महिलाओं की कलात्मक अभिब्यक्ति आकिक चित्रों के रूप मैं अल्पना या ऐपण द्वार प्रकट होती है ऐपण के स्थूल रूप मैं दो भेद है अफल भूआंकन दूसरा भीती चित्र ऐपण का मूल अर्थ है लेपना यह चित्र प्रथा समतल धरती पर अंकित रंगोली तथा दीवारों पर अंकित थापा कहलाती है !
बंगाल मैं इसे अल्पना और गुजरात मह्रास्त्र मैं इसे रंगोली कहते हैं तमिलनाडू मैं झेलम तथ मध्य प्रदेश में मंडाना कहते है !
ऐपण के लिए चावलों को भिगोकर तथा महीन पीस कर पेस्ट बनाया जाता है !
जिसे विस्वार कहते हैं वर्तमान में विस्वार के स्थान पर सफ़ेद पिंडोल (गढ़वाली में इसे कमेडा) कहते हैं इसका भी प्रयोग किया जाता है !ऐपण लिखने की परम्परा कुमाऊँ मंडल में अधिक प्रचलित है इसे महिलाओं द्बारा ही लिखा जाता है इनके नाम स्थान और अनुष्ठान के अनुरूप होते हैं लक्ष्मी पूजा वाले ऐपण को लक्ष्मी पूजा ,तथा शिव की पूजा वाले ऐपण को ,शिवपीठ कहते हैं !
यज्ञों पवित संस्कार के अवसर पर जनेऊ सूर्य बर्हामा मुख्यत वास्तविक नवग्रह तथा लक्ष्मी -सरस्वती का ऐपण के माध्यम से चित्रांकन किया जाता है !