३१ मई हुणि विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाईगो.
य मौक पर बीडी, सिगरट, खनी, गुट्क, सुर्ती, तमाकु क
कारण हुणी बीमारियों क बा्र में लोगों कें जानकारी दीइगे.
यूँ चीजों क प्रयोग ल केंसर, ह्रदय रोग, फेफड़ा रोग, पाचन
रोग सहित शरीरक सबै तंत्रों पर असर पढूं . विश्व स्वस्थ्य
संगठन क अनुसार दुनिय में हर साल करीब साठ लाख लोग
और भारत में छै लाख लोग तमाकु जनित रोगों ल बेमौत
मरि जा्नी. तमाकु में निकोटिन नामक खतरनाक
जहर हुंछ. एक रिपोट क अनुसार हमा्र देश में ३३
करोड़ लोग तमाकु (बीडी,सिगरट,गुट्क, अत्तर, गांज)
क सेवन करनी. ईनू में ७०% लोग बीडी पीनी. यूं
बीडी-सिगरट पिड़ियाँ में १५ लाख लोग केंसर ल मरनी.
देवभूमि में त बीडी-सिगरटों क फुकाट सबूं कें
मालुम छ. लोग बीडी-सिगरट लै पी रईं, गुट्क-खनी
लै खां रईं, अत्तर-गांज लै पी रईं, शराब- शिकार क
भोग लै करैं रईं, मंदिरों में खुन्योव लै करें रईं. य
सबकुछ करण क बाद कूँ रईं य देवभूमि छ.
आब जो लोग य ऐब में फंसी रौछा और ये है
मुक्ति पाण चांछा त येक लिजी के दवाई करण कि
जरवत न्हें. एक बात सोचण कि छ कि जब हा्म
पैद हयूं तब हा्म के लै नश नि करछी. सब यां यी
ऐ बेर सिखौ, उ लै संगत क असर ल. 'जब जागो तब
सबेरा' वालि बात छ. य जहर कें हमूल जल्दी त्याग दींण
चैंछ. जब लै तलब उठीं , द्वि गुद (बीं) जवाण क गिच में
खितो और कसम खै लियो कि आज बै य जहर नै गिच
में खितूं, नै खरीदूं और नै कैहुणि मांगूं.
पूरन चन्द्र कांडपाल 31.05.2012