From - Hemant Bisht ji
तूकैं ंलै हफत हफत तक
हम नि नऊछी
ख्यात करछी त्यर,
नऊणाक लिजि
और नि हूँछी तेरि नाणेकि मन
जाणि बुझि बेर लै तुकैं
नि पकडछि हम
न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न्
हमूकैं पत्त छ पोथी
तू काम में व्यस्त छै
दगडू,औफिस,सुरासियोंक बीचम,
तू ,एक दम मस्त छै
पै मणी बखत
हमूहूँ लै बचै लिये पोथी
याद छ तुकैं,
थकी हारी काम बै लौटणाक बाद
घर पुजौ त,
तू जिद हाणि दि छियै
बार बार एक्कै कहाणि मैथै सुणछियै
और कत्तुकै लै थकी हूँ,
सुणूछी तुकैं काथ,
और तेरि लै सुणछि छी
टुटी फुटी आँखरों में
रोजै, एक्कै बात।
न्न्न्न् न्न्न्न् न्न्न्न् न्न्न्न् न्न्न्न्न्
बबा
बीमारी में ,षिथिलता में,
हैजो जब बिस्तर गिल,
छी घीण झन करिये
गुस्स झन करिये,
जाण छै?
हम लै सित छी त्यर दगडि,
त्यर गिल करी बिस्तर में,
जणूक कतुक कतुक रात।
न्न्न्न्न्
च्यला ,आब ,चला चलीक बेला छ
न्न्न्न्न्
न्न्न्न्न्
छोडि जाण दूर ,य दुण्यिौक मेला छ
आस छ,
झिट घडि हमूकैं लै दयलै साथ
अंतिम यात्रा है पैेलिक,
थामि ल्यलै हाथ।
ळमार जाण है पैलिक,
करलै हमूहू बात
दयलै हिम्मत,भगालै डर,
यमराजेकि ऊणेकि
दयलै ताकत,मौत भेटणेकि।
और हम, खुसू खुस कै सकूँ
ईष्वर हूँ.....
परमेष्वरा ,
एतुक किरपा करिया...
ळमर भौ कैं ,सुख्यारि संतोशि धरिया।
किलैकि ,हमर भौ,
हमौर मान धरूँ
हमौर ध्यान धरूँ
पराण मानू इज बाब कैं,
खोल दयो ईष्वर मैंहूँ
वैतरणीक बाट कैं
न्न्न् न्न्न्न् न्न्न्न्न् न्न्न्न्न्