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Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान

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Bhishma Kukreti:
पेड़ा इतिहास
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सरोज शर्मा (भोजन मूल शोधार्थी)

पेड़ा भारतीय उपमहाद्वीप कु मिट्ठू व्यंजन च ये कि उत्पत्ति मथुरा,उत्तर प्रदेश भारत से ह्वाई,
ऐ कि मुख्य सामग्री खोवा, चिन्नी, इलायची, पिस्ता, केसर च।
ऐक रंग मलैदार सफेद से भिन्न हूंद, पेड़ा शब्द आमतौर मा आटु और खोवा जन पदार्थ क गोलों खुण किए जांद, मिठै खुण विभिन्न नामु से पेड़ा, पेंडा ब्वले जांद
उत्तर प्रदेश भटिक पेड़ा भारतीय उपमहाद्वीप क कै हिस्सो मा फैल ग्या, लखनऊ का ठाकुर राम रतन सिंह जु 1850 क दशक मा धारवाड़ चल गैं ऊन वख पेड़ो कि शुरुआत कै, यू विशिष्ट पेड़ा धारवाड़ पेड़ा क नाम से प्रसिद्ध च, कंडी पेड़ा सतारा मा महाराष्ट्र पेड़ा कि एक और किस्म च, कर्नाटक मा नन्दिनी मिल्क को-ऑपरेटिव द्वारा प्रसिद्ध डूड पेड़ा एक और प्रसिद्ध किस्म च, दगड़ मा लड्डू पेड़ा भि धार्मिक प्रसाद सेवा क रूप मा भि उपयोग किए जांद।

Bhishma Kukreti:
रतलाम कि सेव पुरी इतिहास का पन्नो से ,
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सरोज शर्मा (भोजन मूल शोधार्थी)
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वजन मा हल्की, तलीं और कुछ कुरकुरी सेवपुरी खुण रतलाम शहर जणै जांद,
ये मा पडयां मसला और बनि बनि का आटू क इस्तेमाल ये थैं खास बणै दींद, ये क पिछनै कु इतिहास भि भौत दिलचस्प च, बोले जांद कि मुगल शासक मालवा बटिक गुजरणा छा ये दौरान ऊं थैं सेवियां बणाण कु ग्यूं नी मिला,
ऊन भील आदिवासी से पूछ फिर भील समुदाय क लोगों न चाणा क आटु से सेवयां बणै,
रतलाम सेव से पैल भील सेव छाई जु कि चाणो क आटु से बणी सेवयां छै, ऐक बाद सेवपुरी मशहूर ह्वै, कमर्शियल रूप मा 1900 मा येकु उत्पादन शुरू ह्वै और साल 2015 मा ऐ थैं GL टैग दियै ग्या।

Bhishma Kukreti:
वेजिटेबल इडली
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सरोज शर्मा सहारनपुर बटिक
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एक कप सूजी ल्याव, तीन चम्मच दै, चुटकी भर लूण, इच्छा ह्वा त थोड़ा-बहुत लाल मर्च, इनो एक पाउच, इनो छोड़िक सब्या सामग्री मिलाव गाढ़ु घोल बणाव थोड़ा-बहुत पाणि डालिक, 15 मिनट क धैर दयाव, सूजी फूल जाली अब इडली पैन मा हिसाब से पाणि धैरिक गरम कारा, इडली बैटर मा इनो डालिक मिलाव और इडली कि तश्तरीयो मा एक एक चम्मच घोल डालिक स्टैंड मा धैरिक इडली पैन मा 10-15 मिनट पकाव, उतार ल्याव इडली अलग धैर दयाव, एक कढ़ै मा तेल गरम कैरिक राई हींग कढी पत्ता डालिक तड़काव अब ये मा कटीं सब्जियां डालिक सोते कैरिक लूण स्वादानुसार डालिक हैर मर्च टमाटर डालिक पकाव ज्यादा नि पकाण, इडली द्वी टुकड कैरिक डाल दयाव चलांद राव स्वाद बणाण कु थोड़ा-बहुत टमैटो सास डालिक मिलाव ह्वै गे तैयार।

Bhishma Kukreti:
गाजर, मूली, गोभी, हैर मर्च ,अदरक कु अचार।
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सरोज शर्मा, सहारनपुर बटिक
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सबया सब्जी साफ कैरिक काट ल्याव, मर्च मा चीरा लगा दयाव, लूण हल्दी मिलै कि पांच, छै ,घंटा धूप मा धैर दयाव,
सामग्री
पीली सरसों तीन चम्मच
काली सरसों तीन चम्मच
जीरा तीन चम्मच
सरसों क तेल छै बड़ चम्मच
चुटकी भर हींग
लाल मर्च पौडर इच्छानुसार
हल्दी एक चम्मच
लूण स्वादानुसार
सिरका चार बड़ चम्मच

सरसों जीरू भून ल्याव दरदरू पीस ल्याव
अब लूण मिलीं सब्जी कु पाणि निथारिक फेंक दयाव अर सब्जी मा सरया मसला डालिक मिलाव लूण स्वादानुसार डालिक सरसों क तेल
छै बड़ चम्मच गर्म कैरिक फिर ठंडू कैरिक मिलाव
मर्तबान मा धैर दयाव सिरका भि डालिक हिलाव कुछ दिन धूप दिखाव ह्वै गै तैयार, साल छै मैना तक खराब नि हूंद।

Bhishma Kukreti:
कुमाउँनी अनुवाद ( किचेन टिप्स -1)

Sumita Pravin
ख्णेक नाम सुनण जाणे सब्नेके मुख बिटिक पाण ऐ जां। जादा कभेर ख्णे बण्यूँनेक शौक स्याणियांन में हुन्छ हौर उनुकें ख्णे बण्यूँन में मज ले ऊनि। जो सवाद ईजाक हाथेल बणी ख्णे में हुन्छ, उस सवाद कईं ले नि हुन। आजकलेक तवै भरी जिंदगी में हमलोग ख्णे बण्यूँनेक बेसिक टिप्स कें भुल जानु। यां हम कुछ टिप्स दिन्यु जो आपुक ख्णे बण्यूँनेक टैम में तेजी लाल हौर तो हौर ख्णे ले सवाद बणोल।
1- अगर प्याज जल्दी भुनन भाय तो लूँण खितभेर भुन्या, इसिक प्याज जल्दी कौली जाल।
2-बेसणक चिला बण्यूँन बखत वीमे द्वि चमच सूजीक हाल्या।इसिक चिला कुरकुरा बणाल।
3-लड़ग कुड़कुड़ान बण्यूँनेक लिजि पिस्यु कें गरम पाण या दूध दगड़ ओल्या।
4- आचार कें हमेशा कांचक शिशिम धर्या, कब्भे खराब नि हौ।
5- आपुक चुलाण में तेज धार वाल चक्कू राख्या, जैल आपु सरासर हौर आसानिल साग काट सकछा। इसिक आपुक भौत समय ले बचोल।
6- हमेशा ख्णे बण्यूँन है पैलि ज़रूरी सौमान तैयार कर राख्या, येल आपुकें ख्णे बण्यूँन में कोई परेशानी ने हो।
7-अगर लासण जल्दी छिलण भाय तो पांच मिनट पैलि उनुकें पाण में भिजा लिया।
8-दूध कें उमावण बखत वीमे द्वि चमच पाण हाल दिया, जैल ढेकक ताव में दूध नि लागोल।
9-लुआक भदै में ख्णे बण्यूँलेल आयरनेक कमी दूर है जां।
10-अगर आपु शिकार बण्यूँन हुनाल, तो ख्णे बण्यूँनेक कुछ घण्ट पैलि विकें मैरीनेट कर दिया ( मश्यालनक मिश्रण) तो शिकार भौते सवाद बणोल।
11-लूँण तेज है जाई में, साग में ग्यूँक पिश्युंक गोय (गोली) बने भेर डाल्या। य गोय साग बिटिक जादा हई लूँण कें चूस ल्याल हौर साग कें सामान्य कर दिनि।
12-ख्णे बण्यूँनेक तुरन्त बाद चुलाण व सिंक कें साफ कर दिया ताकि आपुक चुलाण में क्वे ले गंदगी नि रवो।
सुमीता प्रवीण
मुंबई

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