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  • चैत्र नवरात्र प्रारम्भ: April 04, 2011

Author Topic: Chaitra Navratras - चैत्र नवरात्र : नौर्त- मां दुर्गा के नौ रुपों  (Read 58321 times)

हलिया

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चैत्र नवरात्र

इस वर्ष चैत्र नवरात्र चार अप्रैल (सोमवार) को प्रारंभ होंगे और १२ मार्च को रामनवमी के दिन संपन्न होंगे। 

हलिया

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #1 on: April 04, 2008, 01:20:53 PM »
चैत्र नवरत्र

नवरात्र वर्ष में दो बार आता है पर शिवरात्रि के बाद पड़ने वाले चैत्र नवरात्र का महत्व अधिक माना गया है।  इस नवरात्र में मां दुर्गा पूर्ण शक्ति के रूप में प्रकट रहती हैं। इसी कारण इसमें साधना व पूजा अर्चना करना भी अधिक फ़लदायी होता है।  नवरात्र के नौ दिनों में हर दिन अलग-अलग अनुष्ठान करने से अलग-अलग अभीष्ट की पूर्ति होती है।

हेम पन्त

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #2 on: April 04, 2008, 01:34:46 PM »
राजु दा! हम अज्ञानी लोगों के ज्ञानचक्षु खोलने के लिये धन्यवाद. इस विषय पर कुछ और जानकारी देने की कृपा करें....

हलिया

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #3 on: April 04, 2008, 01:36:21 PM »
जय माता की








हलिया

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महाविद्याओं की आराधना पर्व "नवरात्र"


पर्व प्रसंग. अनेकता में एकता की परंपरा वैदिक दर्शन की देन है और इस सिद्धांत की स्थापना पुराणों एवं तंत्र ग्रंथों में दिखलाई देती है। मुंडमालातंत्र के अनुसार- ‘जो शिव है, वही दुर्गा है और जो दुर्गा है, वही विष्णु है - इनमें जो भेद मानता है, वह मनुष्य दुबरुद्धि एवं मूर्ख है। देवी, विष्णु एवं शिव आदि में एकत्व ही देखना चाहिए। जो इनमें भेद करता है, वह नरक में जाता है।

परम तत्व एवं पराशक्ति
देवी भागवत के अनुसार देवताओं ने एक बार भगवती पराम्बा से पूछा- ‘कातित्वं महादेवि’ - हे महादेवी, आप कौन हैं? तो भगवती ने उत्तर दिया- ‘अहं ब्रह्मस्वरूपिणी, मत्त: प्रकृति पुरुषात्मकं जगगदुत्पन्नम्’ - अर्थात मैं ब्रह्मरूपिणी हूं और प्रकृति पुरुषात्मक जगत मुझसे उत्पन्न हुआ है।

देवताओं की जिज्ञासा एवं शंकाओं को पूर्ण विराम देते हुए भगवती पराम्बा ने कहा- ‘मुझमें और ब्रह्म दोनों में सदैव एवं शाश्वत एकत्व है और किसी प्रकार का भेद नहीं है। जो वह है, सो मैं हूं और जो मैं हूं सो वह है।



हलिया

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महाविद्याओं की आराधना पर्व "नवरात्र"

पराम्बा के नाम एवं रूप
मंत्र, यंत्र एवं तंत्र के माध्यम से उस आद्या शक्ति की साधना के रहस्यों को उद्घाटित करने वाले तंत्रागमों के प्रणोता ऋषियों ने पराशक्ति के निगरुण, निराकार एवं परब्रह्म स्वरूप का दार्शनिक विवेचन करने के साथ-साथ साधकों की मनोकामना की पूर्ति के लिए उसके सगुण एवं साकार रूपों का बड़ा ही मार्मिक विवेचन किया है। उसके असंख्य रूपों में नवदुर्गा एवं दस महाविद्या सुप्रसिद्ध हैं और आज भी लोग बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से भगवती के इन स्वरूपों की उपासना करते हैं।

Risky Pathak

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #6 on: April 04, 2008, 01:55:40 PM »
पहाडों मे चैत्र नवरात्र  का  महत्त्व बहुत ज्यादा है | इसी दिन से नया वर्ष शरू होता है|

हलिया

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महाविद्याओं की आराधना पर्व "नवरात्र"


विद्या एवं महाविद्या
प्राच्यविद्याओं के संदर्भ में - अविद्या, विद्या एवं महाविद्या - ये तीनों शब्द पारिभाषिक हैं। इनमें से अविद्या उस लौकिक ज्ञान को कहते हैं, जिससे हमारा सांसारिक व्यवहार चलता है। जबकि विद्या उसको कहते हैं, जो मुक्ति का मार्ग बतलाती है। इसी तरह महाविद्या वह कहलाती है, जो सांसारिक जीवों को भोग और मोक्ष दोनों दिलवाती है।

इस प्रकार महाविद्या की साधना से पुत्रार्थी को पुत्र, विद्यार्थी को विद्या, धनार्थी को धन और मोक्षार्थी को मोक्ष मिलता है। तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जैसी कामना से महाविद्याओं की साधना करता है, उसकी वे कामनाएं पूरी होती हैं।  वस्तुत: महाविद्या अपने स्वभाव से ही एक हाथ से भोग और दूसरे हाथ से मोक्ष प्रदान करती है। अत: लौकिक एवं पारलौकिक दोनों प्रकार की सिद्धि के लिए दस महाविद्याओं की उपासना की परपंरा प्राचीनकाल से प्रचलित है।

Risky Pathak

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #8 on: April 04, 2008, 01:58:45 PM »
इसी दिन गाँव के लोग किसी ब्राह्मण के घर  संवत्सर सुनने आते है| अपनी अपनी राशि के बारे मे प्रश्न करते है|  

Risky Pathak

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Re: चैत्र नवरत्र
« Reply #9 on: April 04, 2008, 02:01:29 PM »
जय हो राजू दा आपकी| पर हमारे पहाडों मे इस साल प्रतिपदा तिथि क क्षय हो जाने से संवत्सर ७ अप्रैल  से  शुरू होंगे|(Source: रामदत्त पंचांग)

 

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