हलवा को इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
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बनि बनि कु हलवा बणद, जन आटा कु, बेसण कु,राजगिरा, रागी, सूजि ल दाल ल फल सब्जियों कु और बीजों कु खसखस, बदाम, कार्न फ्लार ल बर्फी क तरह जमण वलु हलवा भि बणद,
तुर्की बटिक हलवा कु जन्म ह्वाई, हलवा शब्द कि उत्पत्ति अरबी क शब्द हलव से ह्वाई, बोलै जांद कि तुर्की म तेरहवीं शताब्दि क आसपास दूध खजूर से मिलैक एक व्यंजन बण जैथैं हल्व ब्वले ग्या बाद म ऑटोमन साम्राज्य क समय तरह-तरह क हलवा बणाण खुण अलग पाकशाला बणयै ग्या जख बनि बनि का हलवा बणद छाई, यि हलवा चाशनी म बणै जांद छाई बीजों क पौडर मिलैक जमये जांद छाई, मिश्र मा हलावा बोलदिन, यूक्रेन से ह्वै कि हल्व अमेरिका म 19वी शताब्दि मा पौंछ,भारत मा हलवा मुगलो क दगड़ आई दिल्ली मा वखि बटेक सरया देश मा फैल, लखनऊ का भोजन विशेषज्ञ हलीम अकबर अपणि किताब "गुजिशता लखनऊ मा " जिक्र करदिन कि भारत म हलवा अरब से पर्शिया बटेक भारत आई, हां सूजि क हलवा कि कहानी अलग च ये ल भारत म प्रयोगात्मक रूप म जन्म ल्याई पर यू बणू तभि च जब भैर बटिक हलवा भारत म आई, सत्यनारायण भगवान कि कथा म भोग क रूप म हलवा चढयै जांद इन समझा कि सत्यनारायण कि कथा भि हलवा क प्रचलन क बाद शुरू ह्वाई, हमरा कै भि आदि ग्रन्थ मा हलवा कु कखि जिक्र नी हां लापसी कु उल्लेख मिल जांद, नवरात्र मा हलवा पूड़ी कु चलन भि ज्यादा पुरण नी।