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Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान

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Bhishma Kukreti:



                        रस्वाड़ी
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प्रस्तुत च गढ़वाल की प्राचीन रस्वाड़ी (रसोईघर) कु एक दृश्य लोकभाषा गढ़वाली कविता मा।
A Garhwali Traditional Kitchen of Old Time
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By Mahenda Bartwal
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वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
कुटुंबदरियू अधाण धरियूँ च,
फूळु पुत्यायूँ भात धरियूँ च।
भड्डू पर त्वौरे दाळ धरीं च,
ऐंच मा काँसे बाठुळि धरीं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
साग-पात कू भदयाळू भरियूं च,
तैं मा तवाळो डट्टा धरियूँ च।
डाडुळी दाळ घुमोंण लंगी च,
भातौ पौंळू भि त्यार ह्वयूं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
बन्ठा, गागर पाणि भरियूं च,
ट्वोखुणु तौंका मुंड धरियूँ च।
झंगरवळया घ्यू की कमोळि भरीं च,
नौणी ग्वन्दगी परियळि धरीं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
खित -खित दै कू परवठु भरियूँ च,
लतपत छाँसिन पर्या ह्वयूं च।
माँदण- न्यौतण साज सज्यों च,
कापण पर्ये खाँप अड्यूं च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
चुलखंदा दूधे बाट्टी भरीं च,
तै मा बकळी कापड़ि लंगी च।
घ्यू गलायूँ च मयडु बच्यों च,
चौंळू कणकूँ राळ रळायूँ च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
सिल्वटा घर्यो ल्वोंण पिस्यूँ च,
खदरा धरयूँ अर क्वसुडु भरियूँ च।
खारियूं क्वडूँ, कुठार भरियूं च,
डल्वणु, पाथु, स्यौर धारियों च।।
वबरा भितर धुंयाळ लंगी च,
डेळी भेर रस्यांण आयीं च।
कर्त -बर्त द्युराण कनी च,
रस्वाड़ा मा बड़ी जेठाण बैठीं च।।
( रचनाकार: महेन्द्र सिंह बर्त्वाल)
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित: महेंद्र सिंह बर्त्वाल, स्यूपुरी ( वीरजवाँणा) सतेराखाल, रुद्रप्रयाग। रचना कु मूल उद्देश्य लोकभाषा गढ़वाली का प्राचीन शब्दों कु रिवाज कु संरक्षण च आप सभ्यों कु आशीर्वाद की अपेक्षा मा।

Bhishma Kukreti:
[b]जड्डौं मा शरीर तैं गरम रखणूं गडवली पेय[/b]
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अनिता ढौंडियाल
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गुड़जोली:  गुड का हलवा
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सामान
एक कट्वरी ग्यूं क आटु
एक कट्वरी गुड़
एक छ्वटु चम्मच सौंफ
पांच कट्वरी पाणी
एक बड़ू चम्मच घी
बणाणू सगोर
पाणी मा गुड़ डालिकि गुड़ गलण तक गरम करा
कढै गैसम धैरिकि घी गरम कैरी आटु खूब कैरी भूना
अब गुड़ौ गरम पाणी डालिकि खूब कैरी मिलावा
गुरमुला नि होण चयेंदा सौंफ भि डाल द्या
ह्वैगी तैयार गुड़जोली गरम गरम प्यावा
उन त ये मा ज्यादा कुछ डलणै जरुरत नि होंदी पर मनपसंद सूखा मेवा भि डाल सकदां

Bhishma Kukreti:
अपरि स्वगड़ि का अपरा लगैयाँ अल्लु का "दम अल्लु"
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Premlata Sajwan
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सामग्री - दस बारह अल्लु
भुटणा खुणे तेल
एक मुट्ठ कटीं हैरि कसूरी मैथी
जीरा,राई,जख्या,हींग
लूण,मर्च,हल्दु,धनिया पौडर,भुन्या जीरा पौडर
द्वी टमाटर
हारु धनिया।
सगोर- दस बारह अल्लु ध्वै पौंछि कि राखा।
एक कढै़ मा भूटण जुगा कढु़ तेल ( सरसों कु तेल ) डालि गरम हूण फर वैमा जख्या,राई,जीरा,हींग कु तुड़का डाला। फिर अल्लु डालि कि भून द्यावा।फिर एक मुट्ठ हैरि कसूरी मैथि काटि छिड़क द्यावा। एक ढकणा लगै ढकै द्यावा। दस बारह मिनट पकै कि लूण,मर्च,हल्दु,धनिया मसलु,भुन्यु जीरा मसलु,डालि कि रल्यै मिल्यै द्यावा। अब द्वी बड़ा टमाटर भि बरीक काटि कि डालि द्यावा। जब पकि जालु त मथि भटै हारु कट्यु धनिया बुरबुरे द्यावा।
दम अल्लु तैयार छन।
खावा अर वोट द्ये कि आवा। अपणि पसंदा कि सरकार बणावा। देश बचावा।

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