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  • चैत्र नवरात्र प्रारम्भ: April 04, 2011

Author Topic: Chaitra Navratras - चैत्र नवरात्र : नौर्त- मां दुर्गा के नौ रुपों  (Read 58530 times)

पंकज सिंह महर

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चैत्र नवरात्रि की सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनायें।
मां भगवती आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें।

पंकज सिंह महर

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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी, जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रबदन नीको
जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
जय अम्बे गौरी ॥

शम्भु निशुम्भ बिदारे, महिषासुर धाती
मैया महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
जय अम्बे गौरी ॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
जय अम्बे गौरी ॥

तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
जय अम्बे गौरी ॥

भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
जय अम्बे गौरी ॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
जय अम्बे गौरी ॥

माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
जय अम्बे गौरी ॥


बोलो भगवती मैय्या की जय!
दैण होये माता, सब्बु भल करिये॥

पंकज सिंह महर

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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। 

 

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और शैलपुत्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
इसी प्रकार रक्षा कवच भी है, जिसकी आराधना से आपकी दसों दिशाओं से रक्षा होती है और अनेक दुर्घटनाओं और बलाओं से आप बचे रहेंगे।

पंकज सिंह महर

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आज से चैत्र नवरात्र प्रारम्भ हो गये हैं। मां भगवती नन्दा आप सभी को स्वस्थ, समृद्ध और सभी सुखों से परिपूर्ण रखे।

जय मां भगवती।


विनोद सिंह गढ़िया

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कुमाऊं की नवदुर्गा
« Reply #95 on: October 23, 2012, 12:48:40 PM »
__________कुमाऊं की नवदुर्गा__________


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 आप सभी को नवरात्री के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई.... आज मां दुर्गा शक्ति की उपासना का प्रथम दिन है ,माँ दुर्गा पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। आज के दिन शैलराज हिमालय की कन्या माँ शैलपुत्री जी का पूजन होता है, माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से 'मूलाधार चक्र' जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
 अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम 'सती' था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था।
 ‘शैलपुत्री’ देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनंत हैं। —आप सभी को नवरात्री के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई.... आज मां दुर्गा शक्ति की उपासना का प्रथम दिन है ,माँ दुर्गा पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। आज के दिन शैलराज हिमालय की कन्या माँ शैलपुत्री जी का पूजन होता है, माँ शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं. नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से 'मूलाधार चक्र' जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम 'सती' था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था। ‘शैलपुत्री’ देवी का विवाह भी शंकरजी से ही हुआ। पूर्वजन्म की भाँति इस जन्म में भी वे शिवजी की ही अर्द्धांगिनी बनीं। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियाँ अनंत हैं। — height=298

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सभी मित्रो को नवरात्रियों को हार्दिक शुभकामनाये !

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्माचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्म्रणव महात्मना।।

 

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