टानिक का काम करेगा |”
ऐंठन, जलन और टैंशन से दूर, हास्य-व्यंग्य की मीठी सौंठ के धनी चनरदा से मैंने पूछा, “यंग ओल्ड मैन जी, अपने जवान दिखने का राज तो बता देते |” चनरदा बोले, “बड़ा सरल है ! अनुशासन की रस्सी में स्वयं को बांधे रखो | अपने को हमेशा जवान महसूस करो | ऐसा सोचो कि तुम अब भी जवान हो | दिल से दिमाग तक समझो कि शरीर का कोना- कोना अभी जवान है | जवान दिखने की कोशिश करो | योग- कसरत, घूमना- फिरना जारी रखो, शरीर पर जंग मत लगने दो, प्रात: शैया त्याग जल्दी करो | चुस्त-दुरुस्त पोशाक, छोटा चश्मा, स्टाइल की मूंछें (व्हाट डू यू वांट वाली) और छोटी हेयर कट रखो | दांत चमका कर रखो और यदि दन्त चल बसे हैं तो नए लगवाओ | खाना- दाना ठीक खाओ | शराब, धूम्रपान, गुटखे से दूर रहो फिर बुढापा क्यों और कैसे आएगा?”
चनरदा जवान रहने का नुस्खा बताते गए, “पैंट के साथ बेल्ट, पालिश किया जूता और टाइट इलास्टिक वाला जुराब आपको चुस्ती देगा | मूंछों –बालों में हल्का कलर या मेहंदी से ताजगी दो | महंगाई मत देखो, पहले की हुई कंजूसी भूल जाओ, अब खुलकर अपने पर ध्यान दो | कुछ दिन पहले मैं एक लड़के की शादी में गया | बरात जाने की तैयारी हो रही थी परन्तु दूल्हे का बाप नजर नहीं आया | पूछने पर पता चला की पार्लर गया है | मैंने सोचा, शादी बेटे की हो रही है या बाप की ? जब वह पार्लर से आया तो मैं उसे पहचान नहीं पाया | वाह ! इसको कहते हैं बुढापे में जवान दिखने का जोश | मैंने उनसे हाथ मिलाते हुए कहा, “भई वाह, सबका नंबर काट दिया तुमने |” वह बोला, “होते होंगे दूल्हे के बाप बूढ़े, आपन तो अभी जवान हैं |” मेरी ओर आँख दबाते हुए वह फिर बोला, “वैसे तुम भी कम नहीं लग रहे हो |” उसकी हौसला अफजाई सुनकर मेरा चेहरा और तमतमा गया |”
चनरदा आगे बोलते गए, “हाँ, तो मैं स्मार्ट दिखने की बात कर रहा था | झलरवे- फलरवे, घिसे-पिटे कपड़ों को अब चलता करो | अब और कितना रगड़ोगे इनको ? सोबर ड्रेस पहनो | लुरकिया- लंगड़िया, घतघती- मतमती बेढंगी चाल में लल्लू बन कर मत चलो | सीधी गर्दन, सीना ताने, स्मार्ट होकर दाई मुट्ठी में मोबाइल दबा कर चलो और मोबाइल को फुर्ती से ओपरेट करना सीखो | बहुत कुछ है इसके अन्दर | नहीं जानते हो तो बच्चों से पूछो | बच्चे नहीं बताते तो टॉलफ्री नंबर पर बैठी पिकबयनी से पूछो | वह अपनी सुमधुर आवाज में ऐसे बतायेगी कि फिर कभी नहीं भूलोगे | पत्नी से मत पूछना, खाना खराब होने का जोखिम हो सकता है | फिर मत कहना बताया नहीं | बहुत बड़ा राज बता दिया तुमको |” इतना कह कर चनरदा हँसते हुए अगली बिरखांत में मिलने के लिए कह गए.... ( बुढ़ापा ! चल हट, का शेष भाग बिरखांत १२४ में ...)
पूरन चन्द्र काण्डपाल, ०६.१०.२०१६