Author Topic: Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान  (Read 177809 times)

Bhishma Kukreti

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अचार कु इतिहास

सरोज शर्मा ( भोजन मूल शोधार्थी)

अचार सदियों भटिक हमर भोजन कु हिस्सा च, अचार कु चटपटी स्वाद सबयूं थैं पसंद आंद, ये क बिन थालि अधूरि लगद,
न्यूयार्क खाद्य संग्रहालयों म पिकल ( अचार) हिस्ट्री क अनुसार 2030 ईसा पूर्व मोसोपोटामिया क टाई गिर्स घा टि क लोग खीरा कु अचार कु उपयोग करदा छाई, समय क साथ साथ भोजन थैं ज्यादा समय तक संरक्षित और इनै उनै लिजांण म सौंगू हुणक खातिर प्रसिद्ध हूण लगी, धीरे धीरे ये क लाभों कि भि खोज हूण लगि, 350 ईसा पूर्व सुप्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू न भी तारीफ कार, रोमन सम्राट जुलियास-सीसर(100-44 ईसा पूर्व) भी अचार क बहुत शौकीन छाया,वै समय मनै जांद छाई अचार ल मानसिक और शारीरिक शक्ति बड़द
2400 B.c मा भि अचार बणयै जांद छाई, यखक मूल निवासी खाद्य पदार्थ सुरक्षित रखण वास्ते तेल और लूण म डुबैक रखदा छा जन यात्रा क दौरान खाद्य पदार्थ कि कमी न ह्वा
अचार शब्द फारसी भाषा से आई, फारसी म और सिरका से संरक्षित भोजन कु अचार बोले जांद, औपनिवेशिक काल म अचार क जिक्र एक किताब मा मिल द García da Orta नामक किताब म मिलद जै म काजुओं कु स्टोर कनकु उपाय लिखयूं च जै थैं उ अचार बोल्दा छा,
बोलदा छन उत्तर पंजाब म अचार गोश्त विकसित ह्वाई सिन्धु घाटी म अचार बणदू छौ
हैदराबाद लोगु क भी दावा च हैदराबाद बटिक अचार गोश्त बणाण कि शुरुआत ह्वाई इतिहासकार कन्निघम क भि यि मनण च हैदराबाद बटिक शुरुआत ह्वाई।
हरी सब्जी से लेकर फल आदि सबयू क अचार बणये जांद, ये म शामिल लूण तेल मसला भरपूर स्वाद दिंदिन, भोजन भी सवदि ह्वै जांद।


Bhishma Kukreti

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पानी पूरी क इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
पाणि पुरी नाम सुणदा ही गिचची मा पाणि ऐ जंद नौनयूं खुण त पाणि पुरी खास हूंद, आपन कभि स्वाच ई आइ कख बटिक च ऐ कि खोज कैल काई ,
पाणि पुरी क इतिहास
ऐ थैं गोल गप्पा, पानि बतासे, फुचका, गुपचुप, पानी टिककी, फुल्की,भी बोल दन
पाणि पुरी कु जिक्र मेगास्थनीज चीनी यात्री, बौद्ध यात्री Fabian और xuanzang कि किताबों म पये जांद पानी पुरी सबसे पैल मगध साम्राज्य म बणये ग्या वै समय मा पानिपूरी मा भौत खाद्य पदार्थ मिलये जांद छाई जन पिठठो, चिवड़ा, तिलवा आपक बतै दयूं मगध साम्राज्य बिहार क नाम से भि जणै जांद, पानि पूरी कु आविष्कार बिहार मा ह्वाई
पानी पुरी की एक कहानी महाभारत से भि जुड़ी च
द्रोपदी पैलि बार पांच पतियो दगड़ ससुराल आई कुंती ल बवाल कुछ इन बणा कि पांचो पतियो कु पेट भरे जा वै क बाद द्रोपदी न पानी पूरि बणै कुंती बहुत खुश ह्वाई वीं थैं अमरता कु वरदान दयाई।


Bhishma Kukreti

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पनीर मसाला

उषा बिज्लवाण- देहरादून।
मन्खी- ४। समै- २० मिनट।
सामग्री- प्याज १ बड़ू, टमाटर,२ बड़ा, लसण ५ कली आदू १ बड़ू टुकड़ा हरीं मर्च ३ ,लोण स्वादानुसार, कश्मीरी लाल मर्च १/२ चम्मच,तेल ३चम्मच।
विधी- प्याज , लसण, हरी मर्च, टमाटर अर आदा कु पेस्ट बणै द्या कढै रखा तेल डाला जीरू अर हींग डाला थोड़ी देर बाद तैयार पेस्ट डाल द्या तेल छोडण तक खूब भुना अब १/२ गिलास पाणी डाल द्या ५ मिनट पकौणा का बाद पनीर डाल द्या तैयार छ पनीर मसाला

Bhishma Kukreti

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चिकन रैसिपी
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उषा बिज्लवाण- देहरादून
मन्खी-३।
समै - १/२ घन्टा .
 सामग्री-
प्याज४ बड़ा, चिकन १/२ किलो, टमाटर ४, लसण ८ कली, आदू १ईंच, लाल मर्च पौडर १ चम्मच, धणिया पौडर १चम्मच, कश्मीरी लाल मर्च १ चम्मच, लोण स्वादानुसार, चिकन मसाला २चम्मच, कसूरी मेथी १चम्मच, तेल १कटोरी, तेज पत्ता २ , बड़ी इलायची२, दालचीनी एक टुकड़ा
विधी-
प्याज, लसण, आदा,टमाटर कू पेस्ट बणै द्या ।गैस खोलीक कढै रखा तेल डाला खड़ा मसाला डाला थोड़ा भूनीक तैयार पेस्ट डाल द्या तेल छोडण तक भुना अब सब मसाला डाल द्या खूब भुना अब चिकन डालीक भुना इतना भुना की चिकन लगभग पक जौ अब १/२गिलास पाणी डालीक पका तैयार छ चिकन

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माइक्रोवेव ओवन का इतिहास।

उषा बिज्लवाण देहरादून।

यूके मा कैविटी मैग्नेट्रॉन का विकासन एक छोटा तरंग दैधर्य की विधुत चुम्बकीय तरंगो कु उत्पादन सरल बणाई ।अमेरिकी इंजिनियर पर्सी स्पेंसर तै आमतौर पर युद्ध का दौरान विकसित रडार तकनीकी से द्वितीय विश्व युद्ध क का बाद आधुनिक माइक्रोवेव ओवन का अविष्कार कु श्रेय दिये गै । राडारेंज नाम दिये गै ये तै पैली बार १९४६ मा बेची गै थौ।बाद मा रेथियॉन न घरेलू माइक्रोवेव का खातिर अपणा पेटेंट कु लाइसेंस दिनी जैतैं टप्पन न १९५० मा पेश करी थौ लेकिन अभी भी यु घरेलू उपयोग का खातिर बड़ू और मैंगू थौ। शार्प कापरिशन न १९६४ और १९६६ का बीच टनटिबल का साथ पैलू माइक्रोवेव ओवन पेश करी। काउंटरटाप माइक्रोवेव ओवन १९६७ मा अमाना कापरिशन द्वारा पेश करै गै थौ।१९७० का दशक मा माइक्रोवेव सस्ता होणा का कारण दुनिया भर मा उंकू उपयोग वाणिज्य और आवासीय रस्वाड़ों म फैल गी थौ। खाणा पकौणा का अलावा माइक्रोवेव कू इस्तमाल औद्योगिक प्रक्रियाओं म भी होन्दू। माइक्रोवेव तैयार खाणा तै गरम करणक और कै प्रकार का खाणा बणौणक होन्दू। यू कै प्रकार का खाणा तै तेजी से गरम करदू जू आम भांडौं पर सम्भव नी। माइक्रोवेव खाणा तै भूरा या कैरामेलाइज नी करदू कीक क यू माइलर्ड प्रतिक्रियाओं तै उत्पन्न करना शायद ही आवश्यक तापमान प्राप्त करदन। यन मामलों म अपवाद छ जख माइक्रोवेव कु इस्तमाल तैलीय चीजौं तै गरम करना तै किये जांदू जू उब्लदा पाणी की तुलना मा बहुत जादा छ । खाणा बणोणा मा माइक्रोवेव की एक सीमित भूमिका होन्दी कीक कि माइक्रोवेव की क्वथनांक - सीमा का तापमान से स्वादपूर्ण रासायनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न नी होन्दी जू उच्च तापमान पर तलना भुनणा या पकौणा से होन्दी वाणिज्य उपलब्धता । एन एस सवाना परमाणु संचालित मालवाहक जहाज पर सवार रेथियॉन "राडारेंज" १९६१ क आसपास स्थापित ह्वै।१९४७ मा रेथियॉन न राडारेंज कू निर्माण करी जू व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पैलू माइक्रोवेव ओवन थौ।यू लगभग १.८ मीटर लंबू और वजन ३४० किलो थौ और कीमत ५००० अमेरिकी डालर थौ। यू तीन किलो वाट की खपत करदू थौ जू आज का माइक्रोवेव से तीन गुणा जादा थौ और वाटर कूल्ड थौ। परमाणु ऊर्जा से चलन वालू यात्री जहाज एन एस सवाना की गैली मा एक प्रारंभिक राडारेंज स्थापित करे गै थौ। १९५४मा पेश किये गै एक प्रारंभिक वाणिज्यिक माडल न १.६ किलोवाट की खपत की और यूएस $२,००० से यूएस $३,०००मा बेचे गै थौ। रेथियॉन न १९५२ मा ओहियो का मैन्सफील्ड की टप्पन स्टोव कंपनी तै अपणी तकनीकी कू लाइसेंस दिनी ।व्हर्लपूल, वेस्टिंगहाउस और अन्य प्रमुख उपकरण निर्माताओं का अनुबंध का तहत जू अपणा पारंपरिक ओवन लाइन मा मिलान माइक्रोवेव तै जोड़न चांदन, टप्पन न आपणा निर्मित का कइ उत्पादों कु निर्माण करी। रखरखाव का कारण (कुछ इकाइयों तै वाटर कूल्ड किये गये) इन- बिल्ट आवश्यकता और लागत (यूएस $ १, २९५ से १३,००० डालर) तक बिक्री सीमित थै। जापान के शार्प कार्पोरेशन न१९६१मा माइक्रोवेव कु निर्माण शुरू करी १९६४ और१९६६ का बिच शार्प न टर्नटेबल का साथ पैलू माइक्रोवेव ओवन पेश करी जू भोजन तै और जादा गरम करना तै बढावा देणा कु एक वैकल्पिक साधन छ।१९६५ मा रेथियॉन न घरेलू बाजार मा अपणी राडारेंज तकनीकी का विस्तार करना की खोज मा जादा विनिर्माण क्षमता देणा का खातिर अमाना का अधिग्रहण करी। १८६७ मा उन US$495(२०२०डालर मा $4,000) की कीमत पर पैलू लोकप्रिय घरेलू माडल , काउंटरटाप रैडारेंज पेश करी। तीव्र माडल का विपरीत , ओवन गुहा का शीर्ष मा एक मोटर चालित मोड स्टिरर घुमाये जान्दू जै पर खाणू स्थिर रन्दू। १९६० का दशक मा लिटन न स्टडबेकर की फ्रैंकलिन विनिर्माण संपती खरीदी जैन मैग्नेट्रोन कु निर्माण और बिक्री करी। लिटन न माइक्रवेव कु एक नयु विन्यास विकसित करी जू छोटू औरचौड़ू थौ जू आज आम छ। मैग्नेट्रोन फीड भी अद्वितीय थौ। येका परिणामस्वरूप एक ओवन यनू बणी जू बिना लोड कू भी जीवित रै सकदू। नयू ओवन शिकागो मा एक व्यापार शो मा दिखाई गई थौ। १९७० मा अमेरिकी उद्योगतै ४०, ०००इकाइयों की बिक्री की मात्रा १९७५ तक बढकर १० लाख ह्वै गी।कम खर्चीला इंजीनियर मैग्नेट्रोन का कारण जापान मा बजार मा पैठ और भी तेज थै। कै और कंपनी भी बजार मा शामिल ह्वै और एक समै.तै अधिकांश सिस्टम रक्षा ठेकेदारों द्वारा बणाए गये था जू मैग्नेट्रोन से सबसे अधिक परिचित था। लिटन रेस्तरां व्यवसाय मा विशेष रूप से प्रसिद्ध थौ।

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पुलाव इतिहास

सरोज शर्मा (भोजन इतिहास शोधार्थी)
इ तिहास बतांदु च कि पुलाव क जन्म पैल ह्वाई बाद म बिरयानि आई ,पुलाव क बार म ईरानी विद्वान अविसेना क किताबों म जिक्र मिलद ,इलै एक श्रेय ईरान थैं मिलद
पर संस्कृत साहित्य म भि येकि जड़ मिल जंदिन
 
हालांकि चौंलु कि खेति दक्षिण एशिया से मध्य एशिया और पश्चिम एशिया म बहुत पैल भटिक किए जांद, अब्बासी खलीफा जमन भटिक यि चौंल (पुलाव) पकाण क सगोर छाई यि तरीका स्पेन से लेकि एक विशाल क्षेत्र म फैल ग्या,
अफगानिस्तान और सरया दुनियाभर म स्पैनिश पेला और दक्षिण एशियाई पुलाव और बिरयानी विकसित हुयीं
केटी आचार्य क अनुसार भारतीय महाकाव्य महाभारत चौंल और मांस एक साथ पकये जांणक उदाहरण भि मिलद,
पिलाफ क खुण सबसे पैल लिखयूं नुसका दसवीं शताब्दि म फारसी विद्वान इब्नसिना से आंद जौंल अपणि पुस्तक म कै
प्रकार क पिलाफ क वर्णन कर दयाई ,17वीं शताब्दि म ईरानी दार्शनिक मुल्ला सदरा कि कि किताबो मा भि पुलाव क वर्णन आंद।


Bhishma Kukreti

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प्रेसर कुकर कु इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
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इंग्लैंड मा आर्चीबाल्ड केनरिंग एंड सन्स द्वारा निर्मित 1890 म निर्मित हुयीं,
1679 मा,फ्रांसिसी भौतिक वैज्ञानिक डेनिस पापिन जु भाप पर अध्ययन कनकु प्रसिद्ध छाई वू भि जणै जंदिन वून भोजन पकाण कु समय कम कनकु वास्ते स्टीम डाइजेस्टर कु आविष्कार कार,ऊंक एयर टाइट कुकर म क्वाथनांक बड़ान क वास्ते भाप क दबाव कु इस्तेमाल कार ,जनकैक खाण जल्द बण ग्या, 1681 म पापिन ल अपण आविष्कार क वैज्ञानिक अध्ययन क रूप म लंदन कि राॅयल सोसाइटी क समण प्रदर्शन कार, बाद मा ऊं थैं सदस्य क रूप म चुने ग्यायी,
1864 म स्टटगार्ड क जार्ज गुटब्रोड न टिन क कच्चा लोहा से कुकर कु निर्माण शुरू कार,
1910 मा इंदुमाधव मलिक न स्टीम कुकर कु आविष्कार कार जु IcMIc कुकर नाम से लोकप्रिय ह्वाई, जु चौंल दाल सब्जियों थैं भाप म तेजी से पकै सकदु छाई,
1918 म स्पेन ल जारागोजा क जोस एलिक्स मार्टिनेज कु प्रेसर कुकर खुण पेटेंट किये ग्या, मार्टिनेज न ये थै बुलेटिन ऑफिसियल डे ला प्रोपिडाड इंडस्ट्रीज म पेटेंट संख्या 71143 क तहत ओला एक्सप्रेस नाम दिये ग्या,1924 मा पैल पैल कुकिंग पाॅट बुक प्रकाशित ह्वाई जै थैं जोस एलिक्स न लिख, शीर्षक छाई 360 फार्मुलस डे कोकिना पैरा गुईसर कोन ला ओला एक्सप्रेस,
1938 मा अल्फ्रेड विस्चर न न्यूयार्क म फ्लैक्स सील स्पीड कुकर प्रस्तूत कार,
विस्चर क प्रेसर कुकर सबसे पैल घरेलु उपयोग म लिए ग्या ये कि सफलता न अमेरिका और यूरोपीय निर्माताओ क बीच प्रतिस्पर्धा कु जन्म दयाई, 1939 मा नाम बदलिक प्रैसटो इंडस्ट्रीज, अपणा स्वयं का कुकर बणाण कि शुरुआत कार।


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हलवा को  इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
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बनि बनि कु हलवा बणद, जन आटा कु, बेसण कु,राजगिरा, रागी, सूजि ल दाल ल फल सब्जियों कु और बीजों कु खसखस, बदाम, कार्न फ्लार ल बर्फी क तरह जमण वलु हलवा भि बणद,
तुर्की बटिक हलवा कु जन्म ह्वाई, हलवा शब्द कि उत्पत्ति अरबी क शब्द हलव से ह्वाई, बोलै जांद कि तुर्की म तेरहवीं शताब्दि क आसपास दूध खजूर से मिलैक एक व्यंजन बण जैथैं हल्व ब्वले ग्या बाद म ऑटोमन साम्राज्य क समय तरह-तरह क हलवा बणाण खुण अलग पाकशाला बणयै ग्या जख बनि बनि का हलवा बणद छाई, यि हलवा चाशनी म बणै जांद छाई बीजों क पौडर मिलैक जमये जांद छाई, मिश्र मा हलावा बोलदिन, यूक्रेन से ह्वै कि हल्व अमेरिका म 19वी शताब्दि मा पौंछ,भारत मा हलवा मुगलो क दगड़ आई दिल्ली मा वखि बटेक सरया देश मा फैल, लखनऊ का भोजन विशेषज्ञ हलीम अकबर अपणि किताब "गुजिशता लखनऊ मा " जिक्र करदिन कि भारत म हलवा अरब से पर्शिया बटेक भारत आई, हां सूजि क हलवा कि कहानी अलग च ये ल भारत म प्रयोगात्मक रूप म जन्म ल्याई पर यू बणू तभि च जब भैर बटिक हलवा भारत म आई, सत्यनारायण भगवान कि कथा म भोग क रूप म हलवा चढयै जांद इन समझा कि सत्यनारायण कि कथा भि हलवा क प्रचलन क बाद शुरू ह्वाई, हमरा कै भि आदि ग्रन्थ मा हलवा कु कखि जिक्र नी हां लापसी कु उल्लेख मिल जांद, नवरात्र मा हलवा पूड़ी कु चलन भि ज्यादा पुरण नी।


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जलेबि क इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
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जलेबी क इतिहास  भि जलेबि कि हि जन गोल च जन जगह उन्नी नाम

जलेबि की शुरुआत हौब्सन - जॉब्सन क अनुसार जलेबी शब्द अरेबिक शब्द जलाबिया या फारसी शब्द जलिबिया से आई, मध्यकालीन पुस्तक 'किताब अल तबीक ,म जलबिया नौ कि मिठै क वर्णन मिलद, जै कि शुरुआत पश्चिम एशिया म ह्वाई, ईरान म या जुलाबिया, जुलुबिया नाम ल मिलद, 10 वीं शताब्दी की अरेबिक पाक कला पुस्तक म ये कि रेसिपी मिलद, 17 वीं शताब्दी म भोजन कुटुहला नाम कि किताब म भि और संस्कृत पुस्तक गुणयगुणबोधनी म जलेबि क बारे म लिखै ग्या, भारत मा तुर्की आक्रमणकारियो क दगड़ आई, बोल सकदां कि भारत म जलेबि क इतिहास 500 साल पुरण च, पांच सदियो म यै क रूप मा कई बदलाव हवीं, सर्व व्यापी रूप म जलेबि उत्सव क पर्यायवाची बण गै,
विदेशो म जलेबि
लेबनान म जेलाबिया, ईरान म जुलूबिया, ट्यूनिशिया म ज'लाबिया, नाम से मिलद।
अफगानिस्तान मा जलेबि पारंपरिक रूप म माछौं दगड सर्व किये जांद, मध्यपूर्व मा खये जाण वली जलेबि हमरी जलेबि से कम मिट्ठठी पतली और कुरकुरि हूंद। श्री लंका कि पानी वलालु मिठै जलेबि क प्रकार च जु उड़द और चौंल क आटु से बणद, नेपाल मा जेरी जलेबि कु ही रूप च।


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फ्रेंच फ्राइज कु इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
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के. एफ सी KFC  ,कु फ्राइड चिकन ह्वा, मैकडोनाल्ड क बर्गर, यूं क सच्चु साथि फ्रेंच फ्राइज च दुनिया क हर कोणा म मिल जाल, कनाडा म यै क पोटीन रूप प्रसिद्ध च,त पेरिस म स्ट्रीक फ्रिटे, और बेल्जियम म फ्रीटेन, तलयां अलु क यूं टुकडों पर सबया देश अपण दावा ठोकदिन, नाम क अधार से त फ्रांस कि देन मनै जांद, लेकिन अमरीका भि अपड़ दावा ठोकद, वखी कनाडा क क्यूबेक सूबा का लोग अपणी खोज बतंदिन, बेल्जियम क लेखक अल्बर्ट वर्देयन कु दावा च कि फ्रेंच फ्राइज पैल पैल बेल्जियम म बणयै गेन, अल्बर्ट न किताब लिखि कैरेमैंट फ्राइज इतिहास क पन्ना खंगलती च किताब
वु बोलदिन अमेरिकन कु दावा गलत च, असल म फ्रेंच फ्राइज बेल्जियम म सबसे पैल बणये ग्या, जख फ्रेंच भाषा ब्वले जांद,
बेल्जियम म किस्सा मशहूर च कि बेल्जियम क नामूर इलाका म सबसे पैल बणयै गैन, तामूर क बाशिंदो थैं तलयां माछा भौत पसंद छा, लेकिन 1680 म वख की म्यूज नदी जम ग्या, और माछा मिलणा बंद ह्वै गिन त लोगुल अल्लु काटिक तैलिक खाण शुरू कैर दयाई
यखि बटेक फ्रेंच फ्राइज कि शुरुआत ह्वाई, यीं कहानि पर यकीन करण वला लोग बोलदिन फ्रेंच फ्राइज क नाम पैल विश्व युद्ध क दौरान यख बसेरा बणाण वला अमेरिकी सैनिकों ल दयाई किलै कि यख क लोग फ्रेंच बोलदा छाई।


 

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