Author Topic: Ceremonial Songs Of Uttarakhand - फ़ाग/मंगल गीत/संस्कार गीत/शकुन आखर  (Read 48993 times)

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
विवाहोत्सव का निमंत्रण गीत

सूवा रे सूवा, बणखंडी सूवा हरीयो तेरो गात,
पिंगल तेरो ठून, तू सूवा नगरी को न्यौत दी आ,
नौं न पछ्याणन्यू, गों नि पछ्याणन्य़ूं, के घर के नारि न्यूंतो,
अघिल आधिबाड़ी, पछिल फुलवाड़ी, वी घर वी नारि न्यूंतो,
चौं दिस गौं छ, सुभद्रादेहि नौं छ, वी का पुरुष को अरजुन नौं छ,
वी घर वी नारि न्यूंतो।
चौं दिस गौं छ, बहिनी देहि नौं छ, वी का पुरुष को ब्राहन नौं छ,
वी घर वी नारि न्यूंतो।
अघिल आधिबाड़ी, पछिल फुलबाड़ी आ बेटी खिलकणी मैत,
हाथ छ बेला, गोद छ चेला, आ बेटी खलकणी मैत॥


विवाह के अवसर पर गांव में सबको निमंत्रण देने के लिये सूवा (तोता) पक्षी को माध्यम बनाया जा रहा है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
मांगलिक कार्य की सायंकाल को गाये जाना वाला मांगल गीत

सांझ पड़ी, सांझ वाली पायां चलिन एन
आस-पास मोत्यूं हार बीच चलिन गंगा,
लछिमि पूंछछिन अपनं स्वामि नाराइन,
इनुं घरि काहि बधाई। इनु घर आनंद बधाई॥
रामीचंद्र घरै, घरै सांझ को दीयो जगायो,
सीतादेही, बहूरांणी जनम आइवांती।
इनरे बहुअन की शोभण कोख ए,
जाग हो दियड़ा इनु घरि आज की राति ए।
अगर चंदन को दीयड़ा, कपूर सारी बाति ए,
जाग हो दियड़ा इनुं घर सुलच्छिणी राति ए॥


यह गीत नामकरण, छठी और विवाह के शुभ अवसर पर सांध्य वेला में गाया जाता है] जिसमें दीपक से सारी रात जलते रहने की प्रार्थना की जाती है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
छठी तथा नामकरण का मांगल गीत

तुम रामी चंद्र लछीमण कवन के तुम पूत,
तुम कवन माएलि ले उर धरौ?
तुम कवन बहीनों को भाई लो?
हम रामीचंद्र लछीमण दशरथ के पूत,
मेरि माई कौसिल्य रांणि लै,
मेरि माई सुमित्रा रांणि लै उर धरो।
उर धरौ है लला दस मास, मेरि बहिनां सुभद्रादेहि को माए लै,
हम लव कुश, रामी चंद्र के पूत,
मेरि माई सीतादेहि लै,
बहूरांणि लै उर धरौ।
उर धरौ है लला दस मास, मेरि बहिनां बहिनीं देहि को माए लै॥


यह गीत नवजात शिशु के नामकरण और छठी संस्कार पर गाया जाता है। शिशुओं को प्रथम राम-लक्ष्मण पीछे लव-कुश संबोधित कर पूछा जाता है कि वे किस माता की कोख में हुये और इसका उत्तर शिशुओं द्वारा दिलवाया जाता है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
मांगलिक कार्यों में स्नान के समय गाया जाने वाला गीत

उमटण दइए मइए मैल छूटाइये,
गंगा जमुना मिलि आए तो बालौ नवाइए, कलेस मराइए,
भाई बहिनीं मिलि आए तो नवाइए,
हलदी के घर जाओ तो हलद मौलाइए,
तेली के घर जावो तो तेल मौलाइए,
कुमकुम केसर परिमल अंग सुहाइए,
किन ए उ पंडित ले हलद मौलाइ,
तो हलद की शोभा ए,
किन ए उ सोहागिलि लै घोटा घोटाइ,
तो हलद रंगीलो।

किन ए उ पहिरन जोग्य तो हलद की शोभा ए।
रामीचंद्र, लछीमण हलद मोलाइ तो हलद की शोभा ए।
सीता देहि लै, बहूरांणि लै हलद घौटाई, तो हलद कि शोभा ए।
लव कुश पहिरन जोग्य, तो हलद की शोभा ए॥


ब्रत बंध, विवाह आदि में नहलाते समय यह गीत गाया जाता है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
ब्रतबंद (जनेऊ संस्कार) के समय गाया जाने वाला मांगलिक गीत

लला नारींग रस ल्यै दे जामीर फल ल्यै दे,
नारींग हूं जिया करे
भौजी नारींग कसी ल्यूं, जामीर कसी ल्यूं,
नारींग हूं पहरा धरे,

तुमर बाबज्यू का बाग-बगीचा,
मैय्या की हैंसियां फुल बाड़ियां,
लुदी रई बोट हजार, नारींगा.......

तुमर ससुर ज्यू का माली महेन्द्र,
सैय्यां का चौकीदार मुच्छन्दर,
लाठी ली बैठियां छन पार, नारींग कस ल्यूं।

भौज्यू नारींग में रस नी भरिन,
नारींग को आजी रंग नी गरिणो,
हरिया पातलन है रीं डाल,
नारींग कसीं ल्यूं,

भैय्या ते मांगो पैसा रुपया,
तुम लाला नाचो ताता थैईयां,
दौड़ी जाओ हाट बाजार,
नारींग हूम जिया करे।

बौजी छ मेरी के भली बाना,
सासु ननद की हाथ की चाना,
चोरी खांची खटई अचार,
नारींग कसी ल्यूं।

नंददेवी मैल दिखै दयूंलो,
चरख में लला बैठाई दयूंलो,
बाजा बैलून ल्यूंलो चार,
नारींग हूं जिया करे।

आपौं हूं दुल्ह-दुल्हिणी,
शैणी भिषौणी मैकणी नी चैनी,
आपणों त खेल हजार,
नारींग कसी ल्य़ूं।


भाभी और देवर में वार्तालाप चल रहा है, भाभी देवर से संतरे लाने को कहती है और देवर न लाने के बहाने ढूंढता है.....सामान्य चुहल लोकगीत के माध्यम से।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
बारात के पहुंचने पर गाया जाने वाला मंगल गीत

जब ही महाराजा देश में आए,
देश में धूम मचाए, हो मथुरा के हो वासी,
जोशी ज्यू लगन में आईयो, हो मथुरा के हो वासी,
जब ही महाराजा अंगना में आए, अंगना में धूम मचाइए,
हो मथुरा के हो वासी।

बढ़इया चौख ले ऐयो, शंख घंट सबद सुणइयो,
अंगना सुं चौक पुरैयो, बहिनियां रोचन ल्यइयो,
विरामन वेद पढ़इयो, हो मथुरा के हो वासी।

शुभ्रण कलश भरइयों हो, मथुरा के हो वासी,
तमोलिनी बीड़ा ले आईयो, हल्वाईनि सीनिं ले अइयो,
मलिनि फुल ले अइयो, हो मथुरा के हो वासी,
बजनियां बाजा बजइयो, गहमह बाजा बजइयो,
हो मथुरा के हो वासी।


बारात के घर पहुंचने पर यह मंगल गीत गाया जाता है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
एक और

छाजौ में बैठि समदिणि पूछै,
हो होलो दुलहा को बाबा ए?
को होलो दुलहा को काका ए?
छाजौ में बैठि समदिणि पूछै,
को होलो दुलहा को दददा ए?
को होलो दुलहा को भाई ए?

नीलि छ छतरी जरद अंबारी
हस्ति चढ़े भड़ुवा दाम बखेरे,
वी होलो दुल्हा को बाबा ए,
गदहा चढ़े भडुवा दाम बखेरे,
वी होलो दुलहा को काका ए।
वी होलो दुलहा को दददा ए।
कुत्ता चढ़ै भडुवा दाम बखेरे,
वीहोलो दुलहा को मामा ए।
वी होलो आचार्य भडुवा ए॥

बेटी की माता बारात आ जाने पर पूछती है कि कौन दूल्हा है, कौन-कौन उसके सगे संबंधी हैं और उसका उत्तर हास-परिहास में दिया जाता है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
गोधूलि बेला गीत


कैकें द्यूं मैं धूलि अरघ तो को रे बेवइया?
जैका सिर में मुकुट होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका सिर महिं सिहरा होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका कान कुंडल होला मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका कंध दुसाला होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका गलहिं में कंठा होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका हाथ अंगुठि होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।
जैका तल हि में घोड़ा होलो मन रइया,
वी द्यूं मैं धूलि अरघ तो वी रे बेवइया।


यह गोधूलि बेला का गीत है, जिसके सिर पर मुकुट, सिहरा कान में कुंदल आदि होगा, वही दूल्हा होगा और उसी को धूलिअर्घ दी जायेगी। बारात के पहुंचने पर सबसे पहली रस्म यही की जाती है।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
बारात में हास-परिहास गीत


सारी रात मिरगा क्यों बोले रे,
तो दिनुबे की बुलबुली में टम्बू टका, टम्बू टका,
यों बोले रे, सारी रात मिरगा क्यों बोले रे,
तो हंसुली गई में टम्बू टका, टम्बू टका,
यों बोले रे सारी रात मिरगा क्यों बोले रे?


बारात आने पर वधू पक्ष द्वारा बारातियों का मजाक उड़ाया जाता है, अब कुछ हिन्दी के गीत भी प्रयुक्त होने लगे हैं।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
छोली बांटते समय गाया जाने वाला मंगल गीत

बरु तेरो आयो त्वी सौ कीया-कीया ल्यायो?
दाख दाडि़म बबज्यु छोली भरी ल्यायो।
नींमु नारिंग बबज्यु छोली भरी ल्यायो,
माथै की बिंदी बबज्यु छोली भरी ल्यायो।
नाक की नथुले बबज्यु छोली भरी ल्यायो,
बालि की नथुलि बबज्यु छोली भरी ल्यायो।
माला और तोड़ा बबज्यु छोली भरी ल्यायो,
हाथ सुं चूड़ी बबज्यु छोली भरी ल्यायो
पहुंची खड़ेवा बबज्यु छोली भरी ल्यायो।
लछा झांवर बबज्यु छोली भरी ल्यायो,
घाघरा पिछौड़ी बबज्यु छोली भरी ल्यायो॥

छोली बांटते समय यह गीत गाया जाता है, बर पक्ष की ओर से जो भी सामान लाया जाता है, उसे छोली कहा जाता है, इस गीत में बताया जा रहा है कि छोली में क्या-क्या सामान आया है।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22