बिरखांत -१४४ : देश के बहादुर बच्चे
देश के बहादुर बच्चों को ‘राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार’ भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा वर्ष १९५७ से प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर प्रधान मंत्री द्वारा प्रदान किये जाते हैं | प्रत्येक राज्य में परिषद् की शाखा है | प्रतिवर्ष ०१ जुलाई से ३० जून के बीच छै वर्ष से बड़े और अठारह वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद्, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद् की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने स्वयं को खतरे में डाल कर अपनी जान की परवाह नहीं करते हए दूसरों की जान बचाई हो |
इस पुरस्कार हेतु पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए | वर्ष १९५७ से २०१६ तक ९४५ बच्चों को यह सम्मान मिल चुका है जिसमें ६६९ लड़के और २७६ लड़कियां शामिल हैं | इस पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है | सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा और बापू गयाधानी पुरस्कार प्रदान किया जाता है | ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में विशिष्ट वाहन में बैठकर राजपथ परेड स्थल से गुजरते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं |
वर्ष २०१६ के लिए यह पुरस्कार २५ बच्चों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा २३ जनवरी २०१७ को दिया गया जिनमें १३ लड़के और १२ लड़कियां हैं | इनमें से ४ बच्चों को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया जिसे उनके अभिभावकों ने ग्रहण किया | इस वर्ष २०१६ का संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के रहने वाले सुमित ममगई को प्रदान किया गया | १५ वर्ष के सुमित ने अपने से बड़े चचेरे भाई रितेश को तेंदुवे के ग्रास होने से बचाया | जब तेंदुवा रितेश को घसीटते हुए ले जा रहा था तो रितेश ने सुमित को अपनी जान बचाकर भागने को कहा परन्तु सुमित ने तेंदुवे की पूंछ जोर से पकड़ ली और उसे हंसुवे से तब तक पीटता रहा जब तक वह रितेश को छोड़कर भाग नहीं गया और रितेश के जान बच गयी | हमें उत्तराखंड के इस बच्चे पर गर्व है जिसने अपनी जान पर खेलकर अपने बड़े भाई को बचाते हुए उत्तराखंड के नाम भी बहादुर बच्चों की सूची में जोड़ दिया |
इस वर्ष के बहादुर बच्चों की सूची में असम, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, ओड़िसा, कर्नाटक, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर और उत्तरप्रदेश राज्यों से हैं |
हमें इन बच्चों की चर्चा अपने परिवार में और अन्य बच्चों से अवश्य करनी चाहिए ताकि उनमें बहादुरी का जज्बा उपजे और वे भी वक्त की मांग पर दूसरों की जान बचाने में पीछे न रहें | देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने का यह सुनहरा अवसर इन्हीं बच्चों को मिलता है | अगली बिरखांत में कुछ और ...
पूरन चन्द्र काण्डपाल
०२.०२.२०१७