Author Topic: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख  (Read 71902 times)

नवीन जोशी

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चिनांड़[/b][/color]
[/size]
आजा्क अखबारों में छन खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण,
चोर-मार, लूट-पाट, बलात्कार
ठुल हर्फन में
अर ना्न हर्फन में
सतसंग, भलाइ, परोपकार।

य छु पछ्यांण
आइ न है रय धुप्प अन्या्र
य न्है, सब तिर बची जांणौ्क निसांण
य छु-आ्जि मस्त
बचियक चिनांड़।

किलैकि ठुल हर्फन में
छपनीं समाचार
अर ना्न हर्फन में-लोकाचार।

य ठीक छु बात
समाचार बणनईं लोकाचार
अर लोकाचार-समाचार।
जसी जाग्श्यरा्क जागनाथज्यूक
हातक द्यू
ऊंणौ तलि हुं।

संचि छु हो,
उरी रौ द्यो,
पर आ्इ लै छु बखत।
जदिन समाचार है जा्ल पुररै लोकाचार
और लोकाचार छपा्ल ठुल हर्फन में
भगबान करों
झन आवो उ दिन कब्भै।
[/color]हिन्दी भावानुवाद[/b]

आज के अखबारों में हैं खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण
चोरी, डकैती व बलात्कार की
मोटी हेडलाइनों में
और छोटी खबरें
सतसंग, भलाई व परोपकार की।

यह पहचान है
अभी नहीं घिरा है धुप्प अंधेरा।
यह नहीं है पहचान, सब कुछ खत्म हो जाने की
यह है अभी बहुत कुछ
बचे होने के चिन्ह।

क्योंकि मोटी हेडलाइनों में छपते हैं समाचार
और छोटी खबरों में लोकाचार।
हां यह ठीक है कि
समाचार बन रहे लोकाचार
जैसे जागेश्वर में जागनाथ जी की मूर्ति के हाथों का दीपक
आ रहा है नींचे की ओर।

सच है,
आने वाली है जोरों की बारिश प्रलय की
पर अभी भी समय है
जब समाचार पूरी तरह बन जाऐंगे लोकाचार,
और लोकाचार छपेंगे मोटी हेडलाइनों में।
ईश्वर करें
ऐसा दिन कभी न आऐ।
[/color]


नवीन जोशी

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`मंगल´ का `अमंगल´ : नार्थ वेस्ट प्रोविंस से उत्तराखण्ड तक का गवाह रहा था जिला कलक्ट्रेट

शुद्ध गौथिक शैली में 1898 में बना ऐतिहासिक विरासत था
नवीन जोशी, नैनीताल। नैनीताल जिला कलक्ट्रेट का शीर्ष बुर्ज सहित काफी बड़ा हिस्सा आज लाल ग्रह मंगल के वार को आऐ अमंगल की भेंट चढ़ गया। 1898 में शुद्ध अंग्रेजी गौथिक शैली में बनी यह ऐतिहासिक व विरासत महत्व की इमारत नार्थ वेस्ट प्रोविंस, यूनाइटेड प्रोविंस, कुमाऊं किस्मत, जंगलात के आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, आजादी के आन्दोलन, तराई की बसासत से लेकर उत्तराखण्ड आन्दोलन का गवाह होने के साथ ही 112 वशZ के बुढ़ापे में भी जिले को लगातार उन्नति के पथ पर ले जाने को अग्रसर था। आगे यह किस रूप में संग्रहीत होगा, एवं क्या अपने पुराने स्वरूप में लौट पाऐगा, यह यक्ष प्रश्न आज सभी के मन में है।

इतिहास से बात शुरू करें तो 1841 में नैनीताल नगर की बसासत के बाद 1891 में तत्कालीन अल्मोड़ा जनपद से अलग होकर नैनीताल नया जनपद बना, जिसके लिए जिला मुख्यालय भवन बनाने का कार्य लगभग इसी दौरान शुरू होकर 1898 में पूर्ण हुआ। तब यह नगर नार्थ वेस्ट प्रोविंस की राजधानी था व कुमाऊं कमिश्नरी को `कुमाऊं किस्मत´ कहा जाता था। जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी की बजाय `डिप्टी कमिश्नर´ का पद होता था, जिस पर कमोबेश अल्मोड़ा व नैनीताल केवल दो जिलों के पूरे मण्डल की जिम्मेदारी भी होती थी, अल्मोड़ा जिले में गढ़वाल का अलकनन्दा नदी के इस ओर का हिस्सा भी शामिल था। अब जिला कलक्ट्रेट के साथ ही आग में भस्म हो चुकी सूचियों के अनुसार 1927 में इंपीरियल सिविल सर्विसेज यानी आईसीएस अधिकारी डब्लूई डाब्स पहले डिप्टी कमिश्नर थे। 1936 में जेएलसी स्ट्ब्स तक इस पद पर अंग्रेज अधिकारी ही रहे। अक्टूबर 1936 में खान बहादुर एम रफीकुल कुलर एडीएम को कुछ दिन जिम्मेदारी मिली, जिसके बाद 1939 से पीऐ गोपालकृश्णन के साथ भारतीय आईसीएस अधिकारी इस पद पर आरूढ़ हुऐ। देश की आजादी के बाद 1947 में 16वें डिप्टी कलेक्टर के रूप में आऐ आरिफ अली शाह से आईएएस अधिकारियों के इस पद पर आने का सिलसिला शुरू हुआ जो वर्तमान 58वें जिलाधिकारी शैलेश बगौली के साथ जारी है।

अपने 112 वर्ष के जीवनकाल में इस ऐतिहासिक व विरासत महत्व के भवन ने नार्थ वेस्ट प्रोविंस की ग्रीश्मकालीन राजधानी व लार्ड साहब के मुख्यालय के साथ ही बाद में संयुक्त प्रान्त की ग्रीश्मकालीन राजधानी, कुली बेगार आन्दोलन के दौर में 1921 में पुलिस का प्रदेश मुख्यालय, 1920 में जंगलात के आन्दोलन, 1929 में गांधी जी के आगमन के दौरान नमक सत्याग्रह व असहयोग आन्दोलन, 1947 में देश के आजाद होने जैसे ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा। आजादी से पूर्व के दौर में जहां यहीं से प्रदेश को सीधे गवर्नर जनरल के जोड़ते हुऐ पूरे देश से इतर `नॉन रेगुलेटिंग प्रोविंस´ घोिशत किया गया, वहीं आजादी के बाद यहीं से अपने तराई के हिस्से को पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान यानी बाग्लादेश के साथ ही बर्मा से आये लोगों, द्वितीय विश्व युद्ध के सेनानियों, स्वतन्त्राता संग्राम सेनानियों को बसाकर देश भर का गुलदस्ता बनाने, देश में हरित क्रान्ति लाने का प्रमुख केन्द्र रहे पन्तनगर विवि का निर्माण करने जैसे आदेश यहीं से परवान चढ़े। बाद में भी उत्तराखण्ड आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों का भी यह ऐतिहासिक इमारत मूक गवाह रही। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. अजय रावत बताते हैं कि अंग्रेजों ने वर्तमान हाईकोर्ट व सेंट फ्रांसिस चर्च के साथ स्थानीय परिवेश से साम्य करते हुऐ शुद्ध गौथिक ‘ौली में इस ऐतिहासिक विरासत का निर्माण किया था। इसकी खासियत थी कि नगर में पांच छह फिट भी बर्फ पड़े तो इस पर टिकती नहीं थी। इसके दो वशZ बाद राजभवन बना, लेकिन उसमें गौथिक शैली के साथ स्टुअर्ट शैली भी शामिल थी।

तो राजा मंगल का अमंगल झेल रहा नैनीताल !

इस वर्ष ‘शोभन नाम के विक्रमी संवत् 2067 की शुरुआत के दिन हिन्दू धर्म विदों ने नऐ वर्ष के बारे में कहा था `भौमे नृपे: वहि्न भयम् नराणां चौराकुलम, पार्थिव पार्थिव विग्रहम च, दुखाम प्रजा व्याधि वियोग तीजा:, कल्पम पयो: मुंच्यति बारि वाहा: दुर्भिक्ष: भयभीतज:´ यानी मंगल राजा के इस वर्ष राजा को अग्नि भय रहेगा, लोगों को चोरों का भय रहेगा, पृथ्वी में विघटनकारी तत्व सक्रिय रहेंगे, प्रजा रोग ग्रस्त रहेगी, प्रियजनों से विछुड़ना पड़ेगा। दुग्ध तत्वों की कमी व महंगाई रहेगी, अतिवृष्टि होगी व अकाल की नौबत आऐगी´ तो सम्भवतया कम ही लोगों ने विश्वास किया होगा, किन्तु लाल ग्रह व अग्नि प्रकृति के ग्रह मंगल राजा के शासनकाल में मंगलवार के दिन ही जिले के राजा यानी जिलाधिकारी कार्यालय में अग्नि ने जो विकराल दिखाया, उससे हर कोई हतप्रभ है। गत दिनों अनावृष्टि से आई दैवीय आपदा से पहले से भयाक्रान्त जनपद वासियों के लिए यह हादसा कभी न भूलने वाला रहेगा। याद रहे की गत दिवस 18  अक्टूबर को प्रदेश मैं कोहराम मचाने वाली बारिश भी मंगलवार 14  अक्टूबर से ही शुरू हुयी थी ।
[/color]Source : [/color]http://journalisttoday.com/online-news/from-states/30-other-states/7260---112-----[/url]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जोशी जीयु .... बहुत सुंदर फोटो.

यो गुण घाम तापन रेई शायद.!

धूप खिली तो मनुष्यों के साथ वन्य जीव भी लगे सीलन भगाने


नवीन जोशी

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यहां रहीम बनाते हैं रावण और सईब सजाते हैं रामलीला
दशहरे में हिन्दू मुस्लिम एकता का अनूठा सन्देश देता है नैनीताल
ज्योतिश में भी पारंगत सईब के अनुसार `वेद पुराना और ज्योतिष  नया´ होना चाहिऐ8ntl1.jpg picture by NavinJoshi
(रामलीला में पात्रा के `मेकअप´ में तल्लीन सईब अहमद)
नवीन जोशी, नैनीताल। `दीवाली में अली और रमजान में राम´ का सन्देश शब्दों से इतर यदि कहीं देखना हो तो सर्वधर्म की नगरी नैनीताल सबसे उम्दा पड़ाव हो सकता है। एक छोटे से पर्वतीय शहर में हिन्दू, मुस्लिम, सिख व इसाइयों के साथ ही बौद्ध एवं आर्य समाजियों के धार्मिक स्थलों से देश की सर्वधर्म संभाव की आत्मा प्रदर्शित करने वाले इस नगर की एक और बड़ी खासियत दशहरे पर नुमाया होती है। यहां रहीम भाई रावण परिवार के पुतले बनाने में जुटे जुऐ हैं तो सईब भाई पर रामलीला में राम, लक्ष्मण, भरत, ‘ात्राुघ्न सहित रामलीला के समस्त पात्रों को सजाने संवारने का दायित्व है।
रहीम भाई हरियाणा से हैं। इस वर्ष उन्हें मल्लीताल की रामलीला के लिए 50 फिट से अधिक ऊंचे रावण परिवार के सदस्यों के पुतले बनाने का दायित्व मिला हुआ है। और इस कार्य में वह अपने परिवारों के साथ जुटे हुऐ हैं। बीते वर्षों में भी कभी बरेली की रजिया बेगम तो कभी रामपुर का वहाब भाई यह जिम्मेदारी निभाते आऐ हैं। इधर तल्लीताल में सईब भाई बीते 25 वर्षों से रामलीला के पात्रों को सजाने संवारने में जुटे हुऐ हैं। भूगोल विषय से परास्नातक सईब अहमद साहब का मानना है कि मनुष्य जिस `भूगोल´ में रहता है, उसे वहीं की संस्कृति में रच बस जाना चाहिऐ। वह पहाड़ में रहते हैं तो यहीं की तरह भट का जौला या चुड़काणी व गहत के डुबके उनके घर में भी बनते हैं। वह कहते हैं पहाड़ में हैं तो हमारी संस्कृति पहाड़ी है। ठीक इसी तरह वह `सांस्कृतिक पर्व´ रामलीला से 1985 से जुड़े हैं। सईब बताते हैं तब तल्लीताल की रामलीला आयोजक संस्था नव ज्योति क्लब को आयोजन में कुछ समस्या आई थी तो उन्हें पात्रों के `मेकअप´ का दायित्व सोंपा गया, जिसे वह आज तक निभाते आ रहे हैं। सईब भाई `क्रेप वर्क´ यानी पात्रों के दाढ़ी, मूंछ बनाने में महारत रखते हैं। मूंछें, दाढ़ी वह खुद ही तैयार करते हैं। वह पात्रों के मंच पर मूड के हिसाब से `मेकअप´ बदलने और मिनटों में पात्रों का हुलिया बदलने में भी माहिर हैं। जैसे अभी कोई पात्रा मेघनाद बना था और अब तुरन्त ही उसे अंगद भी बनना है तो उसकी समस्या का इलाज सईब भाई के पास है। रामलीला के दिनों के अलावा भी सईब भाई की दिनचर्या दिलचश्प रहती है। एक मुसलमान होते हुऐ भी उनका मूल पेशा ज्योतिशी का है। वह हिन्दू पराशर विधि के अनुसार कुण्डली बनाने, मिलाने व देखने में ऐसे विद्वान हैं कि लोग शादी विवाह के लिए भी हिन्दू पण्डितों के बजाय उनके पास कुण्डली मिलाने के लिए पहुंचते हैं। सईब बताते हैं `वेद हमेशा पुराना और ज्योतिश नया होना चाहिऐ´, लिहाजा वह निरन्तर ज्योतिश के साथ वेदों का भी अध्ययन करते रहते हैं। बताते हैं कि 1978 के दौर में नगर में आने वाले बंगाली बाबा से उन्हें ज्योतिष की प्रेरणा मिली। कहते हैं कि हिन्दुओं के साथ मुस्लिमों के समस्त त्योहार ज्योतिश और चन्द्र कलेण्डर पर भी आधारित होते हैं। वह नगों के भी अच्छे जानकार हैं। इस्लामी `अमाल ए कुरानी´ तरकीब से रुहानी इलाज की भी वह जानकारी रखते हैं।

नवीन जोशी

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अमेरिका, विश्व बैंक, प्रधानमंत्री जी और ग्रेडिंग प्रणाली


हाल में आयी एक खबर में कहा गया है 'विश्व बैंक ने भारत को अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए एक अरब पांच करोड़ डॉलर यानी 5,250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण की मंजूरी दे दी है। यह ऋण सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्व शिक्षा अभियान की सहायता के लिए दिया जाएगा।' यह शिक्षा के क्षेत्र में विश्व बैंक का अब तक का सबसे बड़ा निवेश तो है ही, साथ ही यह कार्यक्रम विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।


इसके इतर दूसरी ओर  इससे भी बड़ी परन्तु दब गयी खबर यह है कि भारत सरकार देश भर के स्कूलों में परंपरागत आंकिक परीक्षा प्रणाली को ख़त्म करना चाहती है, वरन देश के कई राज्यों की मनाही के बावजूद सी.बी.एस.ई. में इस की जगह 'ग्रेडिंग प्रणाली' लागू कर दी गयी है।

तीसरे कोण पर जाएँ तो अमेरिका भारतीय पेशेवरों से परेशान है. कुछ दशक पहले नौकरी करने अमेरिका गए भारतीय अब वहां नौकरियां देने लगे हैं। अमेरिका की जनसँख्या के महज एक फीसद से कुछ अधिक भारतीयों ने अमेरिका की 'सिलिकोन सिटी' के 15 फीसद से अधिक हिस्सेदारी अपने नाम कर ली है.

आश्चर्य नहीं इस स्थिति के उपचार को अमेरिका ने अपने यहाँ आने भारतीयों के लिए H 1 B व L1 बीजा के शुल्क में इतनी बढ़ोत्तरी कर ली है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की प्रस्तावित भारत यात्रा में यही मुख्या मुद्दा रहने वाला है।

अब एक और कोण, 1991 में भारत के रिजर्व बैंक में विदेशी मुद्रा भण्डार इस हद तक कम हो जाने दिया गया कि सरकार दो सप्ताह के आयात के बिल चुकाने में भी सक्षम नहीं थी। यही मौका था जब अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान संकट मोचक का छद्म वेश धारण करके सामने आये । देश आर्थिक संकट से तो जूझ रहा था पर विश्व बैंक और अन्तराष्ट्रीय मुद्राकोष को पता था कि भारत कंगाल नहीं हुआ है, और वह इस स्थिति का फायदा उठा सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के सुझाव पर भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने भण्डार में रखा हुआ 48 टन सोना गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा एकत्र की।  उदारवाद के मोहपाश में बंधे तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी सरकार और अन्तराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे। यही वह समय था जब सरकार हर सलाह के लिये विश्व बैंक - आईएमएफ की ओर ताक रही थी। हर नीति और भविष्य के विकास की रूपरेखा वाशिंगटन में तैयार होने लगी थी। याद कर लें, वाशिंगटन केवल अमेरिका की राजधानी नहीं है बल्कि यह विश्व बैंक का मुख्यालय भी है। 

अब वापस इस तथ्य को साथ लेकर लौटते हैं कि आज "1991 के तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह" भारत के प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने देश भर में ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने का खाका खींच लिया है, वरन सी.बी.एस.ई. में (निदेशक विनीत जोशी की काफी हद तक अनिच्छा के बावजूद) इसे लागू भी कर दिया है। इसके पीछे कारण प्रचारित किया जा रहा है कि आंकिक परीक्षा प्रणाली में बच्चों पर काफी मानसिक दबाव व तनाव रहता है, जिस कारण हर वर्ष कई बच्चे आत्महत्या तक कर बैठते हैं। (यह नजर अंदाज करते हुए कि "survival of the fittest" का अंग्रेज़ी सिद्धांत भी कहता है कि पीढ़ियों को बेहतर बनाने के लिए कमजोर अंगों का टूटकर गिर जाना ही बेहतर होता है। जो खुद को युवा कहने वाले जीवन की प्रारम्भिक छोटी-मोटी परीक्षाओं से घबराकर श्रृष्टि के सबसे बड़े उपहार "जीवन की डोर" को तोड़ने से गुरेज नहीं करते, उन्हें बचाने के लिए क्या आने वाली मजबूत पीढ़ियों की कुर्बानी दी जानी चाहिए।)

कोई आश्चर्य नहीं, यहाँ "दो और लो (Give and Take)" के बहुत सामान्य से नियम का ही पालन किया जा रहा है।  अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान कर्ज एवं अनुदान दे रहे हैं, इसलिये स्वाभाविक है कि शर्ते भी उन्हीं की चलेंगी। लिहाजा हमारे प्रधानमंत्री जी पर अमेरिका का भारी दबाव है, "तुम्हारी (दुनियां की सबसे बड़ी बौद्धिक शक्ति वाली) युवा ब्रिगेड ने हमारे लोगों के लिए बेरोजगारी की  समस्या खड़ी कर दी है, विश्व बेंक के 1.05 अरब डॉलर पकड़ो, और इन्हें यहाँ आने से रोको", प्रधानमंत्री जी ठीक उसी मुद्रा में जैसे सोनिया जी के सामने शिर झुकाते हुए 'यस सर' कहते है, और विश्व बैंक के दबाव में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर रहे हैं।

उनके इस कदम से देश के युवाओं में बचपन से एक दूसरे से आगे बढ़ने की प्रतिद्वंद्विता की भावना और "self motivation" की प्रेरणा दम तोड़ने जा रही है। देश की आने वाली पीढियां पंगु होने जा रही हैं। अब उन्हें कक्षा में प्रथम आने, अधिक प्रतिशतता के अंक लाने और यहाँ तक कि पास होने की भी कोई चिंता नहीं रही। शिक्षकों के हाथ से छडी पहले ही छीन चुकी सरकार ने अब अभिभावकों के लिए भी गुंजाइस नहीं छोडी कि वह बच्चों को न पढ़ने, पास न होने या अच्छी परसेंटेज न आने पर डपटें भी।

नवीन जोशी

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चलिए थोड़ा झूम लें :
[/size]10ntl4.jpg
[/size]थोड़ा और:
[/size]10ntl5.jpg
[/size]थोड़ा नैनीताल की रामलीला में शूर्पणखा के साथ भी.....

[/size]12ntl5.jpg Ramleela picture by NavinJoshi

Devbhoomi,Uttarakhand

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जोशी क्या बात है सूर्पनखा तो बहुत ही शानदार है बहुत ही सुन्दर कार्य किया है अपने इन फोटो को पोस्ट करके जोशी अगर कुछ और फोटो होंगी तो पोस्ट करें कुछ फोटो भगवान राम लक्षमण की और रावण की

नवीन जोशी

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नैनीताल की रामलीला की फोटो यहाँ देख लें जाखी जी : http://www.facebook.com/album.php?aid=39207&id=100000067377967

Devbhoomi,Uttarakhand

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नैनीताल की रामलीला की फोटो यहाँ देख लें जाखी जी : http://www.facebook.com/album.php?aid=39207&id=100000067377967

जोशी जी उन फोटो को यहाँ भी पोस्ट करने की महान किरपा करें ,बहुत ही शानदार फोटो है और जोशी जी आपकी फोटो ग्राफी की तो बात ही लाजबाब है

 

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