गले की शान सोने का गलोबंद फैशन से बाहर
अल्मोड़ा। आधुनिकता के दौर में पर्वतीय क्षेत्र में परंपरागत गहने प्रचलन से धीरे-धीरे बाहर होने लगे हैं। कुमाऊंनी महिलाओं के गले की शान रहा सोने का गलोबंद फैशन से बाहर हो गया है। इसका स्थान सोने के मंगलसूत्र और नए डिजाइन के हार ने ले लिया है।
सोने का गलोबंद कुमाऊंनी महिलाओं की शान रहा है। गलोबंद को सनील अथवा कपड़े की पट्टी में सिलकर उपयोग में लाया जाता है। विवाहिता महिलाएं गलोबंद के अलावा चरेऊ और चांदी के मंगलसूत्र पहनती थीं लेकिन पिछले दो दशक से गलोबंद का प्रचलन नाममात्र का रह गया है। नई पीढ़ी की महिलाएं गले में गलोबंद के स्थान पर अब आधुनिक डिजाइन के सोने के मंगलसूत्र और हार पहनने लगी हैं।
स्वर्णकार भुवन वर्मा बताते हैं कि गलोबंद एक तोले सेे चार तोले तक बनते थे लेकिन अब लोग गलोबंद बनाने के आर्डर नहीं आते हैं हैं। गलोबंद के स्थान पर आधुनिक डिजाइन के सोने के मंगलसूत्र और हार प्रचलन में आ गए हैं। मंगलसूत्र में पाइप माला, मछली, चंपाकली, दाने आदि डिजायन महिलाओं के पसंदीदा हैं। सोने के हार बनाने के लिए स्वर्णकार विभिन्न डिजायनों की डाइ का उपयोग करते हैं। (amar ujala)