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Bhitauli Tradition - भिटौली: उत्तराखण्ड की एक विशिष्ट परंपरा

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हेम पन्त:
भिटौली का महीना शुरू हो चुका है... पहाड़ के लोगों द्वारा मनाये जाने वाली यह एक अनूठी परम्परा है... जिसमे भाई अपनी विवाहित बहिन को चैत के महीने में सौगात देते हैं.. इस विशिष्ट परम्परा को समर्पित है यह टोपिक...

हलिया:
ये तो भेरी गुड टापिक ठैरा महाराज।  आपने सुरू किया बहुत अच्छा किया।  धन्यबाद है आपको।  सभी सदस्य लोग इसमें अपने-२ बिचार और कुछ मजेदार अनुभव आपस में बाटेंगे तो मजा ही आयेगा।



--- Quote from: H. Pant on April 03, 2008, 10:56:07 AM ---भिटौली का महीना शुरू हो चुका है... पहाड़ के लोगों द्वारा मनाये जाने वाला एक अनूठी परम्परा है... जिसमे भाई अपनी विवाहित बहिन को चैत के महीने में सौगात देते हैं.. इस विशिष्ट परम्परा को समर्पित है यह टोपिक...

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हेम पन्त:
भिटौली से संबंधित एक कहानी प्रचलित है... जो इस प्रकार है....

सचदेव नाम का लड़का था जिसकी बहिन का विवाह पाताल लोक में नाग के साथ हुआ था. तब सचदेव बहुत छोटा था. शादी के कई साल बीतने पर भी उसकी बहिन मायके नही आ पायी तो सचदेव उससे मिलने पाताल लोक चला गया.लेकिन नाग ने उन दोनों के रिश्ते को शक की निगाह से देखा क्योंकि नाग सचदेव से कभी मिला नही था. यह लज्जा जनक बातें सुन कर सचदेव ने आत्महत्या कर ली. नाग को जब असलियत का पता चला तो उसने भी आत्महत्या कर ली.सचदेव की बहिन ने सोचा अब मेरी जिंदगी व्यर्थ है. उसने भी अपनी इहलीला समाप्त कर दी. इन दोनों भाई-बहनो के त्याग और बलिदान को याद करते हुए ये त्यौहार आज भी प्रचलन में है.

हेम पन्त:
भाई-बहन के प्यार को समर्पित यह त्यौहार (रिवाज) सिर्फ उत्तराखण्ड के लोगों के द्वारा मनाया जाता है. विवाहित बहनों को चैत का महिना आते ही अपने मायके से आने वाले 'भिटौली' की सौगात का इंतजार रहने लगता है.

हलिया:
वाह पंत जी वाह, इस बेहतरीन जानकारी के लिये धन्यबाद और +१ भी।


--- Quote from: H. Pant on April 03, 2008, 11:50:31 AM ---भिटौली से संबंधित एक कहानी प्रचलित है... जो इस प्रकार है....

सचदेव नाम का लड़का था जिसकी बहिन का विवाह पाताल लोक में नाग के साथ हुआ था. तब सचदेव बहुत छोटा था. शादी के कई साल बीतने पर भी उसकी बहिन मायके नही आ पायी तो सचदेव उससे मिलने पाताल लोक चला गया.लेकिन नाग ने उन दोनों के रिश्ते को शक की निगाह से देखा क्योंकि नाग सचदेव से कभी मिला नही था. यह लज्जा जनक बातें सुन कर सचदेव ने आत्महत्या कर ली. नाग को जब असलियत का पता चला तो उसने भी आत्महत्या कर ली.सचदेव की बहिन ने सोचा अब मेरी जिंदगी व्यर्थ है. उसने भी अपनी इहलीला समाप्त कर दी. इन दोनों भाई-बहनो के त्याग और बलिदान को याद करते हुए ये त्यौहार आज भी प्रचलन में है.

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