Author Topic: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख  (Read 71965 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अति सुंदर जोशी जी,...

बहुत सुंदर कविता लिख राखो आपुन.... आज कल क परिवेश में जो चल रेई वो सब आपुन यो कविता में समां रखो!  बिलकुल सत्य छो .. भोल दिन हम लोगो के आपुन अस्तितव क बचूंन  क लीजी लैडा लड़न पडली !

कुमाउनी कवित्त : लड़ें

लड़ैं -
बेई तलक छी बिदेशियों दगै
आज छु पड़ोसियों दगै
भो हुं ह्वेलि घर भितरियों दगै।

लड़ैं -
बेई तलक छी चुई-धोतिक लिजी
आज छु दाव-रोटिक लिजी
भो हुं ह्वेलि लंगोटिक लिजी।

लड़ैं -
बेई तलक हुंछी सामुणि बै
आज छु मान्थि-मुंणि बै
भो हुं ह्वेलि पुठ पिछाड़ि बै।

लड़ैं -
बेई तलक हुंछी तीर-तल्वारोंल
आज हुंण्ौ तोप- मोर्टारोंल
भो हुं ह्वेलि परमाणु हथ्यारोंल।

लड़ैं -
बेई तलक छी राष्ट्रत्वैकि
आज छु व्यक्तित्वैकि
भो हुं ह्वेलि अस्तित्वैकि।


हिन्दी भावानुवाद : लड़ाई

लड़ाई-
कल तक थी विदेशियों के साथ
आज है पड़ोसियों के साथ
कल होगी घर के भीतर वालों के साथ।

लड़ाई-
कल तक थी चोटी और धोती (बड़ी-छोटी) के लिए
आज है पड़ोसियों के साथ दाल-रोटी के लिए
कल होगी लंगोटी के लिए।

लड़ाई-
कल तक होती थी सामने से
आज होती है ऊपर-नींचे (जल-थल) से
कल होगी पीठ के पीछे से।

लड़ाई-
कल तक होती थी तीर-तलवारों से
आज होती है तोप और मोर्टारों से
कल होगी परमाणु हथियारों से।

लड़ाई-
कल तक थी राष्ट्रत्व के लिए
आज है व्यक्तित्व के लिए
कल होगी अस्तित्व के लिए।


नवीन जोशी

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सरोवर नगरी के मस्तक पर सोने का मुकुट

 बर्फवारी के बाद सूर्य की पहली किरणों के दौरान का नजारा (16 .02 .11)

अगली सुबह सरोवर नगरी ने और मोटी ओढी बर्फ की दुशाला  (17 .02 .11)

  स्वर्ग में नौकायन !

एक-दूसरे पर बर्फ के गोले मारकर आनंदित होते सैलानी  (17 .02 .11)
मूलतः यहाँ देखें नैनीताल में हुए ताजा हिमपात की तस्वीरें :http://prakritiman.blogspot.com/

विनोद सिंह गढ़िया

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जोशी जी, नैनीताल के इन मनोहारी दृश्यों को प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बहुत-२ धन्यवाद जोशी जी.. 

स्वर्ग से कम नहीं नैनीताल वास्तव में सुंदर दृश्य प्रकर्ति का !


सरोवर नगरी के मस्तक पर सोने का मुकुट

 बर्फवारी के बाद सूर्य की पहली किरणों के दौरान का नजारा (16 .02 .11)

अगली सुबह सरोवर नगरी ने और मोटी ओढी बर्फ की दुशाला  (17 .02 .11)

  स्वर्ग में नौकायन !

एक-दूसरे पर बर्फ के गोले मारकर आनंदित होते सैलानी  (17 .02 .11)
मूलतः यहाँ देखें नैनीताल में हुए ताजा हिमपात की तस्वीरें :http://prakritiman.blogspot.com/

नवीन जोशी

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निजाम तो बदले मगर बेरोजगारों की किस्मत नहीं
दावे और वादों तक ही सीमित रह गए राजनीतिक दल विशेषज्ञ दे रहे स्वरोजगार अपनाने की सलाह

नवीन जोशी, नैनीताल। वर्ष 2000 में जब वर्षो संघर्ष के बाद राज्य बन रहा था, तो हर आंख में चमक थी कि अपने राज्य में हर हाथ को काम मिलेगा। पहाड़ के कम उम्र बच्चों को मैदानी शहरों के ढाबों, घरों में बर्तन धोने जैसे कामों के लिए पढ़ाई-लिखाई छोड़कर भागना नहीं पड़ेगा। कई लोग मैदानों से लगा-लगाया काम छोड़कर घर लौट आए, कि अपनी मेहनत से दूसरों की बजाय अपना घर ही सजाएंगे। राज्य बना, भाजपा की अंतरिम सरकार आई, कांग्रेस ने सत्ता हथियाई, उत्तरांचल से उत्तराखंड नाम बदला, पुन: भाजपा सरकार में लौटी, 10 वर्ष के राज्य में पांच मुख्यमंत्री बदल गए लेकिन सच्चाई है कि व्यवस्थाएं नहीं बदलीं, बेरोजगार-बेरोजगार ही रहे। ख्वाबों की ताबीर जो होनी थी, नहीं हुई। अब सरकार के चार वर्ष पूरे होने के साथ नए चुनाव का अघोषित शंखनाद भी हो गया है। वक्त है जब सत्तारूढ़ दल रोजगार दिलाने के दावे और विपक्ष वादे करेगा। एइसे मैं न क्यों न आंकनों से सच्चाई की पड़ताल कर ली जाए....
बातें छोड़ सीधे कुमाऊं के मंडल मुख्यालय जनपद के आंकड़ों पर आते हैं। नवंबर 2000 में राज्य बना, इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल 1999 से 31 मार्च 2000 के बीच एक वर्ष में 4,862 बेरोजगारों ने जिले के तीन सेवायोजन कार्यालयों में नौकरी के लिए पंजीयन कराया था। इस वर्ष 30 को नौकरी मिली थी जबकि राज्य बनने के दौरान मार्च 2001 में कुल 24,239 लोग बेरोजगारी की लाइन में सक्रिय पंजीकृत बेरोजगार थे। अगले यूपी और तत्कालीन उत्तरांचल के संधि काल के दो वर्षो यानी यूपी की भाजपा और उत्तरांचल की अंतरिम भाजपा सरकार के कार्यकाल में 50 लोगों को नौकरी मिली। राज्य के पहले आम चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हथियाकर पांच वर्ष राज्य किया और उसके कार्यकाल के अंतिम दौर यानी 31 मार्च 2007 तक पांच वर्षो में 251, 250, 23, 86 व 96 मिलाकर कुल 729 को तथा औसतन प्रति वर्ष 146 लोगों को नौकरी मिल पाई। इसे राज्य बनने के लाभ के रूप में देखा जा सकता है। बेरोजगारों की जो संख्या राज्य बनने के दौरान 25,239 थी, दोगुना होते हुए 50,074 हो गई। जनता ने भाजपा को गद्दी दिलाई और भाजपा ने चार वर्ष में दो बार मुखिया की गद्दी बदल दी लेकिन इन चार वर्षो (31 दिसंबर 2010 तक) में क्रमश: 213, 185, 45 व 81 मिलाकर जिले के केवल 535 यानी औसतन 131 लोगों को ही रोजगार मिल सका है। अब वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन माह में यह औसत को पिछले के बराबर ला पाते हैं तो बड़ी बात होगी। कुल मिलाकर देखें तो राज्य बनने के बाद जिले के महज 1255 यानी औसतन प्रति वर्ष 126 बेरोजगारों को ही काम मिला है, और सक्रिय पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 55,232 तक जा चढ़ी है। यानी राज्य बनने के बाद बेरोजगार दोगुने से भी अधिक हो गये हैं। साथ ही साफ कर दें कि यह आंकड़े सरकारी नौकरियों के ही नहीं हैं, वरन इनमें सिडकुल की फैक्टरियों में लगे लोगों की संख्या भी है, और सभी आंकड़े शिक्षित बेरोजगारों के हैं, क्योंकि सेवायोजन कार्यालय अशिक्षितों का पंजीकरण नहीं करता है।

सेवायोजन आफिस की उपयोगिता पर सवाल
नैनीताल।
कोई विभाग यदि अपना ही काम न करे तथा अन्य विभाग उसका कार्य करें तो ऐसे कार्यालय की उपादेयता पर सवाल उठने लाजमी हैं। जिला सेवायोजन कार्यालय का एक कर्मचारी नाम न छापने की शर्त पर कहता है कि विभाग को अन्य विभागों की नियुक्तियां विज्ञापित करने तो दूर उनसे नियुक्तियों संबंधी जानकारियां लेने का 'अधिकार' ही नहीं है। विभाग में स्वयं दर्जनों पद रिक्त हैं, वह अपने यहां ही नियुक्तियां नहीं कर सकता। विभाग बेरोजगारों को रोजगार सृजन के प्रति जानकारियां नहीं दे पा रहा है, ऐसे में विभाग को चलाने की आवश्यकता ही क्या है।[/size]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जोशी जी बिलकुल सहमत आपके विचारो से!

इन दस सालो में उत्तराखंड राज्य ने केवल राजनीती एव भ्रष्टाचार देखा और विकास के दावे ही दाव!

हमारी मूलभूत समस्या वही के वही है.

नवीन जोशी

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नवीन जोशी

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इस तरह पहाड़ को बदनाम तो न करो
पाकिस्तान में बना था भीमताल का चर्चित एमएमएस !
इंटरनेट पर अप्रेल 2010 से है मौजूद
नवीन जोशी,  नैनीताल। सीमाओं के हमले देश की सेनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, पर देश के भीतर बाहरी दुनिया से एक ऐसा हमला हो रहा है, जिससे देश की युवा पीढ़ी के कोमल मन के साथ तन पर तो अश्लीलता का जहर घुल ही रहा है, आर्थिक रूप से भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। मोबाइल पर पाकिस्तान सहित अन्य देशों के नंबरों से फोन आने एवं विदेशों से करोड़ों रुपऐ की लॉटरी खुलने जैसी खबरों के बीच एक और हमला विदेशी अश्लील पोर्न साइटों की ओर से किया जा रहा है। इसी कड़ी में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि गत दिनों अमर उजाला समाचार पत्र में जिस भीमताल की स्कूली छात्रा के एमएसएस से सम्बंधित समाचार बहुत ही बाधा-चढ़कर प्रकाशित हुआ था, वह वास्तव मैं पाकिस्तान में बना हुआ है। यह एमएमएस बीते करीब एक वर्ष से इंटरनेट पर उपलब्ध है। प्रदेश की मीडिया को बिना पूरी पड़ताल के ऐसे समाचार प्रकाशित कर पहाड़ को बदनाम करने से बचना चाहिए.

उल्लेखनीय है की बीते वर्ष नवंबर-दिसंबर माह में अमर उजाला समाचार पत्र मैं  निकटवर्ती भीमताल कसबे के एक होटल के नाम से एक स्थानीय स्कूली छात्रा के अश्लील एमएमएस के बाबत समाचार कई दिनों तक सुर्खी बनाया जाता रहा। इस एमएमएस में पर्वतीय स्कूलों की छात्राओं के समान ही आसमानी रंग की कमीज व सफेद रंग का पाजामा पहने युवती को स्थानीय छात्रा समझने में अखबार के अच्छे-भले जानकार भी धोखा खा गऐ थे, जबकि एमएमएस में युवती जिस तरह का पीले रंग का दुपट्टा या पट्टा डाले हुऐ दिख रही थी, वैसा पहाड़ की लडकियां अमूमन प्रयोग नहीं करतीं। अखबार के रोज इस बाबत समाचार प्रकाशित करने के दबाव में आईजी ने संज्ञान लिया और भीमताल थाना प्रभारी उत्तम सिंह ने स्वयं मुकदमा दर्ज किया था। बाद में पुलिस ने एक स्थानीय युवक ललित मोहन पाण्डे को यह कहकर मामले में बलि का बकरा बनाया कि उसकी शक्ल एमएमएस में दिख रहे युवक से मिलती है। हालांकि बाद में उसे उसके मोबाइल में ऐसे 14 अश्लील एमएमएस पाऐ जाने के आरोपों में जेल भेजा गया। बमुश्किल उसे जमानत मिल पाई है। इस मामले की जांच चण्डीगढ़ स्थित प्रयोगशाला को भेजी गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह 6.22 मिनट का एमएमएस http://video.filestube.com/look_for.html?q=lahore+pakistani+shy+student+in+school+uniform.&cat=0&ch=xxxxxxxx लिंक पर lahore pakistani shy student in school uniform with her cousine (लाहौर पाकिस्तानी शाई स्टूडेण्ड इन स्कूल यूनीफार्म विद हर कजिन) नाम से 24 अप्रेल 2010 से इंटरनेट पर मौजूद है, और इसे कोई भी आसानी से देख सकता है। यह एमएमएस सामान्यता भारत में प्रयोग न की जाने वाली (भारत में विडियो डाउनलोड के लिऐ यू-ट्यूब का प्रयोग किया जाता है) फाइल्स ट्यूब वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इस एमएमएस पर हॉट पाकिस्तानी कालेज गर्ल्स स्केण्डल्स, पाकिस्तानी स्कूल, पाकिस्तान, लाहौर स्कूल, कपल सैक्स हिडन कैमरा जैसे टैग भी लगे हुऐ हैं। जानकार एमएमएस में युवती द्वारा 'हाय अल्ला" जैसा शब्द भी बोले जाने का दावा कर रहे हैं। इस आधार पर ई-दुनिया के जानकार आश्वस्त हैं कि यह एमएमएस पाकिस्तान में ही बना व अपलोड हुआ है। ऐसी वेबसाइटें भारत में अश्लील वेबसाइटें प्रतिबंधित होने के बावजूद आसानी से खुल रही हैं, और चलन में हैं। शौकीनों को फाइल्स ट्यूब, एक्स वीडियोज डॉट कॉम, विज डॉट कॉम, फक ओवर माइ सेक्स सरीखी कई विदेशी वेबसाइटें भारत में खुलेआम अश्लीलता परोस रही हैं, देश की युवा पीढ़ी के तन-मन व धन को प्रदूषित व खतरे में डाल रही हैं। इन साइटों से वीडियो क्लिपिंग डाउनलोड करने पर प्रतिमाह सैकड़ों डॉलर का खर्चा वसूला जाता है। बहरहाल, इस चर्चित एमएमएस के मामले में भीमताल थानाध्यक्ष उत्तम सिंह ने स्वीकारा कि उन्हें भी एमएमएस के पाकिस्तानी होने की सूचना है। कुमाऊं आईजी राम सिंह मीणा ने कहा कि बाहरी पोर्न वेबसाइटों को रोकने के क्या प्राविधान हैं, इसका वह अध्ययन करेंगे।
हाँ, यहाँ एक और बात कहना जरूर समीचीन होगा कि मीडिया को अपने क्षेत्र से जोड़कर ऐसे विषयों पर खासकर जल्दबाजी में, बिना तथ्यों की पड़ताल किये कुछ भी प्रकाशित/प्रसारित करने से बचना चाहिए। इससे अपने क्षेत्र की बहुत बदनामी होती है। जैसे इस मामले में भीमताल क्षेत्र की हर लड़की और लड़कों को संदेह की नजर से देखा जाने लगा, जबकी एमएमएस कहीं और का बना हुआ था।
इस तरह भी हो रहा हमला
नैनीताल। इंटरनेट पर सैक्सी हल्द्वानी, सैक्सी नैनीताल, सैक्सी देहरादून, सैक्स स्केण्डल हल्द्वानी, नैनीताल, देहरादून जैसे नामों से भी वीडियो क्लिप मौजूद हैं। खास बात यह भी है बड़ी धनराशि चुकाने के बाद ही डाउनलोड होने वाली यह क्लिप्स वास्तव में एक ही होती हैं, नाम स्वत: शहर के हिसाब से बदल जाते हैं। लड़कियों से अश्लील चेटिंग, वीडियो चेटिंग आदि भी शहर के हिसाब से इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, और मोटी कीमत वसूल रहे हैं।

पूरा आलेख यहाँ देखें: http://newideass.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Joshi Ji.. bahut hi sharm kee baat hai.. Dev bhoomi ko is tarah badnaam kiya jaa raha hai.

नवीन जोशी

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कौन हैं अन्ना हजारे ? क्या है जन लोकपाल बिल ?
देश में आजादी के बाद से ही लगातार सुरसा के मुंह की तरह बढ़ते जा रहे भ्रष्टाचार के हद से अधिक गुजर जाने के बाद युगपरिवर्तन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। ऐसे में बाबा रामदेव के बाद किसी धूमकेतु की तरह अचानक बाबूराव (अन्ना) हजारे परिदृश्य में अवतरित हुए है। दिल्ली में जंतर-मंतर पर गत चार अप्रेल से "जन लोकपाल विधेयक" की मांग पर पांच दिन अनशन पर बैठे अन्ना की पहल पर ही देश में आज के दौर का सर्वाधिक चर्चित "सूचना का अधिकार-2005" आया. आइये अन्ना और उनके द्वारा प्रस्तावित जन लोकपाल विधेयक के बारे में कुछ और जानते हैं।

अन्ना का जन्म 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के रोलेगन सिद्धी नाम के गाँव में एक कृषक परिवार में हुआ था। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अन्ना पढ़ नहीं पाए। 1963 में भारत-चीन युद्ध के दौरान वह भारतीय सेना में एक ड्राइवर के रूप में शामिल हुए। कहते हैं की 1965 में खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भारतीय सैनिकों के शहीद होते देख वे बड़े व्यथित हुए, इसी दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व आचार्य विनोबा भावे के बारे में अध्ययन किया और बेहद प्रभावित हुए।  1975 में वह सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने गाँव लौट आये और वहां ग्रामीणों को नहर और बाँध बनाकर पानी का संग्रह करने की प्रेरणा दी। उन्होंने साक्षरता कार्यक्रम भी चलाये, जिनसे वह देश भर में मशहूर हुए। उन्होंने पहला आन्दोलन महाराष्ट्र के वन विभाग के खिलाफ किया व सफल रहे। पूर्व में वह 10 बार आमरण अनशन कर चुके हैं। आगे 1991 में उन्होंने "भ्रष्टाचार विरोधी जन आन्दोलन" का गठन किया, 97 में सूचना का अधिकार माँगते हुए आन्दोलन चलाया, जिस पर पहले महाराष्ट्र और फिर 2005 में केंद्र सरकार को "सूचना का अधिकार" लाना पड़ा।

आइये जानें क्या है "जन लोकपाल बिल"
- इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
- यह संस्था चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायलय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
- किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।
- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
- भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।
- लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीश, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
- लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटी- करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
- लोकपाल को किसी न्यायाधीश, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।
-यह बिल जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।

संसद में कई बार पेश हो चुका है लोकपाल बिल
पूर्व में लोकपाल बिल कई बार संसद में पेश किया जा चका है, लेकिन कभी पास नहीं हो सका। 2004 में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया था कि जल्द ही लोकपाल बिल संसद में पेश किया जाएगा, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा और आखिरकार अन्ना हजारे को आमरण अनशन पर बैठना पड़ा।
भारत सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने और इस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए 1969 में लोकपाल विधेयक नाम से एक बिल पारित किया। यह बिल लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया। लोकपाल बिल 1971, 1977, 1985 1989, 1996,1998, 2001 और 2005 में राज्य सभा में रखा गया लेकिन पास नहीं हो सका। पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के कार्यकाल में एक बार 1996 और अटल बिहारी वाजपेयी के समय दो बार 1998 और 2001 में इसे लोकसभा में लाया गया। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

क्या सभी समस्याओं का हल साबित होगा लोकपाल बिल ?
अन्ना हजारे की नजर में भ्रष्टाचार एक कानूनी समस्या है। वे इसके लिए लोकपाल बिल के बजाय मनमाफिक जन लोकपाल बिल चाहते हैं। अब जबकि सरकार ने अन्ना की जन लोकपाल विधेयक की मांग मान ली है, इसके बावजूद सवाल उठता है की क्या संसद इसी रूप में इस विधेयक को पारित कर देगी, जबकी उसी के सदस्यों और इसका ड्राफ्ट बनाने वाले नौकरशाहों पर ही इसकी चोट पड़ने वाली है ?  यदि विधेयक बन ही गया, तो क्या इससे भ्रष्टाचार समाप्त अथवा कम हो पाएगा ? क्या लोकपाल को कानूनी शक्तियाँ दे दी जाएंगी तो भ्रष्टाचार रूक जाएगा ? क्या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल काफी है ? हमारे यहाँ तो कितना भी अच्छा पटाखा आये, जल्द फुस्स हो जाता है. बड़े-बड़े चमकीले तारे भी जल्द ही टिमटिमा कर बुझ जाते हैं.  किसी भी कानून के आने के साथ ही उसमे छेद बना लिए जाते हैं, ऐसे में हजारे और जन लोकपाल विधेयक के सामने इन सबसे अलग होने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। याद रखना होगा की अन्ना के आन्दोलन को मिला जनता का अभूतपूर्व समर्थन "जन लोकपाल बिल " से अधिक केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार की अटूट श्रंखला, और हर स्तर पर उसे (जनता को) झेलने पढ़ रहे इसके दंश की प्रतिक्रिया था। बिल से भ्रष्टाचार ख़तम होगा या नहीं, यह तो तय नहीं, पर इतना भरोसे से कहा जा सकता है के अन्ना के आन्दोलन को समर्थन देने वाले लोग ही यदि स्वयं को भ्रष्टाचार से अलग कर लें तो देश का काफी भला जरूर हो जाएगा।

"भ्रष्‍टाचार का महारोग देश की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। राजधानी से गांव तक और संसद से पंचायत तक सभी क्षेत्रों में भ्रष्‍टाचार ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली है। आम आदमी परेशान है। हमारे समक्ष नैतिक बल से संपन्‍न ऐसे आदर्श की कमी है जो भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध जन-जागरण कर सकें, ऐसे में 72 साल के वयोवृद्ध समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने इस मुद्दे पर सरकार को ललकारा है। लोकपाल बिल 2010 अभी संसद के पास विचाराधीन है। इस बिल में प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने का प्रावधान है। श्री हजारे के अनुसार बिल का वर्तमान ड्राफ्ट प्रभावहीन है और उन्होंने एक वैकल्पिक ड्राफ्ट सुझाया है। आइए, हम भी आर्थिक शुचिता के पक्षधर बनें, इस मसले पर जनजागरण करें और भ्रष्‍टाचारमुक्‍त समाज व शासन सुनिश्चित करने का संकल्‍प लें।"

moolatah yahan dekhen: http://newideass.blogspot.com/2011/04/blog-post.html

 

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