By D N Badola Ji
लछिया कोठ्यारी के किस्से - 1
लछिया कोठ्यारी के किस्से पूरे इलाके मैं प्रसिद्ध हैं. पुराने समय मैं शाम को चौपाल मैं उसकी मूर्खता के किस्सों को चटकारे लेकर सूना व सुनाया जाता था. उसके सात पुत्र थे. उनकी मूर्खता के किस्से भी प्रसिद्ध हैं. पुराने समय की बात है पहाड़ से लोग बैलगाडियों के काफिले मैं जाड़ा प्रारंभ होते ही मय बिस्तर व साजो सामान के भाभर को प्रस्थान करते थे. बीच मैं कई पड़ाव होते थे. बैलों के पैरों मैं घंटियों की घुन घुन तथा लालटेन की रोशनी मैं बैलगाडियों के साथ पूरा काफिला बस्ती के नजदीक जंगल मैं सुरक्षित स्थान तलाश कर रात्रि विश्राम किया करता था.
हमारी कहानी के नायक सातों भाइयोँ को उनके पिता ने भाभर जाने से पहले हिदायत दी थी की जहां भी रात्रि पड़ाव हो सातों भाई गिनती कर पुरी तरह आश्वस्त हो जाना की सातों के सात भाई साथ हैं. पहला पड़ाव आया. भाईयोँ ने गिनती शुरू की, पर यह क्या गिनती मैं कुल छै भाई ही निकले. दुसरे भाई ने गिनती की परन्तु नतीजा फिर वही छै ही निकला. इस प्रकार सभी भाइयोँ ने गिनती की पर नतीजा वही निकला.सच बात यह थी की जो भी भाई गिनती करता वह अपने को नहीं गिनता था. अतः कुल ६ की ही संख्या निकलती थी. सातों भाई दहाडें मार कर रोने लगे तथा एक भाई की मौत का गम मनाने लगे.परन्तु प्रश्न यह था की सातवां भाई जिसे वह मरा समझ रहे हैं, वह कौन था और वह कहाँ गया. उसकी लाश भी तो नहीं मिली.
इसी पशोपेश मैं रात गुज़री. उन्होंने अपने पिता को सन्देश भेजा. दुसरे दिन उनके पिता लछिया कोठ्यारी उनके पास पहुंचे. भाईयोँ ने रोना धोना शुरू किया. लछिया कोठ्यारी ने उन्हें डाटा और सबसे बड़े भाई से फिर से गिनती करने को कहा . गिनती करने पर फिर 6 भाई ही निकले. उन्होंने बारी बारी हर लड़के से गिनती करने को कहा. पर यह क्या गिनती मैं तो ६ ही भाई पाये गए. क्योंकि गिनने वाला भाई खुद को नहीं गिनता था. नतीजतन लछिया कोठ्यारी सहित सभी भाई विलाप करने और जोर जोर से रोने लगे. परन्तु प्रश्न यह था की किस भाई की मौत हुई है. आखिर किसका किर्या कर्म किया जाय. महामूर्ख लछिया कोठ्यारी ने स्वयं लड़कों को गिनने की जहमत नहीं उठाई. यदि वह ऐसे करते तो महामूर्ख की पदवी से कैसे नवाजे जाते. (D.N.Barola)