जोशी जी, भूकम्पों से बचने के लिए भूकंपरोधी भवनों की बहुत उपयोगिता है, में इससे इतर शायद एक हास्यास्पद सवाल पूछना चाहता था, वह यह कि भूकम्पों या खासकर भूस्खलनों के लिए मानवीय कारण, खासकर जैसे नैनीताल में शहरीकरण या कंक्रीटीकरण की कितनी भूमिका रहती होगी, सवाल इसलिए कि जो भी धरती पर अतिरिक्त भार निर्माण के रूप में डाला जाता है, वह वास्तव में इसी दुनिया से लाकर डाला जाता है, जैसे नैनीताल या पहाड़ों से मिट्टी पत्थर बहकर नीचे गौला या अन्य नदियों में गए, और वापस उन्हें लाकर नए भवन चिन
लिए गए. दूसरे ग्रह, चाँद आदि से कुछ नहीं आया, यानी धरती का नेट वजन नहीं बढ़ा. हाँ इसे स्थांनांतरण जरूर कह सकते हैं और कुछ हद तक धरती का बैलेंस बिगड़ना कह सकते हैं. बड़ी सुरंगों से जरूर भू स्खलनों की संभावना बढ़ना समझ में आता है.