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Culture of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की संस्कृति
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खीमसिंह रावत
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Aipan: Uttarakhand Art - ऐपण
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Topic: Aipan: Uttarakhand Art - ऐपण (Read 90343 times)
हेम पन्त
Core Team
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Re: Aipan: Uttarakhand Art - ऐपण
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Reply #90 on:
November 13, 2013, 12:57:00 PM »
Photo Source - Facebook
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पंकज सिंह महर
Core Team
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Posts: 7,401
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Re: Aipan: Uttarakhand Art - ऐपण
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Reply #91 on:
December 13, 2013, 04:35:32 PM »
Logged
Pawan Pathak
Jr. Member
Posts: 81
Karma: +0/-0
Re: Aipan: Uttarakhand Art - ऐपण
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Reply #92 on:
September 11, 2015, 10:08:39 AM »
कहीं इतिहास न बन जाए परंपरागत ऐंपण
चंपावत। पर्वों को मनाने की हमारी परंपरा अब भी जीवित है मगर इसमें वक्त ने काफी कुछ बदलाव कर दिया है। आधुनिकता की चकाचौंध की छाप त्योहारों में साफ नजर आती है और पर्वों को मनाने के इन बदलावों से कस्बाई इलाके भी अछूते नहीं हैं। दीवाली में ऐंपण यानि अल्पना का रिवाज बेहद पुराना है पर इसका तरीका बदला हुआ है। अब शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर घरों की देहरियां ऐंपण के परंपरागत तरीके से नहीं रंगतीं।
दीवाली पर ऐंपण डालना शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही घरों में लक्ष्मी के पांवों को भी बनाया जाता है। चंपावत जिले में आठ साल पहले तक अधिकतर घरों में देहरियां को गेरू से रंगा जाता था। फिर उस पर भीगे चावलों को पीस कर अंगुलियों से कलाकारी की जाती थी। पर अब बदले वक्त ने इस तरीके को लुप्तप्राय कर दिया है।
शहरों में देहरियों को चमकाने के परंपरागत ढंग का स्थान नए अंदाज ने ले लिया है। यहां लोग पेंट के जरिए अंगुलियों के बजाय ब्रुश से देहरी को सौंदर्य प्रदान करते हैं। महिलाओं का कहना है कि इस तरह से देहरी की सजावट में मेहनत तो अधिक लगती है लेकिन यह तरीका है टिकाऊ। और एक बार की मेहनत से सालभर का काम पूरा हो जाता है जबकि परंपरागत ढंग वाले ऐंपण करीब एक महीने में ही मिट जाते थे। इसके अलावा अल्पना के रेडीमेड स्टीकरों का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। इसमें न मेहनत पड़ती है और नहीं वक्त लगता है। दुकानदारों का भी कहना है कि अब स्टीकरों की बिक्री में तेजी से इजाफा हो रहा है।
Source-
http://earchive.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20091015a_016115008&ileft=348&itop=374&zoomRatio=263&AN=20091015a_016115008
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